ज्योतिष की दृष्टि में, राहु ग्रह यदि किसी जातक की कुंडली में दसवें यानी दशम भाव में अशुभ स्थिति में हो तो ऐसी स्थिति में जातक को अपने कार्यक्षेत्र में असंतोष का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही दूसरे लोगों का विरोध और अधिकारी वर्ग से तनाव की स्थिति भी हो सकती है। ऐसे जातक के जीवन में संघर्ष अधिक और सफलता कम रहती है। इस प्रकार राहु जब भी कुंडली के दसवें भाव( घर) में होता है, तो सर्वप्रथम यह जातक के कर्म को ही प्रभावित करते हैं।
ज्योतिष में, हम सभी की जन्म कुंडली में, 12 भाव (घर) होते हैं। हमारे जीवन के, लगभग सभी पहलुओं का चित्रण इन 12 भावों में निहित होता हैं। इनमें से प्रत्येक भाव की अपनी अलग भूमिका होती है। लेकिन अगर हम सबकी जन्म कुंडली, जब एक समान है; तो हम सबका स्वभाव अलग क्यों हैं? इसका कारण होता है हमारी कुंडली में स्थित 12 भावों में नव ग्रहों की स्थिति।
जब सौरमंडल के नौ ग्रहों में से कोई भी ग्रह कुंडली के इन भावों में विराजमान होते हैं, तो यह हमें और हमारे जीवन को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। इसलिए, इस लेख के माध्यम से हमने आपकी कुंडली के, दसवें भाव में राहु ग्रह की उपस्थिति से होने वाले परिणामों को बताया है-
दसवें भाव में राहु ग्रह ( Rahu in 10th house): महत्व
‘मंगल भवन’ के प्रसिद्ध ‘ज्योतिषाचार्य श्री आनंद’ जी के अनुसार, समस्त ग्रहों में से राहु ग्रह भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को एक अत्यंत क्रूर एवं मायावी ग्रह की संज्ञा दी गई है। जातक की कुंडली में राहु के अशुभ स्थान पर होने से उसे मानसिक तनाव तथा आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही राहु और केतु को छाया ग्रह भी माना गया है।
कुंडली का दसवां भाव जातक की जन्म कुंडली का महत्वपूर्ण भाव माना जाता है। दसवां भाव पिता, व्यापार, उच्च नौकरी, राजनीति, राजसुख, प्रतिष्ठा और ख्याति का कारक भाव माना जाता है। इस भाव को हम ‘कर्म भाव’ भी कह सकते हैं। इसके अतिरिक्त कुंडली में दसवें भाव जातक के करियर एवं व्यवसाय के बारे में भी बताता है।
दसवें भाव में राहु ग्रह: सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव
- दसवें भाव में राहु ग्रह के प्रभाव से जातक बलवान और निडर बनते है। इसके अलावा ऐसे जातक स्वभाव में बुद्धिमान, परोपकारी और हमेशा दूसरों की चिंता करने वाले हो सकते हैं। कभी-कभी ये जातक गर्वीले स्वभाव के भी हो जाते हैं जो कि जातक के भीतर घमंड को धीरे-धीरे दूर करता है। ज्योतिष के अनुसार इन जातकों रुचि काव्य-ग्रन्थ और कविताओं में होगी। साथ ही आप एक श्रेष्ठ लेखक या संपादक भी हो सकते हैं।
- राहु के शुभ प्रभाव से इन जातकों को अपने पूरे जीवनकाल में सफलता, सम्मान, कीर्ति और श्रेष्ठता प्राप्त होती है। ये जातक किसी लोक समूह, गांव या नगर के अधिकारी हो सकते हैं। यहां स्थित राहु ग्रह के शुभ योग से ये जातक मंत्री या सेनापति भी बन सकते है। इन जातकों को राहु के प्रभाव से गंगा स्नान का लाभ मिलता है। और ये जातक यज्ञ, पूजा, व हवन जैसे धार्मिक कार्य भी करते हैं। इनको सदैव अपने शत्रुओं पर विजय मिलती है अत: ऐसे जातकों के शत्रु भी बहुत कम मात्रा में होंगे।
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आपके पुत्र, संतान कम संख्या में हो सकती है। इन जातकों का व्यापार व्यवसाय अच्छा रहता है और ये यात्राएं करते रहने वाले व्यक्ति होते हैं। ऐसे जातकों को कोर्ट-कचहरी और अदालती कामों में भी सफलता मिलती है।
- परन्तु पूर्व अवस्था में राहु ग्रह का होना जातक के लिए कष्टदायक होता है अत: पूर्व अवस्था में कष्ट भोग कर इन जातकों को सफलता मिल ही जाती है। ज्योतिष की सलाह में आपको आलसी और उत्साहहीन बनने से बचना चाहिए। अपने कामों को नियमित और निरन्तरता से करना चाहिए। व्यर्थ के घमंड और नशे की आदतों से बचना चाहिए।
दसवें भाव में राहु ग्रह: उपाय
- ज्योतिष की सलाह से आप मंगल और चंद्र ग्रह का उपाय करें।
- दृष्टिहीन (अंधे) लोगों को भोजन कराएं।
- 11 शनिवार, नियमित रूप से शनि मंदिर में तेल में अपनी छाया दान करें।
- अपने सिर को काली या नीली टोपी से ढक कर रखें।
- अपने पास किसी मंदिर में जाकर 4 किलो या 400 ग्राम शक्कर चढ़ाएं अथवा पानी में बहाएं।
यदि आप भी ज्योतिष से संबंधित कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो, आप ‘मंगल भवन’ से जुड़ सकते हैं।
निष्कर्ष
अंत में हमें यह निष्कर्ष मिलता है कि दसवें भाव में राहु ग्रह वाले जातकों के पास व्यवसाय कौशल अच्छा होता है। उनका साहित्यिक ज्ञान भी सर्वश्रेष्ठ होता है। हालांकि उन्हें जीवन में कष्टों के बाद में ही सफलता मिलती है। सलाह के रूप में, महत्वाकांक्षी होना अच्छी बात है लेकिन जातकों को लक्ष्य प्राप्ति के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।
Must Read: कुंडली के अन्य भाव में राहु ग्रह के प्रभाव
राहु ग्रह दसवें भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
Q- दसवें भाव में राहु ग्रह क्या फल देता है?
An- दसवें भाव में राहु ग्रह से प्रभावित जातक के जीवन में संघर्ष अधिक और सफलता कम रहती है। इस प्रकार राहु जब भी कुंडली के दसवें भाव( घर) में होता है, तो सर्वप्रथम यह जातक के कर्म को ही प्रभावित करते हैं।
Q- कुंडली के दसवें भाव के स्वामी कारक ग्रह कौन होते हैं?
An- दसवें भाव के स्वामी कारक ग्रह सूर्य देव और शनिदेव हैं।
Q- दसवें भाव में राहु के प्रभाव से जातक का करियर कैसा होता है?
An- दसवें भाव में राहु ग्रह वाले जातकों के पास व्यवसाय कौशल अच्छा होता है। उनका साहित्यिक ज्ञान भी सर्वश्रेष्ठ होता है।
Q- क्या, दसवें भाव में राहु ग्रह शुभ कारक होता है?
An- दसवें भाव में राहु ग्रह जातक के लिए थोड़े कष्टकारक होते हैं, हालांकि उन्हें जीवन में कष्टों के बाद में ही सफलता मिलती है।