Karkotak Kaalsarp | कर्कोटक कालसर्प योग | क्या होता है, प्रभाव एवं किन उपायों को करना चाहिए

कर्कोटक कालसर्प योग

Karkotak Kaalsarp

कर्कोटक कालसर्प योग:  जब केतु द्वितीय भाव में,  राहु अष्टम भाव में विराजित हो तब “कर्कोटक कालसर्प योग” बनता है। पूर्व में उल्लेख के अंतर्गत, ऐसे जातकों के भाग्योदय में इस योग की वजह से मुसीबत का सामना करना पड़ता है। ऐसे जातकों को नौकरी मिलने तथा पदोन्नति होने में बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दोष के कारण समय-समय पर व्यापार में भी हानि उठानी पड़ती है; कठिन परिश्रम के बावजूद भी उन्हें संपूर्ण लाभ नहीं मिल पाता।

कर्कोटक कालसर्प योग: प्रभाव 

इन जातकों को नौकरी मिलने व पदोन्नति में भी बहुत सी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। अकस्मात ये अपने बड़े ओहदे से छोटे ओहदे पर काम करने जैसे दंड का भी भुगतना करते हैं। पैतृक संपत्ति से भी ये जातक भरपूर लाभ नहीं ले पाते। व्यापार में भी हानि का उठानी पड़ सकती है। इनका कोई भी कार्य सुचारू या बिना विघ्न के नहीं हो पाता। परिश्रम के अनुरूप के संपूर्ण लाभ नहीं मिलता। मित्रों एवं सहयोगियों से धोखा प्राप्त करते हैं। शारीरिक रोग व मानसिक परेशानियों से ग्रस्त इन जातकों को अपने कुटुंब व रिश्तेदारों के बीच भी यथा सम्मान नहीं मिलता। अनेक व्याधियों के चलते इनका स्वभाव चिड़चिड़ा व मुंहफट बोली इन्हें अनावश्यक ही कई झगड़ों में डाल देती है। उधार दिया गया धन भी वापस नहीं आता है। इन जातकों में शत्रु षड्यंत्र व अकाल मृत्यु का भय बना रहता है। 

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यदि कोई जातक इस योग से अधिक समस्या का अनुभव करते हैं। उन्हें ज्योतिष द्वारा बताए गए निम्न उपाय कर लाभ प्राप्त करना चाहिए। यदि यथार्थ में कालसर्प योग हानिकारक हो तो उसकी शांति जातक को बचपन में ही करवा लेनी चाहिए।  जिससे जातक का भविष्य उज्जवल तथा सुखमय व्यतीत हो।  इस बात का सदैव ध्यान रखें कि किसी भी ग्रह की शान्ति से उसका पूर्ण दोष समाप्त नहीं होता; बल्कि कुछ आसान से उपायों व पूजा विधि से यह प्रभाव कुछ हद तक कम हो जाता है।  अतः थोड़ा संघर्ष तो करना पड़ता है किन्तु सफलता मिल जाती है। आंशिक कालसर्प दोष हेतु पहले छोटे-छोटे उपाय अवश्य कर लेना चाहिए। बहुत से आंशिक काल सर्प दोष को छोटी पूजा या छोटे-छोटे उपाय से भी इसके नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है।

कर्कोटक कालसर्प योग
कर्कोटक कालसर्प योग

कर्कोटक कालसर्प योग: महत्वपूर्ण उपाय –

  • नियमित रूप से हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें, तथा पांच मंगलवार का व्रत कर हनुमान जी को चमेली के तेल में घुला सिंदूर व बूंदी के लड्डू अर्पित करें।
  • कालसर्प दोष निवारण यंत्र को अभिमंत्रित कर अपने  घर में स्थापित करें एवं प्रतिदिन पूजन करें।
  • शनिवार को कटोरी में सरसों का तेल लेकर उसमें अपना मुंह देख एक सिक्का अपने सिर पर तीन बार घुमाते हुए तेल में डाल दें और उस कटोरी को किसी गरीब को दान कर दें या पीपल की जड़ में अर्पित कर दें।
  • सवा महीने तक जौ के दाने पक्षियों को खिलाएं। प्रत्येक शनिवार को चींटियों को शक्कर मिश्रित सत्तू उनके बिलों में डालें।
  • बेडरूम में लाल रंग के पर्दे, चादर व तकियों का प्रयोग करें।
  • किसी शुभ मुहूर्त में सूखे नारियल के फल को बहते जल में प्रवाहित करें तथा किसी शुभ मुहूर्त में शनिवार के दिन बहते पानी में तीन बार कोयला भी प्रवाहित करें।

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कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ



Q- कैसे निर्मित होता है, कर्कोटक कालसर्प योग?

An- जन्म कुंडली में जब केतु द्वितीय भाव में तथा राहु अष्टम भाव में विराजित हो तब “कर्कोटक कालसर्प योग” बनता है।

Q- कर्कोटक कालसर्प योग में जातक पर क्या प्रभाव पड़ता है?

An- ऐसे जातकों के भाग्योदय में इस योग की वजह से मुसीबत का सामना करना पड़ता है।

Q- कर्कोटक कालसर्प दोष की पूजा हेतु कौन से दिन शुभ होते हैं?

An- कर्कोटक कालसर्प दोष की पूजा हेतु पंचमी, चतुर्दशी एवं रविवार का दिन शुभ माना  जाता है।

Q- कर्कोटक कालसर्प दोष का प्रभाव कितने वर्षों तक रहता है?

An- यदि इस दोष की शांति न कराई जाए तो जातक को 42 वर्षों तक संघर्ष करना पड़ता है।

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