Vasuki Kaalsarp Yoga | वासुकी कालसर्प योग: दोष के प्रभाव को कम करें इन सरल उपायों से

Vasuki Kaalsarp Yoga

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वासुकी कालसर्प योग: जब जन्म कुंडली में राहु तृतीय भाव में एवं केतु नवम भाव में हो और इस सारे ग्रह इनके मध्य हों तो “वासुकी  कालसर्प योग”  बनता है। इस योग में जातक भाई-बहनों से परेशान रहता है। परिवार में भी सभी सदस्यों में आपसी मनमुटाव बना रहता है। वासुकि काल सर्प योग से पीड़ित व्यक्ति को भाग्य का साथ नहीं मिलता और उनका जीवन संघर्षमय गुज़रता है। साथ ही नौकरी व्यवसाय में भी परेशानी बनी रहती है। 

वासुकी कालसर्प योग: प्रभाव 

इस दोष से प्रभावित जातक, रिश्तेदार एवं मित्रों से धोखा प्राप्त करता है। घर में सुख-शांति का अभाव रहता है। जातक सदैव किसी न किसी आशंका से ग्रस्त रहते हैं। आवश्यकता से अधिक धन खर्च हो जाने के कारण, आर्थिक स्थिति भी डामाडोल रहती है। अर्थोपार्जन हेतु जातक को बहुत संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत करना पड़ता है, फिर भी उसमें सफलता प्राप्त करने में असमर्थ रहते है। इस योग में जातक का  चंद्रमा कमजोर होने के कारण उसके जीवन में मानसिक तनाव की स्थिति बनी रहती है। इस योग के कारण जातक को कानूनी मामलों में भी हानि की सम्भावना रहती है। ये जातक नौकरी या व्यापार आदि के क्षेत्र में भी देरी या नुकसान का सामना करते हैं। ऐसे में यदि जातक अपने जन्मस्थान से दूर होकर कार्य करें तो संभव सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इन सभी समस्याओं के रहते भी जातक अपने जीवन में बहुत सफलता अर्जित करते हैं। ज्योतिष के अनुसार विलम्ब से ही, परन्तु निश्चित भाग्योदय भी होगा तथा जातक को शुभ कार्य में सम्पादन हेतु अवसर भी प्राप्त होते हैं।

यदि कोई जातक इस योग से अधिक समस्या का अनुभव करते हैं। उन्हें ज्योतिष द्वारा बताए गए निम्न उपाय कर लाभ प्राप्त करना चाहिए। यदि यथार्थ में कालसर्प योग हानिकारक हो तो उसकी शांति जातक को बचपन में ही करवा लेनी चाहिए।  जिससे जातक का भविष्य उज्जवल तथा सुखमय व्यतीत हो।  इस बात का सदैव ध्यान रखें कि किसी भी ग्रह की शान्ति से उसका पूर्ण दोष समाप्त नहीं होता; बल्कि कुछ आसान से उपायों व पूजा विधि से यह प्रभाव 60 से 70 प्रतिशत कम हो जाता है | अतः थोडा संघर्ष तो करना पड़ता है किन्तु सफलता मिल जाती है। 

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वासुकी कालसर्प योग

वासुकी कालसर्प योग : महत्वपूर्ण उपाय –

  • जातक के लिए नव नाग स्तोत्र का निरंतर एक वर्ष तक प्रतिदिन पाठ करना लाभदायक होगा।
  • प्रति बुधवार को काले वस्त्रों में एक मुट्ठी उड़द या मूंग दाल डालकर, राहु मंत्र उच्चारित कर गरीबों में दान करें। इसके अलावा बहते पानी में उस अन्न हो प्रवाहित भी कर सकते हैं। इस क्रिया से अवश्य लाभ प्राप्त होगा।
  • भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का प्रतिदिन 11 माला जाप करें। राहु केतु की महादशा के चलते प्रति शनिवार को श्री शनिदेव का तेल से अभिषेक करें तथा  मंगलवार को हनुमान जी को लाल चोला अर्पित कर कष्ट मुक्ति की प्रार्थना करें।
  • ज्योतिष की सलाह से किसी शुभ मुहूर्त में नाग पाश यंत्र को विधिवत पूजा व अभिमंत्रित कर धारण करना शुभ होगा।

किसी भी प्रकार की पूजा, हवन, जन्म कुंडली,  ग्रह शांति पूजा, वास्तु दोष, व दोष निवारण हेतु विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए आज ही ‘मंगल भवन’ के ज्योतिषाचार्यों से संपर्क करें। 

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कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ 



Q- क्या वासुकी कालसर्प दोष का प्रभाव अत्यंत कष्टदायक होता है?

An- हां, वासुकी कालसर्प दोष के प्रभाव में जातक जीवन के संघर्ष के एहसास में डूबा रहता है। इनके भाग्योदय भी काफी विलंब से होता है।

Q- वासुकी कालसर्प योग कितने वर्ष तक रहता है?

An- ज्योतिष के अनुसार इस काल सर्प योग का प्रभाव भी 42 वर्ष तक रहता है।

Q- वासुकी कालसर्प दोष जातक को कैसे प्रभावित करता है?

An- इस दोष में जातक को अपकीर्ति, छोटे भाई बहनों से मनमुटाव व परिश्रम का पूर्ण फल नहीं मिल पाता।

Q- वासुकी कालसर्प दोष में नाग पाश यंत्र धारण करने से क्या होता है?

An- नाग पाश यंत्र को विधि- विधान से धारण करने पर वासुकी कालसर्प दोष का प्रभाव कम हो जाता है।

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