शनि और राहु की युति: क्या शनि और राहु दोनों ही ग्रह देंगे अशुभ प्रभाव

शनि व राहु की युति

कुंडली के बारह भावों में शनि और राहु की युति : वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के किसी भी भाव में अगर शनि-राहु की युति हो तो ऐसे जातक अनैतिक कार्य करते है। इन जातकों को पारिवारिक सुख प्राप्त नहीं होता है और स्वास्थ्य भी अच्छा नहीं रहता; प्रायः कोई न कोई बीमारी बनी रहती है। शनि और राहु की युति से ‘पिशाच’ योग बनता है। इसका अशुभ प्रभाव जातक के जीवन को बर्बाद कर देने वाला होता है। शनि और राहु की युति से बने पिशाच योग से जातक को जीवन में बहुत कष्ट मिलते हैं ऐसे जातक कभी सफल नहीं हो पाते।

वैदिक ज्योतिष में, शनि और राहु दोनों ही ग्रहों को अशुभ ग्रहों की संज्ञा दी जाती है। जिस भी भाव में ये ग्रह विराजमान होते हैं वहां यह युति नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती है। इस युति के प्रभाव से जातक के जीवन में हमेशा चिंता बनी रहती है। सदैव मन में बुरे व नकारात्मक विचार आते हैं। स्वास्थ्य संबंधी कोई न कोई बीमारी या परेशानी बनी रहती है। शनि और राहु दोनों पापी ग्रहों का साथ में संबंध होने से प्रभावित जातक को सभी कार्यों में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इसके साथ इन जातकों को संतान सुख में परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस युति के प्रभाव में जातक चिंतित और कमजोर महसूस करता है। 

‘मंगल भवन’ के इस लेख में आज हम बात करेंगे कुंडली के विभिन्न भावों शनि व राहु की युति के क्या परिणाम हो सकते हैं – आइये जानते हैं शनि और राहु की युति से जातक का जीवन किस प्रकार प्रभावित होगा।

  1. पहले भाव में: शनि व राहु की युति 

ज्योतिष गणना के अनुसार, यदि किसी जातक की कुंडली में लग्न यानी पहले भाव में शनि व राहु की युति का प्रभाव है तो यह जातक के स्वास्थ्य खराब रहने के योग को निर्मित करते है। ऐसे जातक को कोई बड़ी बीमारी के भी संकेत मिल सकते हैं। इसके अलावा ये जातक गलत संगत में पड़ सकते हैं। साथ ही राहु के प्रभाव से ऐसे जातक का स्वभाव जिद्दी होता है। ऐसा जातक आलस पूर्ण होता है। इन जातकों का वैवाहिक जीवन भी अच्छा नहीं रहता। कुल मिलाकर, कुंडली के पहले भाव में शनि व राहु की युति से जातक को शुभ परिणाम नहीं मिलते हैं।

  1. कुंडली के दूसरे भाव में : शनि व राहु की युति 

जन्म कुंडली के दूसरे भाव में शनि व राहु की युति हो तो यह जातक को परिवार से दूर रखने के योग बनाती है। ऐसे जातक का प्रायः अपने परिवार से मतभेद की स्थिति बनी रहती है। साथ ही इन जातकों की आंखें कमजोर होती है। व्यर्थ के खर्चों के कारण, धन संचय करने में ऐसे जातक पीछे रह जाते हैं या धन हानि भी हो सकती है। शनि व राहु के अशुभ प्रभाव से ऐसे जातक को मुख से सम्बंधित रोग होते है। ये जातक नशा करने की लत में भी पड़ सकते हैं। 

  1. कुंडली के तीसरे भाव में: शनि व राहु की युति 

ज्योतिष की गणना के अनुसार, यदि किसी जातक की कुंडली के तीसरे स्थान में शनि व राहु की युति हो तो ऐसे जातक का छोटे भाई-बहन के साथ सुख में कमी रहती है। ऐसे जातक को अपने परिश्रम का उचित फल भी प्राप्त नहीं हो पाता।

