महत्व
‘योग’ का शाब्दिक अर्थ “मिलन” है, इसलिए ग्रहों का एक-दूसरे के साथ जुड़ना या संयोजन बनाना ‘योग’ कहलाता है। ज्योतिष में, अधिकांश योगों में एक से अधिक ग्रह का संयोजन होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी जातक की कुंडली में शुभ योग का निर्मित होना जातक के लिये बहुत ही भाग्यशाली माना जाता है। ये योग शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के हो सकते हैं! लेकिन यदि कुंडली में, कोई अशुभ योग बनते हैं तो, उसे दोष की संज्ञा दी जाती है। अतः हम योग को कुंडली में, शुभ फलदायी संयोग से परिभाषित कर सकते हैं। ज्योतिष में किसी भी जातक की कुंडली में जन्म के समय ग्रहों की जो स्थिति होती है! उनके आधार पर शुभ और अशुभ योग बनते हैं।
कुंडली में दोष- कैसे बनते हैं?
ज्योतिष के अनुसार, जन्म कुंडली में दोष बनने का मुख्य कारण ग्रहों की नकारात्मक या पीड़ित स्थिति होती है। इसके अलावा, जब कोई ग्रह कुंडली के किसी नीच भाव में या फिर जातक की लग्न, राशि पर क्रूर या पापी ग्रहों की सीधी दृष्टि पड़ रही हो तो, ऐसी स्थितियां कुंडली में दोष को उत्पन्न करती हैं। पौराणिक मान्यताओं में, कुंडली में दोष कभी-कभी इस जन्म के साथ जातक के पूर्व जन्म से भी संबंधित हो सकते हैं। जिसके परिणामस्वरूप जब जातक की कुंडली में कोई दोष उत्पन्न हो रहा हो तो इस स्थिति में, संबंधित ग्रह के शुभ फल के स्थान पर जातक को नकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में, वैसे तो, कई शुभ योग के बारे में बताया गया है! जिनमें से कुछ विशेष और सकारात्मक परिणाम देने वाले योग के बारे में आज हम ‘मंगल भवन’ के इस लेख में जानेंगे- आशा करते हैं पाठकों को यह लेख पसंद आए!
यदि आप वैदिक ज्योतिष में थोड़ी भी रुचि रखते हैं, तो आपने “राजयोग” शब्द के बारे में जरूर सुना होगा। यह एक विशेष योग है जो कुंडली में मौजूद होने पर जातक को धनवान, स्वस्थ और समृद्ध बनाता है। राजयोग की तरह और भी कई विशेष योग हैं जिन्हें वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण माना जाता है। “योग” एक ऐसा पहलू है जो वैदिक ज्योतिष के लिए अद्वितीय है। योग अनिवार्य रूप से भावों और अन्य ग्रहों के संबंध में ग्रहों के विशेष संयोजन और स्थिति है।
ज्योतिष में- अमला योग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी जन्म कुंडली में शुभ ग्रहों की शुभ और सकारात्मक स्थिति एक आनंददायक और सफल जीवन जीने की कुंजी होती है। इसी के साथ, किसी कुंडली में शुभ और लाभकारी योगों का बनना अच्छे कर्मों का भी संकेत देती है। उसी प्रकार, जन्म कुंडली में दसवां भाव/घर बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। जो कि, पेशे और करियर से सम्बन्धित होता है। कुंडली के इन्हीं भावों और ग्रहों की कुछ विशेष स्थितियों व प्रभाव के कारण योग का निर्माण होता है। अतः, किसी भी जन्म कुंडली में कोई शुभ ग्रह दसवें भाव में होता है तो वह ‘अमला योग’ (Amala yoga) का निर्माण करता है। ‘अमला योग’ के शुभ प्रभाव से जातक को समाज में मान-सम्मान मिलता है। इस कारण जातक को, स्थायी प्रसिद्धि और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। इसके साथ ही, इस योग के शुभ प्रभाव से जातक अधिक धनवान होने के साथ-साथ प्रबल बुद्धि के भी होते हैं।
कुंडली में- अमला योग
वैसे तो, ज्योतिष के अनुसार, किसी भी जातक की जन्म कुंडली में ‘अमला योग’ का बनना कोई दुर्लभ संयोग नहीं है! क्योंकि, हर तीसरे जातक की जन्म कुंडली में यह योग बनता है! लेकिन हमारे ‘मंगल भवन’ ज्योतिषाचार्य का मानना है कि कुंडली में चन्द्रमा से या लग्न से दसवें भाव में शुभ ग्रह विराजमान होता है तो इस योग का निर्माण होता है ।जैसे, यदि कुंडली में, बुध, गुरु और शुक्र दसवें भाव में स्थित हो तो यह जातक को धन लाभ देते है और साथ ही, व्यापार करने वाले जातकों को भी अच्छा मुनाफा मिलता है और व्यापार में वृद्धि होती है।
- कुंडली में- गुरु ग्रह के साथ अमला योग
यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा या लग्न से दसवें भाव में गुरु ग्रह विराजमान हो तो, ऐसा जातक एक अच्छा वक्ता और श्रेष्ठ नेता बन सकता है! साथ ही, इन जातकों में अच्छी कल्पनाशीलता के साथ तीव्र बुद्धि भी होती है। इसके साथ ही, अमला योग का निर्माण करने वाले गुरु बृहस्पति का यह शुभ स्थान शिक्षक, प्रोफेसर, विद्वान, ज्योतिषी, प्रेरक वक्ता और राजनीतिक जन नेता के साथ-साथ एक श्रेष्ठ शिक्षक की तरह उन्नति, प्रसिद्धि और सफलता दिलाने का काम करते हैं।
- कुंडली में- शुक्र ग्रह के साथ अमला योग
यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा या लग्न भाव से दसवें भाव में शुक्र ग्रह विराजमान होते हैं तो, अमला योग का निर्माण होता है। इस कारण जातक, फिल्म या टेलीविजन उद्योग या किसी भी बड़े मीडिया रचनात्मक क्षेत्र में अपना करियर बनाने में सफलता प्राप्त करते हैं। सत्रह ही, इन जातकों को जीवन में अपार धन और समृद्धि प्राप्त होती है। शुक्र ग्रह की यह शुभ स्थिति जातक के वैवाहिक जीवन में भी सभी भोग-विलासिता के साधनों का सुख और समृद्धि लाती है।
- कुंडली में बुध के साथ अमला योग
यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा से या लग्न से दसवें भाव में बुध अमला योग बनता है तो, ऐसे जातक इंजीनियरिंग, एकाउंटिंग, बैंकिंग, उपन्यास लेखन और प्रिंट मीडिया की पत्रकारिता जैसे-करियर में सफलता प्राप्त करते हैं। साथ ही, ऐसे जातक भौतिकवादी सुख के प्रति आसक्त होते हैं और यह स्थिति जातक को धन प्राप्ति के लिए जागरूक भी करती है।
अमला योग से होने वाले लाभ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में अमला योग होने से जातक के जीवन में कुछ इस प्रकार प्रभाव देखने को मिलते हैं-
इस योग के शुभ प्रभाव से जातक को जीवन में सभी तरह की भौतिक सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं।
जन्म कुंडली में अमला योग के होने से जातक अपने विशेष और श्रेष्ठ कार्यों के द्वारा समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।
अमला योग के प्रभाव से जातक एक सभी में लोकप्रिय होते हैं।
इसके साथ ही, ऐसे जातक गुणवान, सात्विक, दानी और परोपकारी भी होता है।
कुंडली में इस योग के बनने से जातक के व्यापार में दिन-दूनी और रात चौगुनी सफलता प्राप्त होती है साथ ही, नौकरीपेशा जातकों को कार्यक्षेत्र में उच्च पद प्राप्त होता है।
कुंडली में-अमला योग के अशुभ होने पर प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि कुंडली के दसवें भाव में स्थित कोई ग्रह कमजोर या पीड़ित स्थिति में हो और अशुभ ग्रह के प्रभाव में हो तो अमला योग नहीं बनता है बल्कि यह कुंडली में दोष बन जाता है। जिसके परिणाम स्वरूप जातक को जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है और प्रत्येक कार्य में असफलता मिलती है। साथ ही ऐसे जातक को, समाज में भी मान-सम्मान और यश प्राप्त नहीं होता है। इसके साथ ही, अमला योग का फल कब नहीं मिलता है; आइए जानते हैं!
- यदि किसी जातक की कुंडली में लग्न भाव का स्वामी कमजोर हो या फिर छठे और आठवें भाव में हो तो यह अमला योग के शुभ प्रभाव को नष्ट कर देता है।
- कुंडली में चंद्रमा से दसवें भाव में यदि तीसरे, छठे, आठवें या व्यय भाव का कारक हो तो भी अमला योग का फलदायी परिणाम नहीं मिल पाता है।
- इसके अलावा, यदि चंद्रमा छठे या आठवें भाव का स्वामी हो तो जातक को इस योग का शुभ फल प्राप्त नहीं होता है।
- इसके विपरीत यदि जातक की कुंडली में चंद्रमा और शुक्र दोनों दसवें भाव में बैठे हो तो, ऐसे जातक का मन अस्थिर रहता है और वह कोई भी काम को समय पर पूरा नहीं कर पाता है। कार्यक्षेत्र में प्रमोशन और इंक्रीमेंट नहीं होता है। ऑफिस में भी, मानसिक दबाव की स्थिति बन जाती है।
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FAQS\ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-
Q. ज्योतिष में कुंडली के योग का क्या अर्थ होता है?
An. ‘योग’ का शाब्दिक अर्थ “मिलन” है, इसलिए ग्रहों का एक-दूसरे के साथ जुड़ना या संयोजन बनाना ‘योग’ कहलाता है। ज्योतिष में, अधिकांश योगों में एक से अधिक ग्रह का संयोजन होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी जातक की कुंडली में शुभ योग का निर्मित होना जातक के लिये बहुत ही भाग्यशाली माना जाता है।
Q. क्या अमला योग एक शुभ योग है?
An. हां, जिस भी जन्म कुंडली में कोई शुभ ग्रह दसवें भाव में होता है तो वह ‘अमला योग’ (Amala yoga) का निर्माण करता है। ‘अमला योग’ के शुभ प्रभाव से जातक को समाज में मान-सम्मान मिलता है। इस कारण जातक को, स्थायी प्रसिद्धि और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
Q. अमला योग के प्रभाव कब नष्ट होते हैं?
An. यदि किसी जातक की कुंडली में लग्नेश कमजोर हो या फिर छठे और आठवें भाव में हो तो यह अमला योग के शुभ प्रभाव को नष्ट कर देता है।
Q. कुंडली में, दोष कब बनते है?
An. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि कुंडली के दसवें भाव में स्थित कोई ग्रह कमजोर या पीड़ित स्थिति में हो और अशुभ ग्रह के प्रभाव में हो तो अमला योग नहीं बनता है बल्कि यह कुंडली में दोष बन जाता है। जिसके परिणाम स्वरूप जातक को जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है और प्रत्येक कार्य में असफलता मिलती है।