Venus in 9th house | कुंडली के नौवें भाव में शुक्र ग्रह देंगे बलिष्ट जीवन तथा धार्मिक प्रवृत्ति

शुक्र ग्रह

ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के नवम भाव में शुक्र ग्रह के स्थित होने के कारण, जातक शारीरिक रूप से बलवान होते हैं। इसके साथ ही इन जातकों में धार्मिक, शुद्ध चित्त, परोपकारी और गुणवान होने के योग भी पाए जाते हैं। इन जातकों की ईश्वर पर अटूट श्रद्धा होती है। यह भी कहा गया है कि कुंडली के नौवें भाव में शुक्र ग्रह होने से जातक, पवित्र आत्मा के धनी कहलाते है।

नवम भाव में अगर शुक्र विराजमान है तो ये जातक को अन्य संस्कृतियों के प्रति आकर्षित करता है तथा इसके लिए अनुकूल और लचीला बनाकर विकसित करता है। परन्तु, यदि बात प्रेम की हो तो ऐसे जातक बिलकुल भी असुरक्षित या अडिग नहीं होते क्योंकि वें अपनी स्वतंत्रता से अधिक प्रेम करते है और ये एक व्यक्तित्व के तौर पर विकसित होना चाहते हैं। अगर उनके साथी उन्हें किसी तरह सीमित या प्रतिबंध रखने की कोशिश करते है तो; वे रिश्ता खत्म कर, किसी नए साथी की तलाश में जुट जाते हैं। ऐसे जातक  किसी ऐसे व्यक्ति को पसंद करते हैं जो जीवन में साहसिक कार्य के लिए तत्पर हो और उनके साथ दुनिया में भ्रमण या विचरण करने से ना डरे।

इसके साथ ही, इन जातकों की एक और कमजोरी ये होती है कि, वें सोचते हैं कि दूसरी तरफ ज्यादा हरियाली है या वो जिन्दगी बेहतर होगी। शायद इसीलिए ये हमेशा उन चीजों की आशा करते हैं जो संभव नहीं हैं और यह नहीं जानते कि उनके पास में पहले से मौजूद है। अतः हम कह सकते हैं कि, अपने स्वयं के बगीचे की देखरेख करना इनके लिए ज्यादा उपयोगी तथा बेहतर होगा क्योंकि इनके पास पहले से ही वे सभी उपकरण उपस्थति हैं, जिससे वें प्रख्यात और मूल्यवान बन सकते हैं।

कुंडली के नौवें भाव में शुक्र से प्रभावित क्षेत्र

  • रिश्ता\ बंधन 
  • विरोधाभास 
  • बुद्धि व ज्ञान
  • भाव और विचार 

नवम भाव में शुक्र ग्रह के सकारात्मक लक्षण 

वैदिक ज्योतिष के आकड़ों के अनुसार, नौवें भाव में शुक्र वाले जातकों के विचार निष्पक्ष होते हैं। ऐसे जातक वस्तुनिष्ठ राय की आवश्यकता वाली गतिविधियों के मामलों में मध्यस्थता करने में भी श्रेष्ठ होते हैं। इस भाव में शुक्र की स्थिति, प्रेम विवाह का संकेत भी देती है। इन जातकों के जीवनसाथी और ससुराल वालों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध फायदेमंद साबित होते हैं, विशेष रूप से महिला रिश्तेदारों के साथ अच्छे संबंध रखें। इस स्थान में शुक्र ग्रह से प्रभावित जातक, अधिक हंसमुख और आशावादी होते हैं। यदि शुक्र  वक्री स्थान पर हो तो, यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता और रचनात्मक अभिव्यक्ति की आवश्यकता को भी बढाता  है।

इसके साथ नौवें भाव में शुक्र से प्रभावित जातक, विभिन्न सांस्कृतिक तथा पृष्ठभूमि के लोगों को आकर्षित करने में सक्षम होते हैं। उनकी रुचि दर्शन, धर्म और उच्च शिक्षा जैसे क्षेत्रों में अधिक होती है। उन्हें ऐसा साथी भी चाहिए होता है, जिसमें रोमांच व साहसिक कार्यों की प्रबल भावना हो। ऐसे जातक विशेष रूप से कंजूस नहीं बल्कि, साझेदारी में एक विशेष प्रकार की स्वतंत्रता की अपेक्षा करते हैं। वे श्रेष्ठ व्यक्तियों के रूप में विकसित होना जानतें हैं और ऐसे रिश्ते में ख़ुशी महसूस नहीं करते,  जो प्रतिबंधात्मक या सीमित हो। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि,  इन जातकों में स्वतंत्रता के प्रति अत्यधिक प्रेम होता है।

