Numerology | अंकशास्त्र, मूलांक बताते हैं बहुत कुछ  

अंक शास्त्र

Importance of Numerology

अंक शास्त्र, ज्योतिष शास्त्र में जिस प्रकार वास्तु शास्त्र व tarot card reading महत्वपूर्ण व जातक के भविष्य फल को संदर्भित करते हैं; उसी प्रकार “अंक ज्योतिष” भी जातक के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी तो प्रदान करता ही है, साथ ही जातक के स्वभाव को भी मुख्य रूप से परिभाषित करता है। तो आइए, ‘मंगल भवन’ के इस लेख में हम “अंक शास्त्र” के बारे विस्तृत रूप से चर्चा करते हैं-

अंक शास्त्र (numerology) 

‘अंक शास्त्र’ भी ज्योतिष शास्त्र के समान ही एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसमें अंकों की सहायता से जातक के भविष्य की गणना की जाती है। हिंदी में हम इसे ‘(गूढ़ विद्या)अंक शास्त्र’ तथा अंग्रेजी में  ‘Numerology’ कहते हैं। ज्योतिष की इस विधा में मुख्य रूप से अंक गणित के कुछ नियमों का प्रयोग कर किसी भी जातक  के जीवन के विभिन्न पहलुओं का आकलन किया जाता है। यह विधा जातक के जीवन में आने वाली घटनाओं के बारे में भविष्यवाणी करने हेतु प्रयोग की जाती है। ‘अंक शास्त्र’ में जातक की जन्म दिनांक के आधार पर मूलांक निकला जाता है तत्पश्चात उसके भविष्य फल की गणना की जाती है।

‘अंकशास्त्र’ के अनुसार प्रत्येक जातक का एक मूलांक होता है; जिसे आप सामान्य भाषा में “अंक स्वामी” भी बोल सकते हैं। इसी अंक स्वामी के द्वारा जातक के भाग्य का आकलन किया जाता है। अंक शास्त्र में प्रत्येक ग्रह (सूर्य, चन्द्र, गुरू, यूरेनस, बुध, शुक्र, वरुण, शनि और मंगल) की विशेषताओं के आधार पर गणना की जाती है। इन में से प्रत्येक ग्रह के लिए 1 से लेकर 9 तक, एक अंक निर्धारित किया गया है। जो कि इस बात का सूचक है कि कौन से ग्रह पर किस अंक का असर होता है। 

क्या होता है, अंक शास्त्र ?

ज्योतिष शास्त्र की इस अद्भुत प्रक्रिया को आप मुख्य रूप से अंकों तथा विद्वान ज्योतिष तथ्यों का एक अद्भुत मेल कह सकते है। अर्थात् कुछ मूल अंकों का ज्योतिषीय तथ्यों के साथ मेल करके जातक  के भविष्य की जानकारी देना ही ‘अंक ज्योतिष’ कहलाता  है। 

हम सभी जानते हैं कि गणित के मूल अंक, 1 से 9 तक होते हैं। इसके साथ ही ज्योतिष शास्त्र भी मुख्य रूप से तीन तत्वों के आधार पर  आश्रित रहता है – जो कि है नौ ग्रह, 12 राशियां तथा 27  नक्षत्र। अंक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का मिलान भी इन सभी नौ ग्रहों, राशियां और  नक्षत्रों के आधार पर किया जाता है। सामान्यतः जातक के सभी कार्यों का मुख्य आधार अंक पर ही निर्भर करता है । हमारे सभी धार्मिक कार्य , हिन्दू पंचांग के शुभ दिन, तिथि के द्वारा ही साल, महीना, दिन, घंटा, मिनट और सेकंड जैसी आवश्यक चीजों को व्यक्त करता है।

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क्या है, अंक शास्त्र का इतिहास ?

