भारतीय धर्म में “वास्तु शास्त्र” को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसका मतलब होता है — वास्तुकला या निर्माण से जुड़ा विज्ञान। यह एक पारंपरिक तरीका है, जो पुराने ग्रंथों के आधार पर बना है। इस शास्त्र में बताया गया है कि घर या काम की जगह का नक्शा, दिशा, आकार और ज़मीन से जुड़ी बातें कैसी होनी चाहिए ताकि वहां सुख-शांति बनी रहे। भगवान विश्वकर्मा को वास्तु शास्त्र का निर्माता माना जाता है। आइए, इस लेख के ज़रिए वास्तु शास्त्र के बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या होता है, वास्तु शास्त्र ?
वास्तु शास्त्र में ‘वास्तु’ का मतलब होता है—वह जगह जहाँ हम रहते हैं, जैसे हमारा घर या मकान। आसान भाषा में कहें तो ‘वास्तु’ को हम ‘वस्तु’ भी कह सकते हैं। इसलिए, वास्तु शास्त्र वह ज्ञान है जो हमें इन चीज़ों और जगहों के बारे में बताता है।
ज्योतिष के अनुसार, वास्तु शास्त्र को कला, विज्ञान और आकाशीय गणना (खगोल विज्ञान) का एक मेल माना जाता है। यह एक पुराना भारतीय शास्त्र है जो घर बनाने से जुड़ी पूरी जानकारी देता है।
वास्तु शास्त्र को इसलिए बनाया गया था ताकि इंसान का जीवन और प्रकृति आपस में संतुलन में रह सकें। इसमें बताया गया है कि जल, अग्नि, वायु, आकाश और पृथ्वी—ये पाँच प्राकृतिक तत्व—आपस में कैसे काम करते हैं और कैसे ये हमारे जीवन, सोच, आदत और काम पर असर डालते हैं।
संस्कृत में वास्तु शास्त्र के लिए एक श्लोक भी प्रसिद्ध है जो इसके महत्व को समझाता है –
“वास्तु संक्षेप तो वक्ष्ये गृह्दो विघनाशनम , ईशान कोण दारम्भ्य हयोकार्शीतपदे प्य्ज्येत“
इस दोहे का मतलब है कि ‘वास्तु शास्त्र’ वह तरीका है जिससे घर बनाने की सही दिशा तय की जाती है। इसे हमेशा ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) से शुरू करना सबसे शुभ माना गया है। अगर घर बनाते समय वास्तु के नियमों का सही तरीके से पालन किया जाए, तो घर में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं और नकारात्मक ऊर्जा अंदर नहीं आ पाती।
क्यों महत्वपूर्ण है, वास्तु शास्त्र?
ब्रह्मांड में हर पल बहुत सी चीज़ें हो रही होती हैं, जिनके बारे में हमें ज़रा भी पता नहीं होता। इसी तरह, वास्तु शास्त्र भी घर बनाने से जुड़ा एक ऐसा विज्ञान है, जो किसी जगह पर मौजूद दिख न सकने वाली ऊर्जा और उनके असर के बारे में बताता है। इसका मतलब यह है कि हमारे चारों ओर ऐसी कई ऊर्जा होती हैं जो हमें हर वक्त प्रभावित करती हैं, पर हमें उनकी जानकारी नहीं होती। ठीक उसी तरह, हमारे घर के अंदर मौजूद ऊर्जा भी हमें सीधे या परोक्ष रूप से असर डालती है।
मंगल भवन’ के जाने-माने ज्योतिषाचार्य आचार्य श्री भास्कर जी का मानना है कि हमारे प्राचीन विश्वासों के अनुसार अगर कोई व्यक्ति वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार घर बनवाता है, तो वह जीवन में आने वाली कई परेशानियों और अनचाही घटनाओं से बच सकता है। वास्तु के ये सिद्धांत हमें नकारात्मक ऊर्जा और असर से बचाने का एक तरह से सुरक्षा कवच देते हैं। उत्तर भारत में वास्तु शास्त्र को ‘वैदिक निर्माण कला’ भी कहा जाता है, जिसमें घर बनाने से जुड़ी हर दिशा और नियम को अहम माना जाता है। ये सिद्धांत मिलकर एक ऐसा घर बनाने में मदद करते हैं जो सुखद, सकारात्मक और संतुलित हो।
वास्तु शास्त्र में दिशाओं का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वास्तु देव की चार दिशाएं निर्धारित की गई है- उत्तर, दक्षिण, पूरब और पश्चिम। ये चार मूल दिशाएं हैं। वास्तु शास्त्र में इन चार दिशाओं के अलावा आकाश और पाताल को भी दिशाओं के समान सम्मिलित किया गया है । इस प्रकार चार दिशा, चार विदिशा और आकाश पाताल को मिलाकर इस शास्त्र में दिशाओं की संख्या कुल दस बनाई जाती है। मूल दिशाओं के मध्य की दिशा को ज्योतिष की भाषा में ईशान कोण, आग्नेय कोण, नैऋत्य कोण व वायव्य कोण को ‘विदिशा’ कहा जाता है।
वास्तु शास्त्र में: पूर्व दिशा
ज्योतिष में, वास्तु शास्त्र की दृष्टि से यह दिशा बहुत महत्व रखती है। पूर्व दिशा सूर्य देव के उदय होने की दिशा होती है। इस दिशा के स्वामी इन्द्र देव कहलाते हैं। कोई भी भवन या ग्रह निर्माण के समय इस दिशा को सबसे अधिक खुला रखना चाहिए। यह सुख और समृद्धि की वृद्धि का कारक होता है। इस दिशा में वास्तु दोष होने से घर (भवन) में रहने वाले लोग का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता तथा वह अक्सर बीमार रहते हैं। घर में सदैव परेशानी व चिंता का माहौल बना रहता है। घर में कोई न कोई समस्या बनी रहती है; उन्नति के मार्ग में भी बाधा आती है। अतः एक आदर्श बहन में घर का मेनगेट या खिड़की पूर्व दिशा में होना शुभ माना जाता है; जिससे घर में सकारात्मक व ऊर्जावान किरणें प्रवेश करती रहें।
वास्तु शास्त्र में: पश्चिम दिशा
शुभ वास्तु के अनुसार घर का रसोईघर या टॉयलेट पश्चिम दिशा में होना चाहिए। रसोई घर और टॉयलेट पास- पास न हो, इसका भी ध्यान रखें।
वास्तु शास्त्र में: उत्तर दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा को भगवान कुबेर की दिशा माना जाता है, जो धन और समृद्धि के देवता हैं। इसलिए घर में बालकनी और वॉश बेसिन जैसी चीज़ें इस दिशा में बनवाना शुभ माना जाता है। अगर घर का मुख्य द्वार यानी मेन गेट भी उत्तर दिशा में हो, तो इसे बहुत ही अच्छा और भाग्यशाली माना जाता है। साथ ही अगर कोई दुकान या व्यापार से जुड़ा काम इस दिशा में शुरू किया जाए, तो इससे कारोबार में भी तरक्की के योग बनते हैं।
वास्तु शास्त्र में: दक्षिण दिशा
उत्तर दिशा को वास्तु शास्त्र में बहुत खास माना गया है। इसे धन के देवता भगवान कुबेर की दिशा कहा जाता है। इस वजह से घर में अगर बालकनी या वॉश बेसिन उत्तर दिशा में हो, तो अच्छा माना जाता है। वहीं अगर घर का मेन गेट भी इसी दिशा में हो, तो उसे बहुत शुभ माना जाता है। और अगर किसी ने दुकान या व्यापार इसी दिशा में शुरू किया हो, तो उसे आमतौर पर अच्छा लाभ होता है।
वास्तु शास्त्र में : उपदिशाएं या विदिशा
उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण)
