कुंडली में- दूसरा भाव-
किसी भी जातक की जन्म कुंडली के कुल 12 भाव जातक के अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। जैसे ही आकाश मंडल में ग्रह अपनी चाल परिवर्तित करते हैं उनका प्रभाव जातक के जीवन पर निश्चित रूप से पड़ता है; जिसके परिणाम स्वरूप हमारे जीवन में विभिन्न घटनाओं व अवसरों का संचलित होना तय होता है और इसमें जातक भावनात्मक और कलात्मक दोनों ही प्रकार से प्रभावित होते हैं! क्या, आप जानते है कुंडली में दूसरे भाव का क्या महत्व है? क्या प्रभाव होगा विभिन्न राशियों में इस भाव के सक्रिय होने पर? आइए जानते हैं-
वैदिक ज्योतिष में से प्रत्येक ग्रहों का सम्बन्ध जातक की कुंडली में किसी न किसी भाव से होता है। जो कि, ज्योतिष द्वारा बारह राशि के साथ भी सकिय होते हैं। प्रत्येक राशि का सम्बन्ध किसी एक भाव से होता ही है। ग्रहों का प्रभाव जातक के व्यक्तित्व पर ही नहीं पड़ता बल्कि यह भी बताता है कि वह कैसे हैं और अपने आसपास के वातावरण में किस प्रकार सामंजस्य बनाकर चलते हैं। आगे हम ‘मंगल भवन’ के लेख में कुंडली के दूसरे भाव में विभिन्न राशियों के परिणामों के बारे में विस्तार से जानेंगे! आशा करते हैं; पाठकों के लिए लेख में दी गई जानकारी उपयुक्त हो-
ज्योतिष में- द्वितीय भाव के महत्वपूर्ण पहलू
- ज्योतिष नाम- द्वितीय भाव\ धन भाव
- शरीर के सम्बन्धित अंग: चेहरा, मुँह और इन्द्रियाँ
- द्वितीय भाव से संबंधित: परिवार, खास मित्र, रिश्तेदार और सबसे करीबी लोग
ज्योतिष में- द्वितीय भाव का महत्व
कुंडली में हम दूसरे भाव के महत्व को आसान शब्दों में समझे तो, पहले भाव में की गई गतिविधियों का परिणाम जातक के दूसरे भाव में निहित होता है। और इसके साथ ही, जातक के पास जो धन-संपदा होती है, उसकी जानकारी इस दूसरे भाव से ली जा सकती है। भले ही फिर वह उनकी स्वयं की मेहनत या पूर्वजों की मेहनत से अर्जित की हो। धन सम्बन्धी जानकारी के अलावा, हम भौतिक संसार और सुख की उन सभी चीजों को भी कुंडली के इस दूसरे भाव में महत्वपूर्ण समझा जाता है। इतना ही नहीं, ज्योतिष शास्त्र में यह भाव बहुत महत्वपूर्ण होता है। चूंकि, इस भाव में, धन और भौतिक सुख के मामले शामिल होते हैं अतः इस भाव पर, शुक्र ग्रह का शासन होता है जो इस भाव के प्रभाव और अधिक बढाता है।
ज्योतिष में- द्वितीय भाव का महत्व
कुंडली में हम दूसरे भाव के महत्व को आसान शब्दों में समझे तो, पहले भाव में की गई गतिविधियों का परिणाम जातक के दूसरे भाव में निहित होता है। और इसके साथ ही, जातक के पास जो धन-संपदा होती है, उसकी जानकारी इस दूसरे भाव से ली जा सकती है। भले ही फिर वह उनकी स्वयं की मेहनत या पूर्वजों की मेहनत से अर्जित की हो। धन सम्बन्धी जानकारी के अलावा, हम भौतिक संसार और सुख की उन सभी चीजों को भी कुंडली के इस दूसरे भाव में महत्वपूर्ण समझा जाता है। इतना ही नहीं, ज्योतिष शास्त्र में यह भाव बहुत महत्वपूर्ण होता है। चूंकि, इस भाव में, धन और भौतिक सुख के मामले शामिल होते हैं अतः इस भाव पर, शुक्र ग्रह का शासन होता है जो इस भाव के प्रभाव और अधिक बढाता है।
