Ketu Grah in 11th house | कैसी भूमिका होगी केतु ग्रह की जन्म कुंडली के ग्यारहवें भाव में

केतु ग्रह

Ketu in 11th house

कुंडली के ग्यारहवें भाव में केतु ग्रह: भूमिका (Ketu in 11th house)  

ज्योतिष शास्त्र में, कुंडली के ग्यारहवें भाव में केतु ग्रह को शुभ माना जाता है। इसे लाभ भाव के नाम से भी जाना जाता है। कुंडली का ग्यारहवां भाव जातक की सामाजिक गतिविधियों और अन्य मामलों में रुचि को प्रभावित करता है। इस भाव के माध्यम से जातक के अपने परिचितों और शुभचिंतकों के बारे में पता लगाया जा सकता है। इस भाव में यह भी ज्ञात किया जा सकता है कि हमें अपने मित्रों और शुभचिंतकों से किसी भी प्रकार की कोई वित्तीय सहायता मिलेगी या नहीं।

ज्योतिष की गणना की बात की जाए तो ग्यारहवां भाव समृद्धि, लाभ, बड़े भाई-बहन, दोस्ती और सामाजिक गतिविधियों का प्रतिनिधित्व करता है। जब केतु ग्यारहवें भाव में स्थित होता है तो यह उस जातक हेतु बहुत अनुकूल होता है, ऐसे जातक धन के मामले में काफी मितव्ययी यानी कम खर्च करने वाले होते है और उन्हें अपने जीवन में बहुत सफलता भी प्राप्त होती है।

ग्यारहवें भाव में केतु ग्रह के शुभ तथा अशुभ प्रभाव 

हमारे प्रसिद्ध और ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता ‘आचार्य श्री गोपाल जी ने इस लेख के माध्यम से जन्म कुंडली के ग्यारहवें भाव में केतु ग्रह की भूमिका के बारे में हमें विस्तार से बताया है। क्योंकि जब केतु ग्रह किसी भी जातक की जन्म कुंडली के 12 भावों में से किसी भी भाव में विराजमान होते हैं तो प्रभावित जातक के जीवन पर कई शुभ और अशुभ प्रभाव करते हैं-

  • शुभ प्रभाव 

ग्यारहवें भाव में विराजमान केतू ग्रह जातक को अनेक प्रकार के शुभ फल प्रदान करता है। ऐसे जातक देखने में आकर्षक और मनोहर व्यक्तित्व के धनी होते हैं। साथ ही इनमें एक विशेष कांति वाला तेज भी होता है। ऐसे जातक अच्छे वस्त्रों के शौकीन होते हैं। इसके साथ ही ऐसे जातक उदार, परोपकारी और दयालु स्वभाव के भी होते हैं। ये जातक सदैव अपने कार्य और स्वयं से संतुष्ट रहने वाले व्यक्ति होते हैं। शिक्षा के मामले में भी इनका भाग्य अच्छा होता है और ऐसे जातक उत्तम शिक्षा प्राप्त करते हैं।

केतु के शुभ प्रभाव के कारण ऐसे जातक शास्त्रों के ज्ञाता तथा हंसमुख स्वभाव के विद्वान व्यक्ति होते हैं। ये जातक बहुत ही सरल स्वभाव और मधुरभाषी होते हैं इसके साथ वें पराक्रमी, प्रतिष्ठित और दूसरों के बीच सबसे लोकप्रिय व प्रशंसनीय होते हैं। ऐसे जातकों को सरकार या राजा के द्वारा सम्मान प्राप्त होता है। ये जातक अपने जीवन में अनेक प्रकार के आभूषणों, ऐश्वर्य और सभी भौतिक साधनों का सुख भोगते हैं। ये लोग अपनी आमदनी के कई साधन जुटा लेते हैं। ऐसे जातक किसी भी काम को अधूरा नहीं छोड़ते। इनके शत्रु इससे सदैव भयभीत रहते हैं।

  • अशुभ प्रभाव 

ग्यारहवें भाव में केतु ग्रह जातक को कुछ अशुभ फल भी देता है जैसे- इस स्थिति से जातक कभी-कभी चिंतित महसूस कर सकते हैं और अपने इसी कारण वे अपना नुकसान कर लेते हैं। कुछ जातकों को संतान से संबंधित चिंता भी परेशान कर सकती है। 

ग्यारहवें भाव में केतु ग्रह का करियर तथा वैवाहिक जीवन पर प्रभाव

  •  करियर 

ज्योतिष के अनुसार यदि कोई जातक राजनीति के कार्य से सम्बंधित है तो ऐसे जातक को अपनी आयु के 40 वर्ष बाद सफलता मिल सकती है। ऐसे लोग अच्छे मतों से बहुमत में जीत हासिल कर सकते हैं इसके साथ ही खेल, मीडिया, या फिल्मों से सम्बंधित क्षेत्रों में भी धन और लाभ प्राप्त कर सकते हैं। यदि कोई जातक मनोरंजन के क्षेत्र से जुड़ा है तो 35 वर्ष की उम्र में सफलता हासिल कर एक लोकप्रीय अभिनेता के रूप में उभर सकता है। 

