विदेशी जीवन साथी पाने के लिए कुंडली में ग्रहों की भूमिका
वैदिक ज्योतिष में, जातक के हर रिश्तों और जीवन के मुख्य पहलुओं के बारे में जानकारी ज्ञात की जा सकती है। उसी प्रकार विवाह की बात करें तो, कुछ लोग स्वयं को अन्य संस्कृतियों या देशों से जुड़ने के लिए के लिए आकर्षित रहते हैं। तो, यह भी कुंडली में भाव और उस भाव में उपस्थित ग्रहों के संयोग से ही संभव हो पाता है! क्या, इसमें कोई ज्योतिषीय संकेत जीवन और रिश्तों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका में होते हैं? चलिए जानते हैं आज के इस ‘मंगल भवन’ के लेख में, जो की जातक के जीवन में विदेशी जीवन साथी के योग को दर्शाता है-
विदेशी जीवन साथी के सप्तम भाव की भूमिका-ज्योतिष में
ज्योतिष शास्त्र में, कुंडली का सातवाँ यानी सप्तम भाव जो की, साझेदारी और विवाह के भाव के रूप में जाना जाता है। इस भाव के माध्यम से हम जातक की विदेश यात्रा और विदेशी संबंधों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि, यह भाव विदेश की यात्रा और विदेश में संबंधों से जुड़ा रहता है! इसके साथ ही, जीवनसाथी का निर्धारण करने में सप्तम भाव की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस भाव में उपस्थित ग्रहों की चाल या स्थिति के माध्यम से जीवनसाथी के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
जैसे- यदि शुक्र कुंडली के सातवें भाव में है, तो जातक के सुखी वैवाहिक जीवन और जातक के आकर्षक व्यक्तित्व को दर्शाता है। इसी प्रकार, जातक के सातवें भाव के स्वामी की स्थिति के द्वारा भी जातक के जीवन से जुड़ी अन्य जानकारी और जीवनसाथी के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। यदि सातवें भाव के स्वामी कुंडली में, नवम भाव में विराजमान हो, तो यह जातक की विदेश यात्रा से सम्बन्धित होता है, यानी ऐसे जातक का विवाह किसी विदेशी से होने की संभावना हो सकती है।
इसके अलावा, कुंडली का सप्तम भाव और इस भाव के स्वामी पर अन्य शुभ और अशुभ ग्रहों की दृष्टि, जातक का विवाह विदेश में होने का संकेत देते हैं। जैसे- यदि बृहस्पति गुरु, जातक के जीवन की मुख्य यात्रा को दर्शाता है, गुरु का सातवें भाव के स्वामी के साथ शुभ स्थिति में होने से यह एक विदेशी जीवनसाथी का संकेत दे सकता है। इसके साथ ही, ज्योतिष में सप्तम भाव के माध्यम से जातक के जीवन साथी के बारे में, महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जाती है।
जैसे- धनु राशि के सातवें भाव में शुक्र और बृहस्पति ग्रह की स्थिति के कारण जातक का जीवन साथी साहसी और यात्रा पसंद होता है। इसी प्रकार यदि कुंभ राशि के सातवें भाव की बात करें तो, ऐसे जातकों के जीवन साथी सभ्य और ईश्वर पर आस्था रखने वाले होते हैं! कुंडली का नवम भाव जो कि विदेश यात्रा से जुड़ा होता है और द्वादश (बारहवां) भाव जो विदेशी संबंधों से संबंधित है! यह भी जातक के विदेशी जीवनसाथी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकता है।
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सप्तम भाव पर शुक्र, बृहस्पति और मंगल ग्रह का प्रभाव- ज्योतिष में
कुंडली के सातवें भाव, को एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू माना गया है। जो कि, जातक के रिश्तों और साझेदारी को दर्शाता है। कुछ ग्रह ऐसे होते हैं जो, यदि इस भाव में विराजमान हो तो, यह जातक के जीवन साथी का विदेशी होने के संकेत देते हैं- यानी इन ग्रहों के प्रभाव से जातक के विदेशी जीवनसाथी की भविष्यवाणी के बारे में जाना जाता है- जैसे शुक्र, बृहस्पति और मंगल ग्रह यदि कुंडली के सातवें भाव में, स्थित होंगे तो, यह जातक के वैवाहिक जीवन और विदेशी जीवन साथी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का कार्य करेंगे। ज्योतिष में इन ग्रहों को बहुत ही, अद्वितीय विशेषताओं, शक्तिशाली और प्रभावशाली ग्रहों की संज्ञा दी जाती है। इन ग्रहों के शुभ और सकारात्मक प्रभाव जातक का विदेशी जीवनसाथी होने की संभावना को निर्धारित करता है।
शुक्र ग्रह
ज्योतिष में, शुक्र ग्रह जातक के प्रेम और सौंदर्य का कारक ग्रह है। इस ग्रह को आकर्षण, सौंदर्य और सद्भाव का प्रतीक माना जाता है। शुक्र ग्रह के सप्तम भाव में होने से जातक के विदेशी जीवनसाथी की संभावना के बारे में बताता है। साथ ही, सप्तम भाव में शुक्र ग्रह जातक के विभिन्न संस्कृतियों के प्रति आकर्षित होने का भी संकेत देता है। ऐसे जातकों की रूचि विदेशी संस्कृति या किसी अन्य राष्ट्रीयता के प्रति हो सकती है। सप्तम भाव में शुक्र ग्रह जातक को विदेशी जीवन साथी का संकेत देता है!