बात-बात पर पड़ोसियों से मतभेद और झगड़े होते रहते है। कोई यात्रा में जातक को समस्या होती है। इसके साथ ही, दमा अस्थमा की समस्या की सम्भावना रहती है। राहु के अशुभ प्रभाव से ऐसा जातक भ्रमित रहता हैं। युति के अशुभ प्रभाव में जातक को संतान प्राप्ति या संतान सुख में परेशानी होती है।

  1. कुंडली के चौथे भाव में: शनि व राहु की युति 

जन्म कुंडली के चौथे भाव में शनि व राहु की युति हो तो यह जन्म स्थान छूटने के योग का निर्माण करती है। परन्तु ऐसे जातक अपने जन्म स्थान से दूर रहकर सफलता प्राप्त करते है। इन जातकों को अपना स्वयं का घर बनाने में देरी और रूकावट का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन वह भी वें अपने जन्मस्थान से दूर रहकर ही बनता है। परिवार में माता पक्ष को स्वास्थ्य संबधी परेशानी हो सकती है। साथ ही राहु के प्रभाव से जातक का मन बेचैन और परेशान रहता है। सम्पत्ति या प्रॉपर्टी से जुड़े वाद-विवाद होते है। वाहन सुख में कमी रहती है।

  1. कुंडली के पांचवे भाव में : शनि व राहु की युति 

कुंडली के पाचवे भाव में शनि व राहु की युति हो तो ऐसे जातक को पेट या पाचन संबंधी समस्या होती है। शनि व राहु का अशुभ प्रभाव हो तो जातक को शिक्षा संबंधी समस्या रहती है,जैसे- पढ़ाई पूरी न होना इत्यादि। इन जातकों की मित्र संगत भी अच्छे नहीं होते या फिर मित्र से धोखा मिलता है। प्रेम जीवन में ऐसे जातक असफल होते हैं या फिर प्रेम सम्बन्ध में धोखा प्राप्त होता है। ऐसे जातक यदि कोई योजना बनाते हैं तो वह सफल नहीं होती है। साथ ही इन जातकों को संतान सुख भी देरी का सामना करना पड़ सकता है।

  1. कुंडली के छठवें भाव में: शनि व राहु की युति 

ज्योतिष शास्त्र के मतानुसार, यदि कुंडली के छठवें भाव में शनि व राहु की युति हो तो ऐसे जातक को कोर्ट-कचहरी संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। वाद विवाद के योग बनते है व स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो सकती है।

इन जातकों को कर्ज के साथ-साथ, लड़ाई झगड़े के योग बनते है। मामा व मौसी पक्ष के सुख में कमी रहती है।

  1. कुंडली के सातवें भाव में : शनि व राहु की युति 

यदि कुंडली के सातवें भाव में शनि व राहु की युति हो तो ऐसे जातक के विवाह में विलंब होता है और विवाह पश्चात् जीवन में विवाद की स्थिति बनती है। दाम्पत्य जीवन सुखी नहीं रहता, पति-पत्नी के बीच मतभेद और लड़ाई-झगड़े होते है। साथ ही इन जातकों को गृहस्थ सुख में कमी मिलती है। इसके अलावा व्यवसाय, पार्टनरशिप में करने पर नुकसान होने के योग बनते है। व्यापार में सहभागी से धोखा होने के योग बनते है।

  1. कुंडली के आठवें भाव में : शनि व राहु की युति 

यदि किसी जातक की कुंडली के आठवे भाव में शनि व राहु की युति हो तो ऐसे जातक कब्ज या बवासीर (पाइल्स)जैसी समस्या से परेशान रहते हैं। साथ ही इन जातकों को धन हानि भी हो सकती है। नेत्र कमजोर होने की समस्या रहती है।

