Rahu in 12th house | जानिए, कुंडली में स्थित बारहवें भाव में राहु ग्रह से प्रभावित जातक का स्वभाव

राहु ग्रह

Rahu in 12th hous

ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि, राहु ग्रह जब जातक के बारहवें भाव में विराजमान होते हैं, तब जातक के जीवन में खुशियां ही खुशियां बिखेर देते हैं। माना जाता है जब तक राहु का बारहवें भाव में प्रवेश नहीं  होता तब तक जातक को जीवन में कुछ भी प्राप्त नहीं होता। वें अपने जीवन में समस्याओं से जूझते रहते हैं।

ज्योतिष में, हम सभी की जन्म कुंडली में,  12 भाव (घर) होते हैं। हमारे जीवन के, लगभग सभी पहलुओं का चित्रण इन 12 भावों में निहित होता हैं। इनमें से प्रत्येक भाव की अपनी अलग भूमिका होती है। लेकिन अगर हम सबकी जन्म कुंडली, जब एक समान है; तो हम सबका स्वभाव अलग क्यों हैं? 

इसका कारण है हमारी कुंडली के इन भावों में नव ग्रहों की स्थिति। जब ग्रह इन भावों में स्थित होते हैं,  तो हमें शुभ व अशुभ दोनों तरह से प्रभावित करते हैं। अतः,  इस लेख के माध्यम से हमने आपकी कुंडली के, बारहवें भाव में राहु ग्रह के कुछ सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों के बारे में बताने का प्रयास किया है-

बारहवें भाव में राहु ग्रह ( Rahu in 12th house ): महत्व 

‘मंगल भवन’ के प्रसिद्ध ‘ज्योतिषाचार्य श्री आनंद’ जी के अनुसार, समस्त ग्रहों में से राहु ग्रह भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।  वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को एक अत्यंत क्रूर एवं मायावी ग्रह की संज्ञा दी गई  है। जातक की कुंडली में राहु के अशुभ स्थान पर होने से उसे मानसिक तनाव तथा आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही राहु और केतु को छाया ग्रह भी माना गया है।

प्रत्येक मनुष्य की जन्म कुंडली में 12 भाव का भी अपना अलग महत्व होता है। बारहवें भाव में राहु ग्रह की बहुत ही अहम भूमिका होती है। जिसकी हम इस लेख में विस्तार से चर्चा करते हैं-

जन्म कुंडली का बारहवां भाव कुंडली का अंतिम भाव होने से जातक के जीवन का भी अंतिम भाग होता है। प्रथम भाव (लग्न) से गणना करने पर द्वादश भाव सबसे अंतिम भाव है। इसलिए ये एक प्रकार से मानव के जीवन चक्र के अंत को संदर्भित करता है। जिस प्रकार प्रारंभ हुआ; समाप्त भी होता है; उसी प्रकार लग्न जीवनारंभ का सूचक है; तो द्वादश भाव जीवन की समाप्ति को प्रदर्शित करता है।

