इन विशेष राखियों से बनाए, अपने रक्षाबंधन पर्व को और अधिक खास, जाने विभिन्न प्रकार की राखियों के महत्व को

राखी

रक्षाबंधन का पर्व पुरे भारत में मनाया जाने वाला एक शुभ व लोकप्रिय त्योहार है, जिसमें ज्योतिष के अनुसार एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान भी सम्मिलित है जिसे “पूजा विधि” के रूप में संपन्न किया जाता है। इस पवित्र पर्व के लिए पूजा विधि के रूप में एक छोटी पूजा थाली की तैयारी के साथ शुरू होती है। जिसमें एक दीया (तेल\शुद्ध घी का दीपक), रोली (सिंदूर पाउडर), चावल के दाने, मिठाई और राखी होती है। 

बहनें अपने भाइयों के सम्मुख दीपक को घुमाते हुए मंगल कामना के साथ उनकी आरती करती हैं और उनके माथे पर कुमकुम का तिलक लगाती हैं। फिर वे भाई की कलाई पर राखी (रक्षा सूत्र) बांधती हैं, व उनकी सफलता, सुरक्षा और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं, बदले में, भाई अपनी बहनों को प्रेम के प्रतीक के रूप में गिफ्ट या शगुन भेंट करते हैं और उनकी सुरक्षा का वचन देते हैं।

ज्योतिष के अनुसार, किसी भी शुभ कार्य हेतु पूजा विधि एक आध्यात्मिक,सकारात्मक व पवित्र वातावरण का निर्माण करती है, भाई-बहनों के बीच के बंधन को मजबूत करती है। जिस प्रकार पूजा में सभी सामग्री का एक विशेष महत्व होता है, उसी प्रकार रक्षाबंधन के इस पवित्र त्योहार पर राखीयों का भी विशेष महत्व  है। भाई-बहन के इस पवित्र प्रेम के रूप में मनाया जाने वाला यह पर्व यदि कुछ विशेष राखियों के साथ मनाया जाए तो उसकी शुभता में और अधिक वृद्धि की जा सकती है।

‘मंगल भवन’ इस रक्षाबंधन पर आप सभी के लिए कुछ विशेष प्रकार की राखियों को लाए हैं, जिससे की इस रक्षाबंधन के पर्व के महत्व को और अधिक बढ़ाया जा सकता है-     

कुछ विशेष प्रकार की राखियाँ व उनका महत्व ( Importance of special Rakhis )

रक्षाबंधन हिन्दू धर्म का सबसे लोकप्रिय पर्व है जिसके बिना हिन्दू शास्त्र का यह उत्साह अधूरा है। इस नए सत्र में  बदलते समय और लोगों की पसंद भी बदलती हैं जो कि कई प्रकार की हो सकती है। इस बदलती हुई पसंद को ही ध्यान में रखते हुए कई प्रकार की राखियों को निर्मित किया गया है. उनकी शुभता से जातक के भाग्य व प्रेम में अपार वृद्धि होगी। ये राखियाँ देखने में जितनी आकर्षक व सुंदर हैं गुणों में भी उतनी ही लाजवाब व शुभता को लिए हुए है । अपने भाई के लिए एक आदर्श व सही राखी का चयन करना सबसे कठिन कार्यों में से एक है। इस कठिन कार्य को और भी अधिक सरल बनाते हुए हमने इस लेख में कुछ विशेष संबंधों की पवित्रता को बनाए रखने व बढ़ाने के लिए यहां नीचे कुछ राखियाँ व उनके महत्व के के बारें में विस्तार से बताया है- 

चन्दन अक्षत ॐ मेटल राखी (Chandan akshat om metal rakhi)

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार “ॐ” (ओम) को सबसे महत्वपूर्ण व आध्यात्मिक प्रतीकों में से एक माना जाता है जो लोगों को चक्रों से जोड़ता है। इस ओम की पवित्रता व शुभता को ध्यान में रखते हुए इसी पवित्र चिन्ह की राखी का भी निर्माण किया गया है जिसे बहनों द्वारा भाई की कलाई पर बांधने पर भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है और उसे शक्ति और पवित्रता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