ज्योतिष में, नवम भाव में शुक्र वाले जातक एक ऐसे प्रेमी या साथी की सराहना करते हैं जो उत्साही होता है और उनके साथ अच्छा समय व्यतीत करने की प्रबल इच्छा रखता है। ऐसे जातक प्रेम में उच्च आदर्शों की आकांक्षा रखने वाले होते हैं; परन्तु कुछ में भावनाओं और लगाव की भावना का पीछा कर सकते हैं। उनके पास जो कुछ है जिससे वे असंतुष्ट महसूस कर सकते हैं। ज्योतिष की सलाह में,  इस असंतोष की भावना से उन्हें सावधान रहना होगा अन्यथा यह समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।

क्या आप भी अपने निजी जीवन में स्वतंत्रता के मुद्दों का सामना कर रहे हैं? यदि हां तो आज ही हमारे ज्योतिष विशेषज्ञों से सटीक परामर्श करें।

कुंडली के इस भाव में, शुक्र ग्रह की राशि वाले जातकों को घूमने-फिरने का बहुत शौक होता है। ऐसे जातक अपने गृह नगर या स्थान से दूर, संभवत किसी विदेशी में रह सकते हैं। इसके अलावा वे किसी विदेशी से विवाह भी कर सकते हैं। इसके साथ ही, इन जातकों को प्राकृतिक सुंदरता वाले स्थानों के प्रति भी आकर्षण हो सकता है। ऐसे जातकों के लिए , प्रेम को एक मजेदार खेल की तरह मानते हैं, जिसे खेलना मज़ेदार है और इसमें ज्यादा गंभीर नहीं होना चाहिए। नौवें भाव में शुक्र वाले जातक, में स्वतंत्र भावना होती है और बहुत से लोग मुश्किल से मिलने वाले व्यक्तित्व की ओर आकर्षित होते हैं। 

नौवें भाव में शुक्र ग्रह के नकारात्मक लक्षण 

ज्योतिष की गणना के अनुसार, इस भाव में शुक्र के प्रभाव में जातक, पूरी दुनिया में चल रही गतिविधियों का अनुभव और अन्वेषण करना चाहते हैं। ऐसे जातक जितना हो सके उतना पचाने या ग्रहण करने का प्रयास करते हैं। बल्कि,  उससे भी कहीं अधिक लेना चाहते हैं। इसके अलावा, ये जातक आसानी से प्यार में पड़ सकते हैं, क्योंकि वे केवल एक निश्चित मात्रा में अन्य तथ्यों के साथ अपना मन बनाने के प्रति तेज होते हैं। लेकिन इन जातकों का प्रेम के प्रति नजरिया औरों से अलग होता है, ये रिश्ते की कीमत पर अपनी वैयक्तिकता को आहत नहीं होने देते।

इसके साथ ही ऐसे लोग,  इसे जाने बिना लोगों का नेतृत्व करते हैं, क्योंकि वे अपने शब्दों या कार्यों में उतनी भावना नहीं रखते हैं। साथ ही, ज्योतिष की सलाह में, उन्हें इस बात से भी सावधान रहना चाहिए कि, प्यार के प्रति उनके गलत रवैये से किसी और के रोमांटिक सपनों को ठेस न पहुंचने पाएं। अलग-अलग प्रेमियों के साथ उनका अनुचित व्यवहार उन्हें समस्या में डाल सकता है। यदि वे लगातार कहीं और कुछ बेहतर की तलाश में है तो विशेष ध्यान रखें।

नौवें भाव में शुक्र ग्रह का करियर पर प्रभाव 

नवम भाव में शुक्र ग्रह जातक को, श्रेष्ठ आभूषणों तथा वस्त्रों के प्रति आकर्षित करता है। ज्योतिष के अनुसार यदि ये जटाज किसी जौहरी से सम्बंधित कार्य करते हैं, तो उनके धन कमाने की अच्छी सम्भावना होती है। इस भाव में शुक्र से प्रभावित जातक के जीवन में व्यापार करना एक श्रेष्ठ विकल्प हो सकता है, क्यूँकी ये जातक यात्रा प्रेमी होते हैं। हालांकि सफलता हेतु सरकारी नौकरी भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इसके साथ ही इन जातकों को ससुराल पक्ष तथा धनी मित्रों के माध्यम से भी धन प्राप्त हो सकता है। विदेश में कार्यरत जातकों के लिए भी यह स्थिति धन कमाने के मार्ग हेतु अच्छा संकेत है।

