Anant Kaalsarp Yoga | अनंत कालसर्प योग: आशय एवं किए जाने वाले उपाय

Anant Kaalsarp Yoga

Anant Kaalsarp Yoga

वैदिक ज्योतिष में ‘कालसर्प योग’ के कुछ विशेष भेद (प्रकार) बताए गए हैं, जिनमें मुख्य रूप से ‘कालसर्प योग’ बारह प्रकार के माने गये हैं। “मंगल भवन” द्वारा इस लेख में हमने इन सभी प्रकारों को सरल भाषा में समझाने का प्रयास किया है। सबसे पहले आता है- अनंत कालसर्प योग-

अनन्त कालसर्प योग: जातक  की जन्म कुंडली में जब राहु, लग्न भाव में एवं केतु सप्तम में हो; और सारे बीच में हो तो “अनंत कालसर्प योग” बनता है। इस योग में जातकों को व्यक्तित्व निर्माण हेतु कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है। इन जातकों के विद्या अर्जित एवं व्यापार में गति तो सामान्य रहती है; परन्तु इन क्षेत्रों में थोड़ा भी आगे बढ़ने के लिए जातक को कठिन संघर्ष का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही मानसिक तनाव के चलते ये जातक कभी-कभी घर-परिवार का त्याग कर वैरागी जीवन अपनाने का विचार कर सकते हैं।

अनंत कालसर्प योग: होने वाले प्रभाव 

इन जातकों की रूचि लाटरी, शेयर मार्केट एवं सूद के व्यापार में विशेष रूप से होती है किंतु उसमें भी ज्यादा हानि की ही सम्भावना होती है। इन जातकों को शारीरिक रूप से के प्रकार की अड़चनों का सामना करना पड़ता है। उनकी आर्थिक स्थिति अत्यंत कमजोर रहती है। इसके परिणाम स्वरूप उनकी मानसिक स्थिति प्रभावित होती है। जिससे इनका वैवाहिक जीवन भी सही नहीं रह पाता है। जातक को माता-पिता के स्नेह व संपत्ति से भी वंचित रहना पड़ता है। निकट संबंधियों से भी नुकसान मिलने का भय रहता है। क़ानूनी मुकदमों एवं षड्यंत्रों में फंसे ऐसे जातक की सामाजिक प्रतिष्ठा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। परन्तु एन सभी प्रतिकूलताओं के चलते भी जातक के जीवन में अकस्मात एक ऐसा समय अवश्य आता है जब चमत्कारिक ढंग से उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। समस्याओं के बाद भी आवश्यकता पड़ने पर किसी चीज की उन्हें कमी नहीं होती है। यह किसी का भी बुरा नहीं करते। 

यदि कोई जातक इस योग से अधिक समस्या का अनुभव करते हैं। उन्हें ज्योतिष द्वारा बताए गए निम्न उपाय कर लाभ प्राप्त करना चाहिए। यदि यथार्थ में कालसर्प योग हानिकारक हो तो उसकी शांति जातक को बचपन में ही करवा लेनी चाहिए।  जिससे जातक का भविष्य उज्जवल तथा सुखमय व्यतीत हो।  इस बात का सदैव ध्यान रखें कि किसी भी ग्रह की शान्ति से उसका पूर्ण दोष समाप्त नहीं होता परन्तु 60 से 70 प्रतिशत कम हो जाता है |अतः थोडा संघर्ष तो करना पड़ता है किन्तु सफलता मिल जाती है। 

Anant kaalsarp yoga
अनंत कालसर्प योग

अनंत कालसर्प योग: किए जाने वाले महत्वपूर्ण उपाय 

  • विद्या की देवी मां सरस्वती जी की विधिवत उपासना कर उनके बीज मंत्रों का एक वर्ष तक जाप करें।
  • देवदारु, सरसों तथा लोहवान को उबालकर उस पानी से सवा महीने तक स्नान करें।
  • शुभ मुहूर्त में बहते पानी में कोयला तीन बार प्रवाहित करें।
  • हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें।
  • महामृत्युञ्जय मन्त्र का जाप करने से भी अनन्त काल सर्प योग के प्रभाव को शांत किया जा सकता है।
  • घर में मयूर (मोर) पंख रखना शुभ होगा।
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काल सर्प दोष, पूजा तथा अन्य दोष निवारण संबंधी अन्य जानकारी हेतु आप हमारे ‘मंगल भवन’ के अनुभवी व ज्योतिष आचार्यों से आज ही संपर्क करें।

कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ 



Q- अनंत काल सर्प दोष कितने वर्ष तक रहता है?

An- यदि इस दोष का निवारण न किया जाए तो उसे जीवन के 42 वर्षों तक संघर्ष करना पड़ता है। यानी इस योग का प्रभाव जातक पर 42 वर्षों तक रहता है।

Q- अनंत कालसर्प दोष कैसे बनता है?

An- जब लग्न में राहु और सातवें भाव में केतु हो और उनके बीच समस्त अन्य ग्रह इनके मध्य में हो तो ‘अनंत कालसर्प’ योग बनता है।

Q- क्या अनंत कालसर्प योग अच्छे प्रभाव भी देता है?

An- हां, अनंत कालसर्प योग में जातक को कुछ अच्छे परिणाम भी प्राप्त होते हैं।

Q- क्या अनंत कालसर्प योग के लिए कोई विशेष पूजा विधि की जाती है?

An- हां, अनंत कालसर्प योग हेतु पूजा विधि अलग प्रयुक्त होती है।

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