||महामृत्युंजय मंत्र जप महत्व||
महामृत्युंजय मंत्र सबसे शक्तिशाली मंत्रों में से एक है।
यद्यपि ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, में एवम पुराणों शास्त्रों में सभी मंत्र उपयोगी शक्तिशाली है लेकिन महामृत्युंज मंत्र विशेष तत्काल चमत्कारी फल देने बाला है।
मृत्युंजय अर्थ है मृत्यु को जीतने बाला
काल पर भी विजय दिलाने वाला मंत्र
मृत्युंजय भगवान शिव का एक स्वयं स्वरूप है।
शिव पुराण में इसकी महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया।
महामृत्युंज मंत्र जप के प्रभाव से व्यक्ति भयमुक्त रोगमुक्त एवम अकाल मृत्यु कालसर्प दोष मांगलिक दोष जैसे सभी दोषों से मुक्त हो जाता है।
||महामृत्युंजय मंत्र||
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ
||लघु मृत्युंजय मंत्र ||
ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ। किसी दुसरे के लिए जप करना हो तो-ॐ जूं स (उस व्यक्ति का नाम जिसके लिए अनुष्ठान हो रहा हो) पालय पालय स: जूं ॐ
अवश्य पढ़ें: रुद्राभिषेक: महादेव के आशीर्वाद से प्रकट होती मंगलमय ऊर्जा
||महामृत्युंजय जप पूजा की आवश्यक वस्तुएं||
मोली। इत्र शीशी ,अबीर ,गुलालभस्म। सफेदकपड़ा। गंगा जल। शहद,जनेऊ। सिंदूर। श्रृंगार सामग्री चुनरी सहित, चीनी तेल,पीला कपड़ा। पीली सरसों,कमल गट्टा।सर्वौषधि,हनुमान सिन्दूर, अष्टगंध।
नारियल। धोती गमछा। भांग,पंचमुखी रुद्राक्ष माला,गौमुखी। आसन। नारियल पानी बाला। गरी गोला। शिवलिंग। कलश। पंच पात्र इलायची। रोली। चावल।चंदन,हल्दी पाउडर।हल्दी की गांठ। कपूर। घी। बत्ती (गोल),अखंड ज्योति। दीपक,धूपबत्ती। माचिस।लाल कपड़ा। केसर।पंच मेवा।दोना हवन सामग्री ।
||घरेलू बस्तुए||
दूध, दही ,गन्ने का रस, फूल ,फूल ,माला , फल ,मिठाई ,पान के पत्ते,आक के फूल ,धतूरा फूल फल ,शमी ,पत्र तुलसी पत्र, दूर्वा,बेलपत्र, आम के पत्ते, बेल फल, थाली,कटोरी ,चम्मच,लकड़ी की चौकी हवन कुण्ड।
||मंगल भवन द्वारा दी जाने वाली सेवाएं||
मंगल भवन किसी भी पूजा के लिए आपको शुद्ध पूजा समिग्री के साथ भारतीय वैदिक गुरुकुल परंपरा के सुयोग्य ब्राम्हणों द्वारा सभी धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण विधि एवम विषय के स्पेशलिस्ट आचार्य द्वारा करवाए जाते है श्री महामृत्युंजय मंत्र के जाप गणना के साथ करते हैं। महामृतुंजय जप से व्यक्ति मृत्यु पर भी विजय प्राप्त कर सकता है। ।और महामृत्युंजय पूजा आम तौर पर उन सब लोगो के लिए की जाती है जिनकी कुण्डली मे कालसर्पदोष मांगलिक दोष गृह क्लेश नौकरी व्यापार से परेशान या गम्भीर रोग आदि से पीड़ित जैसे ब्यक्ति के लिए की जाती है।
||महामृत्युंजय जप मंत्र, ब्राह्मण, दिन, गणना योग||
यह जप 4 से 5 घंटे होता 1 ब्रह्मण प्रतिदिन 3000से 3500 जप कर सकता है।
1दिन में 24000 लघु मृत्युञ्जय करने के लिए 7 आचार्यों की आवश्यकता पड़ेगी ।
लघु मृत्युञ
3 दिन में 51000 अर्द्ध सपाद मृत्युञ्जय करने के लिए 5अचार्य लगेंगे ।
5 दिन में 125000 महामृत्युंजय करने के लिए 9 अचार्य लगेंगे ।
||महामृत्युंजय प्रकार और विधि||
