रुद्राभिषेक: प्रस्तावना
रुद्राभिषेक का शाब्दिक अर्थ है रुद्र+अभिषेक भगवान शिव और स्नान अर्थात शिव जी के स्नान को ही रुद्राभिषेक कहते है शिव जी के स्नान मे दूध दही घी शहद चीनी आदि वस्तुओ का उपयोग होता है रूद्राभिषेक करने से जीवन के समस्त दोष पाप ताप नष्ट हों जाते है
|| रुद्राभिषेक महत्व ||
भगवान भूतभावन भोलेनाथ के रुद्र स्वरूप का स्नान
( विशिष्ट पदार्थों एवं विधि तथा मंत्रों के द्वारा स्नान) एवम् पूजन अर्चन की विधि को ही सनातन संस्कृति और पुराणों में रुद्राभिषेक के नाम से जाना गया है। सामान्यत: तो भगवान शिव किसी भी सरल उपाय और पूजा से प्रसन्न हो जाते हैं परंतु भगवान शिव को अभिषेक अत्यंत प्रिय है। इसीलिए आप देखते होंगे कि भगवान शिव की मूर्ति की अपेक्षा शिवलिंग की पूजा प्राचीन काल से ही अधिक प्रचलित है, क्योंकि भगवान शिव के लिंग पर अभिषेक करने से आपके आसपास जो परिवेश में नकारात्मक ऊर्जा होती हैं वह रूद्र के मंत्रों से नष्ट हो जाती हैं तथा आपकी सभी समस्याएं दूर होती हैं तथा मनो इच्छाओं की पूर्ति भी इस अभिषेक के करने से बड़ी सरलता से होती है।कालसर्प योग, गृहकलेश, व्यापार में नुकसान, शिक्षा में रुकावट सभी कार्यो की बाधाओं को दूर करने के लिए रुद्राभिषेक आपके अभीष्ट सिद्धि के लिए फलदायक है।
||रुद्राभिषेक के प्रकार लाभ||
भगवान शिव की आराधना रूद्राभिषेक के अनेकों लाभ है
मंगल भवन के इस लेख में जानेंगे
भगवान शिव के रूद्राभिषेक से क्या क्या लाभ मिलता है
रूद्राभिषेक के अनेक प्रकार हैं जिसमे प्रमुख 5 प्रकार को ही सर्व सम्मति से स्वीकार किया गया है इन्ही 5 प्रकार के अभिषेक से ही सभी मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाती है
(1) संतान प्राप्ति एवं बंश वृद्धि के लिए गोदुग्ध से रूद्राभिषेक करना चाहिए
(2) भूमि भवन वाहन की प्राप्ति के लिए गाय के दही से अभिषेक करना चाहिए
(3) धन व्यापार वृद्धि के लिए घी से अभिषेक करे
(4) यक्ष्मा तपेदिक ताप नष्ट करने के लिए शहद से अभिषेक करें
(5) धन धान्य एवं यश कीर्ति के लिए शकर मिश्रित जल से अभिषेक करे
दूध,दही,घी,शहद,शकर इन पांचों द्रव्यों को मिश्रित करने पर बनता है पंचामृत पंचामृत से अभिषेक करने से समस्त मनकमनाओ की पूर्ति हो जाती है
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||रुद्राभिषेक के अन्य प्रकार||
(6)गंगाजल या शीतल जल से रूद्राभिषेक करने से ज्वर रोग की शांति हो जाती है
(7) तीर्थ के जल से अभिषेक करने से मोक्ष परम पद की प्राप्ति होती है पितृ दोष भी समाप्त होता है
(8) वैभव लक्ष्मी यश कीर्ति के लिए भगवान शिव का अभिषेक गन्ने के रस करना चाहिए
(9) इत्र मिश्रित जल से अभिषेक करने से बीमारियां नष्ट हो जाती हैं
(10) गंभीर असाध्य केंसर जैसे रोगों के लिए कुशोदक से अभिषेक करना चाहिए
(11) शत्रु पराजय के लिए सरसों के तेल से अभिषेक करना चाहिए
(12) शकर मिले मीठे दूध से अभिषेक करने से जड़ बुद्धि भी विद्वान हो जाता है
|| षडंगरुद्राभिषेक विधि ||
संपूर्ण रुद्राष्टाध्याई 10 अध्याय जिसमें 8 अध्याय में भगवान शंकर का विशेष स्थापन किया गया है तथा 90 अध्याय को अन्य सूक्त देवताओं को समर्पित किया गया है तथा दसवां अध्याय शांति पाठ है इसी को मिलाकर रुद्री कहते हैं इस पूरी रुद्री के एक बार पाठ को षडंग रुद्राभिषेक के नाम से जाना जाता है और इसके सकाम संकल्प करके पाठ करने से सभी प्रकार की मनो इच्छाएं पूर्ण होती हैं
इसके 6 अंग होने के कारण इसे षड़ंग कहा जाता है, यह अंग निम्नलिखित हैं।
शिव संकल्प सूक्त इस सूक्त को भगवान के हृदय स्वरूप कहा जाता है
पुरुष सूक्त इस सुख को भगवान के अवयव में सिर का स्थान प्राप्त है।
उत्तरनारायण सूक्त यह सूक्त भगवान के शिखा भाग को प्रतिपादित करता है।
अप्रतिरथ सूक्त भगवान के कवच रूप यह यह सूक्त भगवान का चौथा अंग है
मैत्र सूक्त यह सूक्त भगवान का पांचवा अंग है
रूद्र सूक्त यह रुद्री का छठा शुक्र है जो भगवान को सर्वाधिक प्रिय है
नमक चमक विधि
