Mercury and Jupiter conjunction | कुंडली के विभिन्न भावों में, बुध-गुरु की युति, मिलेंगे शुभ व लाभकारी प्रभाव

बुध-गुरु की युति

कुंडली के विभिन्न भावों में बुध-गुरु की युति- ज्योतिष शास्त्र में, बुध ग्रह को बुद्धि का कारक माना जाता है। यह जातक की बुद्धि को संवारने व बिगाड़ने का कार्य करते हैं। यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में बुध उच्च राशि का हो तो ऐसे लोग अपने करियर में बहुत सफल होते है। वें अपनी बुद्धि के बल पर समाज में मान-सम्मान, सफलता और प्रतिष्ठा प्राप्त करते है। ठीक उसी प्रकार जब बुध के साथ कोई शुभ या अशुभ ग्रह युति में आते हैं तब जातक के जीवन को बहुत प्रभावित करते हैं। ‘मंगल भवन’ के इस लेख में आज हम बुध व बृहस्पति गुरु की युति के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे- 

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वैदिक ज्योतिष के गणित के अनुसार, यदि किसी जातक की कुंडली में बुध और बृहस्पति एक साथ एक ही भाव में बैठे हैं तो ; ऐसे जातक अपनी वाणी के बल पर अपना जीवन यापन करता है। साथ ही ऐसा जातक बोलने, भाषण देने और दूसरों से बात करने में माहिर होता है। ये लोग विद्वान, बुद्धिमान होते हैं। जिस भी स्थान पर ठहरेंगे उसके आस-पास खुशहाली का वातावरण पसंद करते हैं। ग्रहों के शुभ व लाभकारी प्रभाव से धनवान होंगे और भूमि के मालिक होंगे। 

इसके अलावा कोई जातक मीडिया में भी कार्यरत हो सकता है। इस क्षेत्र में उसे बहुत सम्मान और सफलता मिलती है। बुध और बृहस्पति की युति अगर कुंडली में है तो जातक ज्ञानी और विद्वान होता है। साथ ही वें ज्योतिष विद्या का बड़ा जानकार भी हो सकता है। युति के शुभ प्रभाव से वो किसी बड़े राजनीतिक पद पर आसीन होगा। 

बुध व गुरु की युति वाले जातकों का स्वभाव बहुत शांत व वास्तव में उपचारात्मक होता है। उनकी वाणी में वाक्पटुता होती है इसलिए वे तर्क-वितर्क निपटाने में अच्छे होते हैं। ऐसे जातक आमतौर पर प्रसन्न, खुश और आत्मसंतुष्ट रहते हैं। हालांकि उनकी आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव होता रहता है। यदि किसी जातक की कुंडली में बुध व बृहस्पति नकारात्मक स्थिति में हो तो यह जातक की दृष्टि या सुनने की क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, उनके बीच की प्राकृतिक मित्रता व शत्रु के प्रति तटस्थ का भाव होता है। क्योंकि बृहस्पति, बुध को शत्रु मानता है लेकिन बुध बृहस्पति को तटस्थ मानता है।

वैसे तो ज्योतिष में, ये दोनों ग्रह सर्वाधिक लाभकारी ग्रह माने जाते हैं और बहुत कुछ समान गुणों वाले होते है। दोनों  ही ग्रह बुद्धिमत्ता, परिपक्वता, सूक्ष्मता और शांत स्वभाव का प्रतिनिधित्व करते हैं। जिन जातकों की कुंडली में बुध व गुरु यानी बृहस्पति का संयोजन होता है, उन्हें आमतौर पर शास्त्रीय ग्रंथों और कला के विभिन्न रूपों की अधिक समझ होती है। ऐसे जातक को बुद्धि (बुध) और ज्ञान के संयोजन से बहुत लाभ मिलता है। ये जातक अपने शांत स्वभाव से कोई भी समस्या का तुरंत समाधान करने में सक्षम होते है। 

कुंडली के पहले भाव में बुध और बृहस्पति की युति के प्रभाव में जातक, विद्वान होने के साथ-साथ बुद्धिमान, अच्छा गणितज्ञ, साहित्य और कविता में रुचि रखने वाला व तीव्र बुद्धि का होता है। इन जातकों को उच्च शिक्षा प्राप्त हो सकती है। साथ ही ऐसा जातक एक योग्य शिक्षक और अच्छा सलाहकार हो सकता है। वित्तीय लेन-देन में भी यह बहुत अच्छा हो सकता है। स्वास्थ्य संबंधी मामलों में सर्दी-खांसी से जुड़ी परेशानी हो सकती है। 

