समसप्तक योग: वैदिक ज्योतिष के अनुसार, ग्रहों के गोचर व फलादेश को विशेष महत्व दिया जाता है। मंगल ग्रह को ग्रहों के सेनापति के रूप में माना जाता है, जो कि इस वर्ष 01 जुलाई 2023 को रात 01 बजकर 52 मिनट पर सिंह राशि में गोचर करेंगे। अतः जुलाई में मंगल ग्रह का इस प्रकार गोचर या राशि परिवर्तन कई राशियों के लिए समस्या दे सकता है।
वास्तव में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मंगल को अग्नि तत्व का कारक कहा जाता है। और इस पर वे गोचर के दौरान सिंह राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं, जो अग्नि तत्व की राशि कहलाती है। ज्योतिष में, सिंह राशि मंगल ग्रह के लिए अनुकूल मानी जाती है और मंगल ग्रह शुभ प्रभाव प्रदान करते हैं। लेकिन ज्योतिष की गणना में इस राशि में मंगल देव, शनि ग्रह के साथ’ समसप्तक योग’ का निर्माण करने जा रहे हैं। जिससे कि कई राशियों के लिए परेशानियां आ सकती है।
समसप्तक योग : क्या होता है?
वैदिक ज्योतिष की प्रमुख गणना के मुताबिक, जब भी कोई दो ग्रह, एक-दूसरे से सातवें स्थान पर होते हैं, तब उन ग्रहों की युति से ‘समसप्तक योग’ का निर्माण होता है। अन्य प्रकार से कहें तो जब ग्रह आपस में अपनी सातवीं पूर्ण दृष्टि से एक-दूसरे को देखते हैं तब समसप्तक योग बनता है। जब मंगल सिंह राशि में गोचर करेंगे, तो उस समय शनि कुंभ राशि में होंगे। ये दोनों राशियां एक दूसरे सातवें स्थान में हैं। समसप्तक वैसे तो एक शुभ योग होता है, लेकिन शुभ-अशुभ ग्रहों की युति के कारण इसके फल में भी बदलाव आता है। यहां शनि और मंगल, दोनों को पापी ग्रह माना जाता है।
इसके अलावा यह दोनों की परस्पर पूर्ण दृष्टि होगी। मंगल ग्रह अग्नि तत्व की राशि में होने के कारण और भी अधिक उग्र होंगे, और वहीं शनि ग्रह वक्री अवस्था में अपनी स्वराशि में बली अवस्था में हैं। ऐसे में कई राशियों को इसके अशुभ परिणाम देखने को मिल सकते हैं। आइये जानते हैं कि किन राशियों को इस दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
इसके साथ ही ‘सम सप्तम योग’ ज्योतिष में एक ऐसा योग है जो तब निर्मित होता है. जब कुंडली के सातवें भाव के स्वामी, बारहवें भाव में होता है, जो हानि और व्यय का भाव कहलाता है। ज्योतिष में यह योग एक अशुभ योग माना जाता है, क्योंकि सातवें भाव का स्वामी जीवनसाथी, रिश्तों और साझेदारी का प्रतिनिधित्व करता है और जब यह बारहवें भाव में होता है, तो यह जीवन के इन क्षेत्रों में कठिनाइयों और बाधाओं के साथ-साथ वित्तीय नुकसान का भी संकेत दे सकता है। हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि इस योग का समग्र प्रभाव सातवें स्वामी की शक्ति और स्थिति के साथ-साथ किसी व्यक्ति की कुंडली के अन्य कारकों पर निर्भर करेगा।
सम सप्तम योग : इन चार राशियों पर होगा अशुभ प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार, सूर्य-शनि एक-दूसरे के सातवें भाव विराजमान हो चुके हैं ऐसे में ‘समसप्तक’ योग का प्रभाव प्रबल होता है। ज्योतिष के अनुसार, इस ‘समसप्तक योग’ के कारण सभी 12 राशियों के जातकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, परन्तु इनमें से 4 राशि के जातकों को ज्योतिष के अनुसार 17 अगस्त तक विशेष सतर्क रहने की आवश्यकता है।
ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार, मिथुन,सिंह, धनु और कुंभ राशि के जातकों पर सूर्य-शनि के द्वारा बने अशुभ ‘समसप्तक योग’ का प्रभाव देखने को मिलेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इन चार राशि वाले जातकों को अपने कार्य में असफलता मिलने की सम्भावना है। साथ ही इन जातकों को कार्य को लेकर तनाव की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, धन हानि की प्रबल संभावना भी दिखाई दे रही है। निवेश संबंधी कार्यों में नुकसान हो सकता है। इसके साथ ही लड़ाई- झगड़े और वाद-विवाद की स्थिति भी बनती नजर आ रही है। स्वास्थ्य संबंधी कोई गंभीर बीमारी होने की संभावना हो सकती है। ऐसे में सतर्क रहने की सलाह है।
समसप्तक योग: पूजा व अनुष्ठान
ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में शनि ग्रह के अशुभ दोष को कम करने हेतु शनि पूजा का विशेष महत्व होता है। इस श्रावण मास के पवित्र महीने में भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने के लिए भगवान शिव जी की उपासना की जाती है। सूर्य-शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए सावन के महीने में भगवान शिव और शनि देव की पूजा करना शुभ फलदायी सिद्ध हो सकता है। इसलिए सावन के महीने के हर शनिवार के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करने और शनि पूजा करने से लाभ मिलता है। ज्योतिष के अनुसार, इस बार प्रदोष व्रत पूजा करने पर शनि ग्रह से मिलने वाली का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है। पहला प्रदोष व्रत 25 जुलाई और दूसरा 8 अगस्त को होगा।
समसप्तक योग: किए जाने वाले उपाय
वैदिक ज्योतिष में, ‘समसप्तक’ के दुष्प्रभाव से बचने हेतु कुछ विशेष उपाय बताया गया है, जिससे की इस योग से होने वाले अशुभ प्रभाव को कम कर सकते हैं, इस योग के अशुभ प्रभाव को संकट मोचन हनुमान जी की विधिवत पूजा और उन्हें सिंदूर अर्पित कर, दूर किया जा सकता है। इसके अलावा गेहूं और मसूर की दाल का दान करना भी एक श्रेष्ठ उपाय बताया गया है।
समसप्तक योग से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ
Q. समसप्तक योग क्या होता है?
An.असल में जब कोई दो ग्रह अलग-अलग राशियों में सातवें स्थान पर होते हैं तो उस स्थिति को समसप्तक योग कहते हैं. ऐसे में 1 जुलाई को जब मंगल सिंह राशि में गोचर करेंगे, तो उस समय शनि कुंभ राशि में सातवें स्थान पर होंगे।
Q. क्या समसप्तक योग अशुभ होता है?
An.ज्योतिष के अनुसार, समसप्तक योग कुछ राशियों के लिए अच्छा तो कुछ राशियों के लिए अशुभ फल प्रदान करता है।
Q. ज्योतिष में शनि और मंगल की युति से कौन सी तीन राशियों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा?
An.ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मकर राशि, मेष राशि व कन्या राशि के लोगो को अधिक सावधान रहने की सलाह दी गई है।
Q. क्या, समसप्तक योग अशुभ परिणाम देता है?
An. हां, ज्योतिष में समसप्तक योग को अशुभ माना गया है।