बुधादित्य योग (Budhaditya yog)
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में बुधादित्य योग का निर्माण ग्रहों के राजा सूर्य और बुद्धि के देव ग्रह बुध की युति से बनता है। यानी जब सूर्य-बुध कुंडली के किसी भी भाव में एक साथ विराजमान होते हैं या युति बनाते हैं! तो यह योग बनता है। ज्योतिष की गणना में यह योग सबसे शुभ फलदायी तब होता है, जब बुध सूर्य के पीछे 14 अंश पर स्थित हो। लेकिन, अगर डिग्री के मुताबिक सूर्य और बुध बहुत पास हों तो यह योग सामान्य फल देता है।
ज्योतिष में- राजयोग व बुधादित्य योग
जन्म कुंडली में सूर्य और बुध ग्रह की युति से एक राजयोग का निर्माण होता है, जिसे ‘बुधादित्य योग’ भी कहते हैं। इस योग के प्रभाव से जातक को जीवन में अपार सफलता मिलती है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक में जिन शुभ और राजयोग का वर्णन किया गया उनमें से एक बुधादित्य योग भी है। इस योग को अत्यंत शुभ योग माना जाता है।
कुंडली में- सूर्य ग्रह
कुंडली में सभी ग्रहों का अलग महत्व होता है, इस योग के बारे में जानें उससे पहले हम सूर्य और बुध ग्रह के स्वभाव और महत्व के बारे में जान लेते हैं। सूर्य को सभी ग्रहों में राजा और देवता की उपाधि प्राप्त है। इतना ही नहीं सूर्य को ग्रहों का अधिपति भी कहा जाता है। मानव शरीर में सूर्य को आत्मा का कारक बताया माना गया है। सूर्य के शुभ प्रभाव से जातक को उच्च पद, मान सम्मान और प्रसिद्धि प्राप्त होती है। राशियों में सूर्य ग्रह सिंह राशि के स्वामी है और वहीँ मेष राशि में उच्च और तुला राशि में नीच के हो जाते हैं।
कुंडली में- बुध ग्रह
अब बात करते हैं नवग्रहों में बुध ग्रह की, बुध को बुद्धि और तर्क के देवता ग्रह मन जाता है। शास्त्रों में बुध को राजकुमार की संज्ञा दी गई है। कुंडली में बुध के शुभ होने पर जातक की भाषा और बोली प्रभावित होती है। ऐसे जातक व्यापार आदि में अच्छी सफलता प्राप्त करते है। राशियों में मिथुन और कन्या राशि के स्वामी बुध ग्रह हैं।
इसके साथ ही, घर में धन-संपत्ति और भाग्य में वृद्धि के लिए अलमारी में मोर पंख रखना शुभ होता है, क्योंकि यह जीवन में चल रहे प्रयासों और कार्यों में सफलता दिलाता है।
विभिन्न राशियों में- बुधादित्य योग का फल
ज्योतिष में, बुधादित्य योग जब वृषभ, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, कुंभ लग्न में बन रहा हो तो इस राशि के जातक बहुत प्रभावशाली और आकर्षक व्यक्तित्व के होते है। उन्हें दूसरों को मार्गदर्शन देना और निर्देश देना अच्छा लगता है। साथ ही, ऐसे जातक एक श्रेष्ठ प्रशासक, बॉस और लीडर बनते हैं। हमारे ज्योतिष आचार्यों के अनुसार, बुधादित्य योग सभी लग्न और राशियों को अलग-अलग प्रकार से शुभ फल देते है और प्रभावित करते है। जिस जातक की जन्म कुंडली में यह योग होता है, वह जीवन में बहुत मान-सम्मान और सफलता प्राप्त करता है। इस योग से शुभ फलों की प्राप्ति के लिए सूर्य देव को जल अर्पित करना और उनकी आराधना करना चाहिए साथ ही, बुधवार के दिन भगवान गणेश जी की आराधना करने से भी योग के शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
बुधादित्य योग से शुभ फल
कुंडली में जब, बुध और सूर्य साथ आते हैं तो, बुध आदित्य योग बनता है। बुध ग्रह और सूर्य जिन्हें हम आदित्य नाम से भी जानते हैं! अतः इस योग को भी बुधादित्य योग कहा जाता है। इन दोनों शुभ ग्रहों का संयोग जातक को शुभता और सकारात्मकता देने वाला माना जाता है! ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बुधादित्य योग बहुत सी जन्म कुंडली में देखा जाता है। लेकिन, इस योग के शुभ फल कुछ मामलों में ही अधिक मजबूती के साथ परिणाम देते हैं! जैसे-आइए समझते हैं…..
