ज्योतिष में- Chandika yog (चंडिका योग)
जब कुंडली में, ग्रहों की दशा और अंतर्दशा का प्रभाव राशियों पर पड़ता है तो, ज्योतिष के द्वारा उनके परिणाम को योग व दोष के माध्यम से ज्ञात किया जाता है। इसके अलावा जब ये ग्रह किसी जातक की जन्म कुंडली में जन्म स्थान से होकर गुजरते हैं तो प्रभाव तो स्वाभाविक रूप से होता है। इसी श्रंखला को आगे बढ़ाते हुए आज के इस ‘मंगल भवन’ के लेख में हम कुंडली में बनने वाले महत्वपूर्ण योग ‘चंडिका योग’ के बारें में जानकारी प्राप्त करेंगे! आशा करते हैं लेख में दी गई जानकारी पाठकों के लिए उपयुक्त सिद्ध हो-
कुंडली में- चंडिका योग
क्या आप जानते हैं? कुंडली में ‘चंडिका योग’ क्या होता है और कैसे बनता है! ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस जातक की जन्म कुंडली में, चंडिका योग बनता है तो, यह बहुत ही, शुभ और जबरदस्त सौभाग्य व सफलता दिलाने वाला योग माना गया है! और साथ ही यह जातक को स्वर ( आवाज) संबंधित तेज और सुरक्षा प्रदान करता है। इतना ही नहीं, वैदिक ज्योतिष में यह ‘चण्डिका योग’ सबसे आशाजनक संयोजनों में से एक माना गया है जो, जातक को साहस, शक्ति और अपने दुश्मनों या प्रतिस्पर्धियों पर जीत हासिल करने का आशीर्वाद देता है। आगे लेख में हम जानेंगे कि यह योग कुंडली में कौन से ग्रहों के संयोजन से बनता है?
ज्योतिष में- कैसे निर्मित होता है चण्डिका योग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंडिका योग कुंडली में तब बनता है; जब जातक का लग्न ( जन्म के समय पूर्व में उदय होने वाला चिन्ह) एक स्थिर राशि जैसे वृष, सिंह, वृश्चिक या कुंभ हो और जातक की कुंडली के छठे और नौवें भाव के स्वामी का सूर्य ग्रह से सम्बन्ध हो और लग्न कुंडली में छठे भाव के स्वामी की दृष्टि जातक के लग्न पर हो।
ज्योतिष में- चंडिका योग का अर्थ
हमारे ज्योतिष आचार्यों का कहना है कि, जातक की जन्म कुंडली में चंडिका योग एक शक्तिशाली ज्योतिषीय संयोजन को दर्शाता है; जिससे जातक में श्रेष्ठ गुणों का संचार भी होता है और विकास भी होता है! इसके साथ ही, जब किसी जातक की जन्म कुंडली में यह शुभ योग मौजूद होता है, तो यह इस बात का भी सूचक है कि उस जातक के पास बड़ी से बड़ी बाधाओं को दूर करने और सफलता प्राप्त करने की एक अद्वितीय शक्ति भी होती है।
कुंडली में- विभिन्न भावों में चंडिका योग के नियम
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंडिका योग बनाने के लिए, जातक का लग्न (उदीयमान राशि) स्थिर होना चाहिए ! यानि वे राशियाँ वृषभ, सिंह, वृश्चिक या कुंभ होनी चाहिए।
- इसके साथ ही, कुंडली में जातक के नवमांश चार्ट का स्वामी, जो भाग्य को दर्शाता है, को छठे भाव में होना चाहिए साथ ही, सूर्य ग्रह के साथ होना चाहिए।
- भाग्य और आध्यात्मिकता को दर्शाने वाले नौवे भाव का स्वामी भी कुंडली में सूर्य के साथ होना चाहिए।
- जातक के छठे भाव का स्वामी, जो शत्रुओं और स्वास्थ्य से सम्बन्धित होता है, उसकी दृष्टि लग्न पर निश्चित रूप से होगी।
- वृषभ और वृश्चिक लग्न के लिए, छठा भाव का स्वामी जातक के लग्न का स्वामी भी है, इसलिए यह योग सौभाग्य का प्रतीक होता है।
- हालांकि, सिंह और कुंभ लग्न के लिए, छठे भाव का स्वामी शत्रु है, जो संभवतः नकारात्मक प्रभाव दे सकता है।
- कुंडली का लग्न, छठे नौवें भाव के स्वामी को नकारात्मक ग्रह के प्रभाव में होना भी, चंडिका योग के निर्माण के लिए उपयुक्त स्थिति नहीं है।
कुंडली में- चंडिका योग के लाभ\प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में ‘चंडिका योग’ जातक के जीवन में अपार संभावनाओं और शुभता के मार्ग को खोलता है। जिसमें कुछ प्रभाव इस प्रकार हैं-
- बेहतर स्वास्थ्य और दीर्घायु
चंडिका योग के प्रभाव से जातक को, अच्छा स्वास्थ्य और लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही, जातकों की शारीरिक शक्ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है! परिणाम स्वरूप जातकों का अच्छा स्वास्थ्य हर प्रकार की चुनौतियों से जूझने के लिए एक स्वस्थ और मजबूत मस्तिष्क प्रदान करता है।
- शत्रुओं पर विजय और मान सम्मान की प्राप्ति
