Venus in 2nd house | कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र ग्रह करते हैं बुद्धि तथा धन की वृद्धि

शुक्र ग्रह

कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र ग्रह ( Venus in 2nd house)

ज्योतिष शास्त्र की गणना में, यदि कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र ग्रह मौजूद होते है तो ऐसे जातक की आर्थिक स्थिति अच्छी होती है ऐसे जातकों को काफी अधिक धन प्राप्त होता है साथ ही ऐसे लोग अपने जीवनसाथी का सम्मान करते है। ऐसे जातक को भव्य तथा व सुंदर चीजों के प्रति बहुत लगाव होता है। इसके साथ ही इन जातकों की वाणी मधुर तो होती ही है ये जातक बुद्धिमान भी होते है साथ-साथ ये जातक अपने कुल देव को अधिक मान्यता देते है।

ज्योतिष शास्त्र में निपूर्ण ‘आचार्य वंदना जीके अनुसार, शुक्र ग्रह कुंडली में स्थित समस्त 12 भावों पर अपना प्रभाव अलग-अलग डालते है। इन परिणामों को मानव अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से महसूस कर सकते है। इसके अतिरिक्त शुक्र को एक शुभ ग्रह की संज्ञा दी गई है, परंतु यदि शुक्र कुंडली में मजबूत होता है तो यह जातकों को अच्छे परिणाम प्रदान करते हैं; वहीं  कमजोर होने पर यह बुरे प्रभावों को भी देता है। आइए अब विस्तार से जानते हैं कि शुक्र ग्रह,  कुंडली के दूसरे भाव को किस प्रकार प्रभावित करते है-

दूसरे भाव में शुक्र ग्रह की भूमिका 

ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के 12 भावों में से द्वितीय याई दूसरा भाव को कुटुंब और धन भाव के नाम से जाना जाता है। यह भाव धन से संबंधित गतिविधियों को संदर्भित करता है। जिसका सीधा संबंध जातक के दैनिक जीवन से होता है। कुंडली के इस द्वितीय भाव में परिवार, चेहरा, दायीं आँख, वाणी, भोजन, धन या आर्थिक और आशावादी दृष्टिकोण आदि को दर्शाता है। इसके साथ ही यह भाव ग्रहण करने, सीखने, भोजन और पेय, चल संपत्ति, पत्र व दस्तावेज का भी प्रतिनिधित्व करता है।

द्वितीय  भाव में शुक्र ग्रह: राशि और नक्षत्र के अनुसार प्रभाव 

राशियों के अनुसार, दूसरे भाव शुक्र ग्रह वाले जातक कर्क, वृश्चिक और मीन राशियों में बहुत खुशमिजाज और आशावादी होते हैं। ऐसे जातकों के विचार रचनात्मक होने के साथ-साथ एक ठोस और दृढ़ मानसिकता वाले भी होते हैं,  और ये जातक इसका बहुत अच्छी तरह से उपयोग भी करते हैं। ऐसे जातक अपने परिवार, समाज और करीबियों रिश्तेदारों के साथ भी पर्याप्त सम्बन्ध निभाते हैं । ऐसे जातक भाग्यशाली होने के साथ, जीवन में अपार धन और संपदा बनाते हैं, जो उन्हें एक शानदार जीवन जीने में मदद करता है।

शुक्र ग्रह के सकारात्मक प्रभाव

ज्योतिष में, कुंडली के द्वितीय भाव को धन, स्थान या कुटुंब भाव के नाम से जाना जाता है। इसका संबंध आर्थिक सम्पन्नता, विरासत व चल-अचल संपत्ति,  कुटुंब, बोलचाल की भाषा , वंश, धन संग्रह, रत्न, लाभ-हानि, इक्षाओं और विरासत से प्राप्त संपत्ति जैसे क्षेत्रों से होता है। कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र ग्रह के उपस्थित होने से जातक के आर्थिक और वित्त, भौतिक सुख-सुविधाओं और आराम के प्रति रवैया, विशेष गुण और जीवन के प्रति विचार तथा व्यवहार प्रभावित होते हैं। 

ज्योतिष गणना के अनुसार,  कुंडली के दूसरे भाव का शुक्र ग्रह जातक के लिए लाभकारी हो सकता है। 

 ऐसे जातक जीवन की सभी भौतिक सुख-सुविधाओं को भोगते हैं। इसी के साथ शुक्र ग्रह के अनुकूल प्रभाव में जातक, वह सब कुछ प्राप्त करता है; जिसे प्राप्त करने कि जातक की प्रबल इच्छा होती है। 

