विजया एकादशी 2023, हिन्दू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की तिथि को आने वाली एकादशी को ‘विजया एकादशी’ के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष यह व्रत 16 फरवरी 2023 को किया जाएगा। इस एकादशी के व्रत का उल्लेख पद्म और स्कंद पुराण में भी आप देख सकते हैं। इसके नाम के अनुसार ही इस एकादशी के व्रत को करने वाला जातक सदैव विजयी रहता है। प्राचीन काल के कई कथाओं में इस व्रत के प्रभाव से कई राजाओं ने अपनी निश्चित हार को भी जीत में बदलते हुए पाया था।
ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने रावण से युद्ध करने से पहले अपनी पूरी सेना के साथ इस व्रत को रखा था। आइए जानते हैं इस व्रत के बारे में-
विजया एकादशी: महत्व
शास्त्रों के अनुसार, इस शुभ विजया एकादशी का निर्जला व्रत एवं विष्णु भगवान का पूरे विधि-विधान से पूजन करने से जातक को अपने जीवन में सुख, शांति, खुशहाली व सौभाग्य प्राप्त होता है। जीवन में आ रही दरिद्रता व नकारात्मकता समाप्त होती है। विजया एकादशी व्रत के बारे में शास्त्रों में लिखा है कि यह व्रत करने से स्वर्ण दान,भूमि दान,अन्न दान और गौ दान से अधिक पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
इस व्रत के प्रभाव से जातक मृत्यु उपरांत मोक्ष को प्राप्त कर लेता है। यदि आपके जीवन में कोई अजातशत्रु है; जो आपसे शत्रुता रखता है, तो विजया आपको विजया एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए।
विजया एकादशी : शुभ मुहूर्त
गुरुवार, 16 फरवरी 2023
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 16 फरवरी 2023 प्रातः 05 बजकर 32 मिनट
- एकादशी तिथि समाप्त: 17 फरवरी 2023 दोपहर 02 बजकर 49 मिनट
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विजया एकादशी व्रत कथा
कोई भी व्रत के पीछे कोई न कोई पौराणिक कथा अवश्य रहती है। इस व्रत को करने के पीछे भी हमारे धार्मिक ग्रंथों में एक कथा का वर्णन किया गया है; जो कुछ इस प्रकार है-
त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के वनवास काल के दौरान जब लंका नरेश रावण ने माता सीता का हरण कर लंका ले गया, तब प्रभु श्री राम ने सुग्रीव की अनुमति से लंका प्रस्थान करने का निश्चय किया। जब श्री राम अपने सैनिकों सहित समुद्र के किनारे पहुंचे, तब उन्होंने भयंकर जल से भरे विशाल समुद्र को देखकर लक्ष्मण जी से कहा- किस पुण्य के प्रताप से हम इस समुद्र को पार करेंगे। तब लक्ष्मण जी ने बताया; यहाँ से थोड़ी ही दूरी पर बकदालभ्य मुनि का आश्रम है ,उनके के पास इस समस्या का हल अवश्य होगा। अपने अनुज की बात से सहमत हो, श्री राम बक दाल्भ्य ऋषि के आश्रम गए और उन्हें प्रणाम किया । महर्षि ने प्रभु श्री राम से उनके आने का कारण पूछा। रामचंद्र जी ने महर्षि को बताया; मैं अपनी सेना सहित राक्षसों को जीतने लंका जा रहा हूँ अतः आप कृपा करके समुद्र पार करने का कोई उपाय बताइए। बक दाल्भ्य ऋषि बोले-हे राम ! फाल्गुन कृष्ण पक्ष में जो विजया एकादशी आती है; उसका व्रत करने से आपकी निश्चित विजय होगी, साथ ही आप अपनी वानर सेना भी आसानी से समुद्र भी पार कर लेंगे। मुनि के कथनानुसार श्री रामचंद्र जी ने सभी के साथ इस व्रत का विधि पूर्वक पालन किया। इसके बाद सभी ने राम सेतु निर्माण कर समुद्र को पार किया तथा लंकापति रावण को पराजित कर विजय प्राप्त की।
विजया एकादशी: पूजा विधि
- इस दिन प्रातः जल्दी उठकर पवित्र हो, व्रत का संकल्प कर, क्षीरसागर में शेषनाग शैया पर विराजमान भगवान श्री नारायण की उपासना करनी चाहिए।
- इसके बाद पूजा स्थल के ईशान कोण में एक वेदी बनाकर उस पर सप्त धान रखें एवं इस पर जल कलश स्थापित कर इसे आम या अशोक के पत्तों से सजाएं।
- तत्पश्चात भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर पीले पुष्प, ऋतुफल, तुलसी आदि अर्पित कर धूप-दीप व कपूर से भगवान विष्णु जी की आरती करें।
- इस दिन किसी भी विष्णु जी के मंदिर में दीपदान करना बहुत शुभ माना जाता है।
- इस दिन सभी को परनिंदा, छल-कपट, लालच, द्वेष की भावनाओं से दूर रहकर श्री नारायण को ध्यान में रखते हुए यथाशक्ति विष्णु जी के मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करना चाहिए।
- इस प्रकार अगले दिन व्रत पूर्ण कर भगवान विष्णु जी विधि-विधान से पूजा कर यथा शक्ति दान भी करना चाहिए।
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कुछ सवाल तथा उनके जवाब FAQ
Q- विजया एकादशी व्रत कब है?
An- वर्ष 2023 में विजया एकादशी व्रत 16 फरवरी को रखा जाएगा। इस व्रत का पारण अगले दिन 17 फरवरी को 08 : 01 AM से 09:13 AM के बीच किया जा सकता है।
Q- विजया एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए?
An- वैसे तो यह व्रत निर्जला (बिना अन्न ,जल के) रखा जाता है; परन्तु यदि ऐसा संभव न हो तो आप फलाहार ले सकते हैं।
Q- विजया एकादशी में पानी कब पी सकते हैं?
An- शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन के सूर्योदय तक जल का त्याग करना चाहिए। अगले दिन सूर्योदय के बाद पूजा करके पारण के समय जल ग्रहण करना चाहिए।
Q- विजया एकादशी पर मुख्य रूप से किसकी पूजा की जाती है?
An- विजया एकादशी पर मुख्य रूप से भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है।