खगोल शास्त्र के अनुसार 9 ग्रहों में से एक है ‘शुक्र’ ग्रह, जिसे अंग्रेजी में वीनस या Venus भी कहते है। सूर्य-चन्द्रमा के अलावा ये सबसे अधिक चमकदार ग्रह होता है। इस कारण शुक्र ग्रह को भोर (सुबह) का तारा भी कहा जाता है। इसका आकार पृथ्वी के ही समान होता है। इस कारण इसे कई बार पृथ्वी की बहन की संज्ञा भी दी जाती रही है। शुक्र को एक राशि से दूसरी राशि में जाने में लगभग 23 दिनों का समय लगता है और इस कारण इसके गोचर की अवधि 23 दिन की हो जाती है।
आइये, अब बात करते है शुक्र ग्रह के बारे में विस्तार से और जानते हैं इसका हमारे जीवन में महत्व, ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से इसके प्रभाव से मिलने वाले शुभ व अशुभ परिणाम व शुक्र ग्रह की शांति के लिए किये जाने वाले उपाय और इसके सभी मंत्रों के बारे में।
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शुक्र ग्रह का पौराणिक महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शुक्र असुरों के आचार्य थे। इसलिए इन्हें ‘शुक्राचार्य’ के नाम से भी जाना जाता है। स्वयं श्रीमद्भगवद्गीता के एक अध्याय में भी इसका उल्लेख किया गया है, जिसके अनुसार शुक्र महर्षि भृगु ऋषि के पुत्र थे, जिनको ‘भार्गव’ के नाम से भी जाना जाता था।
शुक्र ग्रह के रूप का वर्णन
पुराणों में इनके रूप का वर्णन इस प्रकार बताया है कि:
- ये श्वेत वर्ण के है।
- इनके हाथ में दंड, कमल, पुष्पमाला, धनुषबाण हैं।
- इनके वाहन घोड़ा, मगरमच्छ और ऊंट होते हैं।
वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व
ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को भौतिक, शारीरिक व वैवाहिक सुखों का कारक माना गया है। इसके कारण ही शुक्र मनुष्य के जीवन में भोग-विलास, शोहरत, मान-सम्मान, कला, प्रतिभा, सौन्दर्य, काम-वासना व फैशन डिजाइनिंग आदि को प्रभावित करते हैं। अतः शुक्र ग्रह का हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है।
- ज्योतिष अनुसार, शुक्र को 27 नक्षत्रों में से भरणी, पूर्वी फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है।
- इसके साथ ही वृषभ और तुला राशि का स्वामी भी शुक्र को माना जाता है।
- ये मीन राशि में उच्च के व कन्या राशि में नीच के होते हैं।
- ग्रहों की बात करें तो शुक्र जहाँ सूर्य और चन्द्रमा से शत्रुता का भाव रखते हैं। वहीं बुध और शनि इनके मित्र ग्रह माने गए हैं।
ये देखा गया है कि शुक्र ग्रह जिस व्यक्ति के लग्न भाव में होते हैं, वह जातक रूप-रंग में सुंदर होता है। उसका व्यक्तित्व विपरीत लिंग के व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करता है। शुक्र के प्रभाव से वह दीर्घायु होने के साथ-साथ स्वभाव से वह मृदुभाषी होता है।
शुक्र ग्रह का मनुष्य के जीवन पर प्रभाव
कुंडली में मजबूत शुक्र
ज्योतिष के अनुसार यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में शुक्र ग्रह शुभ या मजबूत स्थान में हो तो उस जातक को शुक्र शुभ परिणाम ही देंगे। जिसके परिणामस्वरूप उस जातक का वैवाहिक जीवन बहुत ही अच्छा व्यतीत होगा। उसके प्रेम संबंधों में मधुरता रहेगी। वे अपने जीवन में भौतिक सुख भोगेगा। साथ ही ऐसे जातक कला व साहित्य के प्रेमी भी बन सकते हैं।
कुंडली में पीड़ित शुक्र:
इसके विपरीत यदि किसी जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह पीड़ित या कमजोर स्थान पर हो तो उस जातक को बहुत-सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वैवाहिक जीवन में अकारण मतभेद होते है। प्रेम संबंधों में उतार-चढ़ाव बने रहते हैं व जातक के जीवन से प्रेम व रोमांस गायब हो जाता है। इसके साथ ही पीड़ित शुक्र जातक को भौतिक सुखों से भी वंचित करने का सामर्थ्य रखता है।
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शुक्र ग्रह के उपाय
ज्योतिष में शुक्र ग्रह के दुष्प्रभाव से बचने के लिए जातक को कई सरल व कारगर उपाय करने की सलाह दी जाती है। शुक्र ग्रह की शांति हेतु उपाय कुछ इस प्रकार हैं:-
- जातक को शुक्र को मज़बूत बनाने के लिए हीरा या उपरत्न (American Diamond) धारण करना चाहिए। इसे जातक अपनी अनामिका उंगली में धारण कर सकते हैं।
- शुक्र ग्रह की शान्ति के लिए शुक्र यंत्र या श्री यंत्र का प्रयोग भी लाभकारी होता है।
- शुक्र ग्रह के पूजन के लिए शुक्रवार का दिन सबसे विशेष होता है। इसलिए इस दिन नियमानुसार महालक्ष्मी के व्रत का पालन करना अनुकूल माना गया है।
- श्री सूक्त मंत्र का जप करें।
- देवी दुर्गा व माता लक्ष्मी जी की उपासना करें।
- हर शुक्रवार के दिन दान-पुण्य करना भी लाभकारी होता है। विशेषकर सफ़ेद वस्तुओं का दान करें।
- संभव हो तो नेत्रहीन व्यक्ति को श्रद्धानुसार दान करें।
- घर की महिलाओं व स्त्रियों का सम्मान करें।
- शुक्र ग्रह से संबंधित मंत्रों का शुद्ध उच्चारण व जप करें।
शुक्र ग्रह: अन्य जरूरी जानकारी
- यंत्र
शुक्र यंत्र
- शुक्र ग्रह से संबंधित मंत्र
शुक्र का मूल मंत्र : “ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।”
शुक्र का वैदिक मंत्र : “ॐ अन्नात्परिस्त्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत क्षत्रं पय: सोमं प्रजापति:।
ऋतेन सत्यमिन्दियं विपान: शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतं मधु।”
शुक्र ग्रह का तांत्रिक मंत्र : “ॐ शुं शुक्राय नमः।”
- रंग
दूधिया (क्रीम), सफेद
- रुद्राक्ष
छः मुखी रुद्राक्ष
- जड़ी
गूलर मूल
- रत्न
हीरा
- दान
शुक्रवार के दिन अंध विद्यालय में सफ़ेद वस्तुओं का दान करने से, शुक्र ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को शून्य कर अपनी कुंडली में उनके शुभ प्रभाव प्राप्त किये जा सकते हैं।
- पूजा-विधि
शुक्र ग्रह की पूजा के दौरान घर या दफ्तर में कपूर व मोगरा की खुशबूदार धूप जलाने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। साथ ही आपसी संबंध में भी प्रेम-स्नेह की वृद्धि होती है।
- भोग/प्रसाद
खीर या मिश्री
- शुभ अंक
6
- शुभ दिशा
पश्चिम
- शुभ दिन
शुक्रवार
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