ज्योतिष की गणना कहती है कि, चौथे भाव में गुरु ग्रह के विराजित होने से जातक, अपने जीवन में शीघ्र ही वाहन सुख को प्राप्त कर लेता है। इसके साथ ही जातक को समाज में खूब सम्मान मिलता है। और अपने जीवन में प्रसिद्धि भी प्राप्त करता है। चतुर्थ भाव में स्थित गुरु के प्रभाव से जातक एक आलीशान घर व बहुत ज्यादा जमीन का मालिक भी हो सकता है। चौथे भाव को सुख का स्थान भी माना जाता है।
ज्योतिष में, हम सभी की जन्म कुंडली में, 12 भाव (घर) होते हैं। हमारे जीवन के, लगभग सभी पहलुओं का चित्रण इन 12 भावों में निहित होता हैं। इनमें से प्रत्येक भाव की अपनी अलग भूमिका होती है। लेकिन अगर हम सबकी जन्म कुंडली, जब एक समान है; तो हम सबका स्वभाव अलग क्यों हैं?
इसका कारण है हमारी कुंडली के इन भावों में नव ग्रहों की स्थिति। जब ग्रह इन भावों में स्थित होते हैं, तो हमें शुभ व अशुभ दोनों तरह से प्रभावित करते हैं। इसलिए, इस लेख के माध्यम से हमने आपकी कुंडली के, चतुर्थ भाव में गुरु अर्थात बृहस्पति ग्रह के कुछ अच्छे और बुरे प्रभावों के बारे में बताने का प्रयास किया है-
गुरु ग्रह चतुर्थ भाव में ( Jupiter in 4th house ): महत्व
‘मंगल भवन’ के अनुभवी ‘ज्योतिषाचार्य देविका’ जी इस बारे में बताती है कि- कुंडली में समस्त ग्रहों में से बृहस्पति को ‘गुरु’ का स्थान कहा जाता है। गुरु आध्यात्मिकता, शिक्षक या गुरु की भूमिका निभाते है। यह एक लाभकारी ग्रह है जो उच्च ज्ञान, सीखने, आध्यात्मिक, बौद्धिक जैसे क्षेत्रों से संबंध रखते है।
प्रत्येक मनुष्य की जन्म कुंडली में 12 भाव का भी अपना अलग महत्व होता है। चतुर्थ भाव में गुरु की बहुत ही अहम भूमिका होती है। जिसकी हम इस लेख में विस्तार से चर्चा करते हैं-
ज्योतिष में कुंडली के चतुर्थ भाव को घर, वाहन, माता एवं सुख का भाव माना जाता है। कुंडली में इस भाव की स्थिति से जातक की अचल संपत्ति, भौतिक सुख-सुविधा, तालाब, बावड़ी व घर के वातावरण के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। जातक की जन्म कुंडली का चतुर्थ भाव जीवन के कई क्षेत्रों की जानकारी प्रदान करता है; इस कारण इसे ‘केंद्र’ भाव भी कहा जाता है। कुंडली में गुरु ग्रह के अनुकूल स्थान से जातक अपने जीवन में धर्म, दर्शन, ज्ञान और संतान से सम्बंधित सुख प्राप्त करता है।
कुंडली के चौथा भाव में बृहस्पति के प्रभाव से जातक रूपवान, बलवान और बुद्धिमान व्यक्तित्व के होते हैं। गुरु के इस भाव में शुभ प्रभाव से आप एक उत्तम हृदय वाले मेधावी व्यक्ति हैं। हर जगह आपकी वाकपटुता सराहनीय होगी। इसके साथ ही आप महत्वाकांक्षी और सत्कर्म को अपनाएँगे। ज्योतिष के अनुसार आप अत्यधिक यशस्वी, कीर्तिमान और अपने कुल के मुखिया होंगे। इस भाव में यदि गुरु शुभ ग्रहों के साथ है तो हर व्यक्ति आपका आदर-सम्मान करेगा। आप धन-वैभव और विभिन्न प्रकार के वाहनों का सुख भी प्राप्त करेंगे।
चतुर्थ भाव में गुरु ग्रह के प्रभाव
- गुरु के प्रभाव से आप ब्राह्मणों और सभी गुरुजनों का आदर करेंगे। गुरु की भक्ति करने में आपकी अधिक रुचि होगी।
- आपका घर बहुत बडा और सभी प्रकार की सुविधाओं से युक्त होगा। इसके अलावा आपको सरकारी प्रदत्त घर का भी सुख प्राप्त हो सकता है। ज्ञान की सकारात्मकता के साथ आपका घर परिपूर्ण होगा।
