Akshaya Tritiya | अक्षय तृतीया 2023, ऐसे करें सौभाग्य को दोगुना, पूजा-विधि व शुभ मुहूर्त

अक्षय तृतीया

अक्षय तृतीया ( Akshaya tritiya) हिन्दू धर्म को प्रदर्शित करने व हिन्दू सभ्यता में सबसे अधिक शुभ व महत्वपूर्ण पर्वों में से एक “अक्षय तृतीया” का भी पर्व होता है।  इस वर्ष 2023 (Akshaya Tritiya) का यह पावन त्यौहार वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाएगा। इसे अक्षय तृतीया या आखा तीज भी कहा जाता है। हिन्दू संस्कृति को मानने वाले प्रत्येक व्यक्तियों के लिए यह पर्व बेहद ही शुभ और महत्वपूर्ण होता है। 

जैसा कि इसके नाम में ही विदित है – अक्षय यानी कभी भी नष्ट न होने वाला या ‘जिसका कभी क्षय न हो।

 कहा जाता है कि इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य का फल दोगुना होकर फलित होता है इसलिए इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार,  इस शुभ दिन पर किया जाने वाले दान-पुण्य, स्नान, यज्ञ, जप इत्यादि जैसे शुभ कार्य से मिलने वाले वाले शुभ फलों में कभी भी कमी या क्षय नहीं होता है। इसके अतिरिक्त ऐसी भी मान्यता है कि ‘अक्षय तृतीया’ के दिन विशेष रूप से लोग सोने के आभूषण भी खरीदते हैं ताकि वह दुगना हो जाए तथा इससे जातक के जीवन पर धन की देवी माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद, सुख-समृद्धि और वैभव सदैव बना रहे। इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा का भी प्रावधान है।

अक्षय तृतीया: शुभ मुहूर्त

इस पवित्र पर्व को वैशाख माह में शुक्लपक्ष की तृतीया वाले दिन के पूर्वाह्न (प्रथमार्ध) में मनाया जाता है। इसके अलावा कैलेंडर में यदि तृतीया तिथि लगातार दो दिन पूर्वाह्न में रहे तो अगले दिन यह पर्व मनाया जाता है, हालांकि कुछ लोगों इस पर्व अगले दिन तभी मनाते हैं; जब यह तिथि सूर्योदय से तीन मुहूर्त तक या उससे अधिक समय तक रहे। तृतीया तिथि में अगर सोमवार या बुधवार के साथ, रोहिणी नक्षत्र भी हो तो भी यह मुहूर्त बहुत श्रेष्ठ माना जाता है।

  • शनिवार, 22 अप्रैल 2023
  • तृतीया तिथि प्रारंभ: 22 अप्रैल 2023 पूर्वाह्न 07 बजकर 49 मिनट से 
  • तृतीया तिथि समाप्त: 23 अप्रैल 2023 पूर्वाह्न 07 बजकर 47 मिनट तक 

अक्षय तृतीया से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से अक्षय तृतीया के बारे में बताने हेतु बाध्य किया तब भगवान श्री कृष्ण ने उनको बताया कि- यह परम पुण्यमयी तिथि के रूप में मनाई जाती है। इस दिन दोपहर से पूर्व स्नान, जप, तप, होम (यज्ञ), स्वाध्याय, पितृ-तर्पण, और दान जैसे शुभ कार्य करने वाला  व्यक्ति अक्षय पुण्य फल का भागी बनता है।इसके अलावा कुछ अन्य कथा भी प्रचलित है जो कुछ इस प्रकार है-

