ज्योतिष में- लावण्या योग
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जब कुंडली में, ग्रहों की दशा और अंतर्दशा का प्रभाव राशि चक्र पर पड़ता है तो, ज्योतिष के द्वारा उनके परिणाम को योग व दोष की संज्ञा दी जाती है। इसके अलावा जब ये ग्रह किसी जातक की जन्म कुंडली में जन्म स्थान से होकर गुजरते हैं तो जीवन पर उसका प्रभाव तो स्वाभाविक रूप से होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए आज के इस ‘मंगल भवन’ के लेख में हम कुंडली में बनने वाले महत्वपूर्ण योग ‘लावण्या योग’ के बारे में विस्तार से जानेंगे! जातकों से आशा करते हैं लेख में दी गई जानकारी आपके लिए उपयुक्त सिद्ध हो-
लावण्या योग (Lavanya yoga)
जिस प्रकार कुंडली में हर विशेष योग का अलग महत्व होता है; उसी प्रकार आज हम बात करेंगे, ‘लावण्या योग’ के बारे में! ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से समझे तो, यह योग जातक को आत्मविश्वास और पराक्रम से परिपूर्ण बनाता है। ऐसे जातक में मजबूत आत्मविश्वास और दृढ़ शक्ति होती है। जिसमें, लग्न का स्वामी जातक को बलवान, स्वस्थ, यशस्वी होने का आशीर्वाद देता है। इसके साथ ही, ज्योतिष इस बात की भी पुष्टि करते हैं कि, कोई ग्रह तब अधिक बलवान होता है; जब स्वामी भी अपने ही भाव में स्थित हो, साथ ही, यह बिना किसी अशुभ ग्रह की संगति के जातक को स्वस्थ, समृद्ध और सफल बनाता है। लेकिन, कभी-कभी परिणाम भी ग्रहों, राशियों और कुंडली में भावों (घरों) के महत्व के अनुसार भिन्न-भिन्न हो सकते हैं।
जैसे, ज्योतिष में लावण्या का अर्थ है ‘अनुग्रह और सुंदरता’ और यह योग जिस जातक की जन्म कुंडली में निर्मित होता है उसके लिए आंतरिक और बाहरी दोनों सुंदरता प्रदान करने की भूमिका में होता है। इसके साथ ही, लावण्या योग एक बहुत ही शुभ योग है जो तब बनता है जब लग्नेश लग्न में होता है और चतुर्थेश के साथ होने पर जातक को सुख, आनंद, सम्पन्नता, खुशी, धन-संपत्ति और भौतिक संसाधनों का सुख प्रदान करेगा। आगे लेख में हम ग्रहों के साथ लावण्या योग के प्रभाव के बारे में पढ़ेंगे-
विभिन्न ग्रहों के साथ- लावण्या योग
- सूर्य ग्रह- कुंडली में, यदि लग्न का स्वामी सूर्य हो तो वह पराक्रम और क्रोध और आवेग पूर्ण स्वभाव प्रदान करेगा।
- चन्द्र ग्रह – चंद्रमा कटक को, विनम्र, आकर्षक रूप, सहानुभूतिपूर्ण और धनवान होने का प्रभाव देगा।
- मंगल ग्रह- मंगल जातक को साहसी, आवेगी, चोट लगने वाला बना देगा; बुध आपको बुद्धिमान, बुद्धिमान और विद्वान बनाएगा।
- गुरु बृहस्पति ग्रह- बृहस्पति के साथ होने पर यह जातक को ज्ञान, बुद्धि और धार्मिक विचारों वाला बनाएगा।
- शुक्र ग्रह- शुक्र के साथ होने पर यह योग जातक को युवा, धनवान और महिलाओं से अनुग्रह प्रदान करेगा।
- शनि ग्रह- शनि के साथ यह योग होने पर जातक को दृढ़ संकल्प देगा, घटनाओं में देरी करेगा और बीमारियां भी दे सकता है।
इसी के साथ ज्योतिष में, ‘लावण्या योग’ का फल लग्न स्वामी के विभिन्न भावों और राशियों पर भी निर्भर करता है।
कुंडली में- कैसे बनता है “लावण्या योग”?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, लग्नेश का लग्न में होना और चतुर्थेश से युक्त होना ‘लावण्या योग’ का निर्माण करता है। इसके अलावा इस योग में कई ग्रहों के संयोजन होते हैं जो ग्रहों, कुंडली के भावों और राशियों की संगति और उनके गुणों पर निर्भर करते हैं।
लावण्या योग से होने वाले प्रभाव
ज्योतिष में, लावण्या योग से जातक के जीवन में कुछ इस प्रकार के प्रभावों के बारे में बताया गया है! जो इस प्रकार हैं-
- इस योग के प्रभाव में जातक सफलता की ओर मार्ग प्रशस्त करने का साहस और दृढ़ संकल्प से युक्त बनता है।
- ऐसे लोग धार्मिक मान्यताओं को मानने वाले होते हैं।
- इन जातकों को अपने कार्य के प्रति विशेष रूचि होती है और बहुत मन लगाकर काम करते हैं। व अपने कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं।