- आपको अपनी माता से बहुत सुख एवं स्नेह मिलेगा। और आप अपने माता-पिता की सेवा में लीन रहेंगे।
- इसी के साथ ज्योतिष के अनुसार, आपको अपनी पैतृक संपत्ति की सुरक्षा हेतु अथक प्रयास करने पड़ सकते हैं।
- यदि आप व्यवसाय करते हैं तो, संभवतः आपके व्यापार की गति कुछ हद तक धीमी रह सकती है।
- आपको शासकीय स्तर से धन प्राप्त होने की संभावना है। इसके अलावा सरकार द्वारा उत्तम वस्त्र और पुष्प मालाएं भी मिल सकती हैं।
- यथा संभव आपकी वृद्धावस्था और भी सुखी रहेगी। आपके पास जमीन-जायदाद भी पर्याप्त मात्रा में होगी। इसके अलावा पशु-धन के अधिकारी हो सकते हैं।
अशुभ प्रभाव
- जिन जातकों का गुरु चतुर्थ भाव में किसी एक या अधिक दुष्ट ग्रहों के साथ हो तो, ऐसे लोगों को जीवन में कई तरह की आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- ऐसे जातक अपने व्यापार भागीदारों के साथ संबंध खराब कर सकते हैं।
- इसके अलावा बृहस्पति के नकारात्मक प्रभाव के कारण उनके जीवन में अन्य कई प्रकार की कठिनाइयां आ सकती हैं।
- चतुर्थ भाव विराजमान अशुभ बृहस्पति, आपकी मां और जीवनसाथी के साथ संबंधों को खराब करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं।
- ऐसे जातक के पास निर्णय लेने के कौशल में भी कमी आ जाती है। विशेषकर गुरु जब चतुर्थ भाव से गोचर करेगा। इसके साथ ही यह जातकों के बुद्धि स्तर को भी कम कर सकता है।
- चतुर्थ भाव बृहस्पति वाले व्यक्ति प्राय: आलसी हो सकते हैं, वे अपने घरों से बाहर निकलना पसंद नहीं करते।
- ऐसा जातक अपना विलासिता की वस्तुओं में निवेश करते हैं, और बृहस्पति के अशुभ प्रभाव के कारण भारी नुकसान की संभावना हो सकती है। आखिर में, ऐसे जातक अपनी सारी संपत्ति खो भी सकते हैं।
- इसके अलावा आपको अशुभ स्थान के ग्रहों से, शेयर बाजार में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि चौथे भाव में विराजित बृहस्पति ग्रह, जातक के लिए शुभ और लाभ प्रदान करने वाला ग्रह है। हालांकि, इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी होते हैं। फिर भी सकारात्मक प्रभाव अधिक होते हैं। इस भाव में बृहस्पति जातक को अतीन्द्रिय क्षमता प्रदान करता है। और आने वाली समस्याओं से निपटने में सहायता करता है। इसके साथ ही सभी चुनौतियों में विजय भी बनाता है।
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कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- चतुर्थ भाव में गुरु क्या फल देते हैं?
An- कुंडली के चौथे भाव में बृहस्पति ग्रह के प्रभाव से जातक रूपवान, बलवान और बुद्धिमान व्यक्तित्व के होते हैं। गुरु के इस भाव में शुभ प्रभाव से जातक एक उत्तम हृदय वाले मेधावी व्यक्ति बनते हैं।
Q- कुंडली का चौथा भाव क्या दर्शाता है?
An- ज्योतिष में कुंडली के चतुर्थ भाव को घर, वाहन, माता एवं सुख का भाव माना जाता है। कुंडली में इस भाव की स्थिति से जातक की अचल संपत्ति, भौतिक सुख-सुविधा, तालाब, बावड़ी व घर के वातावरण के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
Q- कुंडली में चौथे भाव के स्वामी कारक ग्रह कौन हैं?
An- चतुर्थ भाव के स्वामी कारक ग्रह चन्द्र और मंगल है।
Q- क्या, चौथे भाव में गुरु शुभ होते हैं?
An- हां, चतुर्थ भाव के गुरु शुभ होते हैं।