Moon and Mars Conjunction in different Houses | कुंडली के विभिन्न भावों में चंद्र-मंगल की सहभागिता का प्रभाव

चंद्र-मंगल की युति

कुंडली के विभिन्न भावों में चंद्र-मंगल की युति- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्रमा और मंगल की युति होने पर जातक का मन उग्रता पूर्वक कार्य करता है। जिसके कारण ऐसे जातक की वाणी में वीरता का भाव झलकता है। साथ ही ऐसे जातक लक्ष्य भेदी प्रवृत्ति के होते हैं किसी भी कीमत पर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ही लेते हैं और बिना कुछ सोच-विचार कड़ी मेहनत में लग जाते है। ‘मंगल भवन’ के इस लेख में आज हम चंद्र व मंगल ग्रह की युति से बनने वाला योग व कुंडली के बारह भावों में इसके प्रभाव के बारे में विस्तार से जानेंगे-

वैदिक ज्योतिष की गणना के अनुसार, चंद्र और मंगल की युति यह दर्शाती है कि जब कोई दो ग्रह की विपरीत शक्तियां कुंडली के किसी भी भाव में मिलती हैं, तो वे जातक को आवेगी, क्रोधी, सक्रिय, तर्कशील, जिद्दी व नवीन बनने के गुण प्रदान करती है। कुंडली में चंद्रमा और मंगल की युति जातक को सहकर्मियों और सहयोगियों के साथ संबंधों के बारे में बिना विचार किए मुद्दे पर कार्य करने के लिए अतिरिक्त समर्पित बनाएगी। इसके साथ ही कुंडली के किसी भी भावों में चंद्रमा के साथ मंगल की युति के कारण जातक को किसी भी क्षेत्र में अपने कार्यों के प्रति सक्रिय रहने की आवश्यकता होगी।

चंद्र ग्रह के , जातक के मन, माता, तनावपूर्ण और प्रतिकूल स्थिति से निपटने के लिए भावनात्मक संतुलन के रूप में संदर्भित किया गया है। इसलिए चंद्रमा जातक के मन के भावनात्मक संतुलन और किसी भी परिस्थिति से निपटने और प्रतिक्रिया करने के तरीके को दर्शाता है।

वहीं मंगल को जातक के साहसीय  कार्य करने की क्षमता के  लिए एवं शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है और इससे किसी जातक की इच्छा शक्ति, ऊर्जा और किसी भी घटना के प्रति कार्य करने की क्षमता का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि जन्म कुंडली के किसी भी भाव में चंद्रमा व मंगल की युति शुभ प्रभाव में हो तो यह जातक के लिए लाभकारी युति हो सकती है। क्योंकि यह दोनों ग्रह स्वाभाविक रूप में मित्र ग्रह हैं। और इन दोनों ग्रहों की युति का संयोजन कॉर्पोरेट जगत में अच्छा परिणाम प्रदान करते हैं। जहां दोनों ग्रहों के प्रभाव साथ मिलकर उत्कृष्टता के साथ काम कर सकते हैं। चंद्र व मंगल की युति के शुभ प्रभाव से जातक अच्छा धन अर्जित करते हैं और इस योग वाला जातक सभी प्रकार के सुख, संपदा, भौतिक संपत्ति और वैभव को भोगने वाला होता है। इसलिए ज्योतिष में इस युति से बनने वाले योग को ‘महालक्ष्मी योग’ भी कहते हैं।

इसके साथ ही ज्योतिष में इस युति को ‘चंद्र-मंगल योग’ के नाम से भी जाना जाता है, इनका किसी ऐसे भाव में उपस्थित होने पर जिसमें लाभ दर्शाया गया हो, धन, समृद्धि और नेतृत्व के लिए बहुत शुभ फलदायी होता है जो आपको अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की इच्छा में केंद्रित और कार्य-उन्मुख होने के लिए प्रेरित करेगा। इसके साथ ही यह संयोग जातक को दृढ़ इच्छाशक्ति, अच्छी मानसिकता और कठिनाइयों व संघर्ष के बावजूद लक्ष्य प्राप्त करने की अच्छी क्षमता का आशीर्वाद प्रदान करेगा। ज्योतिष में चंद्र और मंगल की युति में यगल नीच का हो तो, ऐसे जातक अपनी इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए दूसरों के साथ आवेगपूर्ण क्रोध, जिद और चालाकी की रणनीति समान व्यवहार को अपनाते हैं। 

ज्योतिष शास्त्र की प्रमुख गणना के अनुसार, जब चंद्र ग्रह के साथ  मंगल का संयोजन होता है और चंद्रमा, मंगल पर एक मजबूत भूमिका में हो, तो इससे यह पता चलता है कि चंद्रमा के प्रभाव में हमारी सोचने की प्रक्रिया प्रभावित होगी और किसी भी जातक द्वारा निष्पादित सभी भावनात्मक प्रतिक्रिया इस संयोजन की शक्ति के प्रभाव पर निर्भर करती हैं जो जातक के मनोवैज्ञानिक संकाय को उचित कार्रवाई के साथ प्रतिक्रिया करने का निर्देश देती है। 

