Falgun Amavasya | फाल्गुन अमावस्या, पितरों का तर्पण, प्राप्त करें वैभव, शांति, पुण्य व शुभ फल

Falgun Amavasya

Falgun Amavasya 2023

फाल्गुन अमावस्या : मुख्य रूप से फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की तिथि में आने वाली अमावस्या को ‘फाल्गुन अमावस्या’ कहा जाता है। ज्योतिष में यह अमावस्या सुख- शांति, धन-संपत्ति तथा सौभाग्य प्रदान करने वाली शुभ फलदायी मानी जाती है। जातक, अपने जीवन में सुख तथा शांति हेतु फाल्गुन अमावस्या का व्रत करते हैं । इसके साथ ही इस अमावस्या पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण व श्राद्ध की क्रिया विधि भी की जाती है। यदि यह अमावस्या सप्ताह के सोमवार, मंगलवार, गुरुवार  या शनिवार के दिन हो तो, यह सूर्यग्रहण से भी अधिक फलदायी मानी जाती है।

कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष फाल्गुन अमावस्या 20 फरवरी 2023 को सोमवार के दिन मनाई जाएगी।

इस अमावस्या को तर्पण कार्यो हेतु सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन व्रत भी किया जा सकता है; जिसका शुभ फल, कर्मों को शुभता प्रदान करने वाला होता है।

फाल्गुन अमावस्या शुभ मुहूर्त (New Delhi)

  • अमावस्या आरम्भ

19 फरवरी, 2023 को 16:21:09 से 

  • अमावस्या समाप्त

20 फरवरी 2023 को 12:38:17 तक 

फाल्गुन अमावस्या:  व्रत व अन्य अनुष्ठान 

धार्मिक मान्यता में, कहा जाता है कि फाल्गुन अमावस्या के दिन किये जाने वाला व्रत व अन्य कोई भी धार्मिक कार्य का जातक को तुरंत फल प्रदान करता है। ज्योतिष के अनुसार हर अमावस्या पितरों को समर्पित की जाती है। अतः अमावस्या पर पितरों के तर्पण का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन किये जाने वाले धार्मिक कार्य इस प्रकार हैं-

  • इस दिन जातक को किसी पवित्र नदी, जलाशय या कुंड में स्नान कर, सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद पितरों का तर्पण भी आवश्यक रूप से करें।
  • इस दिन पितरों की आत्मा शांति हेतु व्रत करें और किसी जरूरतमंद को को दान-दक्षिणा व यथाशक्ति कुछ वस्तु भी दें।
  • पीपल के पेड़ के नीचे पितरों का स्थान माना जाता है। अतः अमावस्या के दिन शाम को सरसों के तेल का दीपक लगाएं; जिससे अपने पितरों का आर्शीवाद भी मिलता है।
  • पीपल के वृक्ष की जड़ में दूध, जल, को अर्पित करते हुए पुष्प, अक्षत, चन्दन आदि से पूजा करनी चाहिए और पेड़ के चारों ओर 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा करनी चाहिए।
  • इस दिन रुद्र, अग्नि व ब्राह्मणों (पुरोहित) का पूजन कर, उन्हें उड़द, दही और पूरी आदि का नैवेद्य अर्पण करें और स्वयं भी उन्हीं पदार्थों का सेवन करें।
  • इस दिन आप शिवालय जाकर गाय के कच्चे दूध, दही, शहद से शिवजी का अभिषेक करें और उन्हें काले तिल अर्पित करें।
  • अमावस्या को शनिदेव का दिन भी माना जाता है। अतः इस दिन उनकी पूजा भी करना आवश्यक होता है। अमावस्या के लिए शनि मंदिर में नीले पुष्प, काले तिल, काले साबुत उड़द, कड़वा तेल, काजल तथा  काला कपड़ा अर्पित करें।

कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य हेतु पूजन व हवन सामग्री आप हमारी मंगल भवन की वेबसाइट से भी आर्डर कर सकते हैं। पूजा, हवन, विवाह हेतु कुंडली मिलान, ग्रह पूजा की अन्य जानकारी के लिए आज ही सम्पर्क करें।   

Falgun Amavasya
फाल्गुन अमावस्या

फाल्गुन अमावस्या, स्नान तथा दान-पुण्य  

‘मंगल भवन’ के वरिष्ट आचार्य श्री भास्कर जी बताते हैं कि फाल्गुन अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान व दान करने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन मौन रहने का सर्वश्रेष्ठ फल प्राप्त होता है। ऋषि व्यास के अनुसार इस तिथि में मौन रहकर स्नान, ध्यान व जप करने से सहस्त्र गौ दान के समान पुण्य का फल प्राप्त होता है। अमावस्या के दिन कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर में डुबकी लगाना भी शुभ होता है।

इस स्थान पर सोमवती अमावस्या के दिन स्नान और दान करने से भी अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। संपूर्ण देश में इस अमावस्या पर सूर्योदय से  सूर्यास्त की अवधि तक पवित्र नदियों पर स्नान करने वाले जातकों की भीढ़ रहती है।

पवित्र नदियों में स्नान के बाद भक्तजन मस्तक पर तिलक लगाते हैं। ऐसा करने से जातक की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। सोमवती अमावस्या का व्रत करने वाली स्त्रियों को इस व्रत की कथा का पठन या  श्रवण अवश्य करना चाहिए। महाभारत में भीष्म पितामह, युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व को समझाते हुए कहते हैं  कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य सभी दुखों से मुक्त होकर सुख व सौभाग्य को प्राप्त करता है। 

फाल्गुन अमावस्या का महत्व  

धर्म ग्रंथों के अनुसार, फाल्गुन अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में देवी-देवताओं का निवास होता है, अतः इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती में स्नान का विशेष माना जाता है। यदि फाल्गुन अमावस्या सोमवार के दिन हो तो, इस दिन महाकुंभ स्नान का योग भी रहता है; जो कि अत्यंत शुभ फलदायी होता है। फाल्गुन अमावस्या में भगवान विष्णु का स्मरण एवं भागवत कथा का पाठ करना भी श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन किए गए दान-पुण्य का अक्षय फल प्राप्त होता है।  इस दिन किया गया व्रत व पूजन, संतान के सुख एवं परिवार की सुख समृद्धि के लिए भी अत्यंत लाभकारी माना गया है। परिवार में यदि किसी कारण से पितृ दोष की स्थिति उत्पन्न होती है या किसी जातक की कुंडली में पितृ दोष है, तो उस स्थिति में इस अमावस्या के दिन विशेष रूप से पूजा एवं व्रत का पालन करने से दोष के अशुभ प्रभाव को शांत किया जा सकता है।

कुछ सवाल तथा उनके जवाब- FAQ



Q- 2023 में फाल्गुन अमावस्या कब है?

An- फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 19 फरवरी दिन रविवार को दोपहर 04 बजकर 18 मिनट से 20 फरवरी 2023 को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगी। अतः फाल्गुन अमावस्या 20 फरवरी 2023 के दिन मनाई जाएगी।

Q- क्या सोमवती अमावस्या को ही फाल्गुन अमावस्या कहा गया है?

An- हां, उदया तिथि के अनुसार 20 फरवरी को सोमवार के दिन यह अमावस्या आने वाली है; इसलिए इसे सोमवती अमावस्या भी कहा गया है।

Q- क्या अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करना शुभ होता है?

An- हां, अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

Q- फाल्गुन अमावस्या किस पक्ष में पड़ती है?

An- फाल्गुन अमावस्या कृष्ण पक्ष में पड़ती है।

Related Post

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *