Venus and Ketu conjunction | शुक्र-केतु की युति, वास्तविकता से परे

शुक्र-केतु की युति

कुंडली के विभिन्न भावों में शुक्र-केतु की युति- वैदिक ज्योतिष की गणना के अनुसार, शुक्र और केतु की युति के प्रभाव से जातक प्रेम संबंधों में भ्रम के कारण अंधा हो जाता है। शुक्र और केतु के संयोजन से प्रेम में भ्रम की स्थिति इतनी बलवान होती है कि जातक कोई भी घटनाओं का वास्तविक ज्ञान तब तक नहीं देख सकता जब तक कि उसे सुधारने में बहुत देर न हो जाए। कहने का अर्थ बस इतना है कि शुक्र व केतु की युति से जातक में भ्रम की स्थिति अधिक पनपती जो उसे वास्तविकता से दूर करती है।’मंगल भवन’ के इस लेख में आज हम कुंडली के बारह भावों में शुक्र-केतु के संयोजन से होने वाले प्रभावों के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे- 

सभी ग्रहों में, शुक्र विलासिता का मुख्य कारक कहलाता है जब यह कर्म प्रधान ग्रह केतु के साथ संपर्क करता है तो यह भौतिक विलासिता से भी असंतोष देता है। जिसमें, दिशाहीन केतु प्रेम के ग्रह शुक्र को रिश्तों में विभिन्न दिशाओं में ले जाता है। और प्रेम और वैवाहिक संबंधों में संघर्ष, गलतफहमियां पैदा करने का कार्य करता है। जब तक जातक को यह एहसास नहीं होता कि समझ के सभी रास्ते अवरुद्ध हो गए हैं। प्रेम या वैवाहिक संबंधों में प्रेमी या जीवन साथी इस भ्रम में हैं कि आप में से कोई एक ही है जो रिश्ते में प्रयास कर रहा है और यह तथ्य प्यार की गर्माहट में अहं-परेशानी पैदा करने के लिए काफी है।

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब शुक्र व केतु की युति में शुक्र ग्रह की केतु पर एक बलशाली भूमिका होती है, तो जातक शुक्र से संबंधित संपत्ति जैसे अच्छी विलासिता, अच्छे रिश्ते और शारीरिक सम्बंधित इच्छाओं की पूर्ति का भरपूर आनंद ले पाएंगे। इसका कारण यह है क्योंकि,  जातक की संतुष्टि का स्तर मानक होगा। और जातक पर जीवन के युवा चरण में शुक्र ग्रह का सकारात्मक प्रभाव होगा । लेकिन ऐसे जातक भौतिकवादी चीजों के प्रति लगाव की तीव्रता से अलग हो जाएंगे।

इसके अलावा, जब शुक्र व केतु के संयोग में केतु ग्रह, शुक्र पर स्वामित्व रखता है, तो यह बहुत कम उम्र से ही जीवन के भौतिकवादी पहलुओं से जातक की वैराग्य प्रवृत्ति को सक्रिय करता है। शुक्र अच्छे साथी और रिश्तों में ख़ुशी का कारक है, परन्तु केतु के प्रभाव में, ऐसे जातकों के साथी भले ही सहयोग और प्यार करने वाला हो, वें साथी के साथ अच्छा समीकरण नहीं बना पाएगा। इसके साथ ही ऐसे जातक प्रेम में दिशाहीन होता है और भौतिकवादी क्षेत्र में उसे निराशा का सामना करना पड़ता है। कुल मिलाकर, हम कह सकते हैं कि वे स्वयं को सांसारिक जिम्मेदारियों से अलग कर लेते हैं।

और केतु के बलशाली प्रभाव के कारण जातक आध्यात्मिकता/वैराग्य की राह को अपनाने लगते हैं और वे इस स्थिति को स्वीकार कर लेते हैं।

ज्योतिष में, शुक्र ग्रह एक बहुत तेज गति से चलने वाला ग्रह है, इसलिए यह साल में एक बार ही केतु के साथ युति बनाता है। जातकों की कुंडली में शुक्र व केतु का संयोजन एक बहुत व्यापक संयोजन होता है। जिसमें, शुक्र ग्रह सांसारिक सुखों जैसे विलासिता, रिश्तों में खुशी और कामुक सुख का कारक होता है। जबकि केतु चंद्रमा का बिना सिर वाला दक्षिणी नोड है। जो सोचने व समझने में सक्षम नहीं होता है। इसलिए यह जातक के जीवन से जुड़े मामलों, खासकर रिश्तों में भ्रम की स्थिति पैदा करता है।

