ज्योतिष विद्या में, जन्म कुंडली के तीसरे भाव में राहु ग्रह भौतिक सुख – सुविधाओं, धन, संतान और श्रेष्ठ जीवन साथी के लिए सहायक होता है। ऐसे जातक का बुद्धि तीव्र होती है लेकिन ये सदैव बेचैनी का सामना करते रहते है। तीसरे भाव में राहु ग्रह जातक में एक अच्छा दोस्त होने के गुण की वृद्धि करता है जो दूसरों के लिए श्रेष्ठ मित्रता का भाव रखते हैं।
ज्योतिष में, हम सभी की जन्म कुंडली में, 12 भाव (घर) होते हैं। हमारे जीवन के, लगभग सभी पहलुओं का चित्रण इन 12 भावों में निहित होता हैं। इनमें से प्रत्येक भाव की अपनी अलग भूमिका होती है। लेकिन अगर हम सबकी जन्म कुंडली, जब एक समान है; तो हम सबका स्वभाव अलग क्यों हैं? इसका कारण है हमारी कुंडली में स्थित सभी 12 भावों में, ग्रहों की स्थिति।
जब नौ ग्रहों में से कोई भी ग्रह इन भावों में विराजमान होते हैं, तो हमें और हमारे जीवन को प्रत्यक्ष रूप से शुभ व अशुभ दोनों तरह से प्रभावित करते हैं। इसलिए, इस लेख के माध्यम से हमने आपकी कुंडली के, तीसरे भाव में राहु ग्रह की उपस्थिति से होने वाले परिणामों को बताया है-
तीसरे भाव में राहु ग्रह ( Rahu in 3rd house): भूमिका
‘मंगल भवन’ के प्रसिद्ध ‘ज्योतिषाचार्य श्री आनंद’ जी के अनुसार, समस्त ग्रहों में से राहु ग्रह भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को एक अत्यंत क्रूर एवं मायावी ग्रह की संज्ञा दी गई है। जातक की कुंडली में राहु के अशुभ स्थान पर होने से उसे मानसिक तनाव तथा आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही राहु और केतु को छाया ग्रह माना गया है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली में तृतीय भाव को ‘पराक्रम’ भाव के नाम से जाना है। इस भाव से जातक के वीरता, पराक्रम, संवाद शैली, और अपने से छोटे भाई-बहनों के संबंधों के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है।
तीसरे भाव में राहु ग्रह: सकारात्मक प्रभाव
इस भाव में राहु ग्रह की स्थिति जातक के लिए अरिष्टनाशक और दुःखनाशक मानी गई है। इसलिए ज्योतिष के अनुसार तीसरे भाव में राहु ग्रह सामान्य तौर पर अच्छा होता है-
- राहु के शुभ प्रभाव से आप निरोगी और बलवान होंगे। आप में बाहुबल की वृद्धि होगी। इसके साथ ही आप, पराक्रमी और साहसी होंगे।
- हालांकि ज्योतिष में तीसरे भाव में राहु, युद्ध में पराक्रम और वीरता पुरस्कार प्राप्त करने में सहायक भी हो सकता है। जिससे कि आप तेजस्वी , प्रतापी, दृढ़ विवेक और बहुत यात्रा करने वाले व्यक्ति होंगे।
- तीसरे भाव का राहु ग्रह आपको विद्वान के साथ-साथ भाग्यशाली भी बनाएगा।
- आपका स्वभाव चंचल और बुद्धि तीव्र होगी। आपकी दूसरों में बहुत प्रशंसा और कीर्ति होगी जो दूर-दूर तक फैलेगी।
- आप यशस्वी, प्रतिष्ठित और दान-पुण्य पर विश्वास करने वाले व्यक्ति होंगे।
- आपका व्यवहार सभी के साथ बहुत प्रेम भरा और मित्रता पूर्ण होगा। साथ ही आप सभी का आदर-सम्मान करने वाले व्यक्ति होंगे।
- आपका व्यवहार सभी के साथ समानता पूर्ण होगा और आप किसी के साथ भेदभाव नहीं करते। जो भी बर्ताव होता है, शुद्ध अंतःकरण होगा।
- ज्योतिष के अनुसार राहु ग्रह के शुभ प्रभाव से जो भाग्योदय होगा इससे आपको सहज ही लाभ मिलेगा और आपको अधिक प्रयत्न व मेहनत करने की भी आवश्यकता नहीं होगी।
- आपके जीवन में आपके पास नौकर-चाकर, वाहन सुख आदि सभी प्रकार के भौतिक सुख-सुविधा होंगी।
कुंडली में ग्रहों की स्थिति से संबंधित जानकारी या परामर्श के लिए आप ‘मंगल भवन’ से जुड़ सकते हैं।
तीसरे भाव में राहु ग्रह: अशुभ या नकारात्मक प्रभाव
यदि किसी जातक की कुंडली के तीसरे भाव में राहु ग्रह, जहां स्थिति के अनुसार सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। वहीं जातक को इनके कुछ नकारात्मक प्रभावों का भी सामना करना पड़ सकता है जैसे-