वास्तु शास्त्र के मुताबिक, उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण कहा जाता है। यह दिशा पानी से जुड़ी मानी जाती है। इसलिए इस ओर अगर बोरिंग, नल, स्विमिंग पूल या पूजा का कमरा हो, तो वह अच्छा माना जाता है। अगर घर का मुख्य दरवाज़ा भी इसी दिशा में हो, तो उसे बहुत शुभ माना जाता है। इसके अलावा, भगवान की पूजा या पढ़ाई जैसे काम भी इसी दिशा में किए जाएं तो अच्छा फल मिलता है। घर का मंदिर भी इसी दिशा में होना चाहिए।
उत्तर-पश्चिम दिशा (वायव्य कोण)
वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर व पश्चिम दिशा के मध्य वायव्य कोण होता। इस दिशा के स्वामी वायु देव कहलाते हैं घर में यह कोण वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। अतः भवन निर्माण के समय इस दिशा में आपका बेडरूम, गैरेज, गौशाला आदि होना चाहिए। इस दिशा का अच्छा व बुरा प्रभाव घर की महिलाओं व बच्चों पर होता है। इस दिशा से जातक को मानसिक अशांति पर प्रभाव होता है घर में इस कोण में खिड़की बनवाना शुभ होता है। इस दिशा से वायु का आवागमन से आपका बहरी लोगो के साथ अच्छे संबंध का निर्माण करता है।
दक्षिण-पूर्व दिशा (आग्नेय कोण)
वास्तु शास्त्र के हिसाब से, घर की दक्षिण-पूर्व दिशा को आग्नेय कोण कहा जाता है। ये दिशा आग (अग्नि) से जुड़ी मानी जाती है। इस वजह से, किचन, गैस, बॉयलर या ट्रांसफॉर्मर जैसी चीज़ें इसी दिशा में रखना अच्छा माना जाता है। अग्निदेव इस दिशा के देवता होते हैं। अगर यहां वास्तु दोष हो जाए, तो घर में कलह, तनाव और बेचैनी बढ़ सकती है। पैसों का नुकसान और मन की परेशानी भी हो सकती है। लेकिन अगर इस दिशा का इस्तेमाल सही तरीके से किया जाए, तो घर के लोग फिट और पॉजिटिव बने रहते हैं। इसी वजह से रसोईघर को इसी दिशा में बनवाना सबसे अच्छा माना जाता है।
दक्षिण-पश्चिम दिशा(नैऋत्य कोण)
वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा यम की दिशा कहलाती है। घर का दक्षिण और पश्चिम के मध्य की दिशा को नैऋत्य कोण कहते हैं। इस दिशा में वास्तु दोष दुर्घटना, रोग एवं मानसिक तनाव का कारण बन सकता है। इस कोण का दोष जातक के आचरण को भी प्रभावित करता है। वास्तु के अनुसार भवन निर्माण करते समय इस दिशा को भारी रखना चाहिए। इस दिशा का स्वामी राक्षस है। घर की यह दिशा वास्तु दोष से मुक्त होने पर जातक सेहतमंद रहता है एवं उसके मान सम्मान में भी वृद्धि होती है। इस दिशा में खुलापन अर्थात खिड़की, दरवाजे बिलकुल ही नहीं होना चाहिए। घर के मुखिया का कमरा. यहां होना शुभ होता है। इसके अलावा कैश काउंटर, मशीन आदि भरी वस्तुएं आप इस दिशा में रख सकते हैं।
वास्तु शास्त्र में- सकारात्मकता के लिए करें यह कार्य
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के सभी दिशाओं में किसी न किसी तरह से घर की सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा वास करती है! जो घर में की खुशहाली और जीवन में सफलता से संबंधित होती हैं! घर का वातावरण यदि सकारात्मक होगा तो, जीवन में सफलता आएगी, उसी प्रकार घर में यदि नकारात्मक ऊर्जा होगी तो, आपके सारे काम अधूरे होंगे जिससे आपको मानसिक तनाव होगा! तो आइए चैत्र महीने में किए जाने वाले कुछ ऐसे कार्य जिससे घर में, सकारात्मकता के साथ खुशहाली तो आएगी ही, जीवन में भी आप सफल होंगे!