अब बात करते हैं अंक ज्योतिष के इतिहास की तो- आपको शायद ही पता होगा कि इसका प्रयोग मिस्र में आज से लगभग 10,000 वर्ष पूर्व से चलता आ रहा है। मिस्र के महान गणितज्ञ ‘पाइथागोरस’ ने सर्वप्रथम गणित के अंकों के महत्व के बारे में इस संसार को अवगत कराया था। उन्होंने संसार को बताया था कि  “अंक ही ब्रह्मांड पर राज करते हैं।” अर्थात अंकों का ही महत्व संसार में सर्वव्यापक है। प्राचीन काल में अंक शास्त्र की जानकारी विशेष रूप से भारतीय, ग्रीक, मिस्र, हिब्रू और चीनियों को थी। भारत में प्राचीन ग्रंथ “स्वरोदय शास्त्र” में इस अंक शास्त्र के विशेष उपयोग के बारे में बताया गया है। अंक शास्त्र के विद्वानों ज्योतिषों की माने तो, इस विशिष्ट शास्त्र का आरम्भ ‘हिब्रु मूलाक्षरों’ के माध्यम से हुआ था। दुनियाभर में इस ‘अंक शास्त्र’ की विधा को विकसित करने में मिस्र की ‘जिप्सी जनजाति’ के लोगों की का सबसे अहम भूमिका रही है।

अंक शास्त्र का प्रयोग ? 

मंगल भवन’ के प्रसिद्ध गुरु श्री भास्कर जी का कहना है,  इस विधा में मुख्य रूप से अंकों का प्रयोग कर जातक के भविष्यफल की गणना की जाती है। इस अंक शास्त्र के द्वारा की जाने वाली भविष्य की गणना विशेष रूप से ज्योतिष शास्त्र में अंकित नव ग्रहों की स्थिति  (सूर्य, चंद्र, बृहस्पति, राहु, केतु, बुध, शुक्र, शनि, मंगल) के साथ मिलान करके की जाती है। अंक शास्त्र में 1 से 9 तक के प्रत्येक अंकों को नौ ग्रहों का प्रतिरूप माना जाता है; और इसी को आधार मानकर ही ये जानकारी प्राप्त की जाती है कि कौन सा  ग्रह किस अंक पर आधारित है। जातक के जन्म के बाद उसकी जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर ही उसके व्यक्तित्व के बारे में पता लगाया जाता है। जन्म के दौरान ग्रहों की स्थिति के अनुसार ही जातक का संपूर्ण जीवन, नौकरी, गुण, तथा व्यक्तित्व निर्धारित होता है। प्रत्येक जातक के जन्म के समय एक प्राथमिक और एक द्वितीयक ग्रह उस जातक की कुंडली में विराजमान होता है। इसलिए, जन्म के बाद जातक पर उस अंक का प्रभाव सबसे अधिक होता है, और यही अंक उसका स्वामी कहलाता है। व्यक्ति के अंदर मौजूद सभी गुण जैसे की उसकी सोच, तर्क शक्ति, दर्शन, इच्छा, द्वेष, स्वास्थ्य और करियर आदि अंक शास्त्र के अंकों और उसके साथी ग्रह से प्रभावित होते हैं। ऐसी मान्यता है कि यदि दो जातकों का मूलांक एक समान ही हो तो दोनों के बीच परस्पर तालमेल अच्छा होता है।

अंक शास्त्र का महत्व (Importance of Numerology) 

ज्योतिषशास्त्र की तरह ही अंक शास्त्र का भी जातक के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है। अंकों से जुडी इस विद्या के आधार पर जातक के भविष्य से जुड़ी जानकारी को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। अंक ज्योतिष या अंक शास्त्र की मदद से किसी व्यक्ति में विद्यमान गुण, अवगुण, व्यवहार और विशेषताओं के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। अंक शास्त्र के माध्यम से विवाह पूर्व भावी पार्टनर्स का मूलांक निकालकर उनके गुणों का मिलान भी किया जा सकता है। आजकल देखा गया है कि अंकशास्त्र का प्रयोग वास्तुशास्त्र में भी करते हैं। नए घर का निर्माण करते वक़्त सभी अंकों का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। उदाहरण स्वरूप घर में कितनी सीढ़ियां होनी चाहिए, कितनी खिड़कियाँ और दरवाज़े होनी चाहिए इसका निर्धारण अंक शास्त्र के माध्यम से ही किया जाता है। इसके अलावा  सफलता प्राप्त करने हेतु  भी लोग इस विद्या का प्रयोग कर अपने नाम की स्पेलिंग में भी परिवर्तन कर रहे हैं। 

