Kulik Kaalsarp | कुलिक कालसर्प योग | दोष निवारण के लिए करें ये आसान उपाय

कुलिक कालसर्प योग

Kulik Kaalsarp Yoga

कुलिक कालसर्प योग: जब जातक की कुंडली में राहु द्वितीय भाव में स्थित हो, केतु अष्टम भाव में हो एवं सभी ग्रह इन दोनों ग्रहों के मध्य में हो तो “कुलिक कालसर्प योग” बनता है। इससे प्रभावित जातक को अपयश का भागी बनना पड़ता है। इस योग से पीड़ित व्यक्ति को आर्थिक और सामाजिक तौर पर अत्यंत कष्टों का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही उसकी पारिवारिक स्थिति भी काफी कलहपूर्ण होती है।

कुलिक कालसर्प योग: प्रभाव 

इस योग के प्रभाव से जातक की पढ़ाई-लिखाई एवं वैवाहिक जीवन तो सामान्य रहता है; लेकिन  आर्थिक तंगी के तनाव की वजह से उनका वैवाहिक जीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है। मित्रों से धोखा, संतान सुख में बाधा एवं व्यापार व्यवसाय में संघर्ष हमेशा बना रहता है। जातक का स्वभाव भी विकृत हो जाता है। मानसिक तनाव और शारीरिक समस्याओं झेलते-झेलते वह समय से पहले ही बूढ़ा हो जाता है। इस कारण इन जातकों में उत्साह व पराक्रम में निरंतर कमी हो जाती है। अपने कठिन परिश्रमी स्वभाव से ये सफलता के शिखर पर भी पहुंच सकते हैं। लेकिन अपनी सफलता से प्राप्त फल को वे पूर्णतया: सुखपूर्वक भोग नहीं पाता है। 

किसी भी प्रकार की पूजा, हवन, जन्म कुंडली,  ग्रह शांति पूजा, वास्तु दोष, व दोष निवारण हेतु विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए आज ही ‘मंगल भवन’ के ज्योतिषाचार्यों से संपर्क करें। 

यदि कोई जातक इस योग से अधिक समस्या का अनुभव करते हैं। उन्हें ज्योतिष द्वारा बताए गए निम्न उपाय कर लाभ प्राप्त करना चाहिए। यदि यथार्थ में कालसर्प योग हानिकारक हो तो उसकी शांति जातक को बचपन में ही करवा लेनी चाहिए।  जिससे जातक का भविष्य उज्जवल तथा सुखमय व्यतीत हो।  इस बात का सदैव ध्यान रखें कि किसी भी ग्रह की शान्ति से उसका पूर्ण दोष समाप्त नहीं होता परन्तु 60 से 70 प्रतिशत कम हो जाता है | इसलिए थोडा संघर्ष तो करना पड़ता है किन्तु सफलता मिल जाती है। 

कुलिक कालसर्प योग
 कुलिक कालसर्प योग

 कुलिक कालसर्प योग: महत्वपूर्ण उपाय –

  • मां सरस्वती जी की विधिपूर्वक पूजा कर उनका बीज मंत्रों निरंतर एक वर्ष तक जाप करें।
  • देवदारु, सरसों तथा लोहवान को उबालकर उस पानी से सवा महीने तक स्नान करें।
  • प्रातः शुभ मुहूर्त में बहते पानी में कोयला तीन बार प्रवाहित करें।
  • हनुमान जी की नियमित रूप से आराधना कर चालीसा का 108 बार पाठ करें।
  • पवित्र श्रावण माह में 30 दिनों तक महादेव का अभिषेक करें।
  • शनिवार एवं मंगलवार का व्रत रखें। किसी शनि मंदिर में जाकर भगवान शनिदेव की पूजा कर, तेल अभिषेक करें एवं कार्य की सफलता हेतु प्रार्थना करें।
  • राहु की महादशा के निवारण हेतु प्रतिदिन एक माला राहु मंत्र का जाप करें और जाप 18 हजार पूर्ण होने पर राहु की शांति हेतु पूर्णाहुति दें एवं हवन कराएं। इसके बाद किसी गरीब को उड़द व नीले वस्त्र का दान करें।
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कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ



Q- क्या कुलिक कालसर्प योग सदैव बुरा परिणाम ही प्रदान करता है?

 An- नहीं, कुलिक काल सर्प योग में जातक तमाम समस्याओं के बाद भी पूर्णतः असफल नहीं होते हैं।

Q- कुलिक कालसर्प योग की पूजा विधि कब करना शुभ होता है?

 An- ज्योतिष में इस काल सर्प दोष की पूजा का शुभ दिन ‘नाग पंचमी’ का दिन शुभ बताया गया है।

Q- क्या, कुलिक कालसर्प दोष में जातक को संतान सुख में बाधा आती है?

 An- हां, कुलिक कालसर्प योग में जातक को संतान सुख प्राप्ति में बाधा आती है।

Q- इस काल सर्प दोष की पूजा हेतु कौन सा मंदिर उपयुक्त होता है?

 An- काल सर्प दोष की पूजा हेतु ‘मंगलनाथ’ मंदिर उपयुक्त माना गया है।

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