  • एक प्राचीन काल की कहानी है जिसमें एक वैश्य, जो एक सदाचारी और देवताओं में श्रद्धा रखने वाला था, अत्यंत गरीब था। उसे अपनी गरीबी के कारण हमेशा व्याकुल रहना पड़ता था। एक दिन, किसी ने उसे ‘अक्षय तृतीया’ व्रत करने की सलाह दी। उसके बाद से, उसने हर साल इस व्रत का पालन किया। जब यह पर्व आता तो उसने गंगा में स्नान करके देवी-देवताओं की पूजा की और दान दिया। यही वैश्य, अगले जन्म में कुशावती राज्य का राजा बना। यह सब, अक्षय तृतीया के शुभ दिन पर पूजा व दान के प्रभाव से वह बहुत धनी तथा प्रतापी बना।
  • पौराणिक कथा एक इस प्रकार भी है कि- मां दुर्गा व महिषासुर के बीच अत्यंत भयानक और लंबे समय तक युद्ध हुआ; और अंत में, देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध किया गया था। ग्रंथों में, उस दिन को सतयुग के अंत और त्रेता युग के प्रारम्भ के रूप में चिह्नित किया गया था। इस प्रकार, उस दिन के बाद से, अक्षय तृतीया को एक नए युग के प्रारम्भ के प्रति रूप में मनाया जाता है।
  • महाभारत के एक कथ्य के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन, पांडवों को भगवान सूर्य द्वारा एक बर्तन (अक्षय पात्र) प्राप्त हुआ था। यह एक ऐसा दिव्य व अद्भुत पात्र था; जिसमें भोजन की निरंतर आपूर्ति होती थी। एक बार, एक ऋषि आए और द्रौपदी को उनके लिए भोजन की आवश्यकता पड़ी। उसने भोजन के लिए भगवान कृष्ण से भी अनुरोध किया। भगवान कृष्ण प्रकट हुए और उन्होंने बर्तन पर एक दाना चिपका हुआ देखा। उन्होंने वह अनाज का दाना खा लिया। इससे भगवान कृष्ण को संतुष्टि मिली और बदले में ऋषि के साथ सभी की भूख भी शांत हुई।

अक्षय तृतीया : व्रत व पूजन विधि

  • इस दिन प्रातः जल्दी उठें व शुद्ध पीले वस्त्र पहन,  व्रत धारण करें।
  • अपने घर के मंदिर में भगवान विष्णु को गंगाजल से शुद्ध करके तुलसी की माला या पीले पुष्प की माला अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है।
  •  इसके बाद धूप-दीप व अगरबत्ती, जलाकर पीले आसन पर बैठकर विष्णु जी से सम्बंधित पाठ (विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु चालीसा) करें तत्पश्चात अंत में विष्णु जी की आरती करें।
  •   इसके साथ ही आप इस पवित्र दिन पर, विष्णु जी के नाम से जरुरत मंदों व गरीबों को भोजन या यथाशक्ति  दान भी कर सकते हैं। इस दिन किया गया दान अत्यंत पुण्य व फलदायी होता है।
  • इस पावन दिन पर आप कोई भी पवित्र मंत्रों का जप व ध्यान भी कर सकते हैं; ताकि भगवान विष्णु के दिव्य आशीर्वाद को पा कर, सौभाग्य प्राप्त कर सकें।

महत्वपूर्ण बात 

अगर आपके लिए पूरे दिन व्रत रखना संभव न हो तो आप पीला मीठा हलवा, केला, पीले मीठे चावल का सेवन भी कर सकते हैं।

पौराणिक मतानुसार, इस शुभ दिन पर ‘नर-नारायण, परशुराम व हयग्रीव का अवतार हुआ था। अतः कुछ लोग नर-नारायण, परशुराम व हयग्रीव जी के लिए जौ या गेहूँ का सत्तू, कमल ककड़ी व भीगी चने की दाल भोग के रूप में अर्पित करते हैं।

