छठ पूजा का यह पर्व चार दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष, छठ पूजा का महापर्व 19 नवम्बर 2023 को रविवार को पड़ रहा है, जिसकी शुरुआत 17 नवम्बर 2023 को होगी और समाप्ति 20 नवम्बर 2023 को होगी।
1. पहला दिन: इस दिन, व्रती नहाय-खाय के रूप में सूर्योदय के पहले नदी में स्नान करते हैं और नए वस्त्र पहनकर शाकाहारी भोजन करते हैं। व्रती के भोजन के बाद ही घर के अन्य सदस्य भोजन कर सकते हैं।
सूर्योदय 06:45,
सूर्यास्त शाम 05:27
2. दूसरा दिन: इस दिन, व्रती पूरे दिन उपवासी रहते हैं और शाम को मिठा भोजन करते हैं, जो गुड़ और चावल से बनी खीर होती है। यह प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है।
सूर्योदय सुबह 06:46 बजे
सूर्यास्त शाम 05:26 बजे
3. तीसरा दिन: इस दिन, व्रती नदी या तालाब के घाट पर आकर सूर्य को संध्या के समय अर्घ्य देते हैं और अपने प्रसाद को सूप के रूप में सजाते हैं।
संध्या अर्घ्य की तिथि- 19 नवंबर, 2023, दिन- रविवार
सूर्यास्त शाम 05:26 बजे
4. चौथा और अंतिम दिन: छठ पूजा के अंतिम दिन, सूर्य को अर्घ्य देने के बाद, व्रती प्रसाद से भोजन करते हैं और इसके बाद व्रत का पारण करते हैं।
सूर्योदय को अर्घ्य देने की तिथि- 20 नवंबर, 2023, दिन- सोमवार
सूर्योदय सुबह 06:47 बजे
इस तरह, छठ पूजा न केवल भगवान सूर्य की पूजा है, बल्कि यह पर्व परिवार और समृद्धि की कामना के साथ आत्मा को शुद्धि और पवित्रता का अहसास दिलाता है।
छठ पूजा, जिसे महापर्व के रूप में मनाया जाता है, विशेषकर बिहार, झारखंड, और पश्चिम बंगाल में बड़े हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस पूजा के चार दिनों के अंदर-अंदर व्रती अपनी भक्ति और श्रद्धांजलि का अर्थ समझते हैं, जो इसे एक विशेष त्योहार बनाता है। इस पूजा के माध्यम से सूर्य देवता की पूजा होती है, जिन्हें सृष्टि के स्थापक माना जाता है।
इस तरह, छठ पूजा न केवल भगवान सूर्य की पूजा है, बल्कि यह पर्व परिवार और समृद्धि की कामना के साथ आत्मा को शुद्धि और पवित्रता का अहसास दिलाता है।
FAQs (पूछे जाने वाले प्रश्न):
Q.-क्या छठ पूजा सिर्फ बिहार और झारखंड में ही मनाई जाती है?
An.- नहीं, छठ पूजा बिहार, झारखंड, और पश्चिम बंगाल के अलावा भी विभिन्न हिंदी उपनिवेशों में मनाई जाती है।
Q.- क्या व्रती दिन भर उपवासी रहते हैं?
An.- हां, छठ पूजा के दूसरे दिन, व्रती पूरे दिन उपवासी रहते हैं।
Q.- क्या छठ पूजा का महत्व है
An.- हां, छठ पूजा में सूर्य देवता की पूजा करने से व्रती को ऊर्जा, स्वास्थ्य, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।