- जब सूर्य ग्रह बुध ग्रह के साथ मेष राशि में विराजमान हो।
- जब सूर्य और बुध कन्या राशि में विराजमान हो।
- जब सूर्य और बुध मिथुन राशि में विराजमान हो।
- जब सूर्य और बुध सिंह राशि में विराजमान हो।
यहां हमने जाना, जब सूर्य और बुध उपरोक्त राशियों में एक साथ स्थित हो तो; इस योग के शुभ फल प्राप्त होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इन राशियों में सूर्य और बुध की स्थिति साथ में मजबूत होती है। तो यह जातक को शुभ परिणाम देने में सहायक होते हैं। इसके विपरीत स्थिति में सूर्य और बुध के बलहीन या कमजोर होने पर यह जातक को शुभ फल देने में सक्षम नहीं होते है। जैसे- तुला और मीन राशि में स्थित सूर्य-बुध का योग बहुत अधिक शुभ नहीं होता है। क्योंकि, तुला में सूर्य नीच का होता है और मीन में बुध नीच राशि का होता है! अतः इन राशियों को अच्छे परिणाम नहीं मिल पाते हैं।
कुंडली के बारह भावों में- बुधादित्य योग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्म कुंडली के सभी 12 भावों में, बुधादित्य योग का अलग-अलग फल होता है! यानी जिस भाव में यह योग बनता है उस भाव के अनुरूप ही जातक को फल भी मिलते हैं। तो आइए जानते हैं कुंडली के बारह भावों में योग के प्रभावों के बारे में-
- पहले भाव में बुधादित्य योग
जन्म कुंडली के लग्न यानी पहले भाव में सूर्य और बुध का योग होने पर बुधादित्य योग बनता है! इन जातकों में श्रेष्ठ नेतृत्व करने का गुण पाया जाता है। इस भाव में योग के प्रभाव से जातक अपने घर-परिवार में मुख्य सदस्य की भूमिका प्राप्त होती है। साथ ही, ऐसे जातक समाज में बहुत मान-सम्मान और सफलता प्राप्त करते है।
- दूसरे भाव में बुधादित्य योग
जन्म कुंडली के दूसरे भाव में बुधादित्य योग बनने पर यह जातक को आर्थिक रूप से सफल बनाता है। साथ ही, यह जातक के शिक्षा के क्षेत्र में भी सफलता का कारक होता है। इन जातकों को परिवार सुख और पैतृक संपत्ति का सुख भी प्राप्त होता है। ऐसे जातक बोलने में कुशल वक्ता होते हैं और लोगों के बीच एक अच्छे तर्कसंगत और श्रेष्ठ विचारक भी होते है।
- तीसरे भाव में बुधादित्य योग
जन्म कुंडली के तीसरे भाव में बुधादित्य योग बनने से जातक परिश्रमी बनता है और अपनी बौद्धिकता के आधार पर सफलता प्राप्त करता है। ऐसे जातक बहुत रचनात्मक बुद्धि के होते हैं और अपनी भीतर छुपी हुई प्रतिभा को सब के सामने लेने वाले होते हैं! जिससे वे प्रतिष्ठा भी प्राप्त करते हैं।
- चौथे भाव में- बुधादित्य योग
जन्म कुंडली के चौथे भाव में इस योग के प्रभाव से प्रभावित जातक को, सुंदर घर और वाहन की प्राप्ति होती है। इन जातकों को लोगों का अच्छा सहयोग मिलता है। सरकार से भी लाभ मिलता है। योग के शुभ प्रभाव से जातक अच्छे और कुशल होते है! जिसके परिणाम स्वरूप जातक रचनात्मक क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर सकता है। साथ भी, जातक को विदेश घूमने के भी अवसर मिलते हैं।
- पांचवे भाव में बुधादित्य योग
कुंडली के पांचवे भाव में बुधादित्य योग के होने से जातक में मंत्र सिद्धि की शक्ति का संचार होता है। ऐसे जातक गहरे विचार वाले और आध्यात्म से जुड़ने वाले होते हैं। इन जातकों को शिक्षा के क्षेत्र में भी सफलता प्राप्त होती है। अपने ज्ञान के द्वारा वे नई-नई चीजों की खोज करने में सक्षम होते हैं। योग के शुभ प्रभाव से जातक में कलात्मक और रचनात्मक होने का गुण आता है।
- छठे भाव में बुधादित्य योग
जन्म कुंडली के छठे भाव में बुधादित्य योग के शुभ प्रभाव से जातक, पराक्रमी और साहसी बनता है। ऐसे जातक अपने शत्रुओं और विरोधियों को परास्त करने में बौद्धिक रूप से योजनाओं में निपुण होता है। साथ ही ऐसे लोग वाक्-चातुर्य होते है। जो अपने कार्यक्षेत्र में शारीरिक परिश्रम की अपेक्षा बुद्धि परिश्रम का अधिक उपयोग करते हैं।
- सातवें भाव में बुधादित्य योग