नवम भाव में शुक्र ग्रह का उत्साह और जिज्ञासा पर प्रभाव 

यदि बात करें अन्य विचारों की तो, इस भाव में शुक्र ग्रह से प्रभावित जातक, बहुत जिज्ञासा व विचारों में स्वतंत्र प्रवृत्ति वाले होते हैं और ये लोग अपने ज्ञान का विस्तार करने के लिए व नई भाषाओं व  संस्कृतियों को सीखने में अधिक रूचि लेते हैं। इन जातकों की जन्म कुंडली में शुक्र चाहे कहीं भी हो, वे हमेशा धनु राशि के प्रभाव को महसूस करेंगे। ऐसे लोग, उन लोगों से आसानी से प्रेम करने लगते हैं, जो उनकी ही तरह रोमांच और अपने साथी के साथ नए-नए स्थानों की यात्रा करना पसंद करते हो।

शुक्र ग्रह के शुभ प्रभाव में ये जातक जिज्ञासु तथा बहुत स्वतंत्र प्रवृत्ति वाले होते हैं जो नए विचारों और अनुभवों को खोजने में रुचि रखते हैं। इन जातकों में अंदर से सीखने की प्रबल भावना होती है, इसलिए वे नई भाषाओं व संस्कृतियों को सीखने में अधिक रुचि लेते हैं। शुक्र ग्रह का शुभ प्रभाव इन लोगों को ज्ञान का विस्तार करने में मदद करता है जो उन्हें अपने विचारों और अनुभवों को अधिक समृद्ध बनाने में सहायक सिद्ध होता है।

ये सामान्य बात है कि ये जातक अन्य लोगों के जीवन के बारे में सुनने के बाद उस पर अधिक गहराई से सोच-विचार करते हैं। शारीरिक रूप से ना सही पर ये मानसिक रूप से निश्चित तौर पर उस जगह पर होंगे और बहुत सारी किताबें पढ़कर उस जगह के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। नौवें भाव में शुक्र से प्रभावित जातक उत्साही और नए विचारों के होते हैं, ये दुनिया को बदलने की कोशिश करने और दूसरों की बात सुनने में भी भरपूर रूचि लेते हैं, जिससे ये आदर्श वार्तालाप का भी हिस्सा बनते हैं।

शुक्र ग्रह


इसके साथ ही, ऐसे जातक कभी अपना समय किसी ऐसे व्यक्ति के साथ बर्बाद करना उचित नहीं समझते जो शिक्षित नहीं हैं या जो यात्रा करना पसंद नहीं करते हैं क्योंकि ये अपने ज्ञान प्राप्त करने की जिज्ञासा को बनाए रखना पसंद करते हैं। इन जातकों का किसी एक रिश्ते में प्रतिबद्ध होना मुश्किल होता है क्योंकि इन्हें आम दिनचर्या पसंद नहीं होती है। 

अगर कोई उनकी ही तरह इच्छाएं रखता हैं तो वो इनका दिल क्षणों में जीत सकता है। चूंकि ये जातक जिज्ञासु तथा यात्रा पसंद होते है, जो अध्ययन और दर्शनशास्त्र के बारे में जानना पसंद करते है, इसलिए, धनु राशि की विशेषताओं को उनके चरित्र में हर जगह देखा जा सकता है। ऐसे जातक सदैव व्यक्ति के दिल और आत्मा के साथ आकर्षित होंगे ना कि उनके ऊपरी शरीर या सामाजिक प्रतिष्ठा के दिखावे के प्रति।