कुंडली के दूसरे भाव में बुध और बृहस्पति की युति से जातक को कवि, वक्ता और मधुर वाणी का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही ऐसे जातक गणित का विद्वान ज्ञाता हो सकता है। यदि बृहस्पति और बुध किसी कुंडली के दूसरे भाव में हों तो ऐसे जातकों कि बोलने की क्षमता बहुत अच्छी व परिपक्व होती है। वें अच्छी शिक्षा प्राप्त करते है। वित्तीय संबंधित कार्यों में विशेषज्ञ हो सकते है।

कुंडली के तीसरे भाव में बुध और बृहस्पति की युति जातक को समुद्रशास्त्र का संपादक बनाती है। इस दौरान व्यक्ति को मेहनत करने में रुचि नहीं होती बल्कि काम को पूरा करने की प्रवृत्ति होती है। परिवार में भाई-बहनों के साथ अच्छे संबंध बन सकते हैं। स्वास्थ्य के मामलों में जातक को पाचन संबंधी समस्या हो सकती है। 

कुंडली के चौथे भाव में बुध और बृहस्पति की युति होने से जातक दयालु और उदार स्वभाव का होता है। गुरु के शुभ प्रभाव में ऐसे जातक उच्च शिक्षा प्राप्त करते है। जातक के अपनी माता के साथ अच्छे संबंध हो सकते हैं। माता पक्ष से इन जातकों का अधिक लगाव होता है। आर्थिक स्थिति सामान्यतः अच्छी होती है। 

कुंडली के पांचवे भाव में बुध और बृहस्पति की युति से प्रभावित जातक बुद्धिमान होते हैं। अपनी बुद्धि के बल से बहुत सफलता प्राप्त करते हैं। यदि कुंडली के इस भाव में बुध व गुरु दोनों बलशाली हो तो ऐसे जातक चतुर और बुद्धिमान होता है। कई प्रकार की डिग्रियां व उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाला होता है। ऐसे जातक स्वभाव से ईमानदार होते हैं। जो कि एक अच्छा वित्तीय योजनाकार व सलाहकार होता है।

कुंडली के छठे भाव में बुध और बृहस्पति की युति के कारण जातक में श्रेष्ठ तर्क क्षमता का गुण आता है। ऐसे जातक मधुर वाणी बोलने वाले होते हैं। साथ ही ऐसे जातक कानून संबंधी मुकदमे बाजी में सफलता प्राप्त करते है। इन जातकों को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। अपनी कुशल राजनीतिक क्षमता से शत्रु इनके आगे टिक नहीं पाते हैं।

कुंडली के सातवें भाव में बुध और बृहस्पति की युति से प्रभावित जातक अपनी बुद्धि से दूसरों को सहज अपनी ओर आकर्षित करने वाले होते हैं। इन जातकों को सभी प्रकार के भौतिक सुख की प्राप्ति होती है। व्यापार/व्यवसाय में लाभ के कारण धन-संपदा में वृद्धि होती है। साथ ही जातकों को परिवार व रिश्तेदारों से अच्छा सुख व प्रेम मिल सकता है। व्यवसाय में बहुत सफलता है। आर्थिक रूप से उन्नति भी होती है।

कुंडली के आठवें भाव में बुध और बृहस्पति की युति से जातक में तीव्र बुद्धि और चतुर होने का गुण आता है। ऐसे जातक के कई प्रेम प्रसंग हो सकते हैं। कुछ मामलों में  रिश्तेदारों से परेशानी हो सकती है। जातक अपने परिवार की जिम्मेदारी उठा सकते हैं। इन्हें परिवार के सदस्यों के बीच बहुत मान-सम्मान व प्रशंसा मिलती है। 

कुंडली के नौवें भाव में बुध और बृहस्पति की युति से प्रभावित जातक को बहुत आकर्षक व्यक्तित्व का आशीर्वाद मिलता है। इस दौरान इन जातकों को भौतिक सुख-सुविधा के साथ-साथ अच्छा पारिवारिक सुख भी प्राप्त होता है। व्यापारिक लाभ से धन का संचय अच्छा होता है। जातक को अच्छी और उच्च शिक्षा प्राप्त हो सकती है। इन जातकों की रुचि अपने ज्ञान का विस्तार करने में अधिक होती हैं। साथ ही जातक को पारिवारिक परंपराओं और रीति-रिवाजों का अच्छा ज्ञान होता है। 