इसके साथ ही, केतु एक कर्म प्रधान ग्रह है, और यह हमें जीवन के उद्देश्य के गहरे अर्थ को समझाता है। यह भौतिकवादी संसार के भीतर व्याप्त सही और गलत विकल्पों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए हमारे अवचेतन के अंदर शक्तियों को जागरूक करने की मानसिकता को प्रभावित करता है। जिससे की जातक जीवन में सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ सके।

कुंडली के पहले भाव में शुक्र और केतु की युति से जातक में, विनम्रता का भाव आता है। इस दौरान जातक को साफ-सुथरा घर अधिक पसंद आता है। युति के शुभ प्रभाव में जातक की बुद्धि विकसित होती है। इस दौरान जातक नृत्य, संगीत, फोटोग्राफी, फिल्म, धारावाहिक आदि के व्यवसाय में सफलता से कार्य कर सकते हैं। जातक का व्यावहारिक जीवन सामान्य रहता है। 

कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र और केतु की युति जातक की आर्थिक स्थिति के लिए अच्छे परिणाम देने वाली होती है। लेकिन जातक के व्यवहारिक जीवन में मनमुटाव और झगड़े हो सकते हैं। जातक का साथी बीमार रह सकता है।

अतः सावधान रहने की सलाह दी जाती है। कार्यक्षेत्र में काम अच्छा बना रह सकता है। इसके साथ ही नवमांश चार्ट के अनुसार, इस संयोजन वाले जातकों को वास्तव में खुद को अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने की कोशिश करते हुए पा सकते हैं।

कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र और केतु की युति से प्रभावित जातक कठोर स्वभाव के होते है। इस दौरान जातक जीवन में घट रही घटनाओं के प्रति कठोर व्यवहार करने लगता है। युति के अशुभ प्रभाव में जातक को कोई दीर्घकालिक बीमारी हो सकती है। साथ ही जातक को, संतान पक्ष के करियर संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। 

कुंडली के चौथे भाव में शुक्र और केतु की युति के प्रभाव में जातक को माता पक्ष से बहुत प्रेम मिलता है। ऐसे जातक शिक्षा संबंधी सभी कोर्स अच्छे से पूरा कर लेते हैं। साथ ही ऐसे जातक चित्रकला और अभिनय से जुड़े कार्यों में अधिक रुचि लेते हैं। युति के अशुभ प्रभाव से जातक को कुछ पेट संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। जातक को डिजाइन से संबंधित सजावट करने में  अधिक रुचि लेते है। 

कुंडली के पांचवे भाव में शुक्र और केतु की युति जातक को सभी कार्यों में अच्छा सहयोग देती है। युति के शुभ प्रभाव में जातक को लेखन और अध्यापन के क्षेत्र में अच्छे अवसर मिलते हैं। कई महिला जातकों को गर्भावस्था के दौरान कोई परेशानी या समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। कुछ अशुभ प्रभाव के चलते जातक को भय का सामना करना पड़ सकता है। व्यावहारिक जीवन में सामान्य रहेगा।

कुंडली के छठे भाव में शुक्र और केतु की युति हो तो ऐसे जातक अपने कार्यस्थल या ऑफिस में अच्छा काम करने के लिए सराहना प्राप्त करते हैं। इस दौरान जातक को कानून संबंधी मामलों में नुकसान हो सकता है। साथ ही ऐसे जातकों की संतान महत्वाकांक्षी स्वभाव की होती है। प्रेम और व्यवहारिक जीवन में कठिनाइयां आ सकती हैं। 

कुंडली के सातवें भाव में शुक्र और केतु की युति में, जातक का वैवाहिक जीवन अच्छा रहता है। युति के शुभ प्रभाव से पति-पत्नी के बीच मधुरता भरे सम्बन्ध रहते है। वें अपने परिवार के साथ अच्छा समय बिताता है। इसके साथ ही ऐसे जातक अपनी बुद्धि के बल से सभी कार्य शीघ्र व सफलतापूर्वक पूरा कर लेता है। सातवें भाव में शुक्र व केतु के संयोजन से जातक को सकारात्मक प्रभाव मिलते हैं। 

