चतुर्थ भाव में बुध ग्रह: जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव माता का भाव होता है। इस भाव में बुध ग्रह के उपस्थित होने से जातक को अपने सभी मनवांछित फल तथा सफलता की प्राप्ति होती है। चतुर्थ भाव(माता) के इस भाव में बुध के प्रभाव से यह ज्ञात होता है कि, आप एक बेहद ईमानदार, बुद्धिमान तथा अपने जीवन में निरंतर आगे बढ़ने वाले व्यक्ति हैं। कुंडली के इस भाव में बुध ग्रह का गुरु (बृहस्पति) या सूर्य ग्रह के साथ संबंध से, जातक को अत्यंत सकारात्मक तथा शुभ परिणाम प्राप्त होने में सहायक होता है।
चतुर्थ भाव में बुध ग्रह : (Mercury in 4th house)
‘मंगल भवन’ के ज्योतिष आचार्य श्री भरत जी ने यहां हमें बताया है कि, बुध के चतुर्थ भाव में होने से यह आपको शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के परिणाम देगा। यहाँ हम आपको उससे संबंधित कुछ सकारात्मक व नकारात्मक प्रभावों के बारे में बताने जा रहें हैं। यदि आपकी जन्म कुंडली में बुध ग्रह चतुर्थ भाव में उपस्थित होंगे तो आपके जीवन में भी जो कुछ इस प्रकार के परिवर्तन देखने को मिलेंगे-
चतुर्थ भाव में बुध ग्रह:
- शुभ प्रभाव–
- ज्योतिष के अनुसार चतुर्थ भाव में स्थित बुध ग्रह के शुभ प्रभाव से जातक आपको शारीरिक रूप से मजबूत होते हैं। ये जातक वाद विवाद में चतुर एवं एक अच्छे सलाहकार होते हैं।
- इन जातकों में धैर्य तथा ज्ञान की कोई कमी नहीं होती। चतुर्थ भाव में बुध की उपस्थिति से जातक एक अच्छे नीतिज्ञ भी साबित होते हैं।
- बुध के प्रभाव से इन जातकों की स्मरण शक्ति भी बहुत तीव्र होती है। जिससे उनका अंतर्ज्ञान भी अधिक समृद्ध हो सकता है।
- ऐसे जातक की रुचि गीत, संगीत व नृत्य में होती है। आप एक विद्वान लेखक भी हो सकते हैं। ज्योतिष के अनुसार आपकी मित्रता श्रेष्ठ व्यक्तियों के साथ होगी।
- ये जातक एक अच्छे राजनयिक हो सकते हैं।
- चूँकि चतुथ भाव माता का भाव होता है अतः इन्हें अपनी माँ के साथ संबंध अच्छे होते हैं। ये जातक अपने जीवन की सारी सुख-सुविधाएं प्राप्त कर सकते है।
- बुध एक शुभ ग्रह माना जाता है; अतः चतुर्थ भाव में बुध के शुभ प्रभाव से इन जातकों द्वारा आरम्भ किए गए कार्य को सफलता अवश्य मिलती है। आपको वाहन सुख भी प्राप्त होगा। ऐसे जातकों को गणित विषय का अच्छा ज्ञान होता है।
- अशुभ प्रभाव
जिस प्रकार जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव में बुध ग्रह से, जहां जातक को अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन प्राप्त होते हैं; तो इस भाव में बुध की मौजूदगी से कुछ नकारात्मक परिणामों की ओर भी संकेत मिलते हैं। जो कुछ इस प्रकार है-
- बुध से प्रभावित जातक अपना कोई भी कार्य काफी सोच-विचार व परक कर करना पसंद करते हैं।अतः ऐसे जातक संकीर्ण मानसिकता तथा पक्षपाती व्यवहार के शिकार भी हो सकते है। हर कार्य हेतु ये जातक कम अनुकूलनीय हो जाते हैं।
- इनका अन्य चीजों और परिस्थितियों के प्रति संकीर्ण दृष्टिकोण होता है। ऐसे जातक कोई भी नए विचार या योजना को अपनाने में समय लगाते हैं।
