कुंडली के विभिन्न भावों में सूर्य व बुध की युति, देंगे क्या परिणाम

सूर्य व बुध की युति

कुंडली के विभिन्न भावों में सूर्य व बुध की युति– वैदिक ज्योतिष की गणना के अनुसार, सूर्य-बुध की युति कुंडली के सभी भावों में अलग-अलग प्रभाव डालती है। इसके साथ ही जब सूर्य व बुध ग्रह एक साथ होते हैं तो यह जातक को मजबूत और दृढ़ निश्चयी बनाता है। यह युति किसी ऐसे जातक के लिए शुभ प्रभाव देती है जो किसी उच्च पद पर कार्यरत हो। इस युति को ऐसे जातकों के लिए लाभकारी माना जाता है जो अपनी बुद्धि का प्रयोग अच्छे व मजबूत कार्यों को पूरा करने के लिए करते हैं, विशेष रूप से यह युति शिक्षक वर्ग के लिए लाभकारी मानी गई है।

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वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में सूर्य और बुध की युति से ‘बुधादित्य योग’ बनता है। जो कि एक बहुत ही शुभ योग है। ज्योतिष में सूर्य को विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति का कारक ग्रह माना गया है। कुंडली में केवल सूर्य ग्रह के शुभ प्रभाव में होने से जातक को भाग्यशाली मान लिया जाता है; और सूर्य के कमजोर होने पर जातक को सफलता प्राप्त करने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही, वहीँ बुध को बुद्धि, ज्ञान, व्यवसाय व धन का ग्रह माना जाता है। कुंडली में सूर्य व बुध के योग को शुभ माना जाता है। लेकिन इस योग में सूर्य और बुध दोनों ग्रहों का बली होना आवश्यक है। परन्तु यह आवश्यक नहीं है कि ‘बुधादित्य योग’ से हमेशा ही जातकों को शुभ फल ही प्राप्त हो, कुंडली में अन्य ग्रहों की स्थिति भी इस योग को प्रभावों को प्रभावित करती है।

‘मंगल भवन’ के इस लेख में आज हम सूर्य-बुध की युति का कुंडली के विभिन्न भावों में प्रभाव के बारे में गहन अध्ययन करेंगे। लेख में आगे पढ़े-

ज्योतिष शास्त्र में, यदि कुंडली के पहले भाव में सूर्य-बुध की युति बन रही हो तो ऐसे जातक साहसी, बहादुर, तीव्र बुद्धि, स्वाभिमानी और ज्ञानी होते है। ऐसे जातक कभी-कभी बहुत ज्यादा अहंकारी भी हो सकते हैं। ऐसे जातक अपने बल पर धन कमाते हैं। स्वास्थ्य के सम्बन्ध में ऐसे जातक को नेत्र से संबंधित कुछ परेशानियाँ हो सकती है। साथ ही, ऐसे जातक व्यापार में बहुत प्रसिद्धि व सफलता हासिल करते है। 

कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य और बुध की युति होती है तो ऐसे जातक को दूसरों की वस्तुएं खाने की बुरी आदत होती है। साथ ही इन जातकों की दृष्टि सदैव दूसरों के धन पर रहती है। ये लोग अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए स्वयं कड़ी मेहनत करके धन कमाते हैं। बुध के शुभ प्रभाव से उनका वैवाहिक जीवन सुखमय व्यतीत होता है। इन जातकों को विदेशी वस्तुओं के व्यापार से अच्छा धन लाभ मिल सकता है। ज्योतिष की दृष्टि में दूसरे भाव में सूर्य-बुध की युति अच्छे परिणाम देने वाली होती है।

यदि कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य और बुध की युति बन रही हो तो ऐसे जातक को भाई-बहन और परिवार के सदस्यों से बहुत प्रेम मिलता है। साथ ही ऐसे जातक को काफी पैतृक संपत्ति विरासत में प्राप्त होती है। सूर्य की शुभ स्थिति से जातक को बहुत सफलता मिलती है। साथ ही इन जातकों को भाग्योदय के कई अवसर भी मिलते हैं। ऐसे जातक पराक्रमी होते है। जातक को छोटी-मोटी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। तीसरे भाव में सूर्य-बुध की युति अच्छी मानी जाती है।

कुंडली के चौथे भाव में सूर्य व बुध की युति बहुत शुभ व सर्वोत्तम परिणाम देने वाली होती है और इस युति को ज्योतिष में सर्वोत्तम युति माना जाता है। ऐसे जातक को प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त होती है। साथ ही इन जातकों को बहुत मान-सम्मान और वैभव-प्रतिष्ठा मिलती है। ऐसे जातक राजनीतिक कार्यों में भी सफलता प्राप्त करते हैं। इसके अलावा प्रेम जीवन में कुछ बाधाएं आ सकती हैं। 

कुंडली के पांचवे भाव में सूर्य-बुध की युति से जातक को संतान सुख मिलता है। इसके साथ ही ऐसे जातकों को कला संबंधी वस्तुओं के व्यवसाय में सफलता मिलती है। जातक का वैवाहिक जीवन अत्यंत सुखमय व्यतीत होगा। ऐसे जातक हर क्षेत्र में सफल होते हैं। परिवार में किसी सदस्य के स्वास्थ्य को लेकर चिंता हो सकती है।