- यदि कुंडली के तीसरे भाव में राहु ग्रह की अशुभ स्थिति या नकारात्मक है तो वे जातक की भाषा में कठोरता का संचार होगा। इसी के साथ जातक को बुरे विचार, अवैध सहवास, तीर्थ यात्रा, एकांत जीवन, अस्वस्थता, बाधाएं, दुर्घटनाएं, चोट, निवास स्थान में परिवर्तन, बच्चों की वजह से चिंता, वित्तीय नुकसान और नेतृत्व क्षमता का हनन आदि विकार हो सकते है।
- राहु को जीवन में भ्रम पैदा करने का कारक माना गया है। तीसरे भाव (घर) में राहु ग्रह के प्रभाव से जातक को एकांत प्रिय और संदिग्ध प्रकृति के व्यक्ति होते हैं।
- कुंडली के तीसरे स्थान पर राहु ग्रह के प्रभाव से जातक की स्वतंत्रता भी प्रभावित हो सकती है। वह जातक को लोगों से लाभ प्राप्त करने के लिए संबंध बनाने हेतु प्रेरित करता है।
- ज्योतिष में, माना जाता है कि राहु ग्रह निवास स्थान, मित्रों और संबंधों में परिवर्तन की स्थिति उत्पन्न करता है।
- राहु ग्रह के प्रभाव से जातक में स्वार्थी स्वभाव का जन्म होता है; जिससे उसकी शत्रुता बढ़ने की संभावना में वृद्धि होती है।
हालांकि कुंडली के तीसरे भाव या अन्य किसी भी भाव में राहु ग्रह की अशुभता से प्रभावित जातक कुछ सरल ज्योतिषीय उपायों के माध्यम से अपने जीवन को खुशहाल बना सकते है। कहा जाता है कि यदि राहु के साथ बुध या सूर्य ग्रह भी विराजमान है तो ‘ग्रहण दोष’ का निर्माण करते हैं। और इस दोष के प्रभाव से जातक को धन हानि और बहन के पक्ष से परेशान का सामना करना पड़ता है। बहन के विधवा होने की संभावना हो सकती है। इसलिए अशुभ राहु ग्रह का उपाय करना भी आवश्यक होता है-
तीसरे भाव में राहु ग्रह: सावधानियां
- ज्योतिष के अनुसार आपको किसी को उधार नहीं देना चाहिए दें।
- ऐसे जातकों को अपने अतिरिक्त हौसले का प्रदर्शन भी नहीं करना चाहिए।
- मांस, मदिरा और व्याभिचार से दूर रहें।
- घर में कभी भी हाथीदांत या हाथी से निर्मित वस्तुएं और चमड़े की वस्तुएं न रखें।
- अपनी वाणी को मधुर बनाए रखें, व्यर्थ के तंत्र या रहस्य पूर्ण बातों से स्वयं को दूर रखें।
- यदि सूर्य या बुध भी साथ है तो बहन के हित हेतु उससे दूर रहें।
- ज्योतिष की सलाह से ग्रहण दोष का उपाय करें।
निष्कर्ष
ज्योतिष में राहु एक मायावी ग्रह है जो कि धुएँ सा रंग, एकांत में रहने वाला, वात प्रकृति वाला, बुद्धिमान, कुरूप, झूठा, कपटी, क्रोधी और निंदक होता है। जबकि कुंडली में तीसरा भाव से कई सकारात्मक और अच्छे पहलुओं से संबंधित होता है। जब कुंडली के तीसरे भाव में राहु ग्रह उपस्थित हो तब वह जातक हेतु कुछ नकारात्मक परिस्थितियों का निर्माण कर सकते है।
हालांकि कुछ परिस्थितियों राहु ग्रह जातक के लिए अनुकूल भी होता है। यदि जातक ज्योतिष परामर्श के अनुसार कार्य करे तो वह राहु के नकारात्मक प्रभाव से स्वयं को बचा सकता है।
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राहु ग्रह तीसरे भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- क्या कुंडली के तीसरे भाव का राहु ग्रह अच्छा होता है?
An- कुंडली के तीसरे भाव का राहु ग्रह सामान्यतः प्रतिकूल होता है, लेकिन कुछ परिस्थितियों राहु ग्रह जातक के लिए अनुकूल भी होता है।
Q- कुंडली के तीसरे भाव में स्वामी कारक ग्रह कौन होते हैं?
An- कुंडली में तीसरे भाव के स्वामी कारक ग्रह, मंगल और राहु हैं।
Q- कुंडली में तीसरे भाव में राहु ग्रह क्या परिणाम देते हैं?
An- कुंडली में तीसरे भाव में राहु ग्रह भौतिक सुख – सुविधाओं, धन, संतान और श्रेष्ठ जीवन साथी के लिए सहायक होता है।
Q- कुंडली के तीसरे भाव से क्या ज्ञात किया जाता है?
An- कुंडली में तीसरा भाव ‘पराक्रम’ भाव के नाम से जाना है। इस भाव से आपके वीरता, पराक्रम, संवाद शैली, और अपने छोटे भाई-बहनों के साथ संबंधों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।