ज्योतिष में- नौवें भाव का महत्व
वैदिक ज्योतिष, जन्म कुंडली का नौवा भाव नैतिकता, आध्यात्मिक मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है। यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में यह भाव मजबूत और शुभ ग्रहों के प्रभाव में होता है तो, ऐसे जातक धार्मिक कार्यों में गहरी रुचि रखने वाले होते हैं। साथ ही, ऐसे जातक उदार स्वभाव या मतलबी भी हो सकते हैं। इसके अलावा, कुंडली में नौवा (नवम भाव) इस बात का भी सूचक है कि, जातक अपने आंतरिक और बाह्य जीवन का विस्तार किस प्रकार से करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक नौवे भाव के स्वामी ग्रह गुरु बृहस्पति है। जिनकी शुभ स्थिति के प्रभाव में इस भाव का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है! साथ ही, यदि कोई अन्य शुभ ग्रहों की स्थिति इस भाव में हो तो इस भाव के कारक और अधिक बलवान हो जाते हैं। जिसके शुभ परिणाम में जातक को कई क्षेत्रों में अच्छी सफलता मिलती है। वहीं, कमजोर बृहस्पति और अशुभ ग्रहों की स्थिति के कारण जातक को इस भाव से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
आज के इस लेख में, ‘मंगल भवन’ के वरिष्ट आचार्यों द्वारा कुंडली के नौवें भाव में, बारह राशियों के जातकों के स्वभाव के बारे में विस्तृत जानकारी दी है! तो आइए आगे पढ़ते हैं-
कुंडली में- नौवें भाव में शुभ और अशुभ ग्रहों का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली के नौवें भाव में यदि बृहस्पति, सूर्य, चंद्रमा और मंगल जैसे ग्रह उपस्थित हो तो, यह जातक को बेहद शुभ और अनुकूल परिणाम दे सकते हैं। इसी के साथ ही, बुध और शुक्र जैसे ग्रहों के प्रभाव से जातक को नकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं।ऐसा इसलिए क्योंकि, बुध और शुक्र ग्रह कुंडली के नौवें भाव में, कमजोर स्थिति में होते हैं! अतः शुभ फलों में कमी करते हैं। आगे हम पढ़ते हैं, कुंडली के नौवें भवमें कौन से गृह शुभ प्रभाव देंगे और कौन से अशुभ?
कुंडली में- नौवें भाव में शुभ और अशुभ ग्रहों का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली के नौवें भाव में यदि बृहस्पति, सूर्य, चंद्रमा और मंगल जैसे ग्रह उपस्थित हो तो, यह जातक को बेहद शुभ और अनुकूल परिणाम दे सकते हैं। इसी के साथ ही, बुध और शुक्र जैसे ग्रहों के प्रभाव से जातक को नकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं।ऐसा इसलिए क्योंकि, बुध और शुक्र ग्रह कुंडली के नौवें भाव में, कमजोर स्थिति में होते हैं! अतः शुभ फलों में कमी करते हैं। आगे हम पढ़ते हैं, कुंडली के नौवें भवमें कौन से गृह शुभ प्रभाव देंगे और कौन से अशुभ?
नौवें भाव में- शुभ ग्रहों का प्रभाव
- बृहस्पति ग्रह : कुंडली के के नौवें भाव में यदि गुरु बृहस्पति गृह की स्थिति है तो, यह जातक को विदेश यात्रा के अच्छे अवसर देता है। साथ ही, ऐसे जातक विदेश में शिक्षा प्राप्त करने भी जा सकते हैं! गुरु की शुभ दृष्टि से जातकों की रूचि धार्मिक कार्यों में अधिक होती है।
- शुक्र ग्रह: कुंडली के नौवें भाव में शुक्र ग्रह विराजमान हो तो जातक, कलात्मक और सौंदर्य से संबंधित विषयों में रुचि लेता है।
नौवें भाव में- शुभ ग्रहों का प्रभाव
- राहु ग्रह: नौवें भाव का राहु ग्रह जातक को विदेश यात्रा में बाधाएं या चुनौतियां देने वाला होगा। साथ ही, यह जातक में अध्यात्म के प्रति भ्रम की स्थिति पैदा करता है।
- मंगल ग्रह: कुंडली के नौवें भाव में मंगल ग्रह की उपस्थिति जातक की विदेश यात्राओं में दुर्घटनाओं की सूचक हो सकती है।
नौवें भाव में प्रभावित जातक स्वभाव कैसा होगा?
