संकष्टी चतुर्थी 2023 हिन्दू संस्कृति में एक प्रसिद्ध त्योहारों में से एक संकष्टी चतुर्थी का पर्व है। हिन्दू धर्म में कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य को करने से पहले विघ्नहर्ता श्री गणेश जी का पूजन किया जाता है। बुद्धि, बल और विवेक के दाता भगवान श्री गणेश अन्य सभी देवी-देवताओं में प्रथम पूज्य देव कहलाते हैं। श्री गणेश अपने भक्तों के जीवन की सभी परेशानियों तथा विघ्नों को हर लेते हैं; तभी तो इन्हें विघ्नहर्ता व संकट मोचन भी कहा जाता है। जैसे अनेक व्रत सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने के लिए रखे जाते हैं वैसे ही भगवान गणेश जी की अपार कृपा दृष्टि के लिए संकष्टी चतुर्थी व्रत किया जाता है। आइये अब जानते हैं संकष्टी चतुर्थी व व्रत के बारे में विस्तार पूर्वक-
संकष्टी चतुर्थी के नाम से ही विदित है-’संकट को हरने वाली चतुर्थी’। इस दिन जातक अपने दुखों से मुक्ति पाने के लिए भगवान गणेश जी की उपासना करता है। चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत शुभ फलदायी होता है। इस दिन लोग सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक उपवास रखते हैं। संकष्टी चतुर्थी के दिन पूरे विधि-विधान से गणपति भगवान की पूजा करने से जातक शुभ फल की प्राप्ति करते हैं।
संकष्टी चतुर्थी : कब है?
हिंदू पंचांग में, हर महीने में दो चतुर्थी की तिथि आती है। कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को ‘संकष्टी चतुर्थी’ व शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को ‘विनायक चतुर्थी’ कहा जाता है। संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणेश की आराधना करने के लिए विशेष दिन माना गया है। शास्त्रों के अनुसार माघ माह में आने वाली पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी बहुत शुभ होती है। इस दिन को भारत के उत्तरी और दक्षिणी राज्यों में बड़ी श्रद्धा व धूम-धाम से मनाया जाता है।
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
यहां श्री गणेश जी उपासना करने वाले जातकों हेतु इस प्रकार व्रत व पूजन विधि बताई है-
- इस दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठें ।
- व्रत करने वाले जातक सबसे पहले स्नान कर साफ़ व स्वच्छ वस्त्र धारण करें। व्रत की सफलता के लिए, इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है।
- पूर्ण रूप से पवित्र होने के बाद भगवान गणेश की पूजा आरंभ करें। पूजा के समय जातक को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए।
- सर्वप्रथम एक चुकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछा कर उस पर गणपति जी की मूर्ति को स्थापित करें।
- पूजा में प्रयुक्त सामग्री में आप तांबे के कलश में पानी, नारियल, धूप, पवित्र चन्दन , कच्चा सूत, पीला/लाल कपड़ा, रोली, कपूर, पुष्प, इत्र, अक्षत, दूर्वा घास तथा नेवेध के रूप में तिल, गुड़, लड्डू, केला इत्यादि रख लें।
- पूजा के समय आप देवी मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति भी अपने पास रखें; तथा ‘ॐ गं गणपतये नमः’ के गणेश मंत्र का जाप कर, भगवान को प्रणाम करें। ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है।
- भगवान गणेश को जल, पुष्प व लाल रोली लगाएं, व दूर्वा, पान अर्पित करें।
- संकष्टी के दिन को भगवान गणेश को तिल के लड्डू या मोदक का भोग लगाएं।
- इसके बाद गणपति के सम्मुख धूप-दीप जला कर निम्नलिखित मंत्र का जाप करें।
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
- पूजा पूर्ण होने के बाद आप फल, मूंगफली, साबूदाने की खीर या दूध का सेवन करें। कोशिश करें कि आप व्रत में सेंधा नमक का इस्तेमाल भी न करें।
- फिर संध्या के समय (चांद के निकलने से पहले) आप गणपति की पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें।
- पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बांटे। इसके बाद रात को चाँद देखने के बाद व्रत खोला जाता है। इस प्रकार आपका संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है।
संकष्टी चतुर्थी का महत्व