रुद्री के संग पाठ में पांचवें अर्थात नमक अध्याय और आठवें अर्थात चमक अध्याय के संयोजन से पांचवे अध्याय का 11 बार पाठ करने पर नमक चमक विधि से अभिषेक होता है इस अभिषेक को विशेष तौर पर शिक्षा व्यापार और अपनी किसी विशेष मनोकामना सिद्धि के लिए करवाना चाहिए
लघु रूद्र
इस अनुष्ठान में नमक चमक विधि से रुद्री के 11 पाठ 11 ब्राह्मणों को 1 दिन में वर्णन करा कर किया जा सकता है अथवा एक ब्राह्मण को 11 दिनों तक 1 पाठ नित्य करके करवाया जा सकता है यह काम विधि का अनुष्ठान होता है इसको न्यायाधीश पक्ष में प्रयोग करने से विशेष फल मिलता है।
महारुद्र लघु रुद्र का 11 बार पाठ अर्थात रुद्री का नमक चमक से 121बार पाठ करने पर महारुद्र होता है यह भी सर काम संकल्प करके अनुष्ठान करने पर विशेष फल प्रदान करता है।
अतिरुद्र यह भी अति विशिष्ट और महान फल प्रदान करने वाला शिव का अनुष्ठान है इसमें महारुद्र के 11 आवृत्ति द्वारा सुयोग्य ब्राह्मणों से करवा करके किसी भी मनोवांछित फल को प्राप्त किया जा सकता है।
।।रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:।।
रुद्राभिषेक के मंत्रों का वर्णन ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद में भी किया गया है। शास्त्र और वेदों में वर्णित हैं की भगवान शिव का अभिषेक करना परम कल्याणकारी है।
हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दु:खों के कारण हैं। रुद्राभिषेक शिव आराधना का सर्वश्रेष्ठ उपाय माना गया है । रूद्र शिव जी का ही एक स्वरूप हैं । रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारे सभी पातक कर्म जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिव भक्ति का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। ऐसा वर्णन रूद्रहृदयोपनिषद में शिव के बारे में मिलता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है।
कहा गया है कि-
।।सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:।।
अर्थात् सभी देवताओं की आत्मा में रूद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रूद्र की आत्मा हैं।
रुद्राभिषेक से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ
Q- रुद्राभिषेक क्यों करना चाहिए?
An- शास्त्र और वेदों में वर्णित है भगवान शिव की आराधना में रुद्राभिषेक सर्व श्रेष्ठ साधन है
जिसके करने से हमारे जन्म जन्मांतरों के समस्त पातक कर्म नष्ट हो जाते है रुद्राभिषेक करने से अकाल मृत्यु असाध्य गम्भीर रोगों जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है
कहा जाता है कि भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही, ग्रह दोष और रोगों से भी मुक्ति मिलती है। भगवान शिव, सर्व कल्याणकारी देवता के रूप में परम पूजनीय हैं।
Q- रुद्राभिषेक कब करना चाहिए?
An- रुद्राभिषेक का सबसे उपयुक्त समय शिवरात्रि प्रदोष काल एवं श्रावण मास में अभिषेक करना परम कल्याणकारी है क्योंकि इस समय भगवान शिव का कैलाश पर स्थायी शिव बास होता है शिवजी की पूजा करते समय। शिव बास मुहूर्त पर विचार अवश्य करे करने के बाद अभिषेक दिन के किसी भी समय किया जा सकता है। गृह प्रवेश, वर्षगांठ, या जन्मदिन जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर रुद्राभिषेक करना भी लाभकारी है होता है।
Q- रुद्राभिषेक कहा किस शिव लिंग पर करना चाहिए?
An- आइए हम आपको बताते हैं कि किस शिवलिंग पर कहा रुद्राभिषेक करना विशेष फलदायी होता है| मंदिर के प्रतिष्ठित शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना उत्तम होता है घर मे शिव परिवार के सहित पार्थिव शिवलिंग पर भी अभिषेक कर सकते हैं| रुद्राभिषेक घर से ज्यादा मंदिर में, नदी तट पर और सबसे ज्यादा द्वादश ज्योतिर्लिंग स्थानों पर फलदायी होता है।
Q- रुद्राभिषेक करने का क्या फ़ल है?
An- भगवान शिव का रुद्र रूप एक उग्र रूप है उग्र रुप को शांत करने का एवम भगवान को प्रसन्न करने एक ही साधन है रुद्राभिषेक भगवान शिव का अभिषेक सोमवार प्रदोष महाशिवरात्रि एवं श्रावण मास के दिनों में गोदुग्ध, दही, घी, शहद, चीनी, से बने पंचामृत से अभिषेक करने से रोग, ऋण, शत्रु, नाकारात्मक ऊर्जा, एवम समस्त बाधाए नष्ट हो जाती है।