Moon in 10th House |  कुंडली के दसवें भाव में चंद्र ग्रह के प्रभाव से मिलेगी दक्षता और कार्य कुशलता

चंद्र ग्रह

जन्म कुंडली के दसवें भाव में चंद्र ग्रह की उपस्थिति होने से जातक में कार्यकुशल, दयालुता, निर्मलता, व्यापारी बुद्धि, यशस्वी, संतोषी एवं लोक हितैषी स्वभाव के होते हैं। इन जातकों को अपनी माता से विशेष लगाव व प्रेम होता है। इसके साथ ही इन जातकों को जमीन, जायदाद, मकान आदि का सुख भी प्राप्त होता है। किसी कारण से यदि जातक के पिता द्वारा कोई ऋण लिया है तो उसे भी चुकाना पड़ सकता है।

वैदिक ज्योतिष में, कुंडली का दसवां भाव, पिता से प्राप्त अधिकार , राज्य, मान, प्रतिष्ठा, नौकरी कीर्ति-ऐश्वर्य के क्षेत्रों के बारे में जानकारी देता है। कुंडली में इस भाव में नौकरी व व्यवसाय से संबंधित  स्थान पर चंद्र ग्रह की उपस्थिति होने से जातक अपने कुल का श्रेष्ठ व्यक्ति कहलाता है। साथ ही उसे सार्वजनिक कार्यो में भी यश व सफलता की प्राप्ति होती है। ज्योतिष में चंद्र ग्रह को जल तत्व का कारक बताया गया है। इसके अलावा खाद्यान्न  मसाले, अनाज तथा स्त्रियों से संबंधित श्रृंगार की वस्तुओं का भी संबंध, चंद्रमा से होता है। 

कुंडली के दसवें भाव में चंद्र ग्रह का प्रभाव 

चंद्र के शुभ प्रभाव के कारण जातक,  जल वाले स्थानों पर नौकरी या व्यवसाय करने से व्यापार में सफलता हासिल कर सकते हैं। क्यूंकि,  दुध डेअरी, जल पर्यटन व्यवसाय, अनाज की दुकान, म्युनिसिपालिटी का पानी(जल) विभाग, नमक बनाने के कारखाने, दवाई के दुकान एवं सिंचाई विभाग आदि सभी चंद्रमा का कारकत्व होने से जातक को इन व्यवसायों में लाभ व सफलता मिलती है। कुंडली का दसवें भाव में चंद्र ग्रह के विराजित होने से जातक को धन-धान्य, वस्त्र, आभूषणों का सुख प्राप्त होता है। चंद्र ग्रह के शुभ प्रभाव से,  जातक नये विचारों एवं कार्यशैली से अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करता है। ऐसे जातक, अनेक कलाओं को जानने वाला तथा दुसरों के प्रति उपकार करने वाला व यशस्वी होता है। 

इसके अलावा, दसवें भाव में चंद्र ग्रह के स्थित होने से जातक चुनाव के क्षेत्र में भी यश प्राप्त करके नेतृत्व के गुणों का विकास करता है। साथ ही ऐसे जातक पिता की सेवा करने वाले होते है। ऐसा जातक जो भी कार्य करते हैं, उसमें वे सफलता प्राप्त करते है। ज्योतिष में चंद्र ग्रह की गति सभी ग्रहों में सबसे अधिक तीव्र होती है। इसमें बहुत जल्द परिवर्तन की स्थिति आती रहती है, और यह एक स्थान पर स्थिर नहीं रहता। अतः चंद्र गृह की स्थिति कुंडली के दसवें भाव में स्थित होने से जातक को नौकरी व व्यवसाय में भी स्थिरता नहीं रहती। व्यावसायिक व पेशे में स्थिरता लाने के लिये इन जातकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही दसवें भाव में चंद्र ग्रह के प्रभाव से जातक में घूमने-फिरने के शौकीन होने की प्रवृत्ति आती है। इस भाव में जातक को ससुराल पक्ष से भी धन का लाभ होता है।