बुध-गुरु की युति

कुंडली के दसवें भाव में बुध और बृहस्पति की युति वाले जातक बुद्धिमान व अच्छी प्रबंधन क्षमता के धनी होते हैं। युति के शुभ प्रभाव में जातकों की नेतृत्व की क्षमता बहुत अच्छी हो जाती है। अपने कार्यक्षेत्र में प्रतिष्ठा मिलती है। साथ ही ये जातक शिक्षा,  बैंकिंग या वित्तीय क्षेत्र में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकते हैं। समाज में बहुत मान-सम्मान मिलता है। जातकों को व्यावसायिक पेशे में भी अच्छी सफलता मिलती है। 

कुंडली के ग्यारहवें भाव में बुध और बृहस्पति की युति वाले जातक में किसी कला को लेकर, उसमें विशेषज्ञ होने के गुण पाए जाते हैं। यह संयोजन जातक को सर्वश्रेष्ठ प्रबंधक बनाता है। धन संबंधी लेन-देन में ये जातक बहुत निपूर्ण होते हैं। अपने श्रेष्ठ गुणों के कारण ऐसे जातक समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करते है। परिवार में भाई-बहनों से अच्छे संबंध व प्रेम होता है।  

कुंडली के बारहवें भाव में बुध और गुरु की युति से जातक को अच्छा धन लाभ होता है। ये जातक प्रत्येक क्षेत्र में अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करेंगे। साथ ही गुरु व बुध के शुभ संयोजन से जातक को आध्यात्मिकता में अधिक रुचि होती है। कुछ अशुभ दोष के रहते, संतान प्राप्ति में समस्या आ सकती हैं। 

वैसे तो बुध व गुरु बृहस्पति दोनों ही ग्रह बहुत शुभ ग्रह होते हैं। इन ग्रहों का संयोजन भी सामान्य रूप से शुभ ही होता है।  लेकिन कई बार ऐसा भी देखा गया है कि ग्रहों की नकारात्मकता के कारण बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है। जिसके कारण उन्हें परीक्षा के साथ-साथ रोजमर्रा की जिंदगी में भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कुछ आसान से ज्योतिषीय उपाय से कम किया जा सकता है जिससे कि बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ाने के साथ-साथ एकाग्रता और स्मरण शक्ति का भी विकास होगा।


Q. क्या, बुध व गुरु की युति से जातक को शुभ परिणाम मिलते हैं?

An. वैदिक ज्योतिष के गणित के अनुसार, यदि किसी जातक की कुंडली में बुध और बृहस्पति एक साथ एक ही भाव में बैठे हैं तो ; ऐसे जातक अपनी वाणी के बल पर अपना जीवन यापन करता है। साथ ही ऐसा जातक बोलने, भाषण देने और दूसरों से बात करने में माहिर होता है। ये लोग विद्वान, बुद्धिमान होते हैं।

Q. क्या बुध और बृहस्पति मित्र हैं?

An. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, उनके बीच की प्राकृतिक मित्रता व शत्रु के प्रति तटस्थ का भाव होता है। क्योंकि बृहस्पति, बुध को शत्रु मानता है लेकिन बुध बृहस्पति को तटस्थ मानता है।

Q. कुंडली के बारहवें भाव में बुध-बृहस्पति की युति का क्या प्रभाव होता है?

An. कुंडली के बारहवें भाव में बुध और गुरु की युति से जातक को अच्छा धन लाभ होता है। ये जातक प्रत्येक क्षेत्र में अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करेंगे। साथ ही गुरु व बुध के शुभ संयोजन से जातक को आध्यात्मिकता में अधिक रुचि होती है।

Q. क्या, बुध व बृहस्पति का साथ जातक के वैवाहिक जीवन को प्रभावित करता है?

An.  हां, बुध व बृहस्पति ग्रह के, बलशाली स्थिति में होने से यह जातक के वैवाहिक जीवन के लिए अच्छे प्रभाव देने वाले होते है।

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