Acharya Anand

बारहवें भाव में राहु ग्रह : शुभ तथा अशुभ प्रभाव 

  • इस भाव स्थित राहू जातक को पराक्रमी और यशस्वी बनाता है। साथ ही ऐसे लोग उदार महत्वाकांक्षी और उच्च आदर्श वाले व्यक्ति हो सकते हैं। 
  • ऐसे जातक स्वभाव से मिलनसार होते हैं और वें अपने  परिश्रम के दम पर सुखी जीवन व्यतीत करते हैं। 
  • राहु ग्रह का प्रभाव जातक को परोपकारी बनाते हैं और इनके लिए आध्यात्मिक ज्ञान पाना एक सहज कार्य होता है। 
  • ऐसे जातकों की रुचि, वेदों और शास्त्रों के ज्ञान में होती है और स्वभाव से ये जातक साधु प्रव्रत्ति के व्यक्ति होते हैं।
  • ऐसे जातकों को किसी सार्वजनिक संस्थाओं के माध्यम से लाभ मिल सकता है।
  • ऐसे लोग यदि किसी एक जगह पर भी टिक कर बैठे रहेंगे तो भी आपकी इच्छाओं की पूर्ति होती रहेगी। 
  • राहु के अशुभ प्रभाव से  ऐसे लोगो को कभी-कभी बडे प्रयास के बाद भी कुछ अनिष्ट फल मिल जाते है लेकिन अंत में स्वयमेव शुभ फलों में भी बदल जाते हैं। 
  • इस भाव में यहां स्थित राहु जातक के शत्रुओं का नाश करता है।
  • ज्योतिष के अनुसार हो सकता है कि ऐसे जातक को अपनी प्रारंभिक आयु में स्थिरता नहीं मिलती है और आपको आजीविका के लिए बहुत दूर (विदेश) जाना पड़े। 
  • बारहवें भाव में स्थित राहु ग्रहके प्रभाव  से जातक अपनी जन्मभूमि से दूर जाकर रहता है। कहीं बाहर या अपनी जन्मस्थान से दूर जाने पर इन जातकों का भाग्योदय होगा और बहुत सफलता भी मिलेगी। 
  • हालांकि ऐसे लोग बहुत खर्चीले भी होते हैं। 
  • ज्योतिष ऐसे जातकों को विवेकहीनता, छल-कपट, पापपूर्ण विचारों,  प्रपंच और नीच कर्म से बचने की सलाह देते है।

बारहवें भाव में राहु ग्रह: सावधानियां 

1. व्यर्थ धन खर्च न करें।

2. किसी से भी झगड़ा या ईर्ष्या का भाव न रखें।

3. बुरी संगत, चोरी या छल-कपट न करें । 

4. गप्पबाज, बातूनी और  झूठ ना बोलें।

राहु ग्रह
बारहवें भाव में राहु ग्रह

निष्कर्ष 

जन्म कुंडली का बारहवां भाव जिसे हम व्यय भाव भी कहते हैं, ये भाव भी बृहस्पति ग्रह से संबंधित माना जाता है। यह शयन, सुख व  संपत्ति का भाव होता है। इस भाव में राहु ग्रह जातक को मानसिक परेशानियां और अनिद्रा जैसी समस्याएं देता है। यह बहनों और बेटियों पर अत्यधिक व्यय भी करवाता है।

यदि इस भाव में राहु ग्रह, किसी शत्रु ग्रहों के साथ हो तो जातक कितनी भी मेहनत कर लें आपके खर्चे  आमदनी से अधिक ही रहेंगे। यह अशुभता के प्रभाव से जातक पर झूठे आरोप भी लगवाता है। ऐसा जातक आत्महत्या की चरम सीमा तक जा सकता है। जातक मानसिक चिंताओं से घिरा रहता है। झूठ बोलना, दूसरों को धोखा आदि देना राहु के प्रभाव को और भी हानिकारक बनाता है। ऐसे जातक को किसी भी नए काम की शुरुआत में अशुभ परिणाम मिलते हैं। साथ ही चोरी, चकारी और झूठे आरोपों के लगने का भय रहता है।

यदि आप भी ज्योतिष से संबंधित कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो, आप ‘मंगल भवन’ से जुड़ सकते हैं।

Must Read: कुंडली के अन्य भाव में राहु ग्रह के प्रभाव

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राहु ग्रह बारहवें भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ


Q- कुंडली में बारहवां भाव क्या होता है?

An- कुंडली में बारहवां भाव कुंडली का अंतिम भाव होने से जातक के जीवन का भी अंतिम भाग होता है। प्रथम भाव (लग्न) से गणना करने पर द्वादश भाव सबसे अंतिम भाव है।

Q- क्या कुंडली में बारहवें भाव में राहु ग्रह शुभ होता है?

An- जन्म कुंडली में, राहु ग्रह जब जातक के बारहवें भाव में विराजमान होते हैं, तब जातक के जीवन में खुशियां ही खुशियां बिखेर देते हैं।

Q- राहु ग्रह को कैसा  ग्रह माना गया है?

An- राहु ग्रह को एक अत्यंत क्रूर एवं मायावी ग्रह की संज्ञा दी गई  है।

Q- कुंडली के बारहवें भाव के स्वामी कारक ग्रह कौन होते हैं?

An- कुंडली के बारहवें भाव के स्वामी कारक ग्रह राहु और शुक्र हैं।

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