कुंडली के दसवें भाव में चंद्र का सप्तम दृष्टि में प्रभाव

दसवें भाव में चंद्र ग्रह के प्रभाव के कारण चन्द्रमा की सप्तम दृष्टि चतुर्थ यानी चौथे भाव पर पड़ती है। कुंडली के चौथे भाव पर चंद्रमा की दृष्टि होने से जातक का अपनी माता से विशेष लगाव व प्रेम होता है। साथ ही इन जातकों को जमीन-जायदाद व मकान का सुख भी मिलता है।

  • दसवें भाव में चंद्र ग्रह का मित्र राशि में प्रभाव

दसवें भाव में चंद्र ग्रह का अपनी मित्र राशि में स्थित होने से जातक को अपने कार्य क्षेत्र या व्यवसाय में अच्छी सफलता मिलती है। साथ ही उन्हें पिता पक्ष के माध्यम से अच्छा सहयोग प्राप्त होता है।

  • दसवें भाव में चंद्र ग्रह का शत्रु राशि में प्रभाव 

दसवें भाव में चंद्र ग्रह शत्रु राशि में स्थित होने से जातक को नौकरी या व्यवसाय में बार-बार हानि या परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इन जातकों को महिलाओं से सहयोग नहीं मिलता है और पिता पक्ष से मतभेद की स्थिति बनी रहती है।

  • दसवें भाव में चंद्र ग्रह का स्वराशि, उच्च व नीच राशि में प्रभाव
  1. दसवें भाव में चंद्र ग्रह के प्रभाव के कारण अपनी स्वराशि, कर्क में स्थित होने से जातक को चुनाव के क्षेत्रों में यश मिलता है। इसके साथ ही ऐसे जातक मान-सम्मान भी प्राप्त करते हैं।
  2. दसवें स्थान पर चंद्र ग्रह का अपनी उच्च राशि, वृषभ में स्थित होने से जातक को उनके व्यापार तथा व्यवसाय में बहुत सफलता मिलती है। ऐसे जातक को माता-पिता का सुख प्राप्त होता है।
  3. दशम भाव में चंद्र ग्रह का अपनी नीच राशि, वृश्चिक में स्थित होने से जातक को पिता के द्वारा लिये गये ऋण को चुकाना पड़ता है तथा ऐसे जातक का व्यवसाय भी स्थिर नहीं रहता।
  4. इसके साथ ऐसे जातक समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति होते हैं। ये जातक सफलता तो प्राप्त करते ही हैं साथ ही अन्य लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता भी श्रेष्ठ होती है। ऐसे जातक कार्यकुशल होते हैं अत: वें निश्चय ही अपने जीवन में बड़ी सफलता प्राप्त करेंगे। इसके साथ ही चंद्र के प्रभाव के कारण ये जातक दयालु और निर्मल स्वभाव के बुद्धिमान व्यक्ति होते हैं। ये लोग सदैव दूसरों का हित करते हुए बहुत यश के भागीदार बनते हैं। इसके साथ ही, ये जातक संतोषी स्वभाव के होते हैं।

कुंडली के दसवें भाव में चंद्र ग्रह का फलादेश 

ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के दसवें भाव में व्यापार और व्यवसाय से संबंधित मामलों में चंद्र ग्रह के प्रभाव के कारण आपकी कार्यकुशलता उत्तम रहने वाली है। इस भाव में चंद्र ग्रह के शुभ फल के कारण माता के साथ आपके संबंध भी अच्छे रहेंगे। और सिर्फ माता के साथ ही नहीं, बल्कि लगभग अधिकांश स्त्रियों के साथ आपके संबंध मधुर बने रहेंगे। परन्तु आपको अपनी संतान के पक्ष से प्रसन्नता नहीं मिल पाएगी अर्थात कुछ चिंताएं हो सकती हैं। ऐसे भी हो सकता है कि आपको अपने व्यवसाय या व्यापार में कई बार परिवर्तन या उतार-चड़ाव का सामना करना पडे। साथ ही चंद्र ग्रह के साथ शुभ ग्रहों की युति हो तो,आपको विदेश यात्राएं करने का मौका मिल सकता है।