दूसरे भाव की कुछ विशेषताएँ
द्वितीय भाव में जातक के धन कमाने और खर्च करने के मामलों के बारे में जानकारी मिलती है! साथ ही, जातक का व्यक्तित्व और अत्यधिक रचनात्मक दिमाग उसे लेखन, पेंटिंग, मिट्टी के बर्तन बनाना, डिजाइन, अभिनय और फिल्म निर्देशन जैसे व्यवसायों में रुचि को बढ़ाता है। दूसरे भाव में शुक्र ग्रह का अधिपत्य रहता है जिसके शुभ प्रभाव से जातक संचार कौशल, धन, प्रतिभा और नए-नए चीज़ों को करने में सक्षम होता है।
यानी कुल-मिलाकर हम कह सकते हैं कि, ज्योतिष में कुंडली के दूसरे भाव का वास्तविक अर्थ (2nd house in astrology meaning) सुख और धन से संबंधित है। इसके अलावा, संक्षेप में, ज्योतिष के अनुसार, द्वितीय भाव जातक की भावनाओं के मूल्य की जानकारी देता है। यह सिर्फ अर्थ यह है कि, यह भाव जातक के न सिर्फ धन संबंधी सुख भोगने के बारे में होता है बल्कि, पारिवारिक संबंधों में सुधार के बारे में भी है।
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विभिन्न राशियों में- दूसरे भाव का महत्व
जिस प्रकार कुंडली के दूसरे भाव में सभी नौ ग्रहों की अलग-अलग भूमिका होती है, उसी प्रकार ही उनसे जुड़ी राशियों को भी अलग-अलग भावों में भ्रमण करने का अवसर मिलता है। तो, आइए देखें कि आपकी राशि क्या कहती है कुंडली के दूसरे भाव में।
- मेष राशि में- द्वितीय भाव
ज्योतिष में, मेष राशि पर मंगल ग्रह का स्वामित्व होता है; जिसके प्रभाव में मेष जातक बहुत प्रतिस्पर्धी स्वभाव के होते हैं। मेष राशि में दूसरे भाव का प्रभाव जातक को समय पर अपने निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अत्यधिक कड़ी मेहनत का संकेत होता है और साथ ही, ऐसे जातक अपना एक कार्य पूरा कर रुकने की बजाय नया कार्य शुरू कर देते हैं। ऐसे जातक दयालु होने के साथ अपनी श्रेष्ठता का परिचय देते हैं।
- वृषभ राशि में- द्वितीय भाव
वृषभ राशि पर शुक्र ग्रह का स्वामित्व होता है। ऐसे जातक व्यावहारिक दृष्टिकोण वाले होते है। साथ ही ऐसे जातक विलासिता के साथ समृद्ध जीवन का अनुभव करना भी पसंद करते है। वृषभ राशि में, दूसरे भाव का प्रभाव जातक को अधिक खर्चीला होने के साथ-साथ व्यावसायिक मानसिकता का संकेत है यानी वास्तव में ये जातक काम के मामलों के लिए ऊर्जावान रहते हैं।
- मिथुन राशि में- द्वितीय भाव
मिथुन राशि बुध ग्रह के द्वारा शासित होती है, तो ऐसे जातक एक श्रेष्ठ मानसिकता वाले होते है। दूसरे भाव के प्रभाव में ये जातक अपने धन खर्च के मामलों में कुछ कच्चे होते हैं। लेकिन खरीदारी करना पसंद करते हैं और पैसे खर्च करते समय एक निश्चित सीमा के बाद अधिक सोच-विचार नहीं करते हैं।
- कर्क राशि में- द्वितीय भाव
कर्क राशि का स्वामी चन्द्र ग्रह होता है, अतः ये जातक भावुक प्रकृति के होने के साथ-साथ अपने परिवार से अधिक प्रेम करने वाले होते हैं। धन संबंधी मामलों में ये जातक बहुत सोच-समझकर निर्णय लेते है। अपने घर परिवार की जरूरतों के लिए धन खर्च करना पसंद करते हैं।