राखी

हिंदू धर्म में ओम का अर्थ कल्याण है। यह मंत्रों और प्रार्थनाओं का प्रतीक है। इस राखी के केंद्र को सुंदर धातु की मीनाकारी से बने ओम के प्रतीक के साथ-साथ दोनों तरफ तीन धातु की मीनाकारी डिजाइनों से सजाया गया है। बहन द्वारा अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने से उसके जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। ॐ राखी का धार्मिक महत्व यह है कि दरवाजे पर राखी बांधने या भगवान विष्णु को राखी बांधने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।

चन्दन अक्षत स्वस्तिक राखी( Chandan akshat swastik rakhi )  

धार्मिक ग्रंथों में स्वस्तिक चिन्ह को देवत्व और आध्यात्मिकता का एक प्राचीन धार्मिक प्रतीक माना गया है। स्वस्तिक चिन्ह को राखी के रूप में पहनने से जीवन में सौभाग्य और अन्य शुभ अवसरों की प्राप्ति होती है।

राखी

हिंदू धर्म में स्वस्तिक का अर्थ भाग्य होता है। यह शांति और समृद्धि का प्रतीक है। इस राखी के केंद्रबिंदु को पूरी तरह से सुंदर धातु से बने स्वास्तिक चिन्ह से सजाया गया है। एक बहन अपने भाई के माथे पर चंदन का टीका और अक्षत लगाती है और प्रार्थना करती है और फिर अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है जिससे उसके भाई की समृद्धि होती है और उसे बुद्धि और ज्ञान मिलता है। प्रोडक्ट का डिज़ाइन भिन्न हो सकता है जो चित्र में दिखाया गया है

बच्चों की राखी (Kids toys rakhi)

जिस प्रकार बड़ों को अपनी पसंद की राखी का चुनाव करना अधिक प्रिय लगता है, उसी प्रकार बच्चो को भी उनके पसंद की राखी से बड़े ही आनंद की अनुभूति होती है। इसी दृष्टि को ध्यान में रखकर बच्चों के खिलौने व विभिन्न प्रकार की आकृतियों, कार्टून की राखियाँ बच्चों की खुशियों को दोगुना कर देती है।  

राखी

मंगल भवन के वैदिक ज्योतिषाचार्यों से जाने रक्षा बंधन के पावन पर्व के शुभ मुहूर्त भद्रा काल रहित राखी बांधने का शुभ मुहूर्त आदि

मोर पंख राखी (Peacock rakhi) 

हिंदू संस्कृति में, मोर को सौभाग्य, आध्यात्मिकता, दूरदर्शिता और मार्गदर्शन से जोड़ा जाता है। इसे राखी के रूप में पहनने से आपके भाई को सौभाग्य और पवित्रता का आशीर्वाद प्राप्त होगा।  

राखी

भाभी राखी (Bhabhi rakhi)  

वैसे तो रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। रक्षाबंधन यानी रक्षा की कामना लिए कच्चे धागों का ऐसा बंधन जो पुरातन काल से इस सृष्टि में चलता आ रहा है।  परन्तु कई शहरों में भाई के साथ  भाभियों को भी राखी बांधने की रीत होती है। भाभियों को राखी बांधने की ये परंपरा राजस्थान में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है।  लेकिन समय के साथ-साथ अब भारत के कई हिस्सों में भाभियों को राखी बांधने का रिवाज हो गया है। भाभी राखी की यह विशेषता होती है कि इसे भाभी की कलाई पर बांधने से रिश्तों में मधुरता आती है।     

राखी

लाल रत्न जड़ित राखी (Red stone rakhi) 

रक्षा बंधन पर अपने भाई की कलाई पर इस बहुमूल्य क्लासिक लाल पत्थर की राखी बांधकर उसे दया, कृपा और ज्ञान का आशीर्वाद दें। यह वह पवित्र धागा है जिसे हर बहन अपने भाई की कलाई मंगल कामना के साथ उसकी सफलता के लिए बांधती है और भगवान से उनकी सलामती की प्रार्थना करती है। 