इसके अलावा यदि कोई जातक महत्वाकांक्षी स्वभाव के हैं और अपने कार्य का दायरा बड़ा या अधिक विकसित करने के प्रयास में है तो ,आप कोई बड़ा पद भी प्राप्त कर सकते हैं। या यह भी हो सकता है कि वह पद आपको सरकार की तरफ़ से प्राप्त हो। ज्योतिष की गणना के अनुसार ऐसे जातकों के लिए अपनी आयु के 24 और 43वें साल, बहुत भाग्यशाली सिद्ध होंगे। इसके साथ ही इस भाव में चन्द्र ग्रह की यह स्थिति जातक को लम्बी उम्र देने में भी सहायक मानी गई है।

दसवें भाव में चंद्र ग्रह का व्यवसाय/पेशे  पर प्रभाव 

वैदिक ज्योतिष के आकड़ों के अनुसार, चंद्र ग्रह का कुंडली के दसवें भाव में होने से यह जातक को व्यापार और व्यवसाय के मामलों में भी अत्यंत कुशलता प्रदान करता हैं। ऐसे जातक ऐसे पेशे में रुचि अधिक लेते जिससे उन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में जनता से संबंध स्थापित करना हो। बदले में जनता भी इन जातकों को बेहद पसंद करती है और इन जातकों को भी जनता से प्यार होता है। इसके अलावा इन जातकों को सरकार द्वारा भी धन की प्राप्ति होती है अर्थात ऐसे व्यक्ति सरकारी नौकरी करने की संभावना भी हो सकती है। साथ ही चंद्र ग्रह के परिवर्तित प्रभाव के कारण जातक को अपने व्यवसाय में भी कई बार परिवर्तन करना पड़ सकता है। साथ ही इन जातकों को विदेश यात्रा करने का भी अवसर  मिलेगा। ज्योतिष के अनुसार इन जातकों के अपनी माता के साथ अच्छे संबंध तथा अपने बंधू बांधव भी आपके प्रेमी होंगे। ज्योतिष की सलाह में महत्वाकांक्षी होने से इन जातकों का कार्य का दायरा भी बढ़ेगा और समाज में प्रतिष्ठित भी हासिल कर पाएँगे।

चंद्र ग्रह

दसवें भाव में चंद्र ग्रह का स्वास्थ्य पर प्रभाव 

ज्योतिष शास्त्र की गणना से यह भी ज्ञात हुआ है कि, दसवें भाव यदि चंद्र ग्रह किसी शत्रु क्षेत्री हो या पाप ग्रह/अशुभ ग्रहों के साथ प्रभाव में हो तो जातक को सर्दी-खांसी जैसे रोग से समस्या हो सकती है। जिसके प्रभाव के कारण ये जातक शारीरिक रूप से दुर्बल महसूस कर सकते है। दूषित ग्रहों के साथ अशुभ चंद्र ग्रह, जातक को कई प्रकार की पीड़ा भी दे सकता है, जो कि रोगों का कारण बन सकता है। इतना ही नहीं ,यदि चन्द्र ग्रह इस भाव में नीच के स्थान पर हो और साथ ही अशुभ ग्रहों से भी संबंध बन रहा है तो जातक अपने व्यवसाय को लेकर कुछ डिप्रेशन (चिंता) जैसी घातक बीमारी का शिकार भी हो जाता है।

यदि आप भी अपने जीवन में किसी ग्रहों के दुष्परिणामों का सामना कर रहे हैं तो, बिना देर किए आज ही ’मंगल भवन’ के ज्योतिषाचार्यों से परामर्श  करें और पाएं अपनी समस्या का सटीक समाधान।    

