ज्योतिष के अनुसार, यदि राहु ग्रह कुंडली के पंचम भाव में हो तो आपके, संतान के साथ संबंध खराब हो सकते हैं। इसके साथ ही पांचवें भाव में राहु ग्रह स्थिति पिता-पुत्र के संबंध या पिता-पुत्री के संबंधों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती है। यदि पांचवें भाव राहु ग्रह के साथ कोई अन्य ग्रह नहीं है तो आप धन के मामले में आवश्यकता से अधिक उदार होंगे। इस स्थिति का राहु ग्रह, आपकी एक्स्ट्रा सैलरी और भत्तों में कमी कर सकता है।
ज्योतिष में, हम सभी की जन्म कुंडली में, 12 भाव (घर) होते हैं। हमारे जीवन के, लगभग सभी पहलुओं का चित्रण इन 12 भावों में निहित होता हैं। इनमें से प्रत्येक भाव की अपनी अलग भूमिका होती है। लेकिन अगर हम सबकी जन्म कुंडली, जब एक समान है; तो हम सबका स्वभाव अलग क्यों हैं? इसका कारण है कुंडली के इन भावों में नव ग्रहों की स्थिति।
जब नौ ग्रहों में से कोई भी ग्रह इन भावों में विराजमान होते हैं, तो हमारे जीवन को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। इसलिए, इस लेख के माध्यम से हमने आपकी कुंडली के, पांचवें भाव में राहु ग्रह की उपस्थिति से प्राप्त होने वाले शुभ व अशुभ परिणामों को बताया है-
पांचवें भाव में राहु ग्रह ( Rahu in 5th house): भूमिका
‘मंगल भवन’ के प्रसिद्ध ‘ज्योतिषाचार्य श्री आनंद’ जी के अनुसार, समस्त ग्रहों में से राहु ग्रह भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को एक अत्यंत क्रूर एवं मायावी ग्रह की संज्ञा दी गई है। जातक की कुंडली में राहु के अशुभ स्थान पर होने से उसे मानसिक तनाव तथा आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही राहु और केतु को छाया ग्रह माना गया है।

जन्म कुंडली का पांचवां भाव ’भाग्य’ का भाव कहलाता है। जो जातक की इमेजिनेशन, लव रिलेशन, रोमांस और संतान पक्ष का प्रतिनिधित्व करता है। पांचवां भाव जातक के जीवन में खुशियों का बोध कराता है।
पांचवें भाव में राहु ग्रह: शुभ और अशुभ प्रभाव
- ज्योतिष की गणना में, पांचवे भाव में स्थित राहु ग्रह के प्रभाव से जातक तीक्ष्ण बुद्धि के बनते हैं ।
- इसके साथ ऐसे जातकों को विभिन्न शास्त्रों का भी ज्ञान होता है।
- ये जातक स्वभाव से दयालु व कर्मठ होने के साथ-साथ भाग्यवान भी होते हैं है।
- इन जातकों को पुत्र प्राप्ति में कुछ समस्या आ सकती है। या फिर हो सकता है कि पहली संतान के रूप में कन्या की प्राप्ति हो।
- ऐसे जातक को कंपनी के व्यवसाय में बहुत सफलता मिलती है।
- ये जातक लेखन कला में कुशल तो होते ही हैं साथ ही आप प्रसिद्धि भी अर्जित करते हैं।
- कई मामलों में पांचवें भाव का राहु ग्रह जातक को बुरे परिणाम भी देता है। ऐसे में राहु ग्रह जातक दिमाग को भ्रमित करता है।
- इस भाव में राहु की अशुभता के कारण संतान को कष्ट या परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
- इस भाव में राहु की दशा व्यर्थ में व्यय करने और निर्धनता की स्थिति उत्पन्न करती है।
- यह स्थिति जातक को कभी-कभी गलत रास्ते पर चलने के प्रेरित भी करता है। ऐसे जातक के मन में चिंता और संताप (शोक) की स्थिति निर्मित हो सकती है।
- ऐसे जातक की रुचि विद्या प्राप्त करने में कम ही होती है। साथ ही इन जातकों को पेट से संबंधित परेशानियां हो सकती हैं। पेट में शूल, गैस आदि रोग और मंदाग्नि रोग हो सकता है।
- अधिक प्रयास के बाद धन संग्रह हो पाता है। जीवन साथी के पक्ष से भी कष्ट का सामना करना पड़ता।

निष्कर्ष
ज्योतिष में राहु ग्रह को भ्रमित होने का कारक बताया है। यह ग्रह धोखे को भी निहित करता है। पंचम भाव में राहु ग्रह वाले जातक प्रसिद्धि और वैभव की आकांक्षा रखते हैं लेकिन वे अपनी खोज में कुछ बहुत दूर जा सकते हैं।
ये जातक राहु के प्रभाव से भ्रमित हो सकते हैं, इसलिए वे अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अधार्मिक साधन व तरीके अपना सकते हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि अधर्म का अंत निश्चित रूप से तय होता है, इसलिए इन जातकों को इस संबंध में बहुत सावधान रहने की आवश्यकता है। वास्तव में, यहाँ अंत और साधन दोनों को धर्मी होने की आवश्यकता होती है।
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राहु ग्रह पांचवें भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- कुंडली में पांचवां भाव किसका प्रतिनिधित्व करता है?
An- जन्म कुंडली का पांचवां भाव ’भाग्य’ का भाव कहलाता है। जो जातक की इमेजिनेशन, लव रिलेशन, रोमांस और संतान पक्ष का प्रतिनिधित्व करता है।
Q- कुंडली में, पांचवें भाव में राहु ग्रह क्या फल देते हैं?
An- जन्म कुंडली में पांचवां भाव में राहु ग्रह संतान के साथ संबंध बिगाड़ सकता हैं। इसके साथ ही पांचवें भाव में राहु ग्रह स्थिति पिता-पुत्र के संबंध या पिता-पुत्री के संबंधों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
Q- क्या, कुंडली के पांचवें भाव में राहु ग्रह शुभ होते हैं?
An- कुंडली के पांचवें भाव में राहु ग्रह, जातक के लिए शुभ और अशुभ दोनों प्रकार से फल देते हैं।
Q- कुंडली के पांचवें भाव का स्वामी ग्रह कौन होता है?
An- कुंडली के पंचम भाव के स्वामी कारक ग्रह गुरु है।