घर की सफाई का रखें विशेष ध्यान
चैत्र नवरात्रि शुरू होने से पहले घर की अच्छी तरह से सफाई जरूर कर लेनी चाहिए। खास तौर पर बिस्तर, अलमारी, और हर वो कोना जहाँ रोज़ नजर नहीं जाती, उसे अच्छे से साफ करें और सजाएं। पुराने कपड़े, टूटी किताबें, बेकार पड़ा फर्नीचर, या बंद पड़े इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे फालतू चीज़ें घर से बाहर निकाल दें। अगर किसी कोने में गंदगी या बदबू है, तो उसे भी तुरंत साफ करें। साफ-सुथरा घर देवी-देवताओं को भी बहुत पसंद आता है। जब घर में सफाई और शांति होती है, तो वहीं से सुख-समृद्धि के रास्ते भी खुलने लगते हैं।
घर में तुलसी का पौधा और शंख की ध्वनि
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में तुलसी का पौधा रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है! चैत्र माह में, तुलसी के पौधे की नियमित ध्यान रखें और पूजन करें! साथ ही, प्रतिदिन उसे जल अर्पित करें। वास्तु शास्त्र के अनुसार, तुलसी के पौधे में माता लक्ष्मी और विष्णु भगवान का वास माना जाता है! इसलिए इसे घर के उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा रखना उत्तम फलदायी होता है! इससे देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-शांति का वास होता है! इसके साथ ही, माता दुर्गा के पूजन के समय शंख का प्रयोग करें! शंख की ध्वनि से देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है वास्तु दोष कम होता है! तुलसी के नीचे रोज दीपक जलाएं। साथ ही पूजा स्थान में दक्षिण की ओर मुख करके शंखनाद करें! जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है!
वास्तु शास्त्र का ज्योतिष से सम्बन्ध
वास्तु व ज्योतिष दोनों ही बहुत अलग-अलग महत्व रखते हैं। ज्योतिष में ग्रहों के बारे में जानकारी मिलती है, तो वहीं वास्तु शास्त्र पूर्ण रूप से जातक के भवन या घर निर्माण के बारे में बताता है। दोनों का जातक के जीवन में अपना एक अलग ही महत्व भी है।
जैसे मनुष्य का शरीर उसके अंगों से मिलकर बना है; उसी प्रकार हम, अंक ज्योतिष, वास्तु शास्त्र को भी ज्योतिष का एक अंग मान सकते हैं। ज्योतिष व वास्तु शास्त्र दोनों से ही मनुष्य की उन्नति, सुरक्षा, व उद्देश्यों का ज्ञान प्राप्त होता है। वास्तु शास्त्र के सिद्धांत व नियमों के अनुसार भवन का निर्माण होना जातक के, जीवन को शांतिपूर्ण, सुखमय, तथा आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने में सहायक होता है। अतः आप भी अपने भवन या घर के निर्माण के पूर्व हमारे ‘मंगल भवन’ के वास्तु विशेषज्ञ या अपने किसी वास्तु विद्वान से परामर्श अवश्य करें।
कुछ सवाल व उनके जवाब FAQ
Q. शास्त्र के भगवान कौन है?
An. शास्त्रों में, वास्तु देवता को भगवान शिव के पसीने की बूंद से निर्मित पुरुष बताया गया है।
Q. क्या वास्तु शास्त्र वास्तव में सत्यता को प्रदर्शित करता है?
An. हां, अपने घर में सुख और प्रचुरता को आकर्षित करने के लिए अपने घर को साफ-सुथरा तथा व्यवस्थित रखना आवश्यक है।
Q. वास्तु कितने प्रकार का होता है ?
An. वास्तु चार प्रकार के होते हैं- भूमि, देवालय, यान एवं शयन।
Q. सर्वश्रेष्ठ मुखी घर कौन सी दिशा का होता है?
An. वास्तु के अनुसार सबसे अच्छी घर की दिशा ईशान कोण है, क्योंकि यह धन के देवता से जुड़ी है।
Q. वास्तु शास्त्र के अनुसार, तुलसी का पौधा घर में रखने से क्या होता है?
An. वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में तुलसी का पौधा रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है! चैत्र माह में, तुलसी के पौधे की नियमित ध्यान रखें और पूजन करें! साथ ही, प्रतिदिन उसे जल अर्पित करें। वास्तु शास्त्र के अनुसार, तुलसी के पौधे में माता लक्ष्मी और विष्णु भगवान का वास माना जाता है!