महामृत्युंजय मंत्र जप रुद्राक्ष या चन्दन की माला से करना चाहिए ।
मंत्र जप कंबल ऊन या कुश के आसन पर करना चाहिए ।
महामृत्युंजय जप करते समय शुद्धता का ध्यान रखे एवम जापक को ब्रह्मचर्य का पूर्ण पालन करना चाहिए।
महामृतंजय जप अनुष्ठान के अंत में जप संख्या के दशांश हवन, हवन के दशांश तर्पण और तर्पण के दशांश मार्जन होना अति आवश्यक है।
(1)लघु मृत्युञ्जय की जप संख्या 24000 होती है।
लघु मृत्युंजय करने से घर में सुख शांति तथा शारीरिक ऊर्जा शक्ति की वृद्धि होती है।
कोर्ट केस शत्रु पराजय में विशेष उपयोगी है ।
(2) मध्यम मृत्युञ्जय की जप संख्या 51000 होती है।
मध्यम मृत्युञ्जय जप करवाने से नौकरी व्यापार में तरक्की होती है।
बिबाह में या बैबाहिक जीवन में आने बाली समस्याओं से मुक्ति बीमारियों से बचाओ रहता है ।
(3) महा मृत्युंजय की जप संख्या 125000 होती है।
सवा लाख महामृत्युंजय एक पुरश्चर्ण कहलाता है पुरश्चरण किसी भी अनुष्ठान के संकल्प सिद्धि के लिए होती है।
अनुष्ठान के आरम्भ में अपनी मनोकामना का संकल्प करे जैसे कुण्डली में मांगलिक दोष, काल सर्प दोष, भाकूट दोष, ग्रहण दोष,या किसी दुर्घटना, अकाल मृत्यु, बीमारी, नौकरी, व्यापार जैसी मनोकामना का संकल्प की पूर्ति के लिए सवा लाख मंत्रो का जप होता है ।
मंत्र जप से भगवान शिव प्रसन्न होते है जिससे उनकी कृपा भक्त को आशीर्वाद के रूप में प्राप्त होती है।
महामृत्युंजय मंत्र से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ
Q- महामृत्युंजय मंत्र जप क्यों करना चाहिए?
An- महामृत्युंजय मंत्र की महिमा ऋग्वेद, यजुर्वेद, से लेकर शिव महापुराण एवम अन्य ग्रंथो में भी है। महामृत्युंजय मंत्र एक काल विजयी मंत्र है जिसके करने से व्यक्ति के गृह जनित समस्त दोष नष्ट हो जाते हैं व्यापार आदि में तरक्की होती है बड़ी से बड़ी बीमारी रोग समाप्त हो जाते है।
Q- महामृत्युजंय मंत्र कितने प्रकार के होते हैं?
An- महामृत्युजंय मंत्र 3 प्रकार के होते है।
(1) मृत्यंजय मंत्र||
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
(2)||लघु मृत्यंजय मंत्र||
ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ। किसी दुसरे के लिए जप करना हो तो-ॐ जूं स (उस व्यक्ति का नाम जिसके लिए अनुष्ठान हो रहा हो) पालय पालय स: जूं ॐ
(3)महामृत्युंजय मंत्र
ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ !!
Q- महामृत्युंजय मंत्र जप के क्या नियम है?
An- महामृत्युंजय मंत्र का जप रूद्राक्ष या चन्दन की माला से करना चाहिए। माला में 108 मनका होना चाहिए 108 बार मंत्र जपने पर 1माला होती है जप ऊन या कुश के आसन पर करना चाहिए। जप के दौरान व्रम्हचर्य का पालनकरे। अनुष्ठान के अंत में जप के दशांश हवन हवन के दशांश तर्पण तर्पण के दशांश मार्जन कराना चाहिए।
Q- महामृत्युंजय मंत्र के कितने जप से संकल्प सिद्ध हो जाती है?
An- महामृत्युंजय मंत्र की जप संख्या कम से कम 24000 हो विशेष मनोकामना संकल्प सिद्धि के लिए 125000 जप होना चाहिए। 125000 जप मंत्रो की संख्या को 1पुरश्चरण कहा जाता है पुरश्चरण करने से किसी भी मनोकामना संकल्प की सिद्धी हो जाती है।