Ketu Grah in 12th house | कैसा होगा  कुंडली के बारहवें भाव में विराजमान केतु ग्रह का प्रभाव

केतु ग्रह

Ketu in 12th house

कुंडली के बारहवें भाव में केतु ग्रह: महत्व 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, यदि किसी जातक की जन्म कुंडली के बारहवें भाव में केतु ग्रह बैठे हो तो ऐसे जातक विदेश यात्रा बहुत करते हैं। ज्योतिष की गणना में कुंडली का बारहवां भाव व्यय का भाव माना गया है। इस भाव में यदि केतु विराजमान हो जाए तो ऐसा व्यक्ति सदैव विदेश जाने के लिए तैयार रहता है।

 और इन जातकों को विदेश यात्राओं से धन व लाभ भी प्राप्त होता है।

जन्म कुंडली में बारहवां यानी अंतिम भाव उन सभी वस्तुओं को दर्शाता है, जिससे जातक स्वयं को अलग करना चाहते हैं। जैसे कि- सभी प्रकार की, भौतिकवादी इच्छाएं, व्यय(खर्च) के साधन इत्यादि शामिल हैं। यदि किसी भी जातक का बारहवां भाव पीड़ित या कमजोर हो तो ऐसे जातक को जेल की सजा, अस्पताल में भर्ती होना, नींद न आना, अलगाव, व्यसन आदि समस्याएं हो सकती हैं। 

बारहवें भाव के पीड़ित होने से जातक को मानसिक तनाव से होकर गुजरना पड़ता है। यहां तक ​​कि ऐसे जातक बुरे व्यसन या नशीले पदार्थों तथा गैर-आध्यात्मिक गतिविधियों के भी शिकार हो सकते हैं। बारहवां भाव कानून प्रवर्तन, जुर्माना, स्वास्थ्य,  संस्थान, धार्मिक संस्थानों, अपराध और गैर सरकारी संगठनों को संदर्भित करता है।

केतु ग्रह बारहवें भाव में: प्रभाव 

  • सकारात्मक प्रभाव 

‘मंगल भवन’ के ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता ‘आचार्य श्री गोपाल जी ने इस लेख के माध्यम से जन्म कुंडली के बारहवें भाव में केतु ग्रह की भूमिका के बारे में हमें विस्तार से बताया है। इसलिए जब केतु ग्रह किसी भी जातक की जन्म कुंडली के 12 भावों में से किसी भी भाव में विराजमान होते हैं तो जातक के जीवन पर कई सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डालते हैं-

बारहवें भाव में स्थित केतु ग्रह के प्रभाव से जातकों की गहन दर्शन और मानसिक क्षमता धीरे-धीरे 40 वर्ष की आयु के बाद अच्छी हो जाती है। बारहवें भाव में स्थित केतु जातक को अपने व्यवसाय के माध्यम से दूसरों के बीच लोकप्रिय बना सकता है। ऐसे जातक यदि स्वयं का व्यवसाय भी करते है तो इन्हें अधिक  धन और संतुष्टि प्राप्त होती है। इन जातकों के लिए नौकरी और व्यवसाय दोनों ही अच्छा अवसर रहता है। 

एक समय के बाद ऐसे जातकों की आध्यात्मिक शक्ति बलवान हो जाती है और वे जीवन में अतुल्य ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं। इन जातकों को अपने जीवन का सही उद्देश्य मिल जाता है और ये जातक अंतर्मुखी और शर्मीले स्वभाव के भी होते हैं लेकिन अपने पेशे\नौकरी या व्यवसाय में विशेषज्ञ होते हैं। ज्योतिष के अनुसार ये लोग राज़(गुप्त) बातों में अच्छे होते हैं।  ऐसे जातक चिकित्सा और खेल के क्षेत्र में अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं और अपने विरोधियों और शत्रुओं पर हमेशा विजयी प्राप्त करते हैं।

  • नकारात्मक प्रभाव  

केतु के अशुभ प्रभाव से पीड़ित जातक अपने बचपन में और युवावस्था में 28 वर्ष की आयु तक आर्थिक रूप से समस्याओं का सामना कर सकता है। इन जातकों को अपने जीवन में तरल धन की कमी का सामना करना पड़ेगा और अपने विरासत में मिले धन और संपत्ति के लाभ और सुख से भी वंचित रहना पड़ सकता है। कुछ लोगों को मुकदमेबाजी या विदेशी समझौते के कारण अपनी संपत्ति की हानि भी उठानी पड़ सकती है। कभी-कभी बारहवें भाव में अशुभ केतु और शनि एक साथ होने पर जातक को अवैध गतिविधियों या अपराध के कारण कुछ वर्षों के लिए जेल जाने की नौबत भी आ सकती है। 

केतु ग्रह की अशुभ युति के कारण कई जातकों को 50 वर्ष की आयु तक अपने जीवन में अशांति का सामना करना पड़ता है। बारहवें भाव में केतु ग्रह जातक को दुर्घटना या पेट से संबंधित बीमारियों के कारण चोट दे सकता है। बारहवें भाव में स्थित केतु जातक को आंखों से संबंधित कोई परेशानी भी दे सकता है।

