Ketu Grah in 8th house | जानिए, कुंडली के आठवें भाव में केतु ग्रह शुभ होंगे या देंगे अशुभ फल

केतु ग्रह

Ketu Grah in 8th house

कुंडली के आठवें भाव में केतु ग्रह की भूमिका 

वैदिक ज्योतिष में, केतु ग्रह यदि किसी जातक की कुंडली के आठवें भाव में के अशुभ फल हो तो जातक की पत्नी बीमार रहती है। ऐसे जातक को पुत्र संतान की प्राप्ति नहीं होती, यदि होता भी है तो उसकी मृत्यु हो जाती है। ऐसे जातक को मधुमेह या मूत्र से सम्बन्धित कोई रोग हो सकता है। इसके साथ ही यदि शनि अथवा मंगल सातवें भाव में हों तो जातक दुर्भाग्यशाली होता है।

हमारे अनुभवी तथा ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता ‘आचार्य श्री गोपाल जी ने इस लेख के माध्यम से जन्म कुंडली के आठवें भाव में केतु ग्रह से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बताया है। क्योंकि किसी भी जातक की  कुंडली के सभी 12 भावों का उसके जीवन पर अलग महत्व होता है। 

इन प्रभावों का परिणाम जातक को अपने जीवन पर भी प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलता है। शास्त्रों में, केतु ग्रह को एक मायावी तथा क्रूर ग्रह की संज्ञा दी जाती है परन्तु केतु ग्रह मोक्ष का भी कारक होता है।

आठवें भाव में केतु ग्रह: महत्व (Ketu in 8th house) 

केतु ग्रह के द्वारा जातक को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। यह अध्यात्म, वैराग्य, मोक्ष, तांत्रिक विद्या आदि का कारक होता है। धनु राशि केतु ग्रह की उच्च राशि है, जबकि मिथुन राशि, केतु ग्रह की नीच राशि  होती है। वहीं 27 नक्षत्रों  में केतु ग्रह को अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है। शास्त्रों के अनुसार केतु ग्रह स्वर भानु नाम के राक्षस का धड़ अर्थात निचला हिस्सा है जबकि उसके सिर के भाग को राहु ग्रह की संज्ञा दी गई है।

ज्योतिष में कुंडली का अष्टम यानी आठवां भाव, आमतौर पर जातक के स्वास्थ्य के भाव के रूप में जाना जाता है और यह मृत्यु का भाव भी कहा जाता है। इसके साथ ही इस भाव का सम्बन्ध जातक के अंतरंग या मनोदशा से भी होता है।

आठवें भाव में केतु ग्रह: शुभ तथा अशुभ प्रभाव 

  • ज्योतिष की दृष्टि में आठवां भाव मंगल ग्रह का होता है, जो केतु ग्रह का शत्रु माना जाता है। यदि आठवें भाव में केतु शुभ स्थान है तो जातक को अपनी आयु के 34 साल की उम्र में या फिर अपनी बहन या पुत्री की शादी के बाद पुत्र संतान की प्राप्ति होती है। 
  • इसके साथ यदि बृहस्पति या मंगल ग्रह छठवें या बारहवें घर में उपस्थित हों तो जातक को केतू अशुभ परिणाम नहीं देता। यदि चंद्रमा के दूसरे भाव में स्थित हो तब जातक के लिए शुभ नही होता है। 
  • यदि आठवें भाव में स्थित केतु ग्रह अशुभ स्थान पर हो तो जातक की पत्नी बीमार रहती है और संतान पुत्र का जन्म नहीं होता यदि होता भी है तो उसकी मृत्यु हो जाती है। 
  • आठवें भाव में केतु ग्रह के अशुभ प्रभाव से जातक मधुमेह(डायबिटीज) रोग से ग्रसित हो सकते हैं।इसके साथ ही यदि शनि अथवा मंगल कुंडली के सातवें भाव में बैठे हो तो यह भी जातक के लिए दुर्भाग्यशाली माना जाता है।
  • आठवें भाव में केतु ग्रह की अशुभ स्थिति के होने के कारण जातक का चरित्र और उसकी पत्नी का  स्वास्थ्य प्रभावित होता है। ऐसे जातकों को 26 वर्ष की उम्र के बाद अपने वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता हैं।
  • आठवें भाव में केतु ग्रह के अशुभता के कारण जातक के अंदर ही अंदर कुछ डर की स्थिति बनी रहती है। ऐसे जातक किसी के सामने इस डर का इजहार नहीं कर पाते हैं और इसका सामना करने से भी सदेव भय के अधीन रहते हैं। 
  • जातकों को दांतों की समस्या का सामना करना पड़ सकता है और जीवन में बाद में इसका सामना करना पड़ सकता है, हो सकता है कि वे 40 के दशक में हों।

आठवें भाव में केतु ग्रह का स्वास्थ्य पर प्रभाव

आठवें भाव में केतु के कारण जातक को बाएं पैर में चोट या समस्या होने का खतरा हो सकता है या फिर ये जातक किसी बहुत ऊंचाई से गिर सकते हैं या इसी तरह की किसी दुर्घटनाओं का शिकार भी हो सकते हैं। ज्योतिष की सलाह में ऐसे जातक को किसी ऊँचे स्थान पर सावधानी रखने की आवश्यकता है। इसके साथ चन्द्र,  मंगल व केतु के कारण जातक को ल्यूकेमिया या  त्वचा सम्बंधित रोग हो सकते हैं। 

केतु ग्रह
कुंडली के आठवें भाव में केतु ग्रह

आठवें भाव में केतु ग्रह का प्रेम सम्बन्ध तथा वैवाहिक जीवन पर प्रभाव 

आठवें भाव में केतु के प्रभाव के कारण ऐसे जातक का जीवन साथी धन या प्रेम संबंधों में कुछ हद तक नाखुश या अतृप्त होते हैं इसके अलावा यदि किसी राशि का स्वामी बुध हो या शुक्र आठवें भाव में विराजमान हो तो जातक सामाजिक तथा आर्थिक मामलों में सफल होता है  

आठवें भाव में केतु ग्रह से सम्बंधित उपाय

  1. केतु के अशुभ प्रभाव को कम करने हेतु कुत्ता पालना शुभ होता है।
  2. किसी भी मंदिर में काला और सफेद रंग कंबल दान करना लाभकारी होगा।
  3. विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा व उपासना करना शुभ होगा।
  4. कान में सोना धारण करने से लाभ होगा।
  5. माथे पर केसर का तिलक लगाना चाहिए।

निष्कर्ष 

निष्कर्ष के रूप में हम कह सकते हैं कि आठवें भाव में स्थित केतु ग्रह के कारण जातकों को किसी भी दुर्घटना या बीमारी प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है क्योंकि जातकों को इनमें से किसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।  इसके अलावा ऐसे जातक का आध्यात्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों की ओर झुकाव हो सकता है। वे इस दायरे को अधिक विकसित कर सकते हैं और इन जातकों की ये अपनी सबसे मजबूत संपत्ति हो सकती है।

Must Read: कुंडली के अन्य भाव में केतु ग्रह

पहले भाव में केतु ग्रहदूसरे भाव में केतु ग्रह
तीसरे भाव में केतु ग्रह महत्वचौथे भाव में केतु ग्रह
पांचवें भाव में केतु ग्रह महत्वछठे भाव में केतु ग्रह
सातवें भाव में केतु ग्रह का प्रभाव
कुंडली के नौवें भाव में केतु ग्रहकुंडली के दसवें भाव में केतु ग्रह
केतु ग्रह ग्यारहवें भाव मेंकेतु ग्रह बारहवें भाव में प्रभाव

केतु ग्रह आठवें भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ


Q- कुंडली में आठवां भाव किसका स्थान माना जाता है?

An- कुंडली का आठवां भाव, आमतौर पर जातक के स्वास्थ्य के भाव के रूप में जाना जाता है और यह मृत्यु का भाव भी कहा जाता है।

Q- क्या, कुंडली में आठवें भाव में केतु शुभ होते है?

An- नहीं, कुंडली के आठवें भाव में केतु ग्रह विशेष रूप से शुभ नही माने जाते हैं।

Q- कुंडली के आठवें भाव के स्वामी कारक ग्रह कौन होते हैं?

An- कुंडली के आठवें भाव के स्वामी कारक ग्रह शनि और केतु ग्रह हैं।

Q- कुंडली के आठवें भाव में केतु ग्रह के क्या परिणाम होते हैं?

An- कुंडली के आठवें भाव में केतु ग्रह के अशुभ फल हो तो जातक की पत्नी बीमार रहती है। ऐसे जातक को पुत्र संतान की प्राप्ति नहीं होती, यदि होता भी है तो उसकी मृत्यु हो जाती है।

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