कुंडली के बारहवें भाव में सूर्य ग्रह( Sun in 12th house): महत्ता
सूर्य ग्रह: ज्योतिष शास्त्र की गणना में, जातक के जीवन का संपूर्ण चित्रण, कुंडली के पहले भाव से शुरू होता है और बारहवें भाव पर समाप्त हो जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली का पहला भाव जहां शुरुआत और जन्म को संदर्भित करता है, वहीं बारहवां भाव जीवन चक्र को पूरा कर उसके अंतिम पलों के बारे में जानकारी देता है।
कुंडली का बारहवां भाव एकांत और मुक्ति और अलगाव का कारक भाव माना जाता है। इसलिए जब किसी जातक की कुंडली के बारहवें भाव में सूर्य ग्रह स्थित होता है तो, उस जातक के अधिक विचारशील होने के साथ-साथ उनका मन में आध्यात्मिक झुकाव होने की संभावना भी होती है।
ज्योतिष के अनुसार, यदि बारहवें भाव में सूर्य ग्रह शुभ स्थिति में हो तो ऐसे जातक अपनी आयु के 24 वर्ष के बाद बहुत धन कमाते हैं और जातक का पारिवारिक जीवन अच्छा होता है। यदि इस भाव में सूर्य ग्रह के साथ, शुक्र और बुध एक साथ हो तो जातक को व्यापार या व्यवसाय से लाभ प्राप्त होता है और इन जातकों के पास धाम कमाने के अच्छे स्रोत उपलब्ध होते हैं।
‘मंगल भवन’ के वरिष्ट, ज्योतिष विशेषज्ञ आचार्य श्री शुभम जी जोशी ने हमें इस लेख में कुंडली के बारहवें भाव में सूर्य ग्रह की उपस्थिति से होने वाले प्रभावों के बारे में बताया है जो कि प्रभावित जातक के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध होगी- तो आइए अब हम इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते है-
बारहवें भाव में सूर्य ग्रह: प्रभावित क्षेत्र
- सामाजिक मान-प्रतिष्ठा
- संतान पक्ष के मामले
- कार्य के प्रति रूचि
- अन्य लोगों के प्रति व्यवहार
- चेतन और अवचेतन मन की स्थिति
बारहवें भाव में सूर्य ग्रह: अन्य पक्षों पर प्रभाव
जिन जातकों की जन्म कुंडली के बारहवें भाव में सूर्य ग्रह विराजमान हो तो यह जातक के लिए विशेष शुभ स्थिति नहीं मानी जाती है। लेकिन यदि आप अस्पतालों, पागलखानों, धार्मिक संस्थानों, जेलों और परोपकार से संबंधित कार्यों से जुड़े संसथान में काम को करते हैं तो इन क्षेत्रों में ऐसे जातक अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। इसके अलावा दवाओं, रसायन शास्त्र और मनोविज्ञान के क्षेत्र में भी ये जातक अपना कैरियर बना सकते हैं।
सूर्य के अशुभ प्रभाव के कारण जीवन के प्रारंभिक वर्षों में इन जातकों को कुछ परेशानियां उठानी पड़ सकती हैं। ऐसे जातकों में आत्मविश्वास की कमी देखने को मिल सकती है। अच्छे फल की प्राप्ति के लिए निरंतर योगाभ्यास करना शुभ होगा। चूँकि सुएय ग्रह समाज और मान-प्रतिष्ठा का कारक माना जाता है अतः बह्वें भाव में सूर्य ग्रह से प्रभावित जातक, उनके कार्यक्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल कर सकते हैं।
बारहवें भाव का सूर्य जातक को अपने जन्मस्थान से दूर या विदेश की यात्राएं करवा सकता है। इसके साथ ही ऐसे जातक विदेश में जाकर निवास भी कर सकते हैं लेकिन आर्थिक रूप से समृद्ध होने में आपको बडी कठिनाई आ सकती है।
बारहवें भाव में सूर्य ग्रह: पिता तथा पुत्र के संबंधों पर प्रभाव
ज्योतिष में, बारहवां भाव तथा सूर्य ग्रह के कारण पिता व पुत्र के संबंधों पर कुछ नकारात्मक प्रभाव हो सकता है, यह स्थिति पिता पुत्र संबंधों के लिए भी अच्छी नहीं मानी गई है। यद्यपि ऐसे जातक महत्वाकांक्षी होते हैं लेकिन अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आपको कठिन परिश्रम करना पड सकता है।
बारहवें भाव में सूर्य ग्रह: सकारात्मक प्रभाव
बारहवें भाव में सूर्य ग्रह के शुभ प्रभाव के कारण ऐसे जातक आध्यात्मिकता के प्रति अधिक रुचि रखते हैं। इन जातकों में अपने कार्य के लिए निरंतरता का भाव होता है। ये अनजाने में या किसी भी प्रकार से अपने पूर्व जन्म के स्वभाव को अपना लेते हैं। ज्योतिष के अनुसार यह भी देखा जाता है कि ये मानसिक रोगियों या अन्य किसी जरूरतमंद या समस्या से ग्रसित लोगों के प्रति इन्हें सहानुभूति और उदारता का भाव होता हैं, जो उन बुरे कर्मों का फल भुगत रहे होते हैं, जो इन के द्वारा पिछले जन्मों में किए थे।