- चूंकि, ऐसे जातक धर्म का पालन करने वाले होते हैं अतः उनके बहुत सारे अनुयायी होते हैं।
- ऐसे जातक धनवान और समृद्ध शाली होते हैं। साथ ही, विद्वान और बुद्धिमान होते हैं और बहुत सी, संपत्ति और अचल संपत्ति जमा करेंगे।
- स्वास्थ्य सम्बन्धी मामले में ये जातक भाग्यशाली होते हैं और लम्बी आयु के साथ स्वस्थ जीवन जीते है।
- इन जातकों का वैवाहिक जीवन सौहार्दपूर्ण रहेगा।
- समाज और अपने क्षेत्र में बहुत नाम, प्रसिद्धि और सम्मान अर्जित करेंगे।
- परिवार में बहुत प्यार और सम्मान मिलेगा।
- आप अपने निर्णय पर दृढ़ रहेंगे।
लावण्या योग- आंशिक और नकारात्मक संयोग
इसके अलावा, लावण्या योग का दहन एवं प्रतिगामी प्रभाव की बात करें तो, अस्त और वक्री ग्रह लावण्या योग का निर्माण नहीं करते हैं।
- वैदिक ज्योतिष की गणना के अनुसार, यदि लग्नेश या चतुर्थेश अशुभ ग्रह से युक्त हो तो यह लावण्या योग को रद्द कर देता है।
2. इसके अलावा, लावण्या योग में यदि ग्रह शुभ स्थिति में नहीं हैं या किसी अशुभ ग्रह के साथ संबंध है तो यह जातक के लिए समस्या और बाधाएं देने वाला होता है।
कुंडली में- लावण्या योग के प्रभाव को बलि करने के उपाय
- ज्योतिष में, यदि किसी जातक की कुंडली में, शुभ योग बनने पर भी प्रभाव प्राप्त नहीं हो रहें है तो, ऐसे जातक को कुछ आसान उपाय करना चाहिए! जो इस प्रकार हैं-
2. अपने कर्मचारियों और सहकर्मियों के साथ सम्मान का व्यवहार करें।
3. जातकों को व्यवस्थित और अनुशासित जीवन व्यतीत करना चाहिए। और दूसरों से ईर्ष्या का भाव न रखते हुए दया का भाव रखना चाहिए।
4. धार्मिक एवं आध्यात्मिक मान्यताओं का पालन करें।
5.जरुरत मंदों और गरीबों को भोजन और अन्य दान जैसे सत्कर्म करें या फिर आप मंदिर में दान भी दे सकते हैं।
6. जीवन में विनम्रता आयुर सद्भावना का भाव बनाए रखें।
7. ईमानदारी और सच्चाई का पालन करें।
8.अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए जल्दबाजी और गलत निर्णय लेने से बचें और अपने निर्णयों के प्रति सजग और आत्मविश्वासी रहें।
9.अशिष्ट व्यवहार नहीं करें और छल-कपट से दूर रहें।
10. क्रोध और आवेग में न आएं।
11. अपने विचारों, शब्दों और कार्यों में उदारता का पालन करें।
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FAQS \ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q. क्या होता है, कुंडली में लावण्या योग?
An. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, लग्नेश का लग्न में होना और चतुर्थेश से युक्त होना ‘लावण्या योग’ का निर्माण करता है। इसके अलावा इस योग में कई ग्रहों के संयोजन होते हैं जो ग्रहों, कुंडली के भावों और राशियों की संगति और उनके गुणों पर निर्भर करते हैं।
Q. कुंडली में लावण्या योग के क्या प्रभाव होते हैं?
An. ज्योतिष में लावण्या का अर्थ है ‘अनुग्रह और सुंदरता’ और यह योग जिस जातक की जन्म कुंडली में निर्मित होता है उसके लिए आंतरिक और बाहरी दोनों सुंदरता प्रदान करने की भूमिका में होता है। इसके साथ ही, लावण्या योग एक बहुत ही शुभ योग है जो तब बनता है जब लग्नेश लग्न में होता है और चतुर्थेश के साथ होने पर जातक को सुख, आनंद, सम्पन्नता, खुशी, धन-संपत्ति और भौतिक संसाधनों का सुख प्रदान करेगा।
Q. कुंडली में लावण्या योग का प्रभाव रद्द कैसे हो जाता है?
An. वैदिक ज्योतिष की गणना के अनुसार, यदि लग्नेश या चतुर्थेश अशुभ ग्रह से युक्त हो तो यह लावण्या योग को रद्द कर देता है। इसके अलावा, लावण्या योग में यदि ग्रह शुभ स्थिति में नहीं हैं या किसी अशुभ ग्रह के साथ संबंध है तो यह जातक के लिए समस्या और बाधाएं देने वाला होता है।
Q. सूर्य ग्रह के साथ लावण्या योग का क्या प्रभाव होता है?
An. कुंडली में, यदि लग्न का स्वामी सूर्य हो तो वह पराक्रम और क्रोध और आवेग पूर्ण स्वभाव प्रदान करेगा।