Grahan Dosh | ज्योतिष में, ग्रहण दोष क्या होता है जानिए इसके प्रभाव व कुछ आसान उपाय

ग्रहण दोष

ग्रहण दोष : कहा जाता है कि मनुष्य के जीवन में आने वाले सुख-दुख, लाभ-हानि, कीर्ति-अपयश, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां (रोग), ये सभी, ग्रह व नक्षत्रों की गति पर निर्भर करते हैं। कई बार कड़ी मेहनत करने के बाद भी मनुष्य को उसके परिश्रम का संपूर्ण लाभ न मिलते हुए हानि मिलती है, जबकि कई लोगों को थोड़े परिश्रम में ही मनचाहा परिणाम प्राप्त हो जाता है। इसका आकलन हमें ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से प्राप्त हो जाता है क्योंकि कुंडली में उपस्थित नौ ग्रहों के माध्यम से जीवन में होने वाली शुभ व अशुभ घटनाओं का आकलन किया जा सकता है। इसके साथ ही ज्योतिष की सलाह से ग्रहों के अशुभ फल के प्रभाव को भी कुछ आसान से उपाय कर कम किया जा सकता है। 

वैदिक ज्योतिष में ऐसे अनेक योग व दोष का विस्तार से वर्णन किया गया है, जो यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में हो तो उनके जीवन में,  बुरे परिणाम दे सकते हैं। इन्हीं में से एक है दोष के बारे में आज हम इस लेख में विस्तार से पढेंगे- वह है ‘ग्रहण दोष’। 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण दोष एक ऐसा अशुभ योग है जो जिस कुंडली में होता है उस जातक का जीवन कष्टों से भर देता है। इस दोष से प्रभावित जातक के जीवन में न तो उन्नति होती है और न ही वह आर्थिक परेशानियों से उभर पाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उसे सही मार्गदर्शन नहीं मिल पाता और अज्ञानतावश वह जातक, अपना जीवन कई समस्याओं व मुश्किलों में व्यतीत करता रहता है। यदि वह सही समय पर योग्य ज्योतिषी की सलाह से ‘ग्रहण दोष’ का निवारण कर ले तो जीवन में चल रहीं परेशानियां काफी हद तक कम की जा सकती है। 

ज्योतिष में : ग्रहण दोष क्या होता है?

ज्योतिष शास्त्र के तथ्यों के अनुसार, चंद्र ग्रह और सूर्य ग्रह जो की बहुत बलशाली ग्रह कहलाते हैं; से जुड़ी कोई भी युति सीधे तौर पर कुंडली के बल को प्रभावित कर सकती है। अतः जब किसी जातक की जन्म कुंडली में राहु और चंद्रमा के साथ राहु और केतु की युति होती बन रही हो तो यह युति ‘ग्रहण दोष’ को निर्मित करती है। 

इसके अलावा, जब किसी जन्मांग चक्र यानी लग्न कुंडली के बारह भावों में से किसी एक भाव में सूर्य या चंद्र ग्रह के साथ राहु या केतु ग्रह में से कोई एक ग्रह विराजमान हो तो उस कुंडली में ग्रहण दोष बनता है। अर्थात यदि सूर्य या चंद्रमा के भाव में राहु-केतु में से कोई एक ग्रह स्थित हो तो इसे ग्रहण दोष कहते है। इसके साथ ही, यह ग्रहण दोष कुंडली के जिस भाव में भी बनता है उस भाव से संबंधित परिणामों को भी , अशुभ प्रकार से प्रभावित करता है। जैसे- ज्योतिष के अनुसार,कुंडली का दूसरा भाव ‘धन’ का स्थान कहलाता है। यदि इस भाव में ‘ग्रहण दोष’ लगता है तो उस जातक को जीवन भर आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे जातक एक संकट टलते ही दूसरा संकट में आ जाते है; और इन जातकों का कार्य-व्यवसाय भी ठीक नहीं चलता। ऐसे जातक नौकरी में भी बार-बार परिवर्तन करते रहते है। इसके अलावा वे धन भी अर्जित नहीं कर पाते। इसके साथ ऐसे जातकों के कार्य भी होते-होते रुक जाते हैं या कोई न कोई परेशानी बनी रहती है।

ज्योतिष में : ग्रहण दोष का अर्थ

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, “ग्रहण” का अर्थ होता है ‘खाना’। अर्थात यहाँ ग्रहण शब्द से यह ज्ञात होता कि कुछ ऐसे ग्रहों की युति के दौरान (पापी ग्रह) राहु और केतु ग्रह द्वारा सूर्य और चंद्र ग्रह को खाने की बात बताई गई है। पौराणिक शास्त्रों में भी बताया गया है कि राहु और केतु ग्रहण दोष के माध्यम से सूर्य और चंद्रमा के शुभ प्रभावों व परिणामों को समाप्त कर देते हैं।

यदि आपकी कुंडली भी चंद्र ग्रहण योग के बुरे प्रभावों को दर्शाती है तो तत्काल समाधान के लिए हमारे ज्योतिष विशेषज्ञों से संपर्क करें। 