साथ ही पारिवारिक अलगाव की सम्भावना रहती है। कार्य क्षेत्र में समस्या रहती है व करियर में स्थिरता और सफलता प्राप्त होने में परेशानियां रहती है। राहु के अशुभ संयोग से संतान सुख में भी देरी का सामना करना पड़ सकता है।

  1. कुंडली के नौवें भाव में: शनि व राहु की युति 

कुंडली के नौवें भाव में शनि व राहु की युति से प्रभावित जातक को भाग्य का साथ नहीं मिल पाता। ऐसे जातक के प्रत्येक कार्य में बाधाएं आती है। मेहनत के अनुसार फल की प्राप्ति होने में सफलता नहीं मिलती। लम्बी यात्रा करने में समस्या आती है। धन-लाभ में रुकावट रहती है। परिवार में छोटे-भाई बहनों से मतभेद की स्थिति रहती है। 

  1. कुंडली के दसवें भाव में: शनि व राहु की युति 

कुंडली के दसवें भाव में शनि व राहु की युति से प्रभावित जातक को करियर में स्थिरता नहीं मिलती है। ऐसे जातक के बार- बार नौकरी बदलने के योग बनते है। करियर में सफलता नहीं मिलती है। साथ ही पिता पक्ष को स्वास्थ्य सम्बंधित परेशानी रहती है। व्यर्थ के खर्च, रात को देर से नींद आना, जन्मस्थान से दूर रहना और विवाह में भी देरी के योग बनते है। 

शनि व राहु की युति
  1. कुंडली के ग्यारहवें भाव में: शनि व राहु की युति 

जन्म कुंडली के ग्यारहवें भाव में शनि व राहु की युति से प्रभावित जातक को लाभ प्राप्त होने में में रुकावट आती है। इन जातकों के आय के साधनों में कमी रहती है। साथ ही राहु के अशुभ प्रभाव से जातक का स्वभाव थोड़ा जिद्दी व आलसी होता है। संतान सुख में देरी व अच्छे मित्र पक्ष का नहीं होना जैसी समस्या भी हो सकती है।

  1. कुंडली के बारहवें भाव में: शनि व राहु की युति 

यदि कुंडली के बारहवें भाव में शनि व राहु की युति बन रही हो तो यह जेल जाने की सम्भावना के योग बनाती है। इसके साथ ही जातकों पर कोर्ट या मुकदमे चलने के योग बनते है। साथ ही, भाग्य का साथ न मिलना, रात को देर से नींद आना, आंखें कमजोर होना व खर्चे अधिक होते है। व्यर्थ के खर्चों से धन-हानि के योग बनते है। परिवार में भी वाद-विवाद या मतभेद होने के योग बनते है।


Q. ज्योतिष में, राहु और शनि की युति से कौन सा योग बनता है?

An. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि और राहु की युति से ‘पिशाच’ योग बनता है। इसका अशुभ प्रभाव जातक के जीवन को बर्बाद कर देने वाला होता है। शनि और राहु की युति से बने पिशाच योग से जातक को जीवन में बहुत कष्ट मिलते हैं ऐसे जातक कभी सफल नहीं हो पाते।

Q. क्या शनि व राहु की युति से जातक को अशुभ परिणाम ही मिलते है?

An. नहीं, शनि व राहु की युति से जातक को शुभ व अशुभ दोनों फल की प्राप्ति होती है।

Q. शनि और राहु एक साथ हो तो क्या होता है?

An. शनि सभी ग्रहों में सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह होता, वहीं राहु हमेशा उल्टी चाल चलता है। इन दोनों ग्रहों के साथ आने पर महा कष्टकारी पिशाच योग का निर्माण होता है।

Q. शनि के शत्रु ग्रह कौन-कौन से हैं?

An. शनि के मित्र ग्रह है बुध और शुक्र है। जबकि शत्रु ग्रह हैं सूर्य, चंद्रमा और मंगल।

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