इसके अलावा यदि किसी जातक की रुचि अध्यात्म में हो तो ऐसे जातकों के कई आध्यात्मिक अनुयायी होने के कारण गुरु भी बनने के अच्छे अवसर हैं। कोई जातक यदि किसी नौकरी में है तो 40 वर्ष की उम्र के बाद उच्च पद प्राप्त कर सकते हैं। ज्योतिष के अनुसार यदि किसी जातक की कुंडली में केतु ग्यारहवें भाव में विराजमान हो तो ऐसे जातकों को अपनी आर्थिक स्थिरता व सफलता के लिए 30 वर्ष की उम्र तक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

  • वैवाहिक जीवन\ प्रेम संबंध

ज्योतिष की गणना के अनुसार कुछ पारिवारिक अपवादों को लेकर चिंता रह सकती है। अन्यथा इन जातकों का जीवन सुखमय होगा। कुंडली में सातवाँ भाव कमजोर होने के कारण जीवन साथी की मृत्यु हो सकती है जिससे कि जातक के दो विवाह होने की संभावना हो सकती है। प्रारंभ में छोटे-मोटे विवाद होने के कारण जीवन साथी से कुछ मनमुटाव हो सकता है जो समय के साथ शांतिपूर्ण व प्रेम पूर्ण हो जाएगा।       

केतु ग्रह
कुंडली के ग्यारहवें भाव में केतु ग्रह

इसके अलावा यदि सातवें भाव में कोई दोष न हो तो प्रेम संबंध लम्बे समय तक सुखद रह सकते हैं। इसके साथ ऐसे जातकों को जीवन साथी के माध्यम से बहुत सहायता मिलती है। केतु ग्रह का यदि अच्छा फल हो तो ऐसे जातक के अपने प्रेमी (लव पार्टनर) के साथ भी विवाह करने की संभावना हो सकती हैं। 

  • निष्कर्ष 

यदि हम कुंडली के ग्यारहवें भाव की बात करें तो यह भाव लाभ भाव होने के अलावा जातक का बाधा भाव भी माना जाता है। ग्यारहवां भाव मेष, कर्क, तुला और मकर राशियों के लिए बाधक साबित हो सकता है। कुंडली में ग्यारहवें भाव में अन्य ग्रहों की स्थिति और चाल से जातक के जीवन में आने वाली बाधाओं और कष्टों का अनुमान लगाया जा सकता है। यदि ग्यारहवें भाव में सकारात्मक ग्रह की स्थिति है, तो ऐसे जातक को कई अच्छे अवसर और कुछ समस्याएं मिल सकती हैं जिससे ये जातक आसानी से उभरने में सक्षम और सफल भी होंगे।

Must Read: कुंडली के अन्य भाव में केतु ग्रह

पहले भाव में केतु ग्रहदूसरे भाव में केतु ग्रह
तीसरे भाव में केतु ग्रह महत्वचौथे भाव में केतु ग्रह
पांचवें भाव में केतु ग्रह महत्वछठे भाव में केतु ग्रह
सातवें भाव में केतु ग्रह का प्रभावआठवें भाव में केतु ग्रह
कुंडली के नौवें भाव में केतु ग्रहकुंडली के दसवें भाव में केतु ग्रह
केतु ग्रह बारहवें भाव में प्रभाव

केतु ग्रह ग्यारहवें भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ


Q- कुंडली में ग्यारहवें भाव में केतु का क्या फल होता है?

An- ग्यारहवें भाव में केतु की उपस्थिति जातक के लिए बहुत अनुकूल और उपयोगी होती है। ग्यारहवें भाव के उपचय भाव होने के कारण, इसमें किसी भी ग्रह का स्थान होना सांसारिक मामलों की दृष्टि से शुभ  माना गया है।

Q- कुंडली में ग्यारहवें भाव का स्वामी कारक ग्रह कौन होता है?

An- कुंडली में ग्यारहवें भाव का स्वामी शनि ग्रह होता है।

Q- क्या केतु ग्रह से जातक को धन प्राप्त होता है?

An- जब केतु ग्रह कुंडली में अनुकूल स्थिति में स्थित होता है, तो यह जातक को अच्छी और उल्लेखनीय संपत्ति या धन प्रदान करता है।

Q- केतु ग्रह को खुश कैसे किया जा सकता है?

An- केतु ग्रह को प्रसन्न करने के लिए पीपल के वृक्ष के नीचे प्रतिदिन दीपक जलाएं और कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं। इसके साथ ही गणेश जी की रोजाना पूजा करें और सेवा करें।

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