- सिंह राशि में- द्वितीय भाव
सिंह राशि के स्वामी ग्रह सूर्य है, दूसरे भाव में सिंह जातक अपने विलासिता होने का आनंद लेते हैं। यानी वे महंगी वस्तुओं के शौक़ीन होते हैं और इस कारण कुछ घमंडी होते हैं। कभी-कभी ये जातक अपने श्रेष्ठ दिखने को लेकर चिंतित महसूस करते हैं। अतः दयालुता प्रदर्शित करने पर अधिक ध्यान देकर दिखावे से दूर रहें।
- कन्या राशि में द्वितीय भाव
कन्या राशि के स्वामी ग्रह बुध है, दूसरे भाव में कन्या राशि परिपक्व और व्यावहारिक स्वभाव को अपनाती है। ऐसे जातक अपने जीवन को अनुशासित रखने के साथ-साथ धन संबंधी मामलों में बहुत सक्रियता दिखाते हैं। साथ ही, ऐसे लोग बड़े जोखिम से डरते नहीं है और दीर्घकालीन लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए निवेश करते हैं।
- तुला राशि में- द्वितीय भाव
स्वामी शुक्र के साथ, तुला राशि के लोग धन से संबंधित मामलों में चतुर होते हैं। वे जानते हैं कि कितना निवेश करना है और कहां निवेश करना है। ये बचत के मामले में भी अच्छे होते हैं। इसलिए, वे अपनी जरूरत की चीज़ें खरीदने में सक्षम होते हैं और भविष्य के खर्चों के लिए अतिरिक्त जेब भी बचाते हैं।
- वृश्चिक राशि में- द्वितीय भाव
वृश्चिक राशि पर मंगल ग्रह का स्वामित्व होता है जिसके कारण, वृश्चिक राशि के जातक निडर प्रवृत्ति के होते हैं। साथ ही, वे नई चीज़ें आजमाने में रूचि रखने वाले होते हैं। दूसरे भाव में वृश्चिक जातक अपनी प्रतिभा पर विश्वास रखने वाले होते हैं और बहुत अच्छे से जानते हैं कि वे अपने धन को कहाँ और कैसे खर्च करना है। नई चीजों में रूचि होने के गुण के साथ उन्हें धन सम्बन्धी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है।
- धनु राशि में- द्वितीय भाव
धनु राशि पर देव गुरु बृहस्पति का शासन होता है, जो कि धन सम्बन्धी और वित्तीय मामलों में वृश्चिक राशि के गुणों का अनुसरण करते हैं! दूसरे भाव में, बृहस्पति के प्रभाव में जातक धन संबंधी समस्याओं को लेकर चिंतित नहीं होते हैं! और धन पर ब्याज को प्राथमिकता देते हैं। ऐसे लोग कम वेतन से घबराने की बजाय अपने अनुभव से नई शुरुआत के लिए सदैव तैयार रहते हैं।
- मकर राशि में- द्वितीय भाव
दूसरे भाव में शनि के स्वामित्व में मकर राशि वाले जातक धन कमाने की ओर अधिक ध्यान देते हैं। अपने आर्थिक और वित्तीय नियंत्रण पर वे अधिक ध्यान देते हैं। वे अच्छा कमाते हैं, लेकिन वे अपनी बचत के लिए उतने ही सक्रिय होते हैं। बड़े निवेश करने की योजना के पहले वे स्वयं को सक्षम बनाते हैं।
- कुंभ राशि में- द्वितीय भाव
शनि प्रधान राशि कुंभ राशि के जातक स्वतंत्र विचारों वाले होते हैं। ऐसे जातक स्वयं की रूचि के अनुसार कार्य करना पसंद करते हैं और पैसा कमाने के बारे में कभी नहीं सोचते। लेकिन उनके पास धन की कमी कभी नहीं होती। साथ ही, इन जातकों के पास पर्याप्त बैंक बैलेंस होता है जो उनके खर्चों के लिए भी पर्याप्त है। बचत करने के मामले में भी ये जातक बड़ी बचत की क्षमता रखते हैं।
