12 ज्योतिर्लिंग, वेद पुराणों और धार्मिक मान्यताओं में ये 12 ज्योतिर्लिंग(Jyotirlinga) देशभर में अत्यंत प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है। देश भर में शिव जी के कई प्रसिद्ध मंदिर और शिवालय हैं; लेकिन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का अपना अलग ही महत्व व महिमा बताई गई है। महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर भी इन पवित्र स्थानों पर भक्तों की तादाद लगती है। इन द्वादश ज्योतिर्लिंग को आकर्षक रूप से सजाया जाता है।
शिव जी के यह 12 स्थानों पर जो शिवलिंग स्थापित है; इनमें ज्योति के रूप में स्वयं भगवान शिव जी वास माना जाता है। इसलिए इन ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इन ज्योतिर्लिंगों (Jyotirlinga) के दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। ‘मंगल भवन’ के इस लेख से जानें देशभर में कहां-कहां पर हैं ये अद्भुत 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित है। चलिए पढ़ते हैं विस्तार से-
ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) : स्त्रोत
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्तोत्र के जप मात्र से जातक को भगवान भोलेनाथ के साथ ही सभी देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त हो जाती है। कहा जाता है कि जो भी जातक इस स्तोत्र को नियमित रूप से जप करता है, उस पर धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। यह स्त्रोत कुछ इस प्रकार है
“सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोङ्कारममलेश्वरम्॥1॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥2॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घृष्णेशंच शिवालये॥3॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रात: पठेन्नर:।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति”॥4॥
12 ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) : नाम तथा स्थान
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात
विश्व के सबसे प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग में पहले आता है ‘सोमनाथ ज्योतिर्लिंग’ यह पूरे पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में अरब सागर के तट पर स्थित है। शिवपुराण की कथा के अनुसार, जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने क्षय रोग का श्राप दिया था; तब चंद्रमा ने इसी पवित्र स्थान पर तप कर इस श्राप से मुक्ति प्राप्त की थी। ऐसा भी कहा जाता है कि यहाँ स्थित इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव द्वारा की गई थी।
2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश
दूसरा दिव्य ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्री शैल पर्वत पर स्थित है। मान्यता के अनुसार इस मंदिर का महत्व भगवान शिव जी के कैलाश पर्वत के समान ही माना गया है। हमारे अनेक धार्मिक एवं पौराणिक ग्रंथों में इस ज्योतिर्लिंग के महत्व की व्याख्या की गई है। कहा जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही जातक को उसके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश
तीसरा अद्भुत ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी उज्जैन नगरी में ‘महाकालेश्वर’ के नाम से स्थित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि, ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां प्रतिदिन सुबह की आरती, जिसे भस्मारती भी कहा जाता है। यह आरती विश्व भर में प्रसिद्ध है। उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर शिवलिंग की पूजा विशेष रूप से आयु वृद्धि तथा आयु संकट को टालने हेतु की जाती है।
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4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश
चौथा ज्योतिर्लिंग है; ‘ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग’(Jyotirlinga)। यह मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के समीप ओंकारेश्वर के नाम से स्थित है। जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग है, वहां से मां नर्मदा नदी बहती है।
यहाँ पहाड़ी के चारों तरफ नदी के बहने से ‘ॐ’ का आकार बनता है। ‘ॐ’ की उत्पत्ति परमपिता ब्रह्मा के मुख से हुई है। यह ज्योतिर्लिंग भी औंकार अर्थात ‘ॐ’ का आकार लिए हुए है, इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।
5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंड
पांचवां प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग केदारनाथ में स्थित है। यह उत्तराखंड में स्थित है। यह अद्भुत शिवलिंग, बाबा केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में पड़ता है। शिव पुराण में केदारनाथ का वर्णन भी आप देख सकते हैं। पुराणों में इस तीर्थ को भगवान शिव का अत्यंत प्रिय स्थान बताया गया है। जिस प्रकार कैलाश पर्वत का महत्व है; उसी प्रकार शिव जी ने केदार क्षेत्र को भी अत्यंत महत्वपूर्ण व पवित्र स्थान का दर्जा दिया है।
6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
