ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली के सातवें भाव में राहु ग्रह की स्थिति जातक के वैवाहिक जीवन में और पति-पत्नी के बीच अहंकार की भावना को उत्पन्न करती है। ऐसे में वैवाहिक जीवन में किसी भी बात पर एक-दूसरे की सहमति होना, सातवें भाव के स्वामी की स्थिति पर निर्भर करता है।
ज्योतिष में, हम सभी की जन्म कुंडली में, 12 भाव (घर) होते हैं। हमारे जीवन के, लगभग सभी पहलुओं का चित्रण इन 12 भावों में निहित होता हैं। इनमें से प्रत्येक भाव की अपनी अलग भूमिका होती है। लेकिन अगर हम सबकी जन्म कुंडली, जब एक समान है; तो हम सबका स्वभाव अलग क्यों हैं? इसका कारण है हमारी कुंडली के इन भावों में नव ग्रहों की स्थिति।
जब नौ ग्रहों में से कोई भी ग्रह इन भावों में विराजमान होते हैं, तो हमें और हमारे जीवन को प्रत्यक्ष रूप से शुभ व अशुभ दोनों तरह से प्रभावित करते हैं। इसलिए, इस लेख के माध्यम से हमने आपकी कुंडली के, सातवें भाव में राहु ग्रह की उपस्थिति से होने वाले परिणामों को बताया है-
सातवें भाव में राहु ग्रह ( Rahu in 7th house): महत्व
‘मंगल भवन’ के प्रसिद्ध ‘ज्योतिषाचार्य श्री आनंद’ जी के अनुसार, समस्त ग्रहों में से राहु ग्रह भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को एक अत्यंत क्रूर एवं मायावी ग्रह की संज्ञा दी गई है। जातक की कुंडली में राहु के अशुभ स्थान पर होने से उसे मानसिक तनाव तथा आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही राहु और केतु को छाया ग्रह माना गया है।
सातवाँ भाव, जो कि जातक के वैवाहिक जीवन, जीवन साथी तथा पार्टनर के सम्बन्ध का बोध कराता है। इसके साथ ही, यह भाव जातक के नैतिक व अनैतिक रिश्ते को भी दर्शाता है। शास्त्रों में मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष हैं। इनमें से ‘काम’ का संबंध सप्तम भाव से होता है।
सातवें भाव में राहु ग्रह: शुभ तथा अशुभ प्रभाव
सातवें भाव में राहु से प्रभावित जातक को अधिकांशत: अशुभ फल ही प्राप्त होते हैं। परन्तु कुछ स्थान पर राहु ग्रह शुभ फल भी देते हैं जो कुछ इस प्रकार है-
- ऐसे जातक किसी की अधीनता में रहना पसंद नहीं करते बल्कि स्वतंत्र रहना चाहते हैं। आप कि कार्य करने की कुशलता भी चतुराई से परिपूर्ण होती है।
- आपको नए स्थानों पर घूमने-फिरने में बड़ा आनंद मिलता है।
- राहु की स्थिति में ग्रहों के मान से, आपका विवाह अपेक्षाकृत या तो जल्दी हो सकता है अथवा बहुत देर से होगा। इसके साथ ही आपका जीवनसाथी अच्छा होगा।
- आपके और आपके जीवनसाथी के बीच मधुर संबंध और अच्छा प्रेम होगा।
- नौकरी पेशे लोगो को कोई परेशानी नहीं होगी। राहु ग्रह के शुभ प्रभाव रहने पर आपका व्यवसाय भी ठीक चलेगा।
- राहु ग्रह के अशुभ अवस्था में होने से आपका कद छोटा हो सकता है।
- इसके साथ ही, आप अच्छा काम भी करेंगे तो भी आपको बुराई का सामना करना पड़ सकता है।
- राहु के प्रभाव के कारण आप क्रोधी स्वभाव और दूसरों से झगडा करने वाले हो सकते हैं। साथ ही आप में कुछ हद तक घमंडी, उग्र या असंतुष्ट के गुण भी होते हैं।
- अशुभ राहु ग्रह से, आपकी संगति या संबंध बुरे लोगों के साथ हो सकते हैं। और इन दुष्ट व्यक्तियों की संगति में पडकर आप अच्छे लोगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- ज्योतिष के अनुसार, आपको लालच और बेकार इधर-उधर घूमने फिरने से बचना चाहिए।
- इसके साथ ही जितना हो सके धार्मिकता को अपनाएं।
- जीवनसाथी मन के अनुरूप न मिलने पर आपस में कलह पूर्ण स्थिति हो सकती है या जीवनसाथी का स्वास्थ्य खराब रह सकता है। कुल मिलाकर सातवें भाव में राहु ग्रह के होने से दांपत्य जीवन में कष्ट आ सकते हैं।
ज्योतिष परामर्श या कुंडली में ग्रहों से संबंधित सटीक जानकारी के लिए आप मंगल भवन से जुड़ सकते हैं।
निष्कर्ष
ज्योतिष में, सातवें भाव में राहु ग्रह से प्रभावित जातक, सुख और दुख का मिश्रित फल प्राप्त करते हैं। यदि वे अपने सुखी वैवाहिक जीवन का निर्माण करने में सक्षम हैं, तो वे आनंद और सुख का अनुभव उठा सकते हैं। हालांकि, यदि उनका वैवाहिक जीवन सुखी नहीं है, तो यह गंभीर कठिनाइयों का कारण भी बन सकता है।
राहु ग्रह का शुभ या लाभकारी स्थिति में होने से जातक की कुंडली में राशि चक्र के चिन्ह की प्रकृति के आधार पर अशुभ में फल दे सकता है। नतीजतन, व्यक्ति अपने ही विचारों में खो जाते हैं। उनकी बहुत सी इच्छाएं अधूरी रह जाती हैं और कभी-कभी तो उन्हें लग सकता है कि जीवन अर्थहीन और उद्देश्यहीन है।
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राहु ग्रह सातवें भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- क्या दर्शाता है कुंडली का सातवाँ भाव?
An- कुंडली में सातवाँ भाव, जातक के वैवाहिक जीवन, जीवन साथी तथा पार्टनर के सम्बन्ध का बोध कराता है।
Q- कुंडली में सातवें भाव का स्वामी कारक ग्रह कौन होते हैं?
An- कुंडली में सातवें भाव का स्वामी कारक ग्रह शुक्र और बुध दोनों हैं।
Q- क्या, कुंडली में सातवें भाव में राहु ग्रह शुभ होता है?
An- कुंडली में सातवें भाव में राहु ग्रह अधिकांश अशुभ होता है।
Q- कुंडली के सातवें भाव में राहु ग्रह की क्या भूमिका होती है?
An- कुंडली के सातवें भाव में राहु ग्रह की स्थिति जातक के वैवाहिक जीवन में और पति-पत्नी के बीच अहंकार की भावना को उत्पन्न करती है।
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