जैसे कि फिल्म जगत के मशहूर stars(सितारे), निर्माता व निर्देशक; करण जौहर से लेकर एकता कपूर तक सभी ने अंक शास्त्र की ज्योतिष विधा की मदद से अपने सफल भाग्य का निर्माण किया है।

अंक शास्त्र
अंक ज्योतिष

अंक शास्त्र में मूलांक का महत्व

अंक शास्त्र में जातक के मूलांक का सबसे अधिक महत्व होता है; जिसके आधार पर जातक के व्यक्तित्व की गणना करना संभव होता है। मुख्य रूप से अंकों का प्रयोग तीन तरीके से किया जाता है :

  • मूलांक : 

यदि किसी जातक की जन्म तिथि को एक-एक कर जोड़ दीया जाए तो , जो अंक प्राप्त होता है वो उस जातक का मूलांक कहलाता है। उदाहरण स्वरूप यदि किसी जातक की जन्म तिथि 29 है तो 2+9 =11, 1+1 =2, तो जातक का मूलांक होगा, 2।

  • भाग्यांक:

किसी जातक की जन्म तिथि, माह और वर्ष को जोड़ने के बाद जो अंक प्राप्त होता है;  उस अंक को उस जातक भाग्यांक कहते हैं। जैसे यदि किसी जातक की जन्म तिथि 29/10/1991 है, तो उस जातक का भाग्यांक 2+9+1+0+1+9+9+1 = 32, 3+2= 5, अर्थात इस जन्मतिथि वाले जातक का भाग्यांक 5 होगा।

  • नामांक: 

किसी जातक के नाम से जुड़े अक्षरों को जोड़ने के बाद जो अंक प्राप्त होता है, वो उस व्यक्ति का नामांक कहलाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी का नाम “RAM” है तो इन अक्षरों से जुड़े अंकों को जोड़ने के बाद ही उसका नामांक निकला जा सकता है। R(18, 1+8=9+A(1)+M(13, 1+3=4), 9+1+4 =14=1+4=5, लिहाजा इस नाम के व्यक्ति का नामांक 5 होगा।

अक्षर से जुड़े अंक का विवरण

A B C D E F G H I J K L M N O P Q R S T U V W X Y Z

1 2 3 4 5 6 7 8 9 1 2 3 4 5 6 7 8 9 1 2 3 4 5 6 7 8 9

इसके साथ ही आपको बता दें कि अंक शास्त्र में किसी भी अंक को शुभ या अशुभ नहीं माना जाता है। 

किसी भी जातक का मूलांक और भाग्यांक ये दोनों ही उसके जन्म तिथि के आधार पर निकाले जाते हैं, इसे किसी भी हाल में परिवर्तित नहीं किया जा सकता। अंक शास्त्र के अनुसार यदि किसी का नामांक, मूलांक और भाग्यांक सभी समान हो तो ऐसे जातक को जीवन में अप्रत्याशित मान, सम्मान, सौभाग्य तथा समृद्धि प्राप्त होती है। अतः आजकल सभी लोग अपने नाम की स्पेलिंग को change कर अपने नामांक,  मूलांक या भाग्यांक से मिलाने का प्रयत्न करते हैं। जिससे की वें मनचाही सफलता प्राप्त कर सकें।

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अंक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र