चंडिका योग के प्रभाव से जातक को, अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने ,में सहायता मिलती है। इसके साथ ही, ऐसे जातकों की श्रेष्ठ नेतृत्व और सकारात्मक शक्ति दूसरों के लिए की प्रेरणा का काम करेगी। जिससे ये जातक समाज और अपने क्षेत्र में मान-सम्मान और प्रसिद्धि प्राप्त करेंगे।
- सौभाग्य में वृद्धि और धन प्राप्ति
चंडिका योग के शुभ प्रभाव से जातक के सौभाग्य में वृद्धि होती है और साथ ही, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसे जातकों के पास अपने काम या व्यवसाय के माध्यम से धन आगमन के नए अवसर प्राप्त होते हैं। साथ ही, वे अपने सफल जीवन के लिए एक सफल करियर या राजनीतिक स्थिति तक भी जा सकते है। ऐसे जातक अपने निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ते रहते हैं।
- आध्यात्म और धर्म में रूचि
कुंडली में, चंडिका योग के प्रभाव से जातक की रुचि आध्यात्मिक और धार्मिक गतिविधियों में अधिक होती है। ऐसे जातक जप, पवित्र ग्रंथ पढ़ने या पवित्र स्थानों की तीर्थयात्रा की ओर अधिक आकर्षित हो सकते हैं। यानी कुल-मिलाकर योग के प्रभाव में जातक परमात्मा के साथ अपने रिश्ते को मजबूत करने का लाभ ले सकते हैं।
ज्योतिष में- चंडिका योग को मजबूत करने हेतु उपाय
चंडिका योग के शुभ प्रभाव से जातक के सफल होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। लेकिन, यह जातक पर निर्भर करता है कि, वह अपनी श्रेष्ठ क्षमता को कैसे उपयोग करते हैं- आइए जानते हैं, कुंडली में ‘चंडिका योग’ को मजबूत करने के लिए ज्योतिष में क्या उपाय बताए गए हैं-
- जिस जातक की जन्म कुंडली में यह योग बन रहा हो तो, ऐसे जातक को, सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर रखने के लिए प्रतिदिन मंदिर जाना चाहिए! और चंडिका मंत्र का जाप करके मां चंडिका देवी की आराधना करना चाहिए। माँ चंडी का मंत्र इस प्रकार है –
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
अपनी शक्ति और पद का जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग करना चाहिए और उन्हें अच्छे कामों में लगाना चाहिए।
जातक को आध्यात्मिक पुस्तकें पढ़ना चाहिए और अपने चरित्र को श्रेष्ठ और मजबूत रखना चाहिए।
जातक को विनम्र होना चाहिए और किसी प्रकार के कानून का उल्लंघन नहीं करना चाहिए
दूसरों के साथ हमेशा दयालुता का भाव रखना चाहिए।
निष्कर्ष
लेख में दी गई जानकारी और हमारे ‘मंगल भवन’ के वरिष्ट और अनुभवी ‘ज्योतिष आचार्यों’ की गणना के अनुसार, ‘चंडिका योग’ एक बहुत ही शुभ, शक्तिशाली और दिलचस्प संयोजन है। हालांकि, ज्योतिष में यह शुभ योग जातक के जीवन में सफलता, ख्याति, धन, और सुरक्षा का सामंजस्य लाता है! लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि जातक अपने सामर्थ्य का उपयोग कैसे और कहां करते हैं। यानी कुल-मिलाकर योग के शुभ और शक्तिशाली प्रभाव को सत्ता में रहते हुए भी अच्छे कर्म करने में उपयोग किए जाए तो, चंडिका योग अपना शुभ और श्रेष्ठ असर निश्चित रूप से दिखाएगा
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FAQS
Q. कुंडली में, चंडिका योग कब निर्मित होता है?
An. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंडिका योग कुंडली में तब बनता है; जब जातक का लग्न ( जन्म के समय पूर्व में उदय होने वाला चिन्ह) एक स्थिर राशि जैसे वृष, सिंह, वृश्चिक या कुंभ हो। इसी समय, जातक के छठे और नौवें भाव के स्वामी कुंडली में सूर्य ग्रह से जुड़े और छठे भाव के स्वामी की दृष्टि जातक के लग्न पर हो।
Q. क्या, चंडिका योग एक शुभ योग है?
An. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस जातक की जन्म कुंडली में, चंडिका योग बनता है तो, यह बहुत ही, शुभ और जबरदस्त सौभाग्य व सफलता दिलाने वाला योग माना गया है! और साथ ही यह जातक को स्वर ( आवाज) संबंधित तेज और सुरक्षा प्रदान करता है।
Q. क्या चंडिका योग सभी की कुंडली में बनता है?
An. नहीं, चण्डिका योग सभी जातकों की जन्म कुंडली में नहीं बनता है।
Q. ज्योतिष में, चंडिका योग का क्या महत्व है?
An. वैदिक ज्योतिष में यह ‘चण्डिका योग’ सबसे आशाजनक संयोजनों में से एक माना गया है जो, जातक को साहस, शक्ति और अपने दुश्मनों या प्रतिस्पर्धियों पर जीत हासिल करने का आशीर्वाद देता है।