जब चंद्रमा व मंगल की युति में मंगल की प्रमुख भूमिका में हो, तो यह उस जातक को इंगित करता है जो अपने विश्वास के लिए द्रढ़ता से खड़ा रहता है और यह ऊर्जा जटिल परिस्थितियों पर जातक की विजय घोषित करती है इसके साथ ही मंगल का शुभ प्रभाव जातक के कार्यों, इच्छाशक्ति को दिशा प्रदान करने का कर करती है। ज्योतिष की दृष्टि ,में सकारात्मक मंगल का प्रभाव जातक को दूसरों के समक्ष लड़ने में सक्षम बनाता है जैसे सैनिक, खिलाड़ी जो अपने देश की जीत के लिए लड़ते हैं। इसके साथ ही कमजोर या नकारात्मक मंगल जातक को भावनात्मक अशांति के साथ आक्रामक मस्तिष्क देता है जहां वें अपने गलत निर्णयों के लिए लड़ेंगे।

सकारात्मक चंद्र व मंगल की युति जातक के लिए एक आदर्श संयोजन कहलाती है जो जातक को सकारात्मक ऊर्जा, अच्छी क्षमता और नवीन रचनात्मकता का आशीर्वाद दे सकता है जो किसी को भी अपने करियर में सफलता, व्यक्तिगत या वैवाहिक जीवन में समृद्धि प्राप्त करने के लिए एक अनुकूल व सक्षम बना सकता है, इस युति के सकारात्मक प्रभाव में जातक को एक उन्नत व्यक्तित्व के साथ-साथ अपने सामाजिक समूहों के बीच अच्छी प्रतिष्ठा प्राप्त हो सकती  है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्र व मंगल की युति के नकारात्मक प्रभाव में जातक भय और आक्रामकता की छाया का अनुभव करेंगे, जो जातक की भावनाओं और कार्यों के संचालन को अवरुद्ध कर देगी और व्यक्तिगत व पेशेवर दोनों पक्षों पर अपने लिए चुनौतियों को आमंत्रित करने की संभावना उत्पन्न  करती है। कुंडली में कमजोर चंद्रमा व मंगल की युति जातक की मानसिक और शारीरिक क्षमता की ताकत और किसी भी स्थिति के प्रति प्रतिक्रिया के साथ-साथ सोच और भावनात्मक क्रियाओं के परिणामों को प्रभावित करेगी।