दूसरे भाव में शुक्र के प्रभाव से जातक आरामदायक जीवन व्यतीत करने हेतु प्रेरित होते है, जिससे जातक महत्वाकांक्षी बन जाता है। 

शुक्र के अच्छे प्रभाव में ये जातक, अपने सपनों को साकार करने हेतु कड़ी मेहनत भी करते हैं। कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र के प्रभाव से जातक को कला, संगीत और सौंदर्य से संबंधित साधनों पर खर्च करने की प्रवृत्ति होती है। ऐसे जातक शानदार, सर्व सुविधा युक्त, संपन्न और आरामदायक घर में रहना पसंद करते हैं। 

इन जातकों को अपने जीवन में आराम और अपने शौक पर पैसे खर्च करना अधिक पसंद होता है और वे सदैव सादा जीवन तथा उच्च विचार रखने वाले होते हैं। इस भाव में शुक्र की स्थिति, जातक को प्रभावशाली व संपन्न बनाने की भूमिका निभाती है, ऐसे जातकों की रुचि कला के क्षेत्र में अधिक होती है। और वें अपनी प्रतिभा को और अधिक निखारने व सवारने का प्रयास करते रहते हैं और, जीवन में उच्च स्थान को प्राप्त करते हैं। इन जातकों की विशेष प्रतिभा ही, उन्हें आर्थिक तौर पर भी लाभान्वित करने का कार्य कर सकती है। ऐसे जातक अपनी प्रतिभा के बल पर नाम, पैसा और सम्पन्नता कमाने की क्षमता रखते हैं।

कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र ग्रह नकारात्मक प्रभाव

वैदिक ज्योतिष का ज्ञान के अनुसार, वैसे तो शुक्र ग्रह, सकारात्मक प्रभाव देने वाला ग्रह है, परन्तु किसी विरोधी या अशुभ ग्रह के प्रभाव या किसी विपरीत परिस्थिति में, यह  प्रतिकूल प्रभाव भी प्रदान कर सकते हैं। कुंडली के दूसरे भाव में विराजमान, शुक्र यदि प्रतिकूल प्रभाव देने वाले हो तो, तो ऐसे जातक बेहद खर्चीले स्वभाव के होते हैं और कई बार ऐसे जातक, उन चीजों पर अत्यधिक व्यय कर देते हैं, जिनका सामान्य तौर पर अधिक महत्व नहीं होता हैं या फिर हम कह सकते हैं कि, इन जातकों की रुचि उन महंगी चीजों को खरीदने में अधिक होती है, जिन वस्तुओं का व्यावहारिक रूप से कोई विशेष प्रयोग या आवश्यकता नहीं होती है। 

कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र ग्रह, जातक को अपने जीवन साथी से धन और संपत्ति प्राप्त करने की संभावनाओं को भी मजबूत करता है। इस भाव में, शुक्र की प्रतिकूल स्थिति, मानव जीवन के भौतिक पहलुओं को भी प्रभावित करने की क्षमता रखती है। जिससे नकारात्मक प्रभाव के कारण, ये जातक बहुत अधिक भौतिकवाद को अधिक महत्व दे सकते हैं। ऐसे जातकों को अधिक खुशी भी भौतिकवादी लाभ और उनसे होने वाली वृद्धि से ही प्राप्त होती है। 

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इसके अलावा, जिन जातकों की कुंडली में दूसरे भाव में शुक्र ग्रह यदि प्रतिकूल स्थान पर बैठे होते हैं। उनमें अन्य लोगो से, उपहार के बदले उपहार प्राप्त करने की प्रबल इच्छा होती है, या हम यह भी कह सकते हैं कि ऐसे जातक दूसरों को इस विचार से ही उपहार देते हैं, कि उन्हें भी इसके बदले कोई अच्छा उपहार मिलने वाला है। वैसे तो यह कोई विशेष बात नहीं है परन्तु, ऐसे जातकों में दूसरों पर अपने उपहार के प्रति, उपहार वापसी के लिए दबाव बनाने की बुरी आदत भी हो सकती है। 

इसके साथ ही, ऐसे जातकों के साथी, मित्र या परिवार वाले उनकी अपनी इच्छा को समझ नहीं पाते और उन्हें अपनी इच्छा अनुसार उपहार प्राप्त नहीं हो पाता है। हालांकि ऐसे जातकों को लोगों से कम उम्मीद रखने की सलाह दी जाएगी। ऐसा करने पर ये जातक अधिक खुश और संतोष प्राप्त करेंगे।