कुंडली के छठे भाव में सूर्य और बुध की युति से जातक शत्रुओं पर विजय हासिल करता है। ऐसे जातक के चाहे कितने भी शत्रु क्यों न हों, वें उस जातक को छड़ मात्र भी हानि नहीं दे सकते। इस युति के दौरान जातक को नेत्र रोग या कमजोर बौद्धिक क्षमता से पीड़ित होने की संभावना रहती है। ऐसे जातक का वैवाहिक जीवन अच्छा व सुखमय रहेगा व जीवनसाथी का पूरा सहयोग मिलेगा। साथ ही जातक को कुछ करियर संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैं। 

जन्म कुंडली के सातवें भाव में सूर्य और बुध की युति से जातक को अच्छा व्यक्तित्व प्राप्त होता है। ऐसे जातक नौकरी व व्यवसाय दोनों ही क्षेत्र में अच्छी सफलता प्राप्त करते हैं। इसके साथ ही ऐसा जातक एक अच्छा लेखक भी बन सकता है। साझेदारी में व्यवसाय करने पर जातक को अधिक धन-लाभ की सम्भावना है। अपने जीवन साथी से ऐसे जातक को पूरा सहयोग मिलता है। सातवें भाव में सूर्य-बुध की युति में जातक की आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है। 

कुंडली के आठवें भाव में सूर्य और बुध की युति जातक को लंबा और स्वस्थ जीवन प्रदान करने वाली होती है। ज्योतिष की सलाह में ऐसे जातकों को वाहन सावधानीपूर्वक चलाने की सलाह दी जाती है अन्यथा चोट या दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं। ऐसे जातकों को विदेशी व्यापार से अच्छा धन-लाभ होता है। जिससे जातक की आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी। साथ ही जातक की आध्यात्मिक कार्यों में अत्यधिक रुचि रहेगी। प्रेम जीवन में भी सफलता मिलती है। 

कुंडली के नौवें भाव में सूर्य और बुध की युति जातक को राजा के समान जीवन शैली प्रदान करती है, जिसके कारण जातक में कुछ अहंकारी प्रवृत्ति पनपती है। ऐसे जातक कई क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करते हैं। ऐसे जातक जातक उच्चाधिकारी बन सकते हैं। जातक के वैवाहिक जीवन में कुछ कठिनाइयां आ सकती है। कुल मिलाकर नौवें भाव में सूर्य-बुध की युति जातक को अच्छे परिणाम देती है। 

जन्म कुंडली के दसवें भाव में सूर्य और बुध की युति जातक को श्रेष्ठ परिणाम देती है। सूर्य के अच्छे प्रभाव से ऐसे जातक को सरकारी नौकरी मिल सकती है। स्वास्थ्य के मामले में भी जातक को कोई परेशानी नहीं आती है। परन्तु प्रेम संबंधों को लेकर जातक कुछ समस्याओं का सामना कर सकता है। परिवार के सदस्यों से जातक को अच्छा सहयोग मिलेगा। 

सूर्य व बुध की युति

कुंडली के ग्यारहवें भाव में सूर्य और बुध की युति से जातक बुद्धिमान और धनवान बनाती है। ऐसा जातक अलग-अलग कार्यों व तरीकों से धन अर्जित करते है। साथ ही जातक को व्यवसाय में भी अच्छी सफलता मिलती है। हालांकि, परिवार के सदस्यों के साथ किसी प्रकार से मनमुटाव की स्थिति हो सकती है। जिसके कारण जातक परिवार से दूर जा सकता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से सुर्य-बुध की युति जातक के लिए अच्छी मानी जाती है। 

कुंडली के बारहवें भाव में सूर्य और बुध की युति से प्रभावित जातक थोड़ा क्रूर प्रवृत्ति का होता है। ऐसे जातक कड़ी मेहनत से धन अर्जित करते हैं। साथ ही ऐसे जातक किसी बड़े पद को प्राप्त करते हैं। वैवाहिक जीवन भी सुखमय रहता है। विदेशी संबंधी कार्यों से धन लाभ होता है। 

कुल-मिलाकर हम कह सकते है कि, सूर्य और बुध की युति जातक को हर प्रकार से लाभ देने वाली व शुभ प्रभाव देने वाली मानी गई है। आपकी कुंडली के किस भाव में है, यह कुंडली देखकर पता लगाया जा सकता है। 


Q.सूर्य-बुध की युति का क्या अर्थ है?

An. सूर्य और बुध की युति से शुभ बुधादित्य योग बनता है और वैदिक ज्योतिष में इसे अत्यधिक शुभ योग माना जाता है।

Q. बुधादित्य योग के क्या फायदे हैं?

An. बुध और सूर्य ग्रह के एक साथ एक ही भाव में होने से यह विशेष फल प्रदान करता है। अगर किसी जातक के पहले भाव में बुधादित्य योग बन रहा हो तो ऐसे में उस व्यक्ति को मान-सम्मान और यश की प्राप्ति होती है। बुधादित्य योग के बनने से जातक, करियर के प्रति गंभीर रहता है व अपने लक्ष्य की पूर्ति करता है।

Q. क्या, कुंडली में सूर्य-बुध की युति को शुभ माना जाता है?

An. हां, ज्योतिष में सूर्य-बुध की युति जातक के लिए शुभ मानी गई है।

Q. बुध किस भाव में बलवान होता है?

An. कुंडली के ग्यारहवें भाव में बुध ग्रह, जातक के आय, लाभ, समृद्धि और अचानक लाभ का एक मजबूत संकेतक है। यह जातक के सामाजिक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है।

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