ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली के चतुर्थ भाव में राहु ग्रह का होना जमीन-जायदाद या संपत्ति में लाभ को संदर्भित करता है। लेकिन, साथ ही ऐसे जातकों को जीवन भर किसी न किसी वजह से असंतोष का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे जातकों के कई बार अपने पिता से भी संबंध बिगड़ सकते हैं। ऐसे जातकों को धन लाभ तो होता है परंतु फिर भी वें अपने धन का पर्याप्त सुख नहीं भोग पाते।
ज्योतिष में, हम सभी की जन्म कुंडली में, 12 भाव (घर) होते हैं। हमारे जीवन के, लगभग सभी पहलुओं का चित्रण इन 12 भावों में निहित होता हैं। इनमें से प्रत्येक भाव की अपनी अलग भूमिका होती है। लेकिन अगर हम सबकी जन्म कुंडली, जब एक समान है; तो हम सबका स्वभाव अलग क्यों हैं? इसका कारण है हमारी कुंडली भावों में नव ग्रहों की स्थिति।
जब नौ ग्रहों में से कोई भी ग्रह इन भावों में विराजमान होते हैं, तो हमें और हमारे जीवन को प्रत्यक्ष रूप से शुभ व अशुभ दोनों तरह से प्रभावित करते हैं। इसलिए, इस लेख के माध्यम से हमने आपकी कुंडली के, चौथे भाव में राहु ग्रह की उपस्थिति से होने वाले परिणामों को बताया है-
चतुर्थ भाव में राहु ग्रह ( Rahu in 4th house): महत्व
‘मंगल भवन’ के प्रसिद्ध ‘ज्योतिषाचार्य श्री आनंद’ जी के अनुसार, समस्त ग्रहों में से राहु ग्रह भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को एक अत्यंत क्रूर एवं मायावी ग्रह की संज्ञा दी गई है। जातक की कुंडली में राहु के अशुभ स्थान पर होने से उसे मानसिक तनाव तथा आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही राहु और केतु को छाया ग्रह माना गया है।
कुंडली के चतुर्थ भाव को घर, वाहन, माता एवं सुख का भाव माना जाता है। कुंडली में इस भाव की स्थिति से जातक की अचल संपत्ति, भौतिक सुख-सुविधा, तालाब, बावड़ी व घर के वातावरण के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस भाव को ‘केंद्र’ भाव भी कहा जाता है।
चतुर्थ भाव में राहु ग्रह: शुभ तथा अशुभ प्रभाव
- इस भाव में स्थित राहू ग्रह आपको प्रतापी और साहसी बनाता है और राज सत्ता के माध्यम से सुख की प्राप्ति करता है अथवा राजा का प्रेम पात्र भी बना सकता है।
- किसी प्रशासनिक व्यक्ति के माध्यम से आपका हित का कार्य संपन्न हो सकता है।
- आपको अपनी माता पक्ष से अपार सुख मिलेगा। आपके मनोविकार और चित्त में स्थिरता रहेगी।
- आपके पास विभिन्न प्रकार सांसारिक सुख जैसे वस्त्र और आभूषण होंगे।
- आपको अपनी जन्मभूमि से दूर जा कर कार्य करना पड़ सकता है। इसके साथ आप प्रवासी या विदेश जाकर भी रह सकते हैं।
- आपको नई-नई जगह घूमना-फिरना बहुत पसंद होगा।
- चौथे भाव का राहु ग्रह आपकी किसी बड़ी उपलब्धि की राह रुकावट उत्पन्न कर सकता है, परन्तु नौकरी के मामले में राहु कुछ हद तक निजात दिलाता है।
- इस भाव में राहु के प्रभाव से आपको साझेदारी के मामलों में भी अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे।
- इस भाव में राहु के कारण कभी-कभी जातक के दो विवाह अथवा दो लोगों से आंतरिक लगाव भी हो सकते हैं।
- आपका जीवन साथी आपके विपरीत परिस्थिति में आपका पूरा सहयोग करेगा। इसके अलावा आपकी संतान में पुत्रों की संख्या कम होती है।
- ज्योतिष के अनुसार, उम्र के छत्तीसवें वर्ष से लेकर छप्पन वें वर्ष तक भाग्य आपका अपेक्षाकृत अधिक साथ देता है।
- राहु के अशुभ प्रभाव के कारण आपको मानसिक अशांति हो सकती है। अपने पास सारे सुख के साधन उपलब्ध होंगे तो भी मन दुखी रह सकता है।
चतुर्थ भाव में राहु ग्रह: ध्यान रखने योग्य बातें
1. माता और पिता का अपमान न करें।
2. अपने कर्म स्थान या कार्यों में लापरवाही न करें।
3. साथ ही व्यसन आदतें जैसे शराब, मांस, व्याभिचार आदि जैसे बुरे कार्यों से दूर रहें।
4. शौचालय, सीढ़ियां और स्नानघर (बाथरूम) को साफ रखें।
5. कोयले का एकत्रीकरण, शौचालय फेरबदल, जमीन में मंदिर बनाना, घर में पखाना बनवाना, जमीन के अंदर पानी की टंकी बनवाना, बोरियां इकट्ठी करना और छ्त में फेरबदल करना हानिकारक होगा।
निष्कर्ष
ज्योतिष के अनुसार, राहु चतुर्थ भाव में योगकारक होकर शुभ स्थान पर हों तो जातक को धन-वाहन, मित्र एवं प्रशासन आदि से सुख प्राप्त होता है। कई जातक सरकारी नौकरी या निजी व्यापार करने वाले होते है। इनका घन-धन्य आदि से परिपूर्ण होकर राजा के समान जीवन व्यतीत होता है। इसके अलावा राहु ग्रह नवम स्थान में शुभ हो तो जातक विदेश भ्रमण या तीर्थ यात्राएं करने वाला होता है।
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राहु ग्रह चतुर्थ भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- कुंडली का चतुर्थ भाव क्या होता है
An- कुंडली का चतुर्थ भाव घर, वाहन, माता एवं सुख का भाव माना जाता है।
Q- जन्म कुंडली के चौथे भाव में राहु ग्रह कैसा फल प्रदान करते हैं?
An- कुंडली के चतुर्थ भाव में राहु ग्रह का होना जमीन-जायदाद या संपत्ति में लाभ को संदर्भित करता है। लेकिन, साथ ही ऐसे जातकों को जीवन भर किसी न किसी वजह से असंतोष का सामना करना पड़ सकता है।
Q- कुंडली में चतुर्थ भाव के स्वामी कारक ग्रह होते हैं?
An- कुंडली में चतुर्थ भाव के स्वामी कारक ग्रह चन्द्र और मंगल है।
Q- क्या, कुंडली में चौथे भाव में राहु शुभ होता है?
An- ज्योतिष के अनुसार, राहु चतुर्थ भाव में योगकारक होकर शुभ स्थान पर हों तो जातक को धन-वाहन, मित्र एवं प्रशासन आदि से सुख प्राप्त होता है।