- इनकी सोच भी बहुत पारंपरिक होती है; इसलिए आधुनिक सोच और विचारों के साथ आसानी से तालमेल नहीं बैठा पाते। जिससे कि इनके जीवन में होने वाले बदलावों को भी ये लोग आसानी से स्वीकार नहीं कर पाते है।
- इस भाव में बुध का जातक को लोगों तथा कई घटनाओं की लगातार छानबीन करने हेतु प्रेरित करता है। इस प्रकार से यह प्रवृत्ति उनके दिमाग में लगातार विचार पैदा करती रहती है, जिन्हें नियंत्रित करना उनके लिए असंभव होता है।
- कुंडली के इस भाव में बुध के होने से जातक अपने विचार व दृष्टिकोण पर अडिग रहते हैं। जिसके कारण लोगों के साथ इनके मतभेद होने की संभावना भी अधिक हो सकती है। अपने विचारों पर अडिग होने के कारण वे अपने से भिन्न विचार वाले लोगों से वैचारिक मतभेद कर लेते हैं।
- कभी-कभी ये जातक अपनी भावनाओं के वशीभूत होकर गलत निर्णय भी ले लेते हैं। ये लोग अपनी भावनाओं को आसानी से व्यक्त भी नहीं कर पाते। इस वजह से, इन जातकों को यह समझ नहीं आता कि वे किसी चीज को लेकर इतने परेशान क्यों हैं।
- वैवाहिक जीवन तथा करियर
ज्योतिष के अनुसार आपको अपने जीवनसाथी और संतान से अच्छा सुख प्राप्त होने के योग होते हैं। आप एक विद्वान लेखक भी हो सकते हैं। इसके अलावा आप एक अच्छे गणितज्ञ, नीतिज्ञ तथा संगीतकार भी हो सकते हैं।
निष्कर्ष
उपरोक्त बताए गए सभी अच्छे व बुरे प्रभाव को जानते हुए; यह ज्ञात किया गया है कि बुध ग्रह संचार और संवाद के क्षेत्र को प्रभावित करता है। अतः जब बुध कुंडली के चतुर्थ भाव में हों तो ऐसे जातक ईमानदार प्रवृत्ति के होते हैं। इनका व्यवहार अच्छे के साथ अच्छा और बुरे के साथ बुरा रहता है। कुंडली के चतुर्थ भाव में बुध, जातक की प्राथमिक शिक्षा, भावनात्मक जुड़ाव, माता से स्नेह व देखभाल और घरेलू सुख जैसे क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है।
ज्योतिष के अनुसार, बुध ग्रह, हमारी जन्म कुंडली में स्थित सभी 12 भावों पर अलग-अलग प्रकार से प्रभाव डालता है। ये प्रभाव हमारे जीवन को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। इसके अतिरिक्त बुध को एक तटस्थ ग्रह के रूप में भी संदर्भित किया गया है। परंतु अन्य ग्रहों से शुभ व अशुभ युति के कारण उसके फलों में भी परिवर्तन की संभावना देखने को मिलती है। आइए आगे के लेख में विस्तार से जानते हैं, बुध ग्रह का अन्य सभी भावों पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है –
Must Read: कुंडली के अन्य भाव में बुध ग्रह के प्रभाव
कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- कुंडली के चतुर्थ भाव का स्वामी कौन है?
An- कुंडली के चतुर्थ भाव का स्वामी चन्द्र ग्रह होते हैं।
Q- क्या, चतुर्थ भाव में बुध का होना शुभ होता है?
An- इस भाव में ग्रहों की शुभ युति के अनुसार बुध जातक को अच्छे या बुरे परिणाम प्रदान करते हैं।
Q- क्या सभी जातकों की जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव में बुध विराजमान होते हैं?
An- नहीं, सभी जातकों की जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव में बुध ग्रह विराजित नहीं होते हैं।
Q- क्या, बुध ग्रह की शांति हेतु उपाय किए जा सकते हैं?
An- हां, बुध ग्रह की शांति हेतु उपाय किए जा सकते हैं।