ज्योतिष में- भास्कर योग
हमारी भारतीय संस्कृति में, सूर्य देवता को कई नामों से जाना जाता है! जिनमे से एक प्रमुख नाम भास्कर भी है। सूर्य देव के नाम पर ही एक बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण योग है ‘भास्कर योग’ जो की बहुत कम लोगो की कुंडली में बनने वाला दुर्लभ योग माना जाता है। इस योग के बनने से जातक को कई शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है! तो आइए आज के इस ‘मंगल भवन’ के लेख में हम इस दुर्लभ ‘भास्कर योग’ के बारे में पढ़ेंगे-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य को ग्रहों का राजा कहा गया है! जो कि जातक को शुभ फल देने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है! ऐसे ही, भास्कर योग भी एक बहुत ही, शुभ फलदायी योग माना गया है; जो कि कुंडली में, तब बनता है जब बुध सूर्य से द्वितीय भाव में होता है और बुध से ग्यारहवें भाव में चन्द्रमा और पांचवे अथवा नौवें भाव में, गुरु की उपस्थिति हो ! इस प्रकार ग्रहों के इस दुर्लभ संयोग के कारण कुंडली में यह महान योग निर्मित होता है। ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार, जिस जातक की जन्म कुंडली में यह योग बनता है ऐसे जातक धन वैभव से परिपूर्ण होते हैं, उन्हें भूमि, भवन और वाहन संबंधी सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही, ऐसे जातकों की रुचि कला के प्रति अधिक होती है; और वे सदैव दूसरों के लिए प्रेम और सद्भावना रखने वाले होते हैं।
ज्योतिष में- भास्कर योग
जब सूर्य से दूसरे भाव में बुध, बुध से ग्यारहवें भाव में चंद्रमा और चंद्रमा से ‘त्रिगुट’ यानी पांचवें या नौवें भाव में बृहस्पति गुरु ग्रह विराजमान हो तो, जन्म कुंडली में इन ग्रहों के संयोजन से बनने वाले इस योग को भास्कर योग (Bhaskara yoga) के नाम से जाना जाता है। इस योग में जन्म लेने वाले जातक बहुत परिश्रमी, रूपवान, गंधर्व, विद्या का ज्ञाता, धनी, गणितज्ञ, धीर समर्थवान् और कई शास्त्रों के ज्ञाता होते है।
कुंडली में बनने वाला यह योग (भास्कर योग) एक बहुत ही प्रभावशाली और भाग्यशाली योग भी माना जाता है जो, जातक को बौद्धिक रूप से ज्ञान और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में सहायक होता है! इतना ही नहीं, इस योग के शुभ प्रभाव में जातक दयालु और ईमानदार भी बनते है। ऐसे जातक अपने जीवन में दूसरों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बनते हैं और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य से दूसरे भाव में बुध ग्रह, बुध से ग्यारहवें भाव में चंद्र ग्रह और चंद्रमा से पांचवें या नौवें भाव में बृहस्पति ग्रह विराजमान है तो, कुंडली में भास्कर योग (Bhaskara yoga) बनता है। इस योग के बनने से जातक निडर, विद्वान, आकर्षक,योग्य होने के साथ-साथ आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
कुंडली में- भास्कर योग का महत्व
ज्योतिष की दृष्टि से बात करें तो, कुंडली में बनने वाला ‘भास्कर योग’ एक लाभकारी योग है जो चंद्रमा, सूर्य और बुध ग्रहों क्रमिक रूप से तीन घरों में आते हैं, भले ही इन घरों में कोई भी राशि हो, और बृहस्पति चंद्रमा के साथ त्रिकोणीय स्थिति में हो। आप में किसी भी चुनौती का सामना करने का साहस और आत्मविश्वास रहेगा।