दसवें भाव में चंद्र ग्रह हेतु आसान उपाय 

ज्योतिष शास्त्र में किसी भी ग्रहों के प्राप्त अशुभ प्रभाव के लिए कुछ आसान से उपाय बताए गए हैं जिसकी सहायता से उस ग्रह से मिल रहे अशुभ प्रभाव को पूर्ण रूप से दूर तो नहीं किया जा सकता परन्तु उसके अशुभ प्रभाव के परिणाम से बचा जा सकता है- इस प्रकार दसवें भाव में चंद्र ग्रह के अशुभ प्रभावों को कम करने हेतु उपाय इस प्रकार है-

  1. विभिन्न तीर्थ यात्राओं से भाग्य में वृद्धि होगी।
  2. भगवान विष्णु को प्रिय एकादशी या प्रदोष का व्रत रखें।
  3. शनिवार के दिन सरसों के तेल में अपनी छाया का दान करें।
  4. ज्योतिष की सलाह से चंद्र से संबंधित वस्तुओं का यथाशक्ति मंदिर में दान करें।
  5. बारिश हुआ बहती नदी का जल किसी पात्र (कंटेनर) में भरकर घर के भीतर रखें।

निष्कर्ष

कुल मिलाकर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि दसवें भाव में चंद्र ग्रह की स्थिति से जातक को अपने कार्य क्षेत्र में कुशलता और निपूर्ण बनाने का कर करती है। इसके सत्रह ही इन जातकों का अपनी माता के साथ भी अच्छा स्नेह व लगाव रहता है। यदि चंद्र ग्रह इस भाव में किसी अन्य क्रूर ग्रह के प्रभाव में न हो तो जातक का जीवन सुखमय रहेगा व किसी प्रकार का कोई मानसिक तनाव भी नहीं होगा।

दसवें भाव में चंद्र ग्रह से सम्बंधित- सामान्यप्रश्न- FAQ


Q- क्या दसवें भाव, चंद्रमा के लिए अच्छा है?

An- दसवें भाव में स्थित चंद्र ग्रह,  जातक के व्यवसाय और संबंधित क्षेत्रों से संबंधित होता है। इसलिए, यह जातकों की व्यावसायिक संभावनाओं को बेहतर कर सकता है । दशम भाव में चंद्रमा वाले जातक नई चीजें सीखना चाहते हैं, और उनके पास आमतौर पर स्पष्ट दृष्टि होती है कि वे जीवन में क्या हासिल करना चाहते हैं।

Q- दसवें भाव में वृश्चिक चंद्रमा का क्या मतलब है?

An- दसवें भाव में वृश्चिक राशि में चंद्रमा 30 वर्ष की आयु के बाद और कभी-कभी 40 वर्ष के बाद जातक के करियर लाइन में प्रसिद्धि और सफलता देता है। मूल निवासी चिकित्सा, खगोल विज्ञान, अनुसंधान, ज्योतिष और खेल के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकता है।

Q- दसवें भाव का स्वामी कौन है?

An- शनि दशम भाव के स्वामी ग्रह के रूप में होते हैं।

Q- मेरा दसवां भाव क्या है?

An- जन्म कुंडली के सबसे ऊपर स्थित दशम यानी दसवें भाव आपकी अनोखी कहानी का शिखर है, और हाँ, मूल रूप से लोकप्रियता का घर होता है। दसवें भाव में सार्वजनिक छवि, पेशेवर आकांक्षाओं और करियर की उपलब्धियों को भी नियंत्रित करता है।

Q- चंद्रमा बलवान कब होता है?

An- उच्च का चंद्रमा मन को प्रसन्न रखता है तथा विपरीत परिस्थितियों में भी यह मन को दुखी नहीं होने देते हैं। वहीं अगर उच्च चंद्रमा पर गुरु की दृष्टि पड़ जाए तो चंद्रमा और बलवान हो जाता है।

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