‘मंगल भवन’ के ज्योतिषाचार्य श्री भास्कर जी संकष्टी चतुर्थी के महत्व के बारे में बताते हैं कि इस दिन गणपति जी की पूजा करने से घर से नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं तथा शांति का वातावरण बनता है। और यह भी कहा जाता है कि है कि गणेश जी घर में आ रही सारी संकटों का नाश कर ;जातक की सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। इस तिथि पर चन्द्र दर्शन भी बहुत शुभ माना जाता है। सूर्योदय से प्रारम्भ होने वाला यह व्रत चंद्र दर्शन के बाद संपन्न होता है। पूरे साल में संकष्टी चतुर्थी के 13 व्रत रखे जाते हैं। सभी व्रत के लिए एक अलग व्रत कथा प्रचलित है।
शुभ मुहूर्त
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ
9 फरवरी- 2023: सुबह 6 बजकर 23 मिनट पर होगा
- चतुर्थी तिथि समाप्त
10 फरवरी- 2023: सुबह 7 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।
इस दिन चंद्रोदय का समय शाम को 08 बजकर 41 मिनट पर रहेगा।
संकष्टी चतुर्थी: व्रत कथा
संकष्टी चतुर्थी के पीछे शास्त्रों में कई प्रकार की पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। इनमें से यह विशेष कथा कुछ इस प्रकार है-
एक समय माता पार्वती तथा भगवान शिव नदी के पास बैठे हुए थे। तभी माता पार्वती ने शिव जी के साथ चौपड़ खेलने की इच्छा की। लेकिन वहां उन दोनों के अलावा तीसरा कोई नहीं था जो उनके साथ इस खेल में निर्णायक की भूमिका निभाए। इस समस्या के हल हेतु शिव जी व माता पार्वती ने मिलकर एक मिट्टी की मूर्ति बनाई और उसमें जान डाल दी। मिट्टी से बने बालक को दोनों ने यह आदेश दिया कि तुम खेल को अच्छी तरह से देखना और निर्णय लेना कि कौन जीता व कौन हारा। खेल प्रारंभ हुआ जिसमें माता पार्वती बार-बार भगवान शिव को मात देकर बार-बार विजयी हो रही थीं। इसी तरह खेल चलता रहा; लेकिन एक बार गलती से बालक ने माता पार्वती की हार घोषित कर दी। बालक की इस गलती से माता पार्वती को अत्यंत क्रोध आया। क्रोध वश माता ने बालक को श्राप दे दिया और वह लंगड़ा हो गया। बालक ने अपनी भूल के लिए माता से बहुत क्षमा मांगी व उसे माफ़ करने हेतु भी कहा। बालक के बार-बार निवेदन को देखते हुए माता ने कहा कि अब श्राप वापस तो नहीं हो सकता; परन्तु वह एक उपाय बताएंगी; जिससे वह श्राप से मुक्ति पा सकेगा। माता ने बताया- संकष्टी वाले दिन पूजा करने, इस जगह पर कुछ कन्याएं आती है, तुम उनसे इस व्रत की विधि पूछना और उस व्रत को पूरी श्रद्धा से करना।
बालक ने उस व्रत की विधि को जान कर पूरी श्रद्धा पूर्वक उसे किया। उसकी इस सच्ची आराधना से भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उसकी इच्छा पूछी। बालक ने माता पार्वती और भगवान शिव के पास जाने की अपनी इच्छा को बताया। गणेश ने उस बालक की इक्षा को पूरा कर दिया; और उसे शिव लोक पहुंचा दिया, जब वह पहुंचा तो वहां उसे केवल भगवान शिव ही मिले। माता पार्वती भगवान शिव से रुष्ट होकर कैलाश से चली गयी थी। शिव जी द्वारा उस बच्चे से पूछने पर बच्चे ने यहां कैसे आया संपूर्ण विधान शिव जी को बताया। गणेश की पूजा के इस वरदान के बारे में सुनकर; भगवान शिव ने भी माता पार्वती को मनाने के लिए उस व्रत को किया। और माता पार्वती भगवान शिव से प्रसन्न हो कर वापस कैलाश पर्वत आ जाती है।
वर्ष में आने वाली संकष्टी
दिनांक | आने वाली चतुर्थी |
10 जनवरी- मंगलवार | अंगारकी चतुर्थी |
09 फरवरी- गुरुवार | संकष्टी चतुर्थी |
11 मार्च- शनिवार | संकष्टी चतुर्थी |
09 अप्रैल- रविवार | संकष्टी चतुर्थी |
08 मई- सोमवार | संकष्टी चतुर्थी |
07 जून- बुधवार | संकष्टी चतुर्थी |
06 जुलाई- गुरुवार | संकष्टी चतुर्थी |
04 अगस्त-शुक्रवार | संकष्टी चतुर्थी |
03 सितंबर- रविवार | संकष्टी चतुर्थी |
02 अक्टूबर-सोमवार | संकष्टी चतुर्थी |
बुधवार, 01 नवंबर | संकष्टी चतुर्थी |
गुरुवार, 30 नवंबर | संकष्टी चतुर्थी |
शनिवार, 30 दिसंबर | संकष्टी चतुर्थी |
कुछ सवाल तथा उनके जवाब -FAQ
Q- संकष्टी चतुर्थी का क्या मतलब होता है?
An- संकट को हरने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं।
Q- संकष्टी चतुर्थी कैसा माना जाता है?
An- संकष्टी चतुर्थी को अत्यंत शुभ माना जाता है।
Q- संकष्टी चतुर्थी पर क्या करना चाहिए?
An- चतुर्थी के दिन व्रत करना चाहिए तथा भगवान गणेश जी पूजन करना चाहिए।
Q- वर्ष 2023 में फरवरी में संकष्टी चतुर्थी कब आ रही है?
An- 2023 में संकष्टी चतुर्थी 9 फरवरी में आएगी।