सूर्य चंद्रमा और बुध के बीच होगा, जो आपको बौद्धिक और भावनात्मक दोनों स्तरों पर अधिक लचीला बनने में मदद करेगा। चंद्रमा पर बृहस्पति की दृष्टि योग की अनुकूल परिणाम देने की क्षमता को बढ़ाएगी। बृहस्पति की बुध पर दृष्टि आपको एक बेहतरीन व्यवसायी बनाएगी।
ज्योतिष में- भास्कर योग के प्रभाव
कुंडली में जब कोई शुभ या अशुभ योग बनता है, तो यह जातक के जीवन को प्रभावित करता है!जिसमें या तो जातक शुभ परिणाम प्राप्त करेंगे या तो अशुभ फलों को प्राप्त करते है- ऐसे ही, भास्कर योग के बनने से भी जातक के जीवन में कुछ परिवर्तन होते हैं! जो इस प्रकार हैं-
- भास्कर योग के शुभ परिणाम में जातक को तीव्र बुद्धि प्राप्त होगी और वे कई विषयों का ज्ञान प्राप्त करेंगे।
- ऐसे जातक के लक्ष्य बहुत स्पष्ट होंगे।
- दूसरों के प्रति उनका सद्भावना का व्यवहार उन्हें दूसरों के बीच सकारात्मक होने की क्षमता प्रदान करेगा।
- परिवार में बहुत मान-सम्मान मिलेगा।
- वित्त और निवेश क्षेत्र में अच्छी रुचि रहेगी।
- जीवन में अधिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
भास्कर योग- मजबूत करने के आसान उपाय
यदि आपकी कुंडली में यह शुभ भास्कर योग है तो, इन आसान ज्योतिष उपायों के द्वारा आप योग के शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं-
- अपने माता-पिता, गुरुजनों और बुजुर्गों का सदैव सम्मान करें।
- किसी भी नजदीकी शिव मंदिरों में जरूरतमंदों को सामर्थ्यानुसार कपड़े और भोजन का दान करें।
- दूसरों के लिए सद्भावना, दया और विनम्रता का भाव रखें और हमेशा दूसरों की मदद करें।
- शनिवार के दिन शराब और व्यसन पदार्थों का सेवन करने से दूर रहें।
- मांसाहार भोजन नहीं करें।
इस लेख में हमने महत्वपूर्ण ‘भास्कर योग’ के बारे में जानकारी दी, इसी प्रकार से कुंडली में कई महत्वपूर्ण और शुभ योग बनते हैं जैसे- दुरुधरा योग, अमला योग, अरिष्ट योग और अन्य विशेष योग जिनका प्रभाव जीवन में प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है! एन योग के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए ‘मंगल भवन के लेख’ आशा करते हैं लेख में दी गई जानकारी आप सभी के लिए उपयुक्त सिद्ध हो-
Read : End troubles in Marriage Life – Amala Yoga in Vedic Astrology
FAQS
Q. कुंडली में भास्कर योग कैसे बनता है?
An. भास्कर योग भी एक बहुत ही, शुभ फलदायी योग माना गया है; जो कि कुंडली में, तब बनता है जब बुध सूर्य से द्वितीय भाव में होता है और बुध से ग्यारहवें भाव में चन्द्रमा और पांचवे अथवा नौवें भाव में, गुरु की उपस्थिति हो !
Q. क्या, भास्कर योग शुभ योग है?
An. हां, ‘भास्कर योग’ जो की बहुत कम लोगो की कुंडली में बनने वाला दुर्लभ योग माना जाता है। इस योग के बनने से जातक को कई शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है!
Q. भास्कर योग, को मजबूत करने के लिए क्या उपाय बताए गए हैं?
An. अपने माता-पिता, गुरुजनों और बुजुर्गों का सदैव सम्मान करें।
किसी भी नजदीकी शिव मंदिरों में जरूरतमंदों को सामर्थ्यानुसार कपड़े और भोजन का दान करें।
दूसरों के लिए सद्भावना, दया और विनम्रता का भाव रखें और हमेशा दूसरों की मदद करें।
Q. जातक की कुंडली में भास्कर योग, के क्या प्रभाव होते हैं?
An. भास्कर योग के शुभ परिणाम में जातक को तीव्र बुद्धि प्राप्त होगी और वे कई विषयों का ज्ञान प्राप्त करेंगे।
ऐसे जातक के लक्ष्य बहुत स्पष्ट होंगे।
दूसरों के प्रति उनका सद्भावना का व्यवहार उन्हें दूसरों के बीच सकारात्मक होने की क्षमता प्रदान करेगा।