- मीन राशि में-द्वितीय भाव
दूसरे भाव में, मीन राशि वाले जातक तीव्र बुद्धि के होते हैं। चूंकि, अपने सत्तारूढ़ ग्रह, बृहस्पति के प्रभाव में, वे जातक अपने व्यक्तिगत संबंधों के लिए तनाव की स्थिति का सामना कर सकते हैं। इसके साथ ही, इस भाव मीन जातक अपने कार्य के अनुसार धन प्राप्त करते हैं बिना कार्य के उनकी स्थिति सुधरना मुश्किल हो सकता है। ऐसे जातक अपना अधिकांश समय अपने परिवार और प्रियजनों के साथ बिताना पसंद करते हैं।
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कब देता है? द्वितीय भाव नकारात्मक और सकारात्मक प्रभाव
- नकारात्मक प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों की बात करें तो, कुंडली में यदि दूसरे भाव का स्वामी मजबूत नहीं है या उस पर क्रूर या अशुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ रही है, या फिर क्रूर ग्रहों के साथ दूसरे भाव के स्वामी की युति बन रही है तो यह जातक को धन संबंधी परेशानियां देता है। इसके साथ ही, गुरु और बुध कुंडली के त्रिक भाव यानी (छठवें, आठवें, बारहवें) में बैठे हों तो जातक को धन का संचय करने हेतु कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है। इसके अलावा, यदि दूसरे भाव का स्वामी कुंडली में नीच राशि में विराजमान हो तो, तब भी जातक को, धन संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
- सकारात्मक प्रभाव
कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य ग्रह के होने से जातक को तेज और ऊर्जा मिलती है वैसे ही चंद्र ग्रह जातक के दूसरे भाव में सुन्दरी विकास का संकेत देता है! साथ ही, शुक्र और गुरु बृहस्पति के जैसे शुभ ग्रहों के प्रभाव का दूसरे भाव में होना जातक के धन संबंधी और भौतिक संसाधनों में शुभता को दर्शाते हैं।
द्वितीय भाव में- ग्रहों से संबंधित अशुभ प्रभाव के उपाय
ज्योतिष में किसी भाव के शुभ या अशुभ परिणाम उस भाव में उपस्थित ग्रहों की चाल पर निर्भर करता है यानी अपनी राशि के साथ-साथ, समय के अनुरूप, दूसरे भाव उपस्थित ग्रहों का स्थान और प्रभाव भी सही होना आवश्यक है। यदि ऐसा ना हो तो जातक के जीवन पर बुरे प्रभावों का सामना करने की संभावना बनती है। हमारे ‘मंगल भवन’ के ज्योतिष आचार्यों ने यहां दूसरे भाव में ग्रहों के अनुसार, कुछ आसान से उपाय बताए हैं, ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए उपयुक्त हैं- आइए जानते हैं दूसरे भाव में ग्रहों से सम्बन्धित उपाय-
सूर्य ग्रह के लिए उपाय
- धार्मिक स्थानों पर नारियल, बादाम और सरसों का तेल दान करें।
- महिलाओं के लिए सम्मान का भाव रखें।
- परिवार में संपत्ति और धन संबंधी मामलों में विवाद की स्थिति से दूर रहें।
चन्द्रमा ग्रह के लिए उपाय
- सुबह और दोपहर के भोजन में नमक न डालें।
- सोमवार का व्रत रखें।
बुध ग्रह के लिए उपाय
- मांसाहारी भोजन और शराब इत्यादि व्यसन चीजों से दूर रहें।
शुक्र ग्रह के लिए उपाय
- गाय को भोजन खिलाएं।
- बुरे विचारों से दूर रहें।
- देवी-देवताओं के सम्मुख शुद्ध धी का दीपक लगाएं।
मंगल ग्रह के लिए उपाय
- मंगलवार के दिन पुजारियों को वस्त्र, चंदन, लाल मूंगा, गुड़ और अन्य पूजा सामग्री या वस्तुएं अर्पित करें।
बृहस्पति ग्रह के उपाय
- बुजुर्गों और महिलाओं का सम्मान करें।
- धार्मिक कार्यों का हिस्सा बने।
- गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
- गुरुवार के दिन मंदिर में केले का प्रसाद अर्पित करें और केले के पौधे में जल चढाएं।
शनि ग्रह के उपाय
- शनिवार के दिन जरुरत मंदों को काली वस्तुओं और काले कपड़ों का दान करें।
- किसी भी धार्मिक स्थल और गरीबों को मसूर की दाल का दान करने से लाभ होगा।
- बिना चप्पल के किसी शनि मंदिर में जाकर भगवान शनि देव की आराधना करें।
राहु ग्रह के उपाय
- चांदी का टुकड़ा या सिक्का अपने पास रखें।
- यदि संभव हो तो चांदी या सोने का लॉकेट या ब्रेसलेट पहनें।
- अपने प्रतिदिन पहनने के कपड़ो में, भगवा रंग के कपड़े शामिल करें।
केतु ग्रह के लिए उपाय
- महिलाओं और मित्रों का ध्यान रखें और सम्मान का भाव रखें।
- प्रतिदिन केसर, हल्दी और चंदन का तिलक करें।
- किसी भी धार्मिक स्थल पर या जरूरतमंदों में पूजा स्थल इमली और तिल का दान करें।
निष्कर्ष
उपरोक्त लेख में हमारे ज्योतिष आचार्यों के माध्यम से हमने कुंडली के दूसरे भाव के के बारे में जाना! जो कि धन और संपत्ति से संबंधित है यानी कुल-मिलाकर जातक की भविष्य में प्राप्त धन संपदा और पूर्वजों से मिलने वाली धन संपदा की जानकारी कुंडली के दूसरे भाव से मिलती है। साथ ही, इसमें मुख्य रूप से जीवन में मूल्यवान चीजों के बारे में भी जानकारी शामिल है। ज्योतिष में यह ‘संपत्ति का घर’ या ‘धन भाव’ कहलाता है। साथ ही हमने दूसरे भाव में नवग्रहों के अनुरूप उपाय और विभिन्न राशियों के दूसरे भाव में व्यवहार के बारे में भी जाना।
FAQS\ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q. कुंडली के द्वितीय भाव क्यों महत्वपूर्ण है?
An. कुंडली में हम दूसरे भाव के महत्व को आसान शब्दों में समझे तो, पहले भाव में की गई गतिविधियों का परिणाम जातक के दूसरे भाव में निहित होता है। और इसके साथ ही, जातक के पास जो धन-संपदा होती है, उसकी जानकारी इस दूसरे भाव से ली जा सकती है। भले ही फिर वह उनकी स्वयं की मेहनत या पूर्वजों की मेहनत से अर्जित की हो।
Q. मकर राशि का दूसरा भाव कैसा होता है?
An. दूसरे भाव में शनि के स्वामित्व में मकर राशि वाले जातक धन कमाने की ओर अधिक ध्यान देते हैं। अपने आर्थिक और वित्तीय नियंत्रण पर वे अधिक ध्यान देते हैं। वे अच्छा कमाते हैं, लेकिन वे अपनी बचत के लिए उतने ही सक्रिय होते हैं। बड़े निवेश करने की योजना के पहले वे स्वयं को सक्षम बनाते हैं।
Q. वैदिक ज्योतिष में, दूसरे भाव को क्या नाम दिया गया है?
An. ज्योतिष में दूसरे भाव का वैदिक नाम ‘धन भाव’ है।
Q. दूसरे भाव के स्वामी ग्रह कौन है?
An. कुंडली के दूसरे भाव के स्वामी ग्रह शुक्र ग्रह हैं।