जन्म कुंडली के सातवें भाव में इस योग के होने पर प्रभावित जातक अपने जीवन साथी के साथ विचारों से मतभेद की स्थिति का सामना करता है। साथ ही, ऐसे जातक अपने सहयोगियों के साथ मिलकर कार्य करने वाले और समाज में बहुत प्रतिष्ठा व प्रसिद्धि प्राप्त करने वाले होते है।
- आठवें भाव में बुधादित्य योग
जन्म कुंडली में आठवें भाव में इस योग के होने पर जातक धार्मिक क्षेत्र में आगे बढ़ता है। ऐसे जातक रहस्यों को जानने की जिज्ञासा में अधिक रुचि रखते हैं। उन्हें पैतृक संपत्ति का सुख मिलता है। साथ ही स्वभाव से ऐसे जातक गंभीर और कम बोलने वाले होते हैं।
- नौवें भाव में बुधादित्य योग
जन्म कुंडली के नौवें भाव में बुधादित्य योग बनने पर जातक को भाग्य का बहुत साथ मिलता है और अपने पिता एवं वरिष्ठ लोगों का साथ और सहयोग से बहुत सफलता प्राप्त करता है। ऐसे जातक धार्मिक क्षेत्र में भी अग्रसर होते हैं। परिवार में, भाई-बंधुओं की ओर से भी प्रेम मिलता है।
- दसवें भाव में बुधादित्य योग
जन्म कुंडली के दसवें भाव में योग के बनने पर जातक को अपने कार्यक्षेत्र में राज्य की ओर से लाभ मिलता है। व्यापार में भी वे अच्छा मुनाफा कमाते हैं और काम को लेकर यात्राएं भी अधिक होती हैं। अपने कार्य के आधार पर वे बहुत प्रशंसा प्राप्त करते हैं। जातक को जीवन में अनेक क्षेत्रों में सफलता मिलती है।
- ग्यारहवें भाव में बुधादित्य योग
जन्म कुंडली के ग्यारहवें भाव में योग के बनने पर जातक आर्थिक क्षेत्र में सफल होता है। ऐसे जातकों को परिवार में अपने भाई-बंधुओं का अच्छा साथ मिलता है। साथ ही, वह कई पुरस्कार और पद-प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।
- बारहवें भाव में बुधादित्य योग
कुंडली में बारहवें भाव में एस योग के प्रभाव से जातक बहुत धन कमाता है और खर्च भी दिल खोल कर करता है। साथ ही, ऐसे जातकों को बाहरी लोगों से लाभ मिलता है।
आज के इस ‘मंगल भवन’ के लेख में हमने कुंडली में बनने वाले महत्वपूर्ण ‘बुधादित्य योग’ और उसके विभिन्न भावों में फलों के बारें में विस्तार से पढ़ा! आशा करते हैं लेख में दी गई जानकारी पाठकों को पसंद आए-
क परिणाम मिलते हैं।
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FAQS \अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q. कुंडली में बुधादित्य योग कैसे बनता है?
An. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में बुधादित्य योग का निर्माण ग्रहों के राजा सूर्य और बुद्धि के देव ग्रह बुध की युति से बनता है। यानी जब सूर्य-बुध कुंडली के किसी भी भाव में साथ में विराजमान होते हैं या युति बनाते हैं! तो यह ‘बुधादित्य योग’ बनता है।
Q. कौन सी राशि में, बुधादित्य योग शुभ फल देते हैं?
An. बुधादित्य योग जब वृषभ, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, कुंभ लग्न में बन रहा हो तो इस राशि के जातक बहुत प्रभावशाली और आकर्षक व्यक्तित्व के होते है। उन्हें दूसरों को मार्गदर्शन देना और निर्देश देना अच्छा लगता है। साथ ही, ऐसे जातक एक श्रेष्ठ प्रशासक, बॉस और लीडर बनते हैं।
Q. बुधादित्य योग के शुभ फल कब नहीं मिलते हैं?
An. सूर्य और बुध के बलहीन या कमजोर होने पर यह जातक को शुभ फल देने में सक्षम नहीं होते है। जैसे- तुला और मीन राशि में स्थित सूर्य-बुध का योग बहुत अधिक शुभ नहीं होता है। क्योंकि, तुला में सूर्य नीच का होता है और मीन में बुध नीच राशि का होता है।
Q. कुंडली में सूर्य और बुध ग्रह का क्या महत्व है?
An. सूर्य को सभी ग्रहों में राजा और देवता की उपाधि प्राप्त है। इतना ही नहीं सूर्य को ग्रहों का अधिपति भी कहा जाता है। मानव शरीर में सूर्य को आत्मा का कारक बताया माना गया है। वहीं, बुध को बुद्धि और तर्क के देवता ग्रह मन जाता है। शास्त्रों में बुध को राजकुमार की संज्ञा दी गई है। कुंडली में बुध के शुभ होने पर जातक की भाषा और बोली प्रभावित होती है।