मंगल ग्रह
ज्योतिष शास्त्र में, मंगल ग्रह को ऊर्जा और जुनून का ग्रह माना गया है। जो कि जातक की महत्वाकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। कुंडली के सातवें भाव में, जब मंगल ग्रह की स्थिति आती है तो, यह रिश्तों में विस्तार को बढाता है। इस ग्रह की स्थिति के परिणामस्वरूप जातक के रिश्ते गतिशील होते हैं। साथ ही, मंगल की यह स्थिति लम्बी यात्रा या विदेशी भूमि का पता लगाने की तीव्र इच्छा का भी संकेत दे सकता है। हालांकि, यह इच्छा जातक के विदेश में प्रेम सम्बन्ध पाने का कारण भी हो सकती है। मंगल ग्रह के साथ, सप्तम भाव में स्थित अलग-अलग राशियां विदेशी जीवनसाथी की भविष्यवाणियों को भी प्रभावित करती हैं। जैसे मिथुन, तुला और कुंभ जैसी वायु प्रधान राशियां यात्रा और संचार के लिए प्रेम को दर्शाती हैं। वहीं, मेष, सिंह और धनु जैसी अग्नि प्रधान राशियां रोमांच का जुनून होता है। वे विदेश में प्यार का अनुभव करने की इच्छुक होती हैं।
बृहस्पति ग्रह
सातवें भाव में, बृहस्पति की स्थिति विदेश में सम्बन्ध का एक मजबूत संकेत देती है। जातक का यह संबंध किसी विदेशी जीवनसाथी के रूप में भी हो सकता है, जो की जातक के जीवन को नए-नए आयामों की दृष्टि प्रदान करता है और समृद्ध बनाता है। इस स्थिति के अलावा, अन्य ग्रहों के साथ बृहस्पति की अंतःक्रिया भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उदाहरण के लिए, जब बृहस्पति प्रेम और संबंधों के ग्रह शुक्र के साथ युति में होता है, तो यह एक विदेशी जीवनसाथी का संकेत दे सकता है। यह संयोजन एक अलग देश के साथी के साथ एक सार्थक संबंध की क्षमता को बढ़ाता है। इसके अलावा, बृहस्पति और चंद्रमा या सूर्य के बीच के पहलू भी प्रासंगिक हो सकते हैं।
ज्योतिष में- कुंडली में विदेशी जीवन साथी के मुख्य लक्षण
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नौवां भाव विदेश की लंबी यात्राओं और दूर के स्थानों को दर्शाता है, इसके साथ ही, यह दूसरे देशों के साथ संसकर्ति से जुड़ने के लिए भी सबसे महत्वपूर्ण भाव (घर) है। यदि कुंडली के नौवें भाव में, बृहस्पति, एक अच्छी स्थिति में विराजमान हो तो,यह जातक के विदेश में जीवन साथी को दर्शाता है। इसी प्रकार, कुंडली का सातवां भाव जातक के प्रेम से सम्बन्धित जानकारी देता है।
- इसके अलावा, नौवें या सातवें भाव में शुक्र या मंगल ग्रह की उपस्थिति विदेश में, साथी की ओर इशारा करता है। यदि, सातवें भाव में, इन ग्रहों की अच्छी स्थिति है तो, दूसरे देश या संस्कृति के व्यक्ति से विवाह का कारण बनता है।
- इसके साथ ही, विदेशी जीवन साथी का चुनाव इस आधार पर किया जा सकता है कि चंद्रमा आकाश में किस स्थान पर है। यदि चंद्रमा जल राशि में है, तो इसका अर्थ है कि, आपका साथी दूसरे देश से है। वैसे ही, यदि चंद्रमा नवम भाव में है तो यह भी विवाह में विदेशी संबंध का कारण बन सकता है।
- चंद्र राशि के अनुसार, राहु या केतु भी जातक के विदेश में विवाह होने के कारण बनते हैं। कुंडली के सातवें भाव में, राहु या केतु की उपस्थिति से जातक का दूसरे देश या संस्कृति से विवाह होने के संकेत देता है।
कुंडली में, ग्रहों की इन स्थितियों के अलावा, दशा या सौर समय से भी ज्ञात किया जा सकता है कि जातक का जीवन साथी किसी दूसरे देश के व्यक्ति से विवाह कर सकता है। बृहस्पति या नवम भाव के स्वामी की दशा के दौरान, दूर का संबंध होने की संभावना है। इसी तरह, यदि सप्तम भाव के स्वामी या शुक्र की दशा अच्छी चाल के साथ चल रही हो तो विदेश में विवाह हो सकता है।
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विदेशी जीवन साथी के लिए उपाय
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि किसी जातक को अपना मनपसंद जीवनसाथी पाने की इच्छा है तो, ऐसे जातक को नियमित रूप भगवान शिव जी की उपासना करने की सलाह दी जाती है! साथ ही, रूद्राष्टक का पाठ करना बहुत लाभदायक होगा। ज्योतिष शास्त्र किसी भी उपाय के लिए केवल मार्ग दिखाने का कार्य करता है साथ ही, जातक के श्रद्धा और विश्वास उसकी सफलता की कुंजी होते हैं।
- अपने लिए योग्य और मनचाहा विवाह करने के लिए जातक को नियमित रूप से पीपल के पेड़ को जल देना चाहिए
- गरीबों और जरुरत मंदों की सेवा करने से जीवन में खुशहाली और समृद्धि आती है।
FAQS\ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q. कैसे ज्ञात किया जाता है कि, कुंडली में विदेशी जीवन साथी का योग है?
An. वैदिक ज्योतिष में, जातक के हर रिश्तों और जीवन के मुख्य पहलुओं के बारे में जानकारी ज्ञात की जा सकती है। उसी प्रकार विवाह की बात करें तो, कुछ लोग स्वयं को अन्य संस्कृतियों या देशों से जुड़ने के लिए के लिए आकर्षित रहते हैं। तो, यह भी कुंडली में भाव और उस भाव में उपस्थित ग्रहों के संयोग से ही संभव हो पाता है!
Q. विवाह और विदेशी सम्बन्ध के लिए कुंडली में कौन सा ग्रह देखा जाता है?
An. ज्योतिष शास्त्र में, कुंडली का सातवाँ यानी सप्तम भाव जो की, साझेदारी और विवाह के भाव के रूप में जाना जाता है। इस भाव के माध्यम से हम जातक की विदेश यात्रा और विदेशी संबंधों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि, यह भाव विदेश की यात्रा और विदेश में संबंधों से जुड़ा रहता है! इसके साथ ही, जीवनसाथी का निर्धारण करने में सप्तम भाव की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
Q.सप्तम भाव में कौन से ग्रह विदेशी जीवन साथी के लिए महत्वपूर्ण होते हैं?
An. कुछ ग्रह ऐसे होते हैं जो, यदि इस भाव में विराजमान हो तो, यह जातक के जीवन साथी का विदेशी होने के संकेत देते हैं- यानी इन ग्रहों के प्रभाव से जातक के विदेशी जीवनसाथी की भविष्यवाणी के बारे में जाना जाता है- जैसे शुक्र, बृहस्पति और मंगल ग्रह यदि कुंडली के सातवें भाव में, स्थित होंगे तो, यह जातक के वैवाहिक जीवन और विदेशी जीवन साथी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का कार्य करेंगे।
Q. क्या सभी कुंडली में विदेशी जीवन साथी या दूसरे देश में संबंध के योग होते हैं?
An. नहीं, सभी राशियों के अलग-अलग भावों में ग्रहों की स्थिति अलग-अलग होती है! अतः कुंडली में भी इसके प्रभाव अलग-अलग होते हैं।