कुंडली के आठवें भाव में शुक्र और केतु की युति से प्रभावित जातक अपने नैतिक चरित्र को बनाए रखने का प्रयास करता है। जातक को यौन संबंधी रोग होने की पूरी संभावना है। साथ ही ऐसे जातक कुछ लालची प्रवृत्ति के होते हैं। जातक अपने  जीवनसाथी से निराशा महसूस कर सकते है। शुक्र व केतु का प्रभाव, व्यावहारिक जीवन में परेशानियां ला सकता है। 

कुंडली के नौवें भाव में शुक्र और केतु की युति, जातक को नकारात्मकता देती है। इस दौरान पारिवारिक जीवन में परेशानियां आ सकती हैं। ऐसे जातकों को करियर में सफलता मिल सकती है। आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है। इस दौरान महिला जातक बीमार पड़ सकती हैं। 

कुंडली के दसवें भाव में शुक्र और केतु की युति में, जातक का कार्यक्षेत्र अच्छा रहता है। इसमें किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं होता। इस दौरान जातक को व्यापार में अच्छी सफलता व प्रसिद्धि मिलती है। इस दौरान जीवनसाथी के माता-पिता के साथ अच्छे संबंध बने रहते हैं। इस अवधि में पारिवारिक जीवन सामान्य रहता है। जातक आध्यात्मिक कार्यों में अधिक रूचि लेने वाले होते हैं।

शुक्र-केतु की युति

कुंडली के ग्यारहवें भाव में शुक्र और केतु की युति से,जातक की मानसिक स्थिति अच्छी रहती है। इस दौरान संतान को शिक्षा में सफलता मिल सकती है। युति के प्रभाव में जातक कानूनी समस्याओं से बचा रहता है। संतान प्राप्ति में भी कोई समस्या नहीं होती है। ग्यारहवें भाव में जातक को प्रतिकूल शुक्र व केतु के संयोग में अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।

कुंडली के बारहवें भाव में शुक्र और केतु की युति के कारण जातक को स्वास्थ्य संबधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान पेट और छाती से जुड़ी समस्या हो जाती है। जातक द्वारा लिया गया कोई कर्ज इस अवधि में पूरा हो सकता है। पारिवारिक संबंध अच्छे रहेंगे। 

कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि कुंडली के बारह भावों के अनुरूप शुक्र व केतु का यह संयोजन जातक के जीवन में गहरा परिवर्तन लाने वाला होता है। इस दौरान जातक का किसी एक चीज से लगाव रहना संभव नहीं होता है। ऐसे जातक संसारिकता व वास्तविकता से दूर होते हैं। 


Q. क्या केतु व शुक्र  मित्र है?

An. केतु के मित्र देवगुरु बृहस्पति हैं और शत्रु ग्रह सूर्य व चंद्रमा हैं। इसके साथ ही केतु ग्रह के सम ग्रह शनि, बुध व शुक्र हैं।

Q. शुक्र व केतु के संयोजन का क्या प्रभाव होता है?

An. ज्योतिष की गणना के अनुसार, शुक्र और केतु की युति के प्रभाव से जातक प्रेम संबंधों में भ्रम के कारण अंधा हो जाता है। शुक्र और केतु के संयोजन से प्रेम में भ्रम की स्थिति इतनी बलवान होती है कि जातक कोई भी घटनाओं का वास्तविक ज्ञान तब तक नहीं देख सकता जब तक कि उसे सुधारने में बहुत देर न हो जाए।

Q. क्या, शुक्र-केतु की युति जातक के वैवाहिक जीवन जीवन के लिए अच्छी होती है?

An. शुक्र विलासिता का मुख्य कारक कहलाता है जब यह कर्म प्रधान ग्रह केतु के साथ संपर्क करता है तो यह भौतिक विलासिता से भी असंतोष देता है। जिसमें, दिशाहीन केतु प्रेम के ग्रह शुक्र को रिश्तों में विभिन्न दिशाओं में ले जाता है। और प्रेम और वैवाहिक संबंधों में संघर्ष, गलतफहमियां पैदा करने का कार्य करता है।

Q. क्या, शुक्र व केतु की युति कुंडली के सभी भावों में अशुभ परिणाम देती है?

An. नहीं, कुंडली के सभी भावों में शुक्र व केतु की युति का प्रभाव समान नहीं होता है, जातक को यह अनुकूल प्रभाव भी देती है।

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