बारहवें भाव में सूर्य की स्थति एकाकी चरित्र की ओर अधिक बढ़ावा देती है। परिणाम स्वरूप ऐसे लोग अनुशासन प्रिय होते हैं और अपने नियमों और विनियमों का बहुत कठोरता से पालन करते हैं। ये लोग या तो सामाजिकता के नियमों का पालन करते हैं या फिर किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा बनाए गए नियमों पर चल सकते हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि, इस भाव में सूर्य ग्रह से प्रभावित जातक, मात्र एक ही स्थिति में ही अच्छा महसूस करते हैं। इसके साथ उनके द्वारा किये गए कार्य को सराहा मिलना भी इनके लिए एक अच्छी अनुभूति है। किसी उच्च अधिकारियों द्वारा की जाये तो ये जातक प्रसन्नता महसूस करते हैं।
बारहवें भाव में सूर्य ग्रह: नकारात्मक प्रभाव
कुंडली के बारहवें भाव में सूर्य ग्रह का प्रभाव होने से, इन जातकों के कुछ हद तक सनकी और आत्म-केंद्रित होने की संभावना होती है। इसके अलावा, अक्सर ये जातक दो परस्पर विरोधी इच्छाओं के बीच संघर्ष करते रहते हैं। जिसमें, एक विचार इन्हें संसार से दूर ले जाना चाहते हैं तो दूसरे विचार इन्हें घर-परिवार, समाज-रिश्तेदार आदि के प्रति सजग और मोह-माया के बंधन से मुक्त नहीं होने देते और त्याग की भावनाओं को दूर कर सकते हैं। यह आंतरिक गतिविधियों , के कारण वें परेशान रह सकते हैं।
परन्तु, वैदिक ज्योतिष में इस भाव में सूर्य की स्थिति के कारण जातक में, दुनिया को त्यागने का कट्टरपंथी कदम उठाने के विचार की संभावना नहीं होती है। यदि बारहवें भाव में सूर्य पीड़ित अवस्था में हो तो यह जातक के-जेल की सजा, अस्पताल में भर्ती, नींद में कमी, व्यसनों में रूचि , संदेह, अविश्वास, हीन भावना और निकट व प्रियजनों के नुकसान के लिए कठिन परिस्थितियों का कारण बनता है। इसके अलावा, बारहवें भाव में यदि सूर्य ग्रह पीड़ित अवस्था में हो तो, जातक को संतान (बच्चों को जन्म देने) से सम्बंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
बारहवें भाव के सूर्य के कारण जातक को संतान प्राप्ति में कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है हालांकि, कई वर्षों के प्रयास करने के बाद अंततः सफलता मिल सकती है। इसके अलावा, इन जातकों को अपने पिता के साथ भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, या उनके साथ एक तनावपूर्ण संबंध रह सकता है। ज्योतिष की सलाह में इन जातकों को अपने पिता के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास करते रहना चाहिए।
बारहवें भाव में सूर्य ग्रह के प्रभाव हेतु उपाय
ज्योतिष के अनुसार सूर्य ग्रह अपने अस्त और उदय होने की प्रवृत्ति के समान ही जातकों को फल प्रदान करते हैं। अतः बर्श्वें भाव में सूर्य ग्रह के अशुभ प्रभाव और कठोरता को सूर्य देव की आराधना कर कम किया जा सकता है। इसके साथ ही सूर्य देव की नियमित पूजा और उपासना करने से भी लाभ होगा बहुत से जातक इनको, नजरअंदाज करते हैं; लेकिन सूर्य देव की नियमित पूजा करने से अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है।
निष्कर्ष
ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के अन्य भावों की तुलना में, सूर्य ग्रह की स्थिति के बहुत कष्टदायक हो सकती है। चूँकि ऐसे जातक मन व चेतना की गहराई में उलझे रहते हैं, इसलिए वे आंतरिक अस्तित्व की सबसे काठी प्रक्रिया से वास्तविकता की ओर चल रहे होते हैं। हालांकि, यह उन्हें आध्यात्मिक स्तर को ऊंचा उठाने और अपने और समाज में सम्मान प्राप्त करने हेतु एक अच्छा अवसर भी प्रदान कर सकता है।
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सूर्य ग्रह बारहवें भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- क्या बारहवें भाव में सूर्य ग्रह स्थिति शुभ होती है?
An- जब सूर्य कुंडली के बारहवें भाव में मौजूद होता है, तो ऐसे जातक अधिक विचारशील प्रवृत्ति के होते है और उसका आंतरिक चेतना के गहरे पहलुओं के साथ एक मजबूत संबंध होता है। ऐसे जातक अपने से आध्यात्मिकता की ओर रूचि रखते है।
Q- सूर्य ग्रह के अशुभ प्रभावों को कैसे कम किया जा सकता है
An- ज्योतिष के अनुसार सूर्य देव की नियमित रूप से पूजा और उपासना करने से सूर्य के अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है।
Q- कुंडली में बारहवां भाव क्या दर्शाता है?
An- कुंडली में बारहवां भाव मोक्ष, आर्थिक सम्पन्नता और अध्यात्म के प्रति रुचि को दर्शाता है।
Q- सूर्य को किसका कारक माना जाता है?
An- ज्योतिष में सूर्य ग्रह राजकार्य, मन-प्रतिष्ठा और पिता का कारक होता है।