ज्योतिष शास्त्र के आकड़ो से यह ज्ञात हुआ है कि, यदि कुंडली के ग्यारहवें भाव (घर) में राहु ग्रह हो तो ऐसे जातक के मित्रों की संख्या अधिक होती है। यदि इस भाव में कोई अन्य ग्रह नहीं है तो उस पर ग्रहों की दृष्टि और उस भाव की राशि से मित्रता का अनुमान लगाया जा सकता है। सामान्तः यह पाया गया है कि इस भाव में राहु ग्रह अनिष्टता को समाप्त करने वाला होता हैं।
हम सभी की जन्म कुंडली में, 12 भाव होते हैं। जिनमें हमारे जीवन के, लगभग सभी पहलुओं का चित्रण छिपा हुआ होता है। इनमें से प्रत्येक भाव की अपनी अलग भूमिका होती है। लेकिन अगर हम सबकी जन्म कुंडली, जब एक समान है; तो हम सबका स्वभाव अलग क्यों होता हैं? इसका कारण है हमारी कुंडली के इन भावों में नव ग्रहों की स्थिति।
जब नौ ग्रहों में से कोई भी ग्रह इन भावों में विराजमान होते हैं, तो हमें और हमारे जीवन को प्रत्यक्ष रूप से शुभ व अशुभ दोनों तरह से परिणाम प्रदान करते हैं। इसलिए, इस लेख के माध्यम से हमने आपकी कुंडली के, दसवें भाव में राहु ग्रह की उपस्थिति से होने वाले परिणामों को बताया है-
ग्यारहवें भाव में राहु ग्रह ( Rahu in 11th house): भूमिका
‘मंगल भवन’ के प्रसिद्ध ‘ज्योतिषाचार्य श्री आनंद’ जी के अनुसार, समस्त ग्रहों में से राहु ग्रह भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को एक अत्यंत क्रूर एवं मायावी ग्रह की संज्ञा दी गई है। जातक की कुंडली में राहु के अशुभ स्थान पर होने से उसे मानसिक तनाव तथा आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही राहु और केतु को छाया ग्रह भी माना गया है।
ज्योतिष में, जन्म कुंडली में ग्यारहवां भाव जातक की ‘आमदनी’ और ‘लाभ’ से संबंधित होता है। यह भाव जातक की कामना, आकांक्षा एवं इच्छापूर्ति को दर्शाता है। किसी जातक द्वारा कार्य को पूर्ण करने के लिए किए जाने वाले प्रयासों से जो लाभ प्राप्त होता है; उस लाभ की गणना कुंडली के ग्यारहवें भाव में की जाती है।
ग्यारहवें भाव में राहु ग्रह: अच्छे और बुरे प्रभाव
- ग्यारहवें भाव में स्थित राहु ग्रह जातक के जीवन में नैतिकता को लाने वाला होता है।
- ऐसे जातक शारीरिक रूप से स्वस्थ, हष्ट-पुष्ट होंगे और दीर्घायु होते हैं।
- इसके साथ में ऐसे जातक परिश्रमी, विलासी और कवि स्वभाव के होते हैं।
- इसके साथ ही ऐसे लोग धनवान और सभी भौतिक सुखों को भोगने वाले होते हैं। यदि आप चाहें तो अपनी इन्द्रियों को वश में कर सकते हैं।
- ये जातक शरीर से आकर्षक. मधुर भाषी और शास्त्रों के ज्ञाता होते हैं।
- ये जातक विद्वान, स्वभाव से विनोदी, शांत और चंचल होते हैं। समाज में सदा सभी के बीच अग्रणी रहेंगे।
- ज्योतिष के अनुसार इन्हें बड़े स्तर पर प्रतिष्ठा प्राप्त होती है और एक यशस्वी व्यक्ति साबित होते हैं।
- ये जातक मित्रता भी चतुर व्यक्तियों के साथ ही रखते हैं। ऐसे जातक अपने जीवन काल में अनेक प्रकार के लाभ, धन-धान्य की समृद्धि प्राप्त करते हैं ।
- हालांकि धन लाभ के कुछ तरीके अनैतिक हो सकते हैं। साथ ही ऐसे जातक विदेशियों के माध्यम से भी धनार्जन कर सकते हैं।
- इन जातकों को विभिन्न प्रकार के वाहनों का सुख मिल सकता है। लेकिन इनमें कुछ हद तक अभिमान भी आ सकता है।
- सामान्यतः कुछ बेकार के विवाद में पडकर अपनी ऊर्जा का व्यय का सकते हैं।
- ज्योतिष की सलाह से आपको चाहिए कि धोखा और ठगी के माध्यम से धन न कमाएं अन्यथा संतान से संबंधित परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
निष्कर्ष
कुंडली में ग्यारहवा भाव, जातक की कमाई, लाभ, भाग्य, समृद्धि और प्रचुरता का प्रतिनिधित्व करता है। यह भी दर्शाता है कि जातक अपनी कितनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करेंगे। राहु ग्रह के प्रभाव से जातक धोखेबाज, आलसी और सामाजिक बनते है। ग्यारहवें भाव में राहु ग्रह से प्रभावित जातक आर्थिक लाभ के लिए अपने मित्रों को धोखा देता है। हालांकि, ज्योतिष उन्हें अपनी मेहनत से अपने सपनों को साकार व सफलता की सलाह देते हैं।
यदि आप भी ज्योतिष से संबंधित कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो, आप ‘मंगल भवन’ से जुड़ सकते हैं।
Must Read: कुंडली के अन्य भाव में राहु ग्रह के प्रभाव
राहु ग्रह ग्यारहवें भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- कुंडली के ग्यारहवें भाव में राहु ग्रह क्या फल देता है?
An- कुंडली में ग्यारहवें भाव में राहु ग्रह के प्रभाव से जातक धोखेबाज, आलसी और सामाजिक बनते है। राहु ग्रह से प्रभावित जातक आर्थिक लाभ के लिए अपने मित्रों को धोखा देता है।
Q- क्या कुंडली में ग्यारहवें भाव में राहु ग्रह की स्थिति शुभ होती है?
An- हां, कुंडली में ग्यारहवें भाव में राहु ग्रह की स्थिति शुभ होती है।
Q- कुंडली में ग्यारहवें भाव का स्वामी कारक ग्रह कौन है?
An- कुंडली में ग्यारहवें भाव का स्वामी कारक ग्रह ग्रह शुक्र, चंद्र, सूर्य, और गुरु ग्रह हैं।
Q- कुंडली का ग्यारहवां भाव क्या दर्शाता है?
An- कुंडली में ग्यारहवां भाव जातक की ‘आमदनी’ और ‘लाभ’ से संबंधित होता है। यह भाव जातक की कामना, आकांक्षा एवं इच्छापूर्ति को दर्शाता है।