चंद्र-मंगल की युति
  1. पहले भाव में चंद्र-मंगल की युति- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली के पहले भाव में चंद्रमा व मंगल की युति जातक के व्यक्तित्व में भावनात्मक कठोरता के स्तर को तो बढ़ाता ही है के इसके साथ ही यह जातक को एक साहसी और आकर्षक व्यक्तित्व भी प्रदान करती है।
  1. दूसरे भाव में चंद्र-मंगल की युति: कुंडली के दूसरे भाव में चंद्र व मंगल की युति जातक को मजबूत और साहसी बनने का कार्य करती है और ऐसे जातक बहुत ही नाम और प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं लेकिन युति का प्रभाव जातक के पारिवारिक संबंधों में विरोधाभास की स्थिति ला सकता है।
  1. तीसरे भाव में चंद्रमा-मंगल की युति: कुंडली के तीसरे भाव में चंद्र व मंगल की युति, जातक को मजबूत और साहसी बनाएगी और ऐसे जातक दूसरों के साथ अपनी वाणी से स्पष्ट, प्रभावशाली और साहसी होने का परिचय देते हैं। जिससे दूसरों का उनकी ओर एक आकर्षक प्रभाव बनता है, लेकिन अपने सीधे व सरल स्वभाव के कारण उनके मित्र भी शत्रुता का भाव रख सकते हैं। अतः सतर्क रहने की सलाह है।
  1. चौथे भाव में चंद्रमा-मंगल की युति:  कुंडली के चौथे भाव में चंद्र व मंगल की युति जातक को सुख, धन और संपत्ति का संकेत देती है और ऐसे जातक पेशेवर मोर्चे पर अपनी इच्छाशक्ति से सफल होता है, लेकिन इनकी सामाजिक संगठन में कमी रहेगी।
  1. पांचवें भाव में चंद्रमा-मंगल की युति: जातक को लोकप्रियता, अच्छा स्वास्थ्य, रचनात्मकता, संतान और दान में कम-सुविधा प्राप्त लोगों को दान देकर दयालु होने की कला प्रदान करने वाली होती है; लेकिन दूसरी ओर, ऐसे जातक जिद्दी, आक्रामक और समस्याओं से घिरे हो सकता है। इसके साथ ही इन जातकों को अच्छा संतान सुख प्राप्त होगा।
  1. छठे भाव में चंद्रमा-मंगल की युति: कुंडली के छटवें भाव में इस युति से प्रभावित जातक एक अच्छा स्वास्थ्य और प्रतिद्वंद्वियों पर जीत हासिल करने की क्षमता वाला होगा। इसके साथ ही जातक का वैवाहिक जीवन सुखी होगा व अपने व्यावसायिक जीवन में सफलता प्राप्त होगी; लेकिन स्वास्थ्य की द्रष्टि से कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  1. सातवें भाव में चंद्रमा-मंगल की युति: कुंडली के सातवें भाव में चंद्र के साथ मंगल ग्रह का होना जातकों के व्यावसायिक जीवन को सफलता के साथ-साथ सुंदर और जिम्मेदार जीवन साथी का आशीर्वाद देती है।
  1. आठवें भाव में चंद्रमा-मंगल की युति: ऐसे जातक को अचानक लाभ की संभावना के साथ चंद्र व मंगल की युति स्वभाव से दयालु और सहायक बनाने का कार्य करती है, लेकिन सफलता हासिल करने के लिए जातकों को कड़ी मेहनत की आवश्यकता होगी। ज्योतिष की सलाह में स्वास्थ्य को लेकर सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
  1. नौवें भाव में चंद्रमा-मंगल की युति: इस भाव में चंद्र के साथ मंगल की युति से प्रभावित जातक को आध्यात्मिकता में अधिक रुचि होती है व यह जातक को सरकारी सहायता, स्वर्ण धन प्रॉस्पेक्टस सम्मान का आशीर्वाद देती है। लेकिन ऐसे जातक स्वभाव से कुछ चिड़चिड़े हो सकते हैं। चंद्र व मंगल के अशुभ प्रभाव से अध्यात्म की ओर रुझान कम हो सकता है।
  1. दसवें भाव में चंद्र-मंगल की युति: कुंडली के दसवें भाव में इस युति से प्रभावित जातक व्यवसाय में अच्छी सफलता, सरकार में उच्च पद, स्वयं के प्रयासों से अच्छी धन-संपत्ति हासिल करते हैं। अपने निजी जीवन में कुछ कलह की स्थिति से समस्या हो सकती है।
  1. ग्यारहवें भाव में चंद्रमा-मंगल की युति: ऐसे जातक को धन के मामले में यह युति आवेगी स्वभाव प्रदान करने वाली होती है लेकिन शेयर बाजार के माध्यम से धन के मामले में सफलता मिल सकती है। ऐसे जातक अपने जीवन में अच्छा सम्मान और धन कमाते हैं; लेकिन धन खर्च करने के मामलों में सावधानी रखने की सलाह है।
  1. बारहवें भाव में चंद्रमा-मंगल की युति: कुंडली के अंतिम भाव में चंद्र व मंगल के प्रभाव से जातक स्वभाव से अधिक भावुक और आवेगी होते हैं और विदेशी व्यवसाय से संबंधित मामलों में अच्छा धन अर्जित कर सकते हैं।


Q. चंद्र-मंगल की युति से कौन सा योग बनता है?

An. चंद्र मंगल की युति के शुभ प्रभाव से जातक अच्छा धन अर्जित करते हैं और इस योग वाला जातक सभी प्रकार के सुख, संपदा, भौतिक संपत्ति और वैभव को भोगने वाला होता है। इसलिए ज्योतिष में इस युति से बनने वाले योग को ‘महालक्ष्मी योग’ भी कहते हैं।

Q. क्या, कुंडली के सभी भावों में चंद्र व मंगल अशुभ फल देते हैं?

An. नहीं, कुंडली के सभी भावों में चंद्र व मंगल से जातकों को सकारात्मक व कुछ नकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं।

Q. चंद्र मंगल योग कब बनता है?

An. ऐसे में जब किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा और मंगल कुंडली के एक ही भाव में विराजमान होते हैं तो ‘चंद्र मंगल’ योग का निर्माण होता है।

Q. क्या, चंद्र व मंगल एक जैसे ग्रह होते हैं?

An. नहीं, चंद्रमा को जातक के लिए मन, माता, तनावपूर्ण और प्रतिकूल स्थिति से निपटने के लिए भावनात्मक संतुलन के रूप में संदर्भित किया गया है; बल्कि मंगल को जातक के क्रोध, साहस और कार्य करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण स्थिति पर विजय प्राप्त करने की शक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है और इससे किसी जातक की इच्छा शक्ति, ऊर्जा और किसी भी घटना के प्रति कार्य करने की क्षमता का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

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