नौवें भाव में शुक्र ग्रह का, राशि और नक्षत्र पर प्रभाव 

  1. नवम भाव में, कर्क, तुला, धनु और कुंभ राशि के जातक को दार्शनिक चर्चा और यात्रा में आनंद मिलता है। ये जातक मूल, संस्कृति, पारंपरिक मूल्यों और धर्म की सुंदरता में विश्वास रखने वाले होते है।
  2. वृश्चिक और कन्या राशि में, नवम भाव में शुक्र वाले जातक शैक्षिक रूप से योग्य, यात्रा में पारंगत और सुसंस्कृत होते हैं। वे अविश्वसनीय रूप से अनुशासित और अच्छे व्यवहार के लिए जाने जाते हैं।
  3. मेष, सिंह, वृषभ, या मीन राशि में, इस भाव में शुक्र के साथ प्रभावित जातक को विदेशी भूमि में प्रेम व अपनापन मिलता है और वें लंबी दूरी के रिश्तों में शामिल हो सकता है। हालांकि, उनका प्रेम जीवन काफी सहज रह सकता है। यहां तक ​​कि एक ही देश में, उनके साथी अनिश्चित कारणों से अलग-अलग राज्यों या शहरों में रह सकते हैं।
  4. कर्क, तुला, या मीन राशि वाले, जातक विभिन्न जातीय या अन्य संस्कृति के किसी व्यक्ति के साथ प्रेम संबंध में पड़ सकते है।

समापन

कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि, नौवें भाव में शुक्र ग्रह यह सुझाव देता है कि जातक, अपने लिए किसी आदर्श व्यक्ति की उपेक्षा या विरोध नहीं करेंगे या उसे कम नहीं आंकेंगे। यदि वें किसी ऐसे व्यक्ति से मिलते हैं जो उन्हें बाहर जाने या दुनिया भ्रमण के लिए प्रेरित करता है, तो आप अपनी पुरानी बातों या सोच में न पड़ें कि ये रिश्ता कितना चलेगा।

ऐसे जातक, अपने साथी के प्रोत्साहन और समर्थन की भवन के माध्यम से, एक स्वस्थ रिश्ते को विकसित कर सकेंगे। इन जातकों को यह सलाह दी जाती है कि वें अपनी आंखें और दिमाग हमेशा खुला रखें और सकारात्मक रूप से ये भी मानें कि आप किसी ऐसे व्यक्ति से मिल सकते हैं जो आपकी रुचियों को साझा करता है।

कुंडली के आठवें भाव में शुक्र ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ

Q- नौवें भाव में शुक्र का क्या अर्थ है?

An- नौवें भाव में शुक्र के जातक प्यार में रहना पसंद करते हैं लेकिन ये अभी भी अपनी स्वतंत्रता को महत्व देते हैं। इसके अलावा, अगर नवम भाव में शुक्र की मौजूदगी है तो ऐसे जातक प्रेम में शारीरिक और चंचल पहलुओं का आनंद लेते हैं।

Q- शुक्र किस भाव में बुरा माना जाता है?

An- ज्योतिष के अनुसार, शुक्र ग्रह के शनि, बुध और केतु के साथ अच्छे संबंध रखते हैं लेकिन सूर्य, चंद्रमा और राहु उनके प्रतिद्वंद्वी हैं। शुक्र के लिए दूसरे, तीसरे, चौथे, सातवें और बारहवें भाव उत्कृष्ट होते हैं, लेकिन पहले, छठे और नौवें भाव शुक्र के लिए बुरे माने जाते हैं।

Q- शुक्र उच्च का कब होता है?

An- दूसरे, तीसरे, चौथे, सातवें व बारहवें भाव में शुक्र श्रेष्ठ होता है जबकि पहले, छठवें, व नौवें भाव में मंदा। मीन राशि में यह उच्च होता है और कन्या में नीच, मिथुन राशि में यह योग कारक होता है।

Q- शुक्र ग्रह का शत्रु कौन है?

An- बुध और शनि ग्रह को शुक्र का मित्र कहा गया है, वहीं दूसरी तरफ सूर्य और चंद्रमा इसके शत्रु हैं।

Q- शुक्र ग्रह को मजबूत कैसे करें?

An- शुक्र को मजबूत करने हेतु,  भोजन में चीनी, चावल, दूध, दही और घी से बना खाना खाए।मान्यता है कि सफेद कपड़े, वस्त्र, चावल, घी, चीनी आदि किसी कन्या को दान करने से कुंडली के शुक्र मजबूत होते हैं। शुक्रवार के दिन भगवान शिव की पूजा करते समय सफेद फूल अर्पित करें। शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।

Related Post

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *