वैदिक ज्योतिष के अनुसार, यदि कुंडली के नौवें भाव में राहु ग्रह की स्थिति है और साथ किसी और सौम्य ग्रह जैसे कि, बुध, शुक्र या बृहस्पति भी मौजूद हो तो। राहु ग्रह जातक को जीवन में उच्च सफलता प्राप्त करने में सहायक होता है। इस भाव में राहु ग्रह की उपस्थिति से जातक की सोचने-विचार करने की क्षमता में काफी बदलाव आता है और वे धार्मिक क्रियाओं की तरफ भी अपनी रूचि रखते हैं।
ज्योतिष में, हम सभी की जन्म कुंडली में, 12 भाव (घर) होते हैं। हमारे जीवन के, लगभग सभी पहलुओं का चित्रण इन 12 भावों में निहित होता हैं। इनमें से प्रत्येक भाव की अपनी अलग भूमिका होती है। लेकिन अगर हम सबकी जन्म कुंडली, जब एक समान है; तो हम सबका स्वभाव अलग क्यों हैं? हमारी कुंडली के इन 12 भावों में नव ग्रहों की स्थिति।
जब नौ ग्रहों में से कोई भी ग्रह इन भावों में विराजमान होते हैं, तो हमारे जीवन को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। इसलिए, इस लेख के माध्यम से हमने आपकी कुंडली के, नौवें भाव में राहु ग्रह की उपस्थिति से होने वाले परिणामों को बताया है-
नवम भाव में राहु ग्रह ( Rahu in 9th house): महत्व
‘मंगल भवन’ के प्रसिद्ध ‘ज्योतिषाचार्य श्री आनंद’ जी के अनुसार, समस्त ग्रहों में से राहु ग्रह भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को एक अत्यंत क्रूर एवं मायावी ग्रह की संज्ञा दी गई है। जातक की कुंडली में राहु के अशुभ स्थान पर होने से उसे मानसिक तनाव तथा आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही राहु और केतु को छाया ग्रह माना गया है।
जन्म कुंडली का नौवां भाव जातक के भाग्य को प्रदर्शित है इसलिए इसे ‘भाग्य’ का भाव कहा जाता है। जिस भी जातक का नवम भाव,अच्छा होता है वह भाग्यवान होता है। इसके साथ ही नौवें भाव से व्यक्ति के धार्मिक दृष्टिकोण का पता चलता है। अतः इसे ‘धर्म’ का भाव भी कहते हैं। कुंडली में नौवां भाव त्रिकोण स्थान कहलाता है।

नवम भाव में राहु ग्रह: सकारात्मक तथा नकारात्मक फल
- इस भाव में स्थित राहु ग्रह आपको परिश्रमी और ईश्वर पर श्रद्धा रखने वाला अर्थात आस्तिकता का बोध कराता है।
- इसके साथ ही आपका स्वभाव कृपालु, परिवार के प्रति स्नेह करने वाले और गुणज होगा।
- आपकी रूचि तीर्थ की यात्रा करने में होगी साथ आप ही धर्मात्मा और दयालु प्रवृत्ति के होंगे।
- आपका ह्रदय सभ्यता से भरा हुआ होगा और आपको यात्राएं करना बहुत पसंद होगा है।
- आप अपने गुणों के कारण दूसरों के बीच विद्वान और पूजनीय होंगे। साथ ही आप लोगों में माननीय और आदरणीय भी होंगे।
- आप धन का दान-पुण्य करने में अधिक विश्वास करने वाले व्यक्ति होंगे।
- दूसरों के द्वारा किया गया उपकार आप भूलते नहीं हैं। आप सदा अपने बड़े बुजुर्गों के बताए रास्ते का अनुसरण करेंगे और उसी के माध्यम से आप अपनी कीर्ति में वृद्धि करते हैं।
- आपको अपने काम को पूरा करते हैं। साथ ही आप सुधारवादी विचार वाले, उन्नतशील आत्मशक्ति वाले और जगत के कल्याण के लिए प्रयत्नशील व्यक्ति हैं।
- पांचवें भाव में राहु ग्रह के अशुभ प्रभाव होने पर आपका आचरण पापी या क्रोधी हो सकता है और यह आपकी धर्म के प्रति श्रद्धा कम करने की कोशिश करता है।
- अतः: ऐसी स्थिति में स्वयं का बचाव करें और ढोंगी प्रवृत्ति से बचें। हमेशा अच्छे व स्वच्छ वस्त्र धारण करें और अपने भाइयों और मित्रों से अच्छे संबंध रखें।
नवम भाव में राहु ग्रह: सावधानियां
1. अपने से बड़े तथा बुजुर्गों से विवाद न करें।
2. ससुराल पक्ष से संबंध मधुर बनाए रखें।
3. दहलीज के नीचे सफाई का ध्यान रखें और गंदे पानी निकासी न करें।
4. घर में भट्टी का उपयोग नहीं करें।
5. ईमानदारी व सदाचार का पालन करें।

निष्कर्ष
आखिर में यह निष्कर्ष मिलता है कि, नवम भाव में राहु ग्रह से प्रभावित जातक अपने ज्ञान से बहुत ऊपर जा सकते हैं। हालांकि, उन्हें परिवार के भीतर, विशेषकर अपने पिता पक्ष के साथ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही उन्हें संतान से भी परेशानी उठानी पड़ सकती है। ज्योतिष उन्हें इन मामलों में सावधान रहने की सलाह देते हैं।
ज्योतिष में राहु एक क्रूर और मायावी ग्रह माना जाता है, परंतु यदि राहु कुंडली में मजबूत होता है तो जातकों को इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं जबकि कमजोर होने पर यह अशुभ फल देता है। आइए विस्तार से जानते हैं राहु ग्रह का कुंडली के अन्य भावों पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है –
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राहु ग्रह नवम भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- कुंडली में नवम भाव का स्वामी कारक ग्रह कौन होते हैं?
An- कुंडली में नवम भाव के स्वामी कारक ग्रह बृहस्पति ग्रह होते हैं।
Q- नवम भाव में राहु ग्रह हो तो क्या होता है?
An- जन्म कुंडली के नवम भाव में राहु होने पर जातक परिश्रमी और ईश्वर पर विश्वास करने वाला होता है। ऐसे जातक कृपालु, गुणवान और अपने परिवार को स्नेह करने वाला होता है।
Q- क्या, कुंडली में नवम भाव का राहु शुभ होता है?
An- हां, नवम भाव पर राहु की दृष्टि से जातक ऐश्वर्यवान बन जाते है। ऐसे लोगों के पास धन की कोई कमी नहीं होती।
Q- कुंडली में नवम भाव किसका कारक होता है?
An- जन्म कुंडली का नौवां भाव जातक के भाग्य को प्रदर्शित है इसलिए इसे ‘भाग्य’ का भाव कहा जाता है।