कुंडली में, नौवें भाव को एक महत्वपूर्ण और शुभ भावों में से एक माना गया है। जो कि, ज्ञान, भाग्य, सौभाग्य और धार्मिक कर्मों का प्रतिनिधित्व करता है। ज्योतिष में त्रिनेत्र भावों में से इसे सबसे बलवान माना गया है। इसके साथ ही, कुंडली का नौवा भाव जातक के वर्तमान जीवन के साथ आपके पिछले जन्म के बारे में भी जानकारी भी मिल सकती है। हालांकि, जातक कैसे परिणाम प्राप्त करेंगे, यह राशियों ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है।
इसके अलावा, स्वास्थ्य की दृष्टि से देखे तो, मानव शरीर में, प्रजनन तंत्र, जांघों आदि से संबंधित होता है। यह भाव जातकों को शिक्षा से संबंधित कार्य करने के लिए, भी बाध्य करता है। यानी शिक्षा संबंधित कार्यों के लिए नौवा भाव जातक को सही राह दिखाता है। साथ ही, कोई उच्च राशि में यह भाव प्रभावशाली है तो, जातक के एक शिक्षक, प्रोफेसर या सलाहकार होने की प्रबल संभावना होती है।। जो कि, सामान्य रूप से व्यापारी वर्ग और एडवेंचर को पसंद करने वाले जातकों के लिए अच्छा होता है।
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बारह राशियों में- नौवें भाव का महत्व
राशि चक्र की सभी बारह राशियों में, जन्म कुंडली में नौवे भाव के महत्व को समझा जाए तो, हमें सभी राशि के जातकों के गुणों और स्वाभाविक विशेषताओं के बारे में जानकारी मिल प्राप्त होती है। क्योंकि, ज्योतिष शास्त्र में, जितना महत्व कुंडली के नौवे भाव का है उतना ही सभी राशियों में भी यह महत्वपूर्ण भूमिका रखता है! कुंडली के नौवें भाव में विभिन्न राशियों के परिणाम कुछ इस प्रकार हैं-
- नवम (नौवा) भाव- मेष राशि में
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मेष राशि में, नवम भाव की मौजूदगी जातक के विचारों को प्रभावित करती है! ऐसे जातकों पर आसानी से विश्वास किया जा सकता है। ये जातक अपने कार्य में किसी का दखल पसंद नहीं करते हैं। साथ ही, इन जातकों की रुचि धार्मिक कार्यों में अधिक होती है। मेष राशि के लिए कुंडली के नौवे भाव की भूमिका का यह संयोजन एक बड़ा ही आदर्श संयोजन होता है, जो उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है।
- नवम भाव- वृषभ राशि में
वृषभ राशि में, नवम भाव से प्रभावित जातक भौतिक संसार के प्रति अधिक सजग रहते हैं। वे अपने और नजरिए से अधिक विश्वास पात्र होते हैं। ऐसे जातक संभवतः जिद्दी और अधीर भी होते हैं। ऐसे जातक अपने मूल स्थान से दूर रहकर कार्य करते हैं, क्योंकि यात्रा करना उन्हें पसंद हो सकता है। साथ ही, व्यवसाय से जुड़ी यात्राएं होने के भी संकेत हैं।
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- नवम भाव- मिथुन राशि में
नौवें भाव का प्रभाव, मिथुन राशि के जातक, पर होने से यह उनकी बातचीत करने का तरीका प्रभावित करता है। इतना ही नहीं, यदि इस राशि के किसी जातक को बोलने से संबंधित समस्या है तो, धीरे-धीरे यह खत्म हो जाएगी। ये जातक अपनी बात रखने की एक बेहतरीन कला जानते हैं। इसके अलावा, ऐसे जातक अपने कार्य को करने के प्रति भी निडर प्रवृत्ति के होते हैं। एक से अधिक लक्ष्यों को पूरा करने का सामर्थ्य भी होता है।
- नवम भाव- कर्क राशि में
नवम भाव का कर्क राशि में संयोजन होना इस बात का सूचक है कि, जातक आत्म शांति की तलाश करने वाला होगा ! जो किसी भी सीमा को पार करने के लिए तैयार है। लेकिन वे अपने चंचल मन के कारण सफल नहीं हो पाते हैं। इन जातकों को जीवनसाथी या संतान पक्ष के साथ सम्बन्धों में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जिसका मुख्य कारण अपने साथी के साथ विश्वास और आपसी समझ में कमी हो सकता है।
- नवम भाव- सिंह राशि में
नौवें भाव में सिंह राशि वाले जातक अपने परिवार से प्रेम करने वाले और उनका बहुत अच्छे से पालन-पोषण करने वाले होते हैं! इस तरह से मूल्यों का अधिक रखने के कारण उनकी अपने परिवार और दूसरों के बीच एक बहुत ही अच्छी छवि बन जाती है। अपने दोस्तों पर ये जातक अधिक विश्वास करते हैं। वे जीवन को गंभीरता की बजाय बहुत ही, स्वतंत्रता के साथ जीना पसंद करते हैं! और पुरानी चीजों को बहुत पीछे छोड़कर आगे चलने पर विश्वास करते हैं। अतः सिंह राशि का नौवें भाव में प्रभाव जातक को जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
- नवम भाव- कन्या राशि में
नौवें भाव से, कन्या राशि का जातक धार्मिक और दान-धर्म के कार्यों के प्रति रुचि रखने वाला होता है। इन जातकों को दूसरों की मदद करने में भी अधिक रुचि होती है। हालाँकि, ज्ञान सम्बन्धी मामलों में, सूर्य ग्रह का प्रभाव समस्या जनक हो सकता है। यात्रा करने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- नवम भाव- तुला राशि में
तुला राशि में नवम भाव से प्रभावित जातक, की सोचने की क्षमता प्रभावित होती है। संभव है कि ऐसे जातक बोलने के पहले अधिक विचार नहीं करते हैं, क्योंकि इन जातकों में आत्मविश्वास की कमी हो सकती है। अतः उन्हें मन की शांति प्राप्त करने के लिए खुद की आलोचना को किनारे रखकर; किसी भी वस्तु को सिखने पर अधिक फोकस करना चाहिए। साथ ही, इन जातकों के लिए सौहार्दपूर्ण संबंध बनाना मुश्किल हो सकता है और जीवनसाथी को खोने का डर हमेशा रहेगा।
- नवम भाव- वृश्चिक राशि में
वृश्चिक राशि में नौवें भाव से प्रभावित जातक, अनोखे विकल्पों का चुनाव करने वाले होते हैं! जिसके कारण दूसरों के बीच उनकी अलग पहचान होती है। साथ ही, ये जातक बहुत ही विनम्र और जमीन से जुड़े इंसान हो सकते हैं। इन जातकों का दोस्त सर्कल अच्छा और विशाल होता है। ये जातक जन्म से बहुत मजबूत आत्मविश्वास वाले होते हैं। उन्हें, दूसरों के मामलों के बारे में जानने की इच्छा रहती है।
- नवम भाव- धनु राशि में
धनु राशि में, नौवे भाव से प्रभावित जातक, जातक बहुत ही, व्यापक बुद्धि के होते है। इन जातकों में, नई चीजों को आजमाने की प्रबल इच्छा रहती है। साथ ही, धनु राशि के साथ नवम भाव का संयोजन जातक के विचारों और भरोसा करने की प्रक्रिया में समस्या पैदा करने वाला होता है। ऐसे जातक, एक शिक्षक या फिर एक वक्ता के रूप में अपने करियर में आगे बढ़ सकते हैं। इन जातकों को किसी प्रकार की परिवर्तन को स्वीकार करने में समस्या होती है, क्योंकि वे अपने नैतिक मूल्यों को अधिक महत्व देते हैं।
- नवम भाव- मकर राशि में
मकर यदि नवम भाव की राशि है, तो यह इस बात की सूचक है कि, इन जातकों को कुछ नया करने की लालसा तो होगी पर वे परिवर्तन करना पसंद नहीं होगा। क्योंकि, चीजों का वास्तविक उद्देश्य जानने में उनकी रुचि नहीं होगी। यदि मकर राशि के नौवें भाव में, शनि ग्रह मजबूत स्थिति में तो यह जातक को समाज में ख्याति और प्रतिष्ठा हासिल करने में सहायक होगी।
- नवम भाव- कुंभ राशि में
कुम्भ राशि,के जातकों का नौवा भाव यह संकेत देता है कि, ये जातक अपने निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रबल इच्छा वाले होते हैं। साथ ही, गणित, आईटी या फिर खगोल विज्ञान जैसे क्षेत्रों में उन्हें अच्छी सफलता मिल सकती है। जिंदगी के बाद के चरणों में अपने जीवन में जो अतिरिक्त जिम्मेदारियां आपको मिलने वाली हैं, उन्हें स्वीकार करना आपके लिए मुश्किल हो सकता है। इस संयोजन की वजह से आपके नजरिए में गंभीरता की कमी हो सकती है। ऐसे में आपके मन में अशांति पैदा हो सकती है।
- नवम भाव- मीन राशि में
कुंडली के नौवें, भाव में मीन राशि के जातक, दिन में सपने देखने वाले होते हैं। साथ ही, इन जातकों को, अपने जीवन में, तनाव की स्थिति का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष की सलाह में, इस संयोजन वाले जातकों को सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए आजाद होकर कार्य करने की आवश्यकता है। साथ ही, इन जातकों की रुचि, धर्म की ओर अधिक होती है। इसलिए, उनका झुकाव आध्यात्मिक जीवन में विकसित करने में उन्हें अपने विचारों के प्रति मदद मिल सकती है।
सारांश
वैदिक ज्योतिष में नवम भाव आपको अपनी जिंदगी में जरूरी सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान कर सकता है। साथ ही अपने जीवन में उल्लेखनीय प्रगति हासिल करने के लिए आपका भाग्य भी आपके साथ हो सकता है। इसके अलावा यदि भाग्य के भाव में शुभ ग्रह हैं, तो इससे आपको अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं। हालांकि, नवम भाव में अशुभ ग्रहों की दृष्टि रहे तो ऐसे में चीजें उस तरह की नहीं रह सकती हैं।
FAQS\ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q. कुंडली का नौवा भाव कैसा होता है?
An. कुंडली में नौवा (नवम भाव) इस बात का भी सूचक है कि, जातक अपने आंतरिक और बाह्य जीवन का विस्तार किस प्रकार से करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक नौवे भाव के स्वामी ग्रह गुरु बृहस्पति है। जिनकी शुभ स्थिति के प्रभाव में इस भाव का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है!
Q.क्या कुंडली का नौवा भाव अशुभ स्थान होता है?
An. कुंडली में, नौवें भाव को एक महत्वपूर्ण और शुभ भावों में से एक माना गया है। जो कि, ज्ञान, भाग्य, सौभाग्य और धार्मिक कर्मों का प्रतिनिधित्व करता है। ज्योतिष में त्रिनेत्र भावों में से इसे सबसे बलवान माना गया है। इसके साथ ही, कुंडली का नौवा भाव जातक के वर्तमान जीवन के साथ आपके पिछले जन्म के बारे में भी जानकारी भी मिल सकती है।
Q. क्या, सभी राशियों में नौवे भाव का प्रभाव अलग होता है?
An. हां, ज्योतिष में, सभी 12 राशियों पर नौवें भाव का प्रभाव अलग-अलग बताया गया है।
Q. नौवे भाव का जातक पर क्या प्रभाव होता है?
An. जन्म कुंडली का नौवा भाव नैतिकता, आध्यात्मिक मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है। यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में यह भाव मजबूत और शुभ ग्रहों के प्रभाव में होता है तो, ऐसे जातक धार्मिक कार्यों में गहरी रुचि रखने वाले होते हैं।