ज्योतिष के अनुसार, यदि राहु ग्रह कुंडली के छठे भाव में हो तो ऐसा व्यक्ति बहुत संपन्न होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इन जातकों ने अपने अपने पूर्व जन्म में बहुत दान-पुण्य किया होता है। ऐसे व्यक्ति को रोग का भय नहीं होता है। और अपने जीवन में धन भी प्राप्त होता है। ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में आर्थिक तंगी का सामना भी नहीं करना पड़ता है।
ज्योतिष में, हम सभी की जन्म कुंडली में, 12 भाव (घर) होते हैं। हमारे जीवन के, लगभग सभी पहलुओं का चित्रण इन 12 भावों में निहित होता हैं। इनमें से प्रत्येक भाव की अपनी अलग भूमिका होती है। लेकिन अगर हम सबकी जन्म कुंडली, जब एक समान है; तो हम सबका स्वभाव अलग क्यों हैं? इसका कारण है हमारी कुंडली के इन 12 भावों में नौ ग्रहों की स्थिति।
जब कुंडली में नौ ग्रहों में से कोई भी ग्रह इन भावों में विराजमान होते हैं, तो यह हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। इसलिए, इस लेख के माध्यम से हमने आपकी कुंडली के, छठे भाव में राहु ग्रह की उपस्थिति से होने वाले परिणामों को बताया है-
छठे भाव में राहु ग्रह ( Rahu in 6th house): महत्व
‘मंगल भवन’ के प्रसिद्ध ‘ज्योतिषाचार्य श्री आनंद’ जी के अनुसार, समस्त ग्रहों में से राहु ग्रह भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को एक अत्यंत क्रूर एवं मायावी ग्रह की संज्ञा दी गई है। जातक की कुंडली में राहु के अशुभ स्थान पर होने से उसे मानसिक तनाव तथा आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही राहु और केतु को छाया ग्रह माना गया है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली के षष्टम (छठे) भाव को ‘शत्रु भाव’ की संज्ञा दी गई है। जातक की कुंडली के अन्य भावों के समान ही यह भाव भी महत्वपूर्ण एवं अद्वितीय है। आमतौर पर इस भाव का संबंध जातक के स्वास्थ्य और कल्याण से होता है। इसी कारण से इस भाव को ‘रोग स्थान’ भी कहा जाता है।

छठे भाव में राहु ग्रह: अच्छे तथा बुरे प्रभाव
- इस भाव में उपस्थित राहु के शुभ प्रभाव से जातक के जीवन में अनिष्टता का निवारण होता है, अर्थात आपके जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।
- राहु के शुभ दृष्टि से आप में पराक्रम और शक्ति का संचार होगा। इसके साथ ही आप उदार हृदय और धैर्यवान स्वभाव को अपनाएंगे।
- राहु की शुभ दृष्टि से आप स्थिरचित्त और बुद्धिमान व्यक्ति होंगे। आप में भरपूर साहस का संचार होगा और आप बडे-बडे कामों को अंजाम देने में सक्षम होंगे।
- इसके साथ ही आप शारीरिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ, निरोगी और दीर्घायु होंगे।
- आप अपने शत्रुओं का नाश कर, सदैव उन पर विजय हासिल करेंगे।
- आप अपने भविष्य में बहुत प्रसिद्ध और राज जैसी मान्यता को प्राप्त कर सकते हैं। राहु ग्रह के शुभ प्रभाव से आप पर सरकार की अच्छी कृपा रहेगी।
- इस भाव का राहु ग्रह आपको, दूसरे धर्म के लोगों के द्वारा बहुत लाभ दिलाने वाला होगा और धन के मामले में भी आपकी स्थिति शुभ रहेगी। आप एक अमीर व्यक्ति हो सकते हैं।
- आपको अपने जीवन काल में सभी भौतिक वस्तुएं जैसे- वस्त्र, वाहन और आभूषणों का भी अच्छा सुख प्राप्त होगा।
- छठे भाव का राहु ग्रह आपको, भाग्यशाली बनाएगा और आपके पास अच्छी धन-संपदा होगी।
- ज्योतिष की गणना में, आपका जीवन साथी भी अच्छा होगा। लेकिन राहु ग्रह के दुष्प्रभाव स्वरूप आपकी संगति खराब लोगों के साथ हो सकती है।
- आपकी नौकरी में अस्थिरता रह सकती है। इसके साथ ही अशुभ ग्रहों के साथ आपको ऊपरी बाधाएं या कोई रहस्यमयी बीमारी भी हो सकती है।
- मामा, मौसी या चाचा पक्ष से आपको अधिक सुख नहीं मिलेगा।

छठे भाव में राहु ग्रह: उपाय
छठे भाव में राहु ग्रह अशुभ फल, कारक हो तो जातक को निम्न उपाय करना चाहिए।
- विद्या की देवी सरस्वती की मूर्ति या प्रतिमा के आगे लगातार 6 दिन तक नीले फूल अर्पित करें।
- यदि सूर्य-राहु का सम्बन्ध साथ में युति बनाएं तो 43 दिन तक (बिना नागा किए) देवी के आगे फूल चढ़ाने चाहिये।
- ऐसे जातक के लिए भूरे या काले कुत्ते को पालना अथवा दूध/ब्रेड आदि से सेवा करना भी शुभ फल देता है।
- भाई-बहन एवं स्त्री का के साथ संबंधों में मधुरता बनाए रखें।
- मुकदमे या कोर्ट-कचहरी से परेशान हो तो, हर शनिवार 6 लौंग जलाकर राख को, बहते जल में प्रवाहित करें।
निष्कर्ष
आखिर में हम यह कह सकते हैं कि, छठे भाव में राहु अशुभ शुभ एवं अरिष्ट निवारण करके शुभता में वृद्धि करता है। यहाँ मेष, सिंह, कन्या, वृश्चिक एवं धनु लग्न के जातकों को इस भाव का राहु प्रायः शुभ व अशुभ दोनों प्रकार से प्रभावित करता है। राहु ग्रह के शुभ होने की स्थिति में जातक बुद्धिमान, साहसी, पराक्रमी, धैर्यवान, दीर्घायु, न्यायप्रिय तर्क-वितर्क करने में कुशल, गुप्त युक्तियों के बल पर शत्रुओं को परास्त करने वाला आदि सुखों को प्राप्त करता है।
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राहु ग्रह छठे भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- कुंडली में छठे भाव का स्वामी कारक ग्रह कौन से हैं?
An- कुंडली में छठे भाव का स्वामी ग्रह बुध होता है और कारक ग्रह केतु है।
Q- क्या, कुंडली में छठे भाव में राहु शुभ होता है
An- हां, शुभ ग्रह की युति के साथ राहु ग्रह जातक के लिए शुभ परिणाम प्रदान करता है।
Q- कुंडली में छठे भाव में किसका स्थान होता है?
An- कुंडली में छठे भाव को ‘शत्रु भाव’ की संज्ञा दी गई है।
Q- कुंडली के छठे भाव में राहु के होने से क्या प्रभाव होता है?
An- कुंडली के छठे भाव में राहु ग्रह, उपस्थित हो तो ऐसा व्यक्ति बहुत संपन्न होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इन जातकों ने अपने अपने पूर्व जन्म में बहुत दान-पुण्य किया होता है।