केतु ग्रह बारहवें भाव में होने से वैवाहिक जीवन पर प्रभाव 

ज्योतिष की विद्या से ज्ञात किया गया है कि बारहवें भाव में केतु के कारण ऐसे जातक अपने जीवनसाथी के साथ सुखी और समृद्ध वैवाहिक जीवन नहीं जी पाएंगे। कुछ दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों के चलते उनके वैवाहिक जीवन में अलग होने की प्रबल संभावना हो सकती है। बारहवें भाव केतु ग्रह के अशुभ प्रभाव के कारण जातक का अपने जीवनसाथी से अलगाव और तलाक दे सकता है। ऐसे जातकों के जीवन में कई अल्पकालिक प्रेम संबंध और मोह हो सकते हैं।

केतु ग्रह
कुंडली के बारहवें भाव में केतु ग्रह

केतु ग्रह का करियर पर प्रभाव 

केतु के प्रभाव से ऐसे जातक हर क्षेत्र में कार्यरत होने के इच्छुक होते हैं। जैसे- पुलिस, जासूस, शोधकर्ता, मनोविज्ञान इत्यादि। विशेष रूप से ऐसे जातकों की खोजी प्रवृत्ति और स्पष्ट दृष्टि कई अदृश्य गतिविधियों के समाधान के लिए सक्षम होती है। जिसके कारण ये जातक अनुसंधान, ख़ुफ़िया एजंसी, अपराधिक मनोविज्ञान आदि कई गहन सम्बंधित क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करते हैं।

बारहवें भाव में केतु ग्रह से सम्बंधित उपाय

केतु ग्रह के अशुभ प्रभावों को ज्योतिष के द्वारा बताए गए कुछ आसान से उपाय के माध्यम से कम किया जा सकता है- 

  1. किसी भी पास के मंदिर या किसी गरीब\जरूरतमंद  को चीनी और दूध का दान करना चाहिए।
  2. अपने दाहिने हाथ में सोने की चेन या कड़ा धारण करें। चांदी का छल्ला अपनी अनामिका या कनिष्ठिका अंगुली में धारण कर सकते हैं करना।
  3. प्रति वर्ष गरीबों या जरूरतमंदों को काला और नीला कंबल दान करें।
  4. प्रति माह यथा संभव ब्राह्मण या पुजारियों को भोजन व दान करना चाहिए।
  5. सप्ताह में बुधवार और शनिवार को कौए, कुत्ते और गाय को भोजन खिलाएं।
  6. प्रतिदिन काले और सफेद कुत्तों को भोजन दें। 
  7. यथासंभव प्रतिदिन धार्मिक या आध्यात्मिक कार्य व गतिविधियों में शामिल होना चाहिए।
  8. मंदिर में या किसी गरीब व्यक्ति को तिल और इमली का दान करें।
  9. बहते हुए जल में गुड़ और सूखे नारियल को प्रवाहित करना चाहिए।
  10. गणेश जी की विधिवत पूजा तथा उपासना करें।
  11. अच्छे चरित्र का पालन करें।

Must Read: कुंडली के अन्य भाव में केतु ग्रह

पहले भाव में केतु ग्रहदूसरे भाव में केतु ग्रह
तीसरे भाव में केतु ग्रह महत्वचौथे भाव में केतु ग्रह
पांचवें भाव में केतु ग्रह महत्वछठे भाव में केतु ग्रह
सातवें भाव में केतु ग्रह का प्रभावआठवें भाव में केतु ग्रह
कुंडली के नौवें भाव में केतु ग्रहकुंडली के दसवें भाव में केतु ग्रह
केतु ग्रह ग्यारहवें भाव में

केतु ग्रह बारहवें भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ


Q- केतु ग्रह के लिए कौन सा भाव शुभ माना जाता है?

An- केतु ग्रह को सामान्तः अशुभ माना जाता है; अपनी स्थिति और अन्य ग्रहों के साथ संबंध के अनुसार यह कुछ सकारात्मक प्रभाव भी देता है। इसके अलावा जब केतु नवम भाव में हो तो शुभ होता है।

Q- कुंडली में केतु ग्रह कब शुभ होता है?

An- यदि कुंडली में केतु ग्रह शुभ ग्रहों के साथ बैठ जाए तो यह जातक को कई सफलता दिलाता है। केतु को अध्यात्म, वैराग्य, मोक्ष, तांत्रिक आदि का कारक माना गया है।

Q- केतु ग्रह के लिए कौन सा रंग अच्छा माना गया है?

An- केतु ग्रह का रंग चमकीला होता है, परन्तु ज्योतिष में इसका रंग चितकबरा अर्थात काला और सफेद माना गया है।

Q- क्या, केतु बारहवें भाव में शुभ होता है?

An- इस भाव में यदि केतु विराजमान हो जाए तो ऐसा व्यक्ति सदैव विदेश जाने के लिए तैयार रहता है।और इन जातकों को विदेश यात्राओं से धन व लाभ भी प्राप्त होता है।

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