छठा प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग है। यह शिवलिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को ‘मोटेश्वर महादेव’ के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि जो भी जातक श्रद्धा पूर्वक इस मंदिर के प्रतिदिन प्रातः सूर्योदय के बाद दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं तथा उसके लिए स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं।
7. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तर प्रदेश
सातवां विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है, काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग। यह उत्तर प्रदेश में काशी नामक स्थान पर स्थित है। काशी का सभी धार्मिक स्थलों में सबसे अधिक महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि प्रलय आने पर भी यह स्थान ऐसा ही बना रहेगा। मान्यता के अनुसार इसकी रक्षा हेतु स्वयं भगवान शिव इस स्थान को अपने त्रिशूल पर धारण कर, प्रलय के टल जाने पर काशी को उसके स्थान पर पुनः रख देंगे।
8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
आठवां ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के पास महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में ‘त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग’ के नाम से स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के पास ब्रह्मगिरी नाम का पर्वत भी है। इसी पर्वत से गोदावरी नदी आरम्भ होती है। भगवान शिव का एक नाम ‘त्र्यंबकेश्वर’ भी है। मान्यता है कि, भगवान शिव; गौतम ऋषि व गोदावरी नदी के आग्रह के अनुरूप यहां ज्योतिर्लिंग रूप धारण कर रहना पड़ा।
9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड
नौवा अद्भुत ज्योतिर्लिंग श्री ‘वैद्यनाथ शिवलिंग’ है। यह भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मंदिर जिस स्थान पर स्थित है, उसे बैद्यनाथ धाम कहा जाता है। यह स्थान झारखण्ड प्रान्त, पूर्व बिहार प्रान्त के संथाल परगना के दुमका नामक जनपद में आता है। प्राचीन कथा के अनुसार कहा जाता है कि एक बार रावण ने तप के बल से भोलेनाथ शिव को लंका ले जाने का प्रयास किया था; परन्तु रास्ते में व्यवधान आने की शर्त के अनुसार शिव जी वहीं स्थापित हो गए।
10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, गुजरात
दसवां दिव्य ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) गुजरात के बाहरी क्षेत्र में द्वारिका स्थान पर स्थित है। धर्म शास्त्रों में भगवान शिव को नागों के देवता है तथा नागेश्वर का पूर्ण अर्थ नागों का ईश्वर माना जाता है। ग्रंथों में भगवान शिव का एक अन्य नाम नागेश्वर भी है। द्वारकापुरी से यह ‘नागेश्वर ज्योतिर्लिंग’ 17 मील की दूरी पर स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा में, कहा जाता है कि जो भी जातक पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ यहां दर्शनों के लिए आता है; उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
11. रामेश्वर ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु
ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग को रामेश्वर ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। यह शिवलिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथ पुरं नामक स्थान में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक तो है ही; इसके साथ ही यह स्थान हिंदुओं के चार पवित्र धामों में से एक भी है। इस ज्योतिर्लिंग के विषय में यह मान्यता प्रचलित है, कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी। अतः भगवान राम के द्वारा स्थापित होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग को प्रभु श्री राम का नाम ‘रामेश्वर’ दिया गया है।
12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
बारहवां एवं अंतिम अद्भुत ज्योतिर्लिंग ‘घृष्णेश्वर शिवलिंग’ है। महादेव का यह प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद के समीप स्थित है। इस पवित्र शिवलिंग को घृष्णेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। बौद्ध के धार्मिक भिक्षुओं द्वारा निर्मित’ एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएं; इस मंदिर के पास ही स्थित है। इस स्थान पर ही श्री एकनाथजी गुरु व श्री जनार्दन महाराज की समाधि भी बनी है।
कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- क्या इस 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन कभी भी किए जा सकते हैं
An- हां, 12 ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) के दर्शन आप कभी भी कर सकते हैं।
Q- 12 ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई?
An- इन सभी 12 ज्योतिर्लिंग के स्थानों पर स्वयं भोलेनाथ ने दर्शन दिए थे, तब वहीं ये ज्योतिर्लिंग उत्पन्न हुए थे।
Q- 12 ज्योतिर्लिंग में से सबसे शक्तिशाली ज्योतिर्लिंग कौन सा माना जाता है?
An- महाकालेश्वर, यह दक्षिणमुखी शिवलिंग है, जिसका अर्थ है कि यह दक्षिण की ओर है। यह एक अनूठी विशेषता है, जिसे 12 ज्योतिर्लिंगों में से केवल महाकालेश्वर में देखा गया है।
Q- 12 ज्योतिर्लिंग के नाम के जप से क्या होता है?
An- जो जातक प्रतिदिन इन 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम जपता है, वह सभी कष्टों से मुक्त होकर, अपने सारे पाप नष्ट करते हैं।