वैसे तो, अंक शास्त्र भी ज्योतिष शास्त्र का ही एक ही अंग माना जाता है; परन्तु सटीक भविष्यफल की जानकारी के लिए दोनों विधाओं में अलग-अलग तथ्यों का प्रयोग किया जाता है। अंक शास्त्र की मदद से लोग विशेष रूप से कुछ कार्यों में अंकों की सहायता लेते हैं। जैसे- लाटरी में या मकान का प्लॉट बुक करने व अन्य कार्यों में। जैसे की हमने आपको पूर्व में ही सूचित किया कि अंक शास्त्र में पयुक्त प्रत्येक अंक नौ ग्रहों से जुड़े होते हैं; तो जाहिर सी बात है कि अंकशास्त्र और ज्योतिषशास्त्र एक दूसरे से कदापि भिन्न नही हैं। जिस प्रकार ज्योतिष शास्त्र में जातक के बारे में उसकी राशि और कुंडली में मौजूद ग्रह. नक्षत्रों की स्थिति के अनुसार भविष्यफल की गणना की जाती है। उसी प्रकार अंक शास्त्र में, जातक की जन्म तिथि के मूलांक, भाग्यांक और नाम के अनुसार नामांक निकालकर भविष्य फल की गणना की जाती है।

अंक शास्त्र से होने वाले लाभ

अंक ज्योतिष विधा से जातक को अपने जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातों का ज्ञान प्राप्त हो सकता है।

आइए इसके कुछ क्यापक फायदों के बारे में जानते हैं- 

  • अंक शास्त्र की सहायता से आप अपने जीवन के उचित निर्णय लेने में सक्षम होंगे जो आपके भावी जीवन में आपको सफलता दिलाएंगे।
  • अंक शास्त्र की सहायता से, किसी भी जातक का व्यक्तित्व, गुण व लक्षणों का आसानी से पता लगा सकते हैं। 
  • अंक ज्योतिष भी दो लोगों के परस्पर संबंधों को बेहतर बनाने में सहायता करता है। जैसे समान अंक की अवधारणा वाले दो लोगों के बीच सम्बन्ध श्रेष्ठ होते हैं। इसके साथ ही, यह समझने में भी मदद कर सकता है कि किसी जातक को अपने रिश्ते से क्या उम्मीद करनी चाहिए।
  • अंकशास्त्र जातक में उपस्थित उनकी प्रतिभा और क्षमता से लेकर ताकत और कमजोरियों का भी ज्ञान प्रदान करता है। अंक ज्योतिष की मदद से, यह सब आसानी से पता लगाया जा सकता है।
  • अंक शास्त्र, ज्योतिष की ऐसी विधा है;जो जीवन के कई परिदृश्यों को जानने के लिए एक आदर्श व सटीक अनुमान के लिए प्रयोग में ली जाती है। इस प्रकार जीवन में आप किन-किन  चुनौतियों का सामना करने वाले हैं, उतार-चढ़ाव, व शुभ अवसरों के साथ लोग इस अंक ज्योतिष ज्ञान के साथ समझ सकते हैं।

कुछ सवाल व उनके जवाब FAQ-


Q- अंक ज्योतिष कैसे काम करता है?

An- अंक ज्योतिष में विशेष रूप से गणित के कुछ नियमों का प्रयोग कर जातक के जीवन के विभिन्न पहलुओं का आकलन कर उनके आने वाले भविष्य के बारे में भविष्यवाणी की जाती है।

Q- अंक का स्वामी किसे कहा जाता है?

An- अंक ज्योतिष में 8 मूलांक को विशेष माना जाता है, इस अंक के स्वामी कर्मफलदाता व कलियुग का दंडाधिकारी शनि देव को माना जाता है।

Q- गुरु का अंक कौन सा माना जाता है?

An- गुरु का अंक 3 अंक को कहा गया। इस अंक का प्रभाव जातक को मेधावी और बुद्धिमान बनाता है।

Q- क्या, अंक शास्त्र में भाग्यांक लक को संदर्भित करता है?

An- हां, अंक शास्त्र में भाग्यांक जातक का लकी अंक होता है।

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