ज्योतिष शास्त्र में, सूर्य और चंद्रमा को सबसे अधिक प्रभावशाली ग्रहों की संज्ञा दी गई है। इन ग्रहों से होने वाला कोई भी प्रभाव जातक की जन्म कुंडली में उपस्थित समग्र सकारात्मकता को प्रभावित कर सकता है। इसके परिणाम स्वरूप एक जातक, अपने जीवन की विभिन्न अवधियों के दौरान कठिन परिस्थितियों  से होकर गुजर सकता है। अतः ज्योतिष शास्त्र में  ‘ग्रहण योग’ को सबसे अशुभ व तुच्छ दोष माना गया है।

इसके अलावा, ग्रहण का एक अन्य अर्थ “ग्रहण” यह भी है कि, जब एक बच्चे का जन्म चंद्र या सूर्य ग्रहण काल के दौरान होता है, तो हम यह कह सकते हैं कि बच्चा ‘ग्रहण दोष’ के तहत जन्मा है। जन्म कुंडली में यह दोष अशुभ ग्रहों राहु और केतु की उपस्थिति के कारण बनता है। इस दोष का असत्क प्रभाव तब होता है; जब राहु और केतु ग्रह सूर्य और चंद्रमा के साथ युति में मिल जाते हैं। हालांकि, यह ज्योतिष शास्त्र की गणना में हमें ज्ञात है कि कोई भी दोष का अशुभ प्रभाव लंबे समय तक नहीं रहता है और अतः ‘ग्रहण दोष’ के अशुभ प्रभाव भी जीवन के एक निश्चित चरण के बाद समाप्त हो जाएगा।

ज्योतिष में : ग्रहण दोष दूर करने के उपाय 

यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में ‘सूर्य ग्रहण दोष’ है यानी  सूर्य ग्रह के साथ में राहु या केतु ग्रह की युति बन रही है तो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसे जातक को भगवान शंकर की पूजा, महामृत्युंजय मंत्र का जाप व शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए।जिससे कि जातक को सूर्य ग्रहण दोष से मुक्ति मिल जाएगी इसके साथ ही सूर्य देव की आराधना व उगते हुए सूर्य को जल अर्पित कर आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करने से भी सूर्य ग्रहण के अशुभ प्रभाव को समाप्त किया जा सकता है।

ग्रहण दोष

ग्रहण दोष के अन्य उपाय

  1. यदि कुंडली में सूर्य ग्रहण दोष है तो सूर्योदय के समय गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करना शुभ होता है और साथ ही सूर्य देव के मंत्रों या नामों का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
  2. अपनी कुंडली में चंद्र ग्रह के बुरे प्रभावों को कम करने के लिए प्रति सोमवार को 108 बार “ॐ सोमाय नमः” या “ॐ चंद्राय नमः” जैसे चंद्र मंत्रों का जाप करना शुभ होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इन मंत्रों सर्वश्रेष्ठ चंद्र ग्रहण दोष निवारण का उपाय माना जाता है। 
  3. इसके साथ ही प्रत्येक सोमवार को निश्चित समय के दौरान गरीब और जरूरतमंद लोगों को दूध का दान करना भी लाभकारी होगा।
  4. वेद शास्त्रों में भगवान विष्णु, सूर्य देव के अधिपति माने गए हैं और भगवान शिव जी चंद्रमा के अधिपति हैं। अतः कुंडली में ग्रहण दोष के प्रभाव को खत्म करने के लिए भगवान विष्णु और भगवान शिव जी की पूजा अवश्य करें
  5. कुंडली में ग्रहण दोष के निवारण के लिए आप ब्राह्मणों को गुड़ का दान भी कर सकते हैं।

ग्रहण दोष से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ

Q. ग्रहण दोष से क्या होता है?

An. अगर कुंडली में सूर्य या चंद्रमा के साथ में राहु या केतु की युति हो जाती है ऐसे में ग्रहण दोष होता है और ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि अगर ग्रहण दोष हो रहा है तो कोई भी काम सफल होते होते रह जाता है और काम पूरी तरीके से हो नहीं पाता है।

Q. सूर्य ग्रहण दोष क्या है?

An.जब सूर्य पर ग्रहण लगता है तब पूरी पृथ्वी पर अंधकार छा जाता है, सूर्य ग्रहण की वजह से सूर्य से मिलने वाले लाभ बाधित होते हैं. सूर्य-राहु ग्रहण दोष के कारण जातक को जीवन के कई क्षेत्र में तकलीफों का सामना करना पड़ता है. सभी दोषों में ग्रहण दोष को सबसे खतरनाक माना जाता है।

Q. कौन सी राशि पर ग्रहण खराब है?

An.मेष राशि के जातकों के लिए सूर्य ग्रहण का प्रभाव नकारात्मक हो सकता है क्योंकि यह मेष राशि में ही ग्रह प्रवेश कर रहा है. इन लोगों के जीवन में ग्रहण के प्रभाव से उतार-चढ़ाव आ सकते हैं. हालांकि कुछ उपायों की मदद से ग्रहण के प्रभाव को शांत भी किया जा सकता है।

Q. ग्रहण दोष कैसे दूर करें?

An.यदि कुंडली में चंद्र ग्रहण दोष है, तो चंद्र मंत्रों जैसे ‘ॐ सोमाय नमः’ या ‘ॐ चंद्राय नमः’ का दिन में 108 बार जाप करें, खासकर सोमवार को। यदि किसी की कुंडली में सूर्य ग्रहण दोष है, तो आप एक अच्छे मुहूर्त के दौरान लगातार 7 रविवार तक पुजारियों को गुड़ दान करें।

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