अक्षय तृतीया

अक्षय तृतीया: महत्व व अनुष्ठान 

  • वर्ष के, साढ़े तीन सबसे शुभ मुहूर्त में से एक ’अक्षय त्रतीय’ का दिन भी होता है। इस दिन अधिकांश शुभ व मांगलिक कार्य संपन्न किए जा सकते हैं।
  • इस शुभ दिन पर गंगा स्नान करने का भी बड़ा माहात्म्य माना गया है। मान्यता है- जो मनुष्य इस दिन गंगा स्नान करता है, वह निश्चय ही सारे पापों से मुक्त हो जाता है।
  •  इस पावन दिन पर आप पितृ श्राद्ध करने का भी विधान कर सकते हैं । जिसमें आप जौ, गेहूँ, चने, सत्तू, दही-चावल, दूध से बने पदार्थ आदि सामग्री का दान अपने पितरों (पूर्वजों) के नाम से करके किसी ब्राह्मण को भोजन करा सकते हैं।
  • अक्षय तृतीया के शुभ दिन किसी तीर्थ स्थान पर अपने पितरों के नाम से श्राद्ध व तर्पण की क्रिया या अनुष्ठान करना बहुत शुभ होता है।
  • कुछ लोग इस दिन सोना खरीदते हैं जो अत्यंत शुभ होता है।
  •  यही दिन परशुराम और हयग्रीव अवतार धारण किए गए थे। परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार थे और वे संसार के सुधार के लिए आए थे। हयग्रीव अवतार में भगवान विष्णु एक मृग के रूप में प्रकट हुए थे और देवों के अमृत को बचाने के लिए लड़े थे। इन दोनों अवतारों को याद करके हम अपने जीवन में उनके संदेशों को अपनाकर सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
  •  यही तिथि त्रेतायुग की शुरुआत के रूप में भी जानी जाती है। त्रेतायुग भगवान राम के जन्म और उनके जीवन के उन्नयन का युग था। भगवान राम ने अपने जीवन में न्याय का पालन किया और मानवता के लिए एक आदर्श बने रहे। इस दिन को याद करके हम भगवान राम के जीवन से प्रेरणा ले सकते हैं और अपने जीवन में न्याय का पालन कर सकते हैं।
  • अक्षय तृतीया के दिन ही श्री बद्रीनाथ जी के पट भी खुलते हैं।
  • पवित्र जल में पवित्र स्नान तथा पवित्र अग्नि में, जौ अर्पित करना अक्षय तृतीया के महत्वपूर्ण अनुष्ठान में से एक माना जाता है।

अक्षय तृतीया: दान पुण्य का महत्व 

शास्त्रों के अनुसार, अक्षय तृतीया  के दिन किया गया पूजा-पाठ, जप-तप, दान स्नान आदि शुभ कार्यों का विशेष महत्व तथा शुभ फल प्रदान करने वाला होता है। इस दिन गंगा इत्यादि पवित्र नदियों और तीर्थों में स्नान करने का विशेष फल की प्राप्ति की जाती है। यज्ञ, होम, देव-पितृ तर्पण, जप, दान आदि कर्म करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

अक्षय तृतीया के दिन गर्मी(ग्रीष्म) ऋतु में खाने-पीने तथा पहनने आदि में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।  इसके अतिरिक्त इस दिन आप अपनी यथा शक्ति के अनुसार जौ, गेहूं, चने, दही, चावल, खिचडी, ईश (गन्ना) का रस, ठंडाई व दूध से बने हुए पदार्थ, सोना, कपडे, जल का घडा आदि भी दान कर पुण्य की प्राप्ति कर सकते हैं। इस दिन पार्वती जी का पूजन भी करना शुभ रहता है।
इन्हीं सब कारणों से ‘अक्षय तृतीया’ के पर्व को अत्यंत शुभ व पवित्र माना जाता है। जिससे  महान फल की प्राप्ति होती है। आशा करते हैं कि ‘मंगल भवन’ के इस लेख में आपको अक्षय तृतीया के त्यौहार की संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई है। ‘मंगल भवन’ की ओर से आप सभी को ‘अक्षय तृतीया’ की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

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अक्षय तृतीया से सम्बंधित कुछ सवाल व उनके जवाब FAQ-


Q- अक्षय तृतीया का दिन क्यों महत्वपूर्ण माना जाता है?

An- इस दिन भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक भगवान परशुराम का जन्म तथा हयग्रीव और नर नारायण का भी प्राकट्य भी इसी तिथि को हुआ था। इस कारण भगवान के तीन अवतारों के जन्म तिथि के कारण इसे अक्षय तृतीया को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता हैं।

Q- क्या, अक्षय तृतीया पर गृह प्रवेश किया जा सकता है?

An- हां, गृह प्रवेश पूजा के लिए अक्षय तृतीया का शुभ तथा अच्छा दिन है।

Q- अक्षय तृतीया के दिन क्या करें तथा क्या न करें?

An- अक्षय तृतीया के पवित्र दिन समुद्र या गंगा स्नान करना चाहिए। इसके साथ ही वस्त्र, फल का दान करके ब्राह्मणों को दक्षिणा देनी चाहिए।

Q- अक्षय तृतीया को पूजन कैसे किया जाता है?

An- अक्षय तृतीया के दिन सुहागिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में गंगा जल डाल स्नान कर; पीले वस्त्र धारण कर, पीले आसन पर बैठकर श्री विष्णु जी और माता लक्ष्मी की प्रतिमा पर अक्षत(चावल) अर्पित करें।

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