कुंडली के छठे भाव में चंद्र ग्रह, जातक के संबंधों और परिवार के संबंधों पर गहरा प्रभाव डालता है। चंद्र ग्रह के स्थान के अनुसार, इस भाव में चन्द्र ग्रह हमें हमारी भावनाएं समझने में मदद करता है, जिससे हम अपने आप को और अधिक समझ सकते हैं। इस भाव में चन्द्रमा हमारे भावों और अभिव्यक्तियों के सम्बन्ध की जानकारी देता है।
हम जानते हैं कि ज्योतिष एक विविध विज्ञान है जो मनुष्य के भविष्य के बारे में बताता है। ज्योतिष चक्र के अनुसार, कुंडली में छठे भाव माता-पिता, संपत्ति और वाहन जैसी विषयों के लिए जाना जाता है। इसके अलावा, छठे भाव की गतिविधियों और चंद्र ग्रह के स्थान को भी देखा जाता है।
इस लेख में हमने कुंडली के छठे भाव में चन्द्र ग्रह के बारे में विस्तार से चर्चा की है। हमने इस भाव में चन्द्र ग्रह का वर्णन किया है, इसके उपाय बताए हैं और इसके फलादेश के बारे में भी चर्चा की है।
अब हम चन्द्रमा के फलादेश के बारे में बात करते हैं। चन्द्रमा के फलादेश बहुत सारे होते हैं। हम यहां कुछ महत्वपूर्ण फलादेश बता रहे हैं:
कुंडली के छठे भाव में चंद्र ग्रह : महत्व
जन्म कुंडली का छठा भाव, जातक के शत्रु, रोग की अवधि, शत्रु, दैनिक कार्य, नौकरी, नौकर-चाकर, कर्मचारी वर्ग, पशु, बीमारी, कर्ज, उधार लेन देन, जाति, बैंकिग सेक्टर, शेयर बाजार, ब्याज की आवक, नौकरी में परेशानी, जाॅब वर्क जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से जुड़ा होता है। कुंडली के छठे भाव के कारक मंगल और शनि ग्रह हैं, साथ ही यह भाव जातक की पीड़ा का पर्याय भी माना गया है। इस भाव में किसी भी ग्रह की उपस्थिति से, इस भाव से सम्बंधित क्षेत्रों में जातक को शुभ व अशुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।
कुंडली के छठे भाव में चंद्र ग्रह, जातक के भावना, उमंग, पेशेवर जीवन, लोगों से संबंध और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों पर असर डालता है। ज्योतिष में चंद्रमा को वैश्य वर्ण का सत्वगुणी ग्रह माना जाता है, और यह सभी ग्रहों को अपना मित्र मानता है। खगोलीय शास्त्र की दृष्टि से चंद्रमा को सूर्य के बाद आकाश गंगा में मौजूद सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है। इसके अलावा चंद्रमा रचनात्मकता, मन, भावनाओं और शांति के भी पर्याय ग्रह माने जाते हैं। कुंडली के छठे भाव में चंद्र के प्रभाव के कारण, जातक दूसरों की सहायता करने के लिए प्रेरित होते है। वैसे तो चंद्रमा, चंचल लेकिन वैश्य वर्ण का होता है, इसलिए वें किसी भी अन्य ग्रह को अपना विरोधी या शत्रु नहीं मानते है। परन्तु बुध, शुक्र और शनि ग्रह चंद्र ग्रह को अपना विरोधी मानते हैं।
कुंडली के छठे भाव में चंद्र ग्रह के प्रभाव
यदि कुंडली के छठे भाव में चंद्र ग्रह की उपस्थिति है तो , यह स्थिति जातक के लिए भावनात्मक रूप से प्रभावित करती है तथा इसके प्रभाव में जातक को अपनी, उपयोगिता साबित करना एक बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा होता है। ऐसे जातक मेहनतकश होगा और अपने लिए चीजों का बेहतर तरीके से प्रबंधन करने के प्रयास में रहते हैं। ज्योतिष के अनुसार, यदि उपरोक्त गणना किसी कुंडली पर सटीक नहीं है, तो ऐसे जातक, भावनात्मक समस्या से जूझ रहें होते हैं। जिन जातकों की कुंडली में चंद्र ग्रह छठे भाव में विराजमान हो तो, ऐसे जातकों को अपने काम में निरंतरता बनाए रखने व विविधता और नवीनता लाने की आवश्यक होती है।
ज्योतिष के अनुसार, ऐसे जातक एक स्थान पर अधिक समय तक कार्य नहीं कर पाते, और साथ ही वें लगातार अपनी नौकरी या करियर में परिवर्तन करते रहते हैं। अतः हम यह कह सकते हैं कि, कुंडली के छठे भाव में चंद्र ग्रह जातक के करियर और दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। इन जातकों को लगातार अपने लिए एक अनुकूल नौकरी व करियर की तलाश रहती है।