राखी

सनफ्लावर राखी (Sunflower rakhi)

हिंदू धर्म में सूरजमुखी का मतलब सौभाग्य होता है। यह आस्था और निष्ठा का प्रतीक है. इस राखी के बीच में एक सुंदर सूर्य पुष्प का आकार है और भीतरी भाग में सूर्य रत्न से बना लाल घेरा है। सूरजमुखी के दोनों ओर धातु की मीनाकारी वाले छोटे-छोटे सनस्टोन हैं जो इसे बहुत आकर्षक बनाते हैं। इसे आध्यात्मिक फूल माना जाता है। शास्त्र के अनुसार, सूरजमुखी आध्यात्मिक ज्ञान और प्रकाश की तलाश से जुड़ा है और सूरजमुखी सूर्य के समान है। प्रोडक्ट का डिज़ाइन भिन्न हो सकता है जो चित्र में दिखाया गया है। 

राखी

राखी के साथ पूजा थाली का सेट (Rakhi with pooja thali kit) 

मंगल भवन द्वारा बनाई गई इस संपूर्ण राखी थाली में 5 राखियाँ हैं, 1 परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए और 1 सबसे छोटे बच्चे के लिए। विशेष रूप से मीनाकारी थाली व खूबसूरती से डिजाइन किया गया। अक्षत (चावल), रोली और दीया बत्ती के साथ सभी सामग्री दी गई है। इस राखी के पवित्र व शुभ पर्व को विशेष तरीके से मनाने के लिए यह एक संपूर्ण व आदर्श थाली है। इस पैक में शामिल हैं: 5 राखी, अक्षत, रोली, दीया बत्ती और एक आकर्षक डिजाइन की गई सुंदर थाली।

राखी

रक्षाबंधन मे राखी से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ


Q- रेड स्टोन राखी का क्या महत्व होता है?

An- मेष और वृश्चिक राशि वाले भाई की कलाई पर करेगी निहाल चमकेगी किस्मत करियर में होगी तरक्की नई नौकरी बनेंगे योग ।

Q- मोर पंख राखी किसे बांधनी चाहिए?

An- राहु या केतु की महादशा से प्रभावित परेशान भाइयों के मिटेंगे सभी संकट बढ़ेगा धन धान्य।

Q- स्वास्तिक राखी बांधने के क्या फायदे हैं?

An- हर भाई के जीवन में करेगी मंगल कर्जे से होगे मुक्त घर में होगी सुख शान्ति दांपत्य जीवन में बढ़ेगा प्यार।

Q- ॐ राखी बांधने का क्या महत्व होता है?

An- श्रावण में भाइयों की कलाई पर ॐ राखी मिटाएगी सभी बुरे प्रभाव रोगों से मिलेगी मुक्ति बनेंगे सभी बिगड़े काम।

Q- क्या भद्रा में राखी बांध सकते है?

An- भद्रा काल में यात्रा और शुभ मांगलिक कार्य वर्जित है राखी बांधना मांगलिक कार्य है इसलिए भद्रा के साथ राखी बांधना वर्जित है भद्रा काल में सूपनखा ने अपने भाई रावण को राखी बांधी थी तो पूरे वंश के सहित विनाश हो गया।

Q- राखी पर्व 30 अगस्त को मनाए या 31 अगस्त को?

An- शास्त्रों के अनुसार राखी का पर्व श्रावण मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता इस वर्ष 2023 में श्रावणी पूर्णिमा 30 अगस्त को दिन में 10 बजकर 58 मिनट से भद्रा के साथ आरम्भ होगी भद्रा काल रात्रि 09 बजकर 01 मिनट तक रहेगा भद्रा में राखी बांधना वर्जित है इसलिए राखी 30अगस्त रात्रि 09 बजकर 01 मिनट से लेकर 31 को प्रातः 07 बजकर 05 मिनट तक पूर्णिमा के रहते राखी मनाई जाएगी।

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