शुक्र ग्रह

शुक्र ग्रह का द्वितीय भाव में वैवाहिक जीवन पर प्रभाव 

ज्योतिष के अनुसार, दूसरे भाव में शुक्र ग्रह जातकों के लिए एक सफल वैवाहिक जीवन प्रदान करता है, यह उन्हें ऐसा साथी पाने में मदद करता है, जिससे वें अपने जीवन की सभी समस्याओं को पार कर, जीवन में खुशियाँ लाएगा। वैवाहिक फलादेश के अनुसार, ऐसे जातक के साथी स्वतंत्र और उच्च महत्वाकांक्षी होंगे, जो जातकों के लिए सीखने और उनका सम्मान करने का कारक होगा। वहीं,  नकारात्मक प्रभाव में ईर्ष्या का भाव भी हो सकता है अपने साथी की भावनाओं को समझने से जातक के, वैवाहिक जीवन को हमेशा के लिए एक सफल और सुखी जीवन में बदला जा सकता है।

द्वितीय भाव में शुक्र ग्रह से सम्बंधित उपाय-

ज्योतिष के अनुसार, शुक्र ग्रह की मजबूत अवस्था और उनकी कृपा प्राप्त करने हेतु आप कुछ आसान से उपाय कर सकते हैं ये उपाय कुछ इस प्रकार हैं-

  • प्रति शुक्रवार के दिन मिठाई, शक्कर, अन्न और वस्त्र का दान करें।
  • रोजाना घी, दूध, दही और शक्कर का सेवन करें
  • प्रतिदिन साफ तथा स्वच्छ वस्त्र पहने और सफेद रुमाल को अपनी जेब में रखें।
  • नियमित रूप से सफेद वस्त्र धारण करें।
  • अपने शरीर पर चंदन का पेस्ट लगाएं।
  • अपने घर में रोज कपूर जलाएं।
  • अपने आप अच्छी तरह से तैयार रखें और रोजाना परफ्यूम लगाएं।
  • गुलाब जल या चंदन पेस्ट के पाउडर से स्नान करें।
  • सफेद खाद्य पदार्थों का सेवन कम यथानुसार चीनी के साथ करें।
  • हीरा रत्न या ओपल को तर्जनी या मध्यमा अंगुली में धारण करें।

समापन 

अंततः, कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र ग्रह की मौजूदगी जातक को भोग-विलासिता और धन के प्रति आकर्षित व प्रेरित करने का कार्य करती है। ऐसे जातकों को बहुत आसानी से अपनी मनचाही वस्तु प्राप्त हो जाती है। इसके साथ ही, इनके पास कभी धन का अभाव नहीं रहता है, और वे उसे खर्च करने में माहिर होते हैं। 

ज्योतिष की सलाह में इन जातकों को अनावश्यक वस्तुओं पर धन खर्च करने से बचना चाहिए। यदि वे भोग विलास के प्रति अपने प्रेम को संयमित नहीं रखते हैं, और अनावश्यक गतिविधयों या वस्तुओं पर धन का व्यय करते हैं, तो आर्थिक मुश्किलों का सामना भी करना पड़ सकता है। इसके साथ ही, ऐसे जातकों को अपने आसपास के लोगों से अधिक अपेक्षा या उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। ऐसा करने पर से उन्हें आत्म शांति और खुशी प्राप्त होने की पूरी संभावना है।

शुक ग्रह दूसरे भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ


Q- शुक्र ग्रह के लिए कौन सा भाव अच्छा नहीं माना जाता है?

An- ज्योतिष में, शुक्र ग्रह पहले, छठे और नौवें भाव में हो तो यह प्रतिकूल माने जाते है। इन स्थितियों को हानिकारक माना जाता है अतः शुक्र की गलत स्थिति मानव जीवन में कई नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

Q- दूसरे भाव में शुक्र ग्रह क्या फल देते हैं?

An- यदि कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र ग्रह मौजूद होते है तो ऐसे जातक की आर्थिक स्थिति अच्छी होती है ऐसे जातकों को काफी अधिक धन प्राप्त होता है साथ ही ऐसे लोग अपने जीवनसाथी का सम्मान करते है

Q- दूसरे भाव का स्वामी कौन है?

An- दूसरे भाव का स्वामी ग्रह शुक्र होता है और कारक ग्रह गुरु है।

Q- शुक्र ग्रह का शत्रु कौन है?

An- ज्योतिष में. बुध और शनि ग्रह को शुक्र का मित्र कहा गया है और सूर्य और चंद्रमा इसके शत्रु ग्रह हैं।

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