छठे भाव, में चंद्र ग्रह से प्रभावित जातक, एक नियमित दिनचर्या का पालन नहीं कर सकते, साथ ही वे बुद्धिमान और ज्ञानी स्वभाव के होते हैं। ये जातक अपने जीवन में आने वाली हर समस्या और अनिश्चितता को अपने आत्मविश्वास के साथ हल कर लेते हैं। इसके अलावा, इस भाव में चंद्र ग्रह के शुभ प्रभावों से जातक शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर लेते हैं। ऐसे जातक, का स्वभाव से दूसरों की सहायता करने वाले और भावुक होते हैं।
कुंडली के छठे भाव में चंद्र ग्रह हेतु सुझाव
ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के छठे भाव में चंद्र के प्रभाव से , जातक बहुत संवेदनशील बनते है, इस भाव में विराजित चंद्रमा जातक को, भावनात्मक रूप से भी मजबूत और शारीरिक रूप से अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की मांग करते हैं। इसके अलावा यदि इस भाव में स्थिति चंद्र ग्रह के साथ कोई विरोधी ग्रह का भी प्रभाव हो तो, जातक को झुंझलाहट, शरीर दर्द या गुर्दे से संबंधित किसी स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या का सामना करन पड़ सकता है। ज्योतिष की सलाह में, यदि उचित समय पर सही देख-भाल ना की जाये तो, छठे भाव में चंद्र ग्रह जातक के लिए पीड़ादायक भी हो सकते हैं।
कुंडली में चंद्र ग्रह की इस स्थिति से जातक को कभी-कभी अत्यंत भावुक हो जाता है जिससे वें दुःख और संताप जैसे मानसिक रोग का शिकार हो सकता है। कुंडली के छठे भाव में स्थित चंद्रमा, जातक को शारीरिक रोगों देकर या रोग से भ्रमित करता है जिसके परिणाम स्वरूप जातक अपनी जिम्मेदारियों से भागने के लिए प्रेरित होते है।
इसके अलावा, ऐसे जातक किसी भी चीजों का कार्यों को जल्द ही सीख जाते हैं, और साथ ही ऐसे जातक बेहद मंथन व सोच-विचार करने वाले होते हैं। कुंडली के इस भाव में चंद्र ग्रह किसी विरोधी ग्रह के प्रभाव में हो तो यह निश्चित रूप से जातक को स्वास्थ्य समस्या या कमजोर शारीरिक तंत्र की ओर इशारा करते हैं। कुंडली के छठे भाव में चंद्र ग्रह मुख्य रूप से जातक के करियर को भी प्रभावित करता है, ऐसे जातक अपने कार्यस्थल या कार्य छेत्र पर अपने काम और मेहनत के बल पर ख्याति व सफलता हासिल करना पसंद करते हैं। इसके साथ ही ऐसे जातक कार्य में प्रसिद्धि प्राप्त करने की लालसा और असुरक्षा का भाव उन्हें कार्य के प्रति समर्पित बना देता है।
कुंडली के छठे भाव में चंद्र ग्रह का सप्तम दृष्टि के अनुसार फलादेश
यदि, चंद्र ग्रह की, कुंडली के छठे भाव में स्थित होने से, सप्तम पूर्ण दृष्टि का बारहवें (व्यय) भाव पर पडती है। जिसके फलस्वरूप चंद्रमा की दृष्टि बारहवें पर होने से, जातक का शत्रु द्वारा धन खर्च होता है। साथ ही ये जातक सदैव चिंता से ग्रस्त रहते है। साथ ही इस भाव में चंद्र ग्रह खर्चीले स्वभाव का बनाता है।
- छठे भाव में चंद्र ग्रह का मित्र राशि पर प्रभाव
कुंडली के छठे भाव में, चंद्र ग्रह का, छठे भाव में अपनी मित्र राशि, में होने से जातक के शत्रुओं पर प्रभाव पड़ता हैं। ऐसे जातक अपने मनोबल व शांत स्वभाव से अपने शत्रुओं को पराजित करता है।
- छठे भाव में चंद्र ग्रह का शत्रु राशि में प्रभाव
चंद्र ग्रह के छठे भाव में, अपनी शत्रु राशि, में स्थित होने से जातक को शत्रु द्वारा मानसिक परेशानी उठानी पड़ती है। साथ ही ऐसे जातक रोग से परेशान रहते है उसके शत्रुओं की संख्या ज्यादा रहती हैं।
- चंद्रमा का छठे भाव में स्वराशि, उच्च व नीच राशि में प्रभाव
- कुंडली के छठे भाव में चंद्र ग्रह का अपनी स्वराशि, कर्क राशि में स्थित होने से जातक को सभी प्रकार के सुख मिलते है। तथा सामान्य रूप से उसका शरीर स्वस्थ रहता है।
- चंद्र ग्रह का छठे भाव में अपनी उच्च राशि, वृषभ में स्थित होने से जातक दीर्घायु होता है तथा उसे कोई रोग की चिंता नहीं होती। इसके साथ ही इन जातकों का मनोबल बहुत विकसित व बढ़ा हुआ रहता है।
- चंद्र का छठे भाव में अपनी नीच राशि, वृश्चिक में स्थित होने से यह जातक को रोग देता है तथा ऐसे जातक को किसी भी प्रकार के सुखों का उपभोग नहीं कर पाते।
छठे भाव में चंद्र ग्रह हेतु सावधानियां
ज्योतिष में चंद्र ग्रह के बुरे प्रभाव से बचने हेतु कुछ सावधानियां बताई गई है, जो इस प्रकार है-
- ज्योतिष के अनुसार, चंद्र ग्रह के प्रभाव हेतु, रात में दूध पीना जहर के समान है।
- ऐसे जातक को किसी को जल का दान न करें पियाऊ या मटका न लगाएं।
- अपने पत्नी, माता, बेटी और बहन से संबंध अच्छे बनाए रखें।
- किसी प्रकार मांस और मदिरा का सेवन ना करें, सकारात्मक सोच को बनाए रखें ।
- दूध को धार्मिक कार्यों के अलावा कहीं और दान नहीं करें।
चंद्र ग्रह से सम्बंधित उपाय
- विघ्न हर्ता गणेश जी की पूजा अर्चना करें।
- विष्णु भगवान, एकादशी का व्रत रखें।
- कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं।
- जातक अस्पताल या श्मशान भूमि में कुआं खुदवाने।
- अपने हाथों से पिता को दूध का सेवन कारण या परोसें।
चन्द्र ग्रह के लिए मंत्र
ज्योतिष में चंद्र ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम करने हेतु, चन्द्रमा के मंत्र का जाप करने से चंद्र ग्रह की स्थिति को सुधारा जा सकता है। चन्द्र ग्रह के मंत्र को निम्नलिखित है:
“ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः”
इस मंत्र को दिन में कम से कम 108 बार जपना चाहिए। इससे चन्द्र ग्रह की स्थिति में सुधार होती है और संतान सम्बन्धी समस्याएं भी कम होती हैं।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, कुंडली के छठे भाव में चंद्र ग्रह की उपस्थिति, जातक को भावनात्मक रूप से प्रभावित करता है। चंद्र ग्रह की स्थिति यह बताती है कि हम भावनात्मक संतुष्टि कब और कैसे प्राप्त करते हैं। यदि कोई भावनाएं या समस्या आपको परेशान कर रही है तो यह ज्योतिष के अचूक उपाय कर, किसी अन्य ग्रह के दुष्प्रभाव प्रभाव में, स्थिति का अध्ययन कर भावनात्मक अशांति का हल ढूंढ में सफलता मिल सकती है।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है, कि कुंडली के छठे भाव में चंद्र ग्रह की स्थिति, जातक के सामने भावनात्मक परेशानियां उत्पन्न कर सकती है। हालांकि इन जातकों को अपनी भावनाओं को धैर्य और अनुशासन के माध्यम से नियंत्रित करने की सलाह दी जाती है, ऐसा करने से जातक उचित प्रबंधन से एक खुशहाल और सफल जीवन व्यतीत किया जा सकता जा सकता है। कुंडली में चंद्र ग्रह यदि बली अवस्था प्रभाव से जातक सुखी व स्वस्थ रहता है। छठे भाव में चंद्रमा स्थित होने से जातक की पाचन शक्ति पर बुरा असर होता है या कमजोर होती है। तथा उसे उदर रोग (पेट) संबंधित रोग होने की संभावना हो सकती है।
छठे भाव में चंद्र ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ
Q- क्या चंद्र ग्रह की समस्या से बचा जा सकता है?
An- हाँ, चन्द्र ग्रह की समस्या से बचा जा सकता है। इसके लिए उपायों का सही उपयोग करना जरूरी होता है।
Q- क्या चंद्र ग्रह की समस्या से संतान सम्बन्धी समस्याएं भी होती हैं?
An- हाँ, चन्द्र ग्रह की समस्या से संतान सम्बन्धी समस्याएं भी होती हैं। इसलिए इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान करना चाहिए।
Q- छठे भाव में चंद्र ग्रह का क्या मतलब होता है?
An- कुंडली के छठे भाव में चंद्र ग्रह, जातक को बहुत संवेदनशील बनाता है, इस भाव में बैठे चंद्रमा भावनात्मक रूप से मजबूत रहने और स्वास्थ्य के मुद्दे पर सजग रहने की मांग करते हैं।
Q- कुंडली में छठे भाव किसका होता है?
An- छठे भाव में शनि: कुंडली के छठे भाव में शनि ग्रह दर्शाता है कि आप कठिनाइयों का सामना करने के लिए दृढ़ होंगे और सबक सीखने तक नहीं छोड़ेंगे।
Q- चंद्रमा कमजोर होने के लक्षण क्या होते है?
An- कुंडली में चंद्रमा कमजोर होने से जातक को सिरदर्द, तनाव और डिप्रेशन का सामना करना पड़ता है। नींद न आने की समस्या होती है। मां से रिश्ते खराब रहते हैं या मां को कोई न कोई तकलीफ बनी रहती है. कुल